हरियाणा के करनाल में दल बदलने का क्रम थमने का नाम नहीं ले रहा है। घरौंडा में भाजपा के वरिष्ठ नेता विनोद जुनेजा ने भाजपा को अलविदा कह दिया है। जुनेजा वर्ष 2022 में नगरपालिका का इलेक्शन लड़ चुके है और चौथे स्थान पर रहे थे। उनके पास भारतीय मोदी आर्मी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का भी पद है और प्रधानमंत्री जन कल्याणकारी योजना प्रचार-प्रसार के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी है। जुनेजा, भाजपा में हुई अनदेखी से खफा हैं। जुनेजा की मानें तो बीजेपी सरकार के होते हुए भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। यहां तक कि किसी को भी आगे बढ़ने नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि 1989 से वह भाजपा से जुड़े हुए है और कर्मठ कार्यकर्ताओं में शामिल रहे। नगरपालिका चेयरमैन का चुनाव था और उसके लिए मैने और मेरे समाज ने टिकट मांगी, लेकिन उसने बीजेपी ने मुझे टिकट नहीं दिया। जिसके चलते मुझे पार्टी के खिलाफ जाकर आजाद चुनाव लड़ा और चौथे स्थान पर रहा। टिकट नहीं मिला, इसका दर्द मुझे ही नहीं बल्कि मेरे समाज को भी है। यह आज से नहीं बल्कि दो साल से है। उन्होंने अपना इस्तीफा भेज दिया है। पंजाबी समाज से आते है जुनेजा आपको बता दें कि विनोद जुनेजा पंजाबी समाज से आते है। ऐसा नहीं है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने जुनेजा को मनाने का प्रयास नहीं किया, लेकिन जुनेजा ने पार्टी छोड़ने का फैसला ले