हरियाणा में करनाल के जाट भवन में पिछड़ा वर्ग के कांग्रेस नेताओं की प्रदेश स्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग के नेताओं ने विधानसभा चुनाव से पहले बैठक कर अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी के लिए आवाज उठाई। बैठक में मौजूद कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग के नेताओं ने कहा कि हरियाणा की आबादी में उनकी हिस्सेदारी 32 फीसदी है। जनसंख्या के आधार पर उनके वर्ग को पार्टी में पूरा सम्मान मिलना चाहिए। बैठक में मौजूद नेताओं ने कहा कि उनके वर्ग की 18 मांगें हैं। वे जल्द ही इन 18 मांगों को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को सौंपेंगे। पिछड़ा वर्ग के कांग्रेस नेता इंद्रजीत ने कहा कि पिछड़ा वर्ग की 32 फीसदी आबादी के अलावा मंडल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार राजनीति में 16 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए। उसके अनुसार पूरे हरियाणा में 15 टिकट पिछड़ा वर्ग के लिए हैं। अगर हरियाणा में पिछड़ा वर्ग की बात करें तो पूरे प्रदेश के विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के नेता काफी मेहनत करते हैं। हरियाणा में 15 निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जहां से अति पिछड़ा वर्ग के हमारे नेता जीत सकते हैं। पिछली बार दिए गए थे 6 टिकट पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलजा के कार्यकाल में छह टिकट दिए गए थे, दावे तो हर पार्टी करती है लेकिन दावे हकीकत से कोसों दूर होते हैं, इस सवाल के जवाब में इंद्रजीत ने कहा कि पिछली बार भी प्रस्ताव रखा गया था और चाहे कोई भी पार्टी हो, वह टिकट देते समय सभी तरह के समीकरण देखती है और हमारा मानना है कि पिछली बार कांग्रेस पार्टी ने जो छह टिकट दिए थे, वह बिल्कुल सही थे, क्योंकि हमारे जीतने वाले उम्मीदवार भी छह थे। अध्यक्ष खड़गे और राहुल गांधी से मिलेंगे इंद्रजीत ने कहा कि आज सभी ने प्रस्ताव पारित किया है कि जल्द ही एक बड़ी जनसभा होगी, जिसमें अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, दीपक बाबरिया, कुमारी शैलजा, भूपेंद्र हुड्डा और अन्य सभी नेताओं को बुलाया जाएगा और उनके सामने अपनी मांगें रखी जाएंगी। संगठन में भी आरक्षण दिया जाए कांग्रेस नेता राजीव सैन ने कहा कि हमारी मांग है कि कांग्रेस हमें 16 प्रतिशत आरक्षण दे। हरियाणा में हमारी 15 सीटें हैं। इन 16 प्रतिशत टिकटों में ही नहीं, बल्कि कांग्रेस का जो संगठन बनेगा, उसमें भी पिछड़े वर्ग को जगह दी जाए। पिछड़े वर्ग की यह मांग आज से नहीं बल्कि पिछले 70 सालों से है और यह हक मिलना चाहिए। जब तक सीटें आरक्षित नहीं होंगी, तब तक हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे। हरियाणा में करनाल के जाट भवन में पिछड़ा वर्ग के कांग्रेस नेताओं की प्रदेश स्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग के नेताओं ने विधानसभा चुनाव से पहले बैठक कर अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी के लिए आवाज उठाई। बैठक में मौजूद कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग के नेताओं ने कहा कि हरियाणा की आबादी में उनकी हिस्सेदारी 32 फीसदी है। जनसंख्या के आधार पर उनके वर्ग को पार्टी में पूरा सम्मान मिलना चाहिए। बैठक में मौजूद नेताओं ने कहा कि उनके वर्ग की 18 मांगें हैं। वे जल्द ही इन 18 मांगों को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को सौंपेंगे। पिछड़ा वर्ग के कांग्रेस नेता इंद्रजीत ने कहा कि पिछड़ा वर्ग की 32 फीसदी आबादी के अलावा मंडल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार राजनीति में 16 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए। उसके अनुसार पूरे हरियाणा में 15 टिकट पिछड़ा वर्ग के लिए हैं। अगर हरियाणा में पिछड़ा वर्ग की बात करें तो पूरे प्रदेश के विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के नेता काफी मेहनत करते हैं। हरियाणा में 15 निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जहां से अति पिछड़ा वर्ग के हमारे नेता जीत सकते हैं। पिछली बार दिए गए थे 6 टिकट पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलजा के कार्यकाल में छह टिकट दिए गए थे, दावे तो हर पार्टी करती है लेकिन दावे हकीकत से कोसों दूर होते हैं, इस सवाल के जवाब में इंद्रजीत ने कहा कि पिछली बार भी प्रस्ताव रखा गया था और चाहे कोई भी पार्टी हो, वह टिकट देते समय सभी तरह के समीकरण देखती है और हमारा मानना है कि पिछली बार कांग्रेस पार्टी ने जो छह टिकट दिए थे, वह बिल्कुल सही थे, क्योंकि हमारे जीतने वाले उम्मीदवार भी छह थे। अध्यक्ष खड़गे और राहुल गांधी से मिलेंगे इंद्रजीत ने कहा कि आज सभी ने प्रस्ताव पारित किया है कि जल्द ही एक बड़ी जनसभा होगी, जिसमें अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, दीपक बाबरिया, कुमारी शैलजा, भूपेंद्र हुड्डा और अन्य सभी नेताओं को बुलाया जाएगा और उनके सामने अपनी मांगें रखी जाएंगी। संगठन में भी आरक्षण दिया जाए कांग्रेस नेता राजीव सैन ने कहा कि हमारी मांग है कि कांग्रेस हमें 16 प्रतिशत आरक्षण दे। हरियाणा में हमारी 15 सीटें हैं। इन 16 प्रतिशत टिकटों में ही नहीं, बल्कि कांग्रेस का जो संगठन बनेगा, उसमें भी पिछड़े वर्ग को जगह दी जाए। पिछड़े वर्ग की यह मांग आज से नहीं बल्कि पिछले 70 सालों से है और यह हक मिलना चाहिए। जब तक सीटें आरक्षित नहीं होंगी, तब तक हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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रोहतक में जिला पार्षद और चेयरपर्सन आमने-सामने:मंजू हुड्डा बोलीं- बिना एजेंडा कैसे होगी मीटिंग, सरकार को भेजी 188 कार्यों की लिस्ट रोहतक में विकास कार्यों को लेकर जिला परिषद की हाउस मीटिंग न होने पर जिला पार्षद और चेयरपर्सन आमने-सामने आ गए हैं। बुधवार को जिला परिषद की चेयरपर्सन मंजू हुड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वह खुद हाउस की मीटिंग बुलाना चाहती हैं। इसके लिए सभी जिला पार्षदों से कार्यों की सूची मांगी गई है। लेकिन सूची न मिलने के कारण बिना एजेंडे के हाउस की मीटिंग नहीं हो सकती। इससे पहले मंगलवार को जिला पार्षदों ने हाउस मीटिंग करवाने के लिए विकास भवन में धरना दिया था। आरोप लगाया कि विकास के लिए 19 करोड़ रुपये आए थे, जिसमें से एक रुपये का भी विकास कार्य नहीं हुआ। सरकार को भेजी 188 कार्यों की सूची इस पर रोहतक जिला परिषद की चेयरपर्सन मंजू हुड्डा ने कहा कि उनका उद्देश्य भी विकास कार्य करना है। वे भी चाहती हैं कि सदन की बैठकें आयोजित की जाएं। उन्होंने पार्षदों से भी अपने क्षेत्र में विकास कार्यों की सूची देने को कहा है, ताकि उनकी भौतिक दृश्यता दिखाई दे और उन कार्यों को कराया जा सके। बिना एजेंडे के सदन की बैठक कैसे हो सकती है? इसके अलावा उन्होंने मनरेगा में 188 कार्यों की सूची सरकार को भेजी है, जो पूरे जिले में कराए जाएंगे। वहीं, जन संवाद पोर्टल पर आए 117 कार्य तैयार हो चुके हैं। साथ ही, सांसद और विधायक के 12.45 करोड़ के कार्य तैयार हैं। अब जिला परिषद को उनके क्षेत्र में कराए जाने वाले विकास कार्यों के लिए तीन बार पत्र लिखा जा चुका है। 28 जून को भी पत्र लिखा गया था, लेकिन उसके बाद भी कार्यों की सूची नहीं मिली। जिला परिषद के पास 4 करोड़ का फंड
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हरियाणा में प्रॉपर्टी ID और PPP की होगी समीक्षा:लोकसभा चुनाव में था सबसे बड़ा मुद्दा; PWD मंत्री बोले-CM के सामने रखी मांग हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान सबसे बड़ा मुद्दा बनकर सामने आए परिवार पहचान पत्र (PPP), प्रॉपर्टी आईडी, एनडीसी, बीपीएल कार्ड की परेशानियों को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार अब इनकी समीक्षा करेगी। बकायदा इसके लिए ग्राउंड लेवल पर डिपार्टमेंट से फीडबैक लिया जा रहा हैं। बीजेपी सरकार को पोर्टल की वजह से प्रदेश में बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। सीनियर लेवल के अधिकारी ऑल इज वेल कहते रहे और निचलने स्तर पर चुनाव में बड़ा नुकसान हो गया। इसलिए सरकार अब निचले स्तर पर कर्मचारियों से फीडबैक ले रही है। प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने शनिवार को रेवाड़ी में बताया कि लोकसभा चुनाव की समीक्षा को लेकर सीएम नायब सैनी ने सभी विधायकों की बैठक ली थी। विधायकों की मीटिंग ली थी। सभी विधायकों से बात की। सीएम ने पूछा कि चुनाव के समय में क्या-क्या समस्याएं आई, जिसकी वजह से हमारा ग्राफ गिरा। जिसमें विधायकों ने बताया कि शहर में प्रॉपर्टी आईडी, फैमिली आईडी, गांवों में लोगों के बीपीएल कार्ड कट गए जैसी समस्याएं थी। ये समस्याएं पोर्टल पर ठीक नहीं हो रही है, जिसकी वजह से लोगों में रोष है। हमने सीएम से कहा कि इसे ऑफलाइन किया जाए। इसके बाद सीएम ने समीक्षा कराने की बात कही हैं। चुनाव में 5 सीटों का नुकसान हुआ बता दें कि लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद जैसे ही आचार संहिता हटी। तुरंत प्रदेश सरकार एक्टिव हो गई। क्योंकि बीजेपी को इस चुनाव में 5 सीटों का नुकसान हुआ हैं। जिन सीटों पर जीत मिली, वहां भी कांटे का ही मुकाबला रहा। चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा प्रॉपर्टी आईडी और फैमिली आईडी का ही था। जिसकी लेकर बीजेपी सरकार को बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ा। सरकार को लोगों के रोष का पता नहीं चल पाया। ऐसे में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री नायब सैनी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा बनाई गई इन योजनाओं की समीक्षा करा रहे हैं। दरअसल, प्रॉपर्टी आईडी और फैमिली आईडी को लेकर गुस्सा का आकलन प्रदेश सरकार को पहले भी था, लेकिन लोगों में ये गुस्सा इतना हावी रहेगा ये सरकार तक नहीं पहुंच पाया। अधिकारी सब कुछ ठीक होने का हवाला देते रहे पोर्टल से संबंधित चंडीगढ़ में बड़े लेवल पर अधिकारियों की बैठक होती रही। निचले लेवल पर बैठे अधिकारी सरकार को सब कुछ ठीक होने का फीडबैक देते रहे और सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। आखिर में लोकसभा चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। विपक्ष भी पूर्व मुख्यमंत्री की पोर्टल योजनाओं को लेकर सवाल खड़े करता रहा, लेकिन सरकार तक इसकी गूंज नहीं पहुंची। निचले लेवल पर कर्मचारियों से लिया जा रहा फीडबैक बता दें कि 12 मार्च को मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफा देने के बाद नायब सैनी मुख्यमंत्री बने। इसके तुरंत बाद ही आचार संहित लग गई। जिसकी वजह से ज्यादा काम करने का मौका नहीं मिल पाया। लेकिन चुनाव में हुए नुकसान का आकलन लगाने के बाद सरकार ने पोर्टल की योजनाओं की समीक्षा शुरू कर दी है। सरकार की तरफ से निचले स्तर पर निकाय विभाग के कर्मचारियों से फीडबैक लिया जा रहा है। उनसे दो ही सवाल किए जा रहे है। पहला प्रॉपर्टी आईडी और परिवार पहचान पत्र में किस तरह की समस्या है और दूसरा इन समस्याओं को कैसे दूर किया जा सकता हैं। क्योंकि विधानसभा चुनाव में 4 माह का समय बचा है। ऐसे में कहीं से मुद्दा विधानसभा चुनाव में भी बड़ा बनकर न रह जाए इसलिए सरकार इसके सुधार की तरफ कदम उठा रही है।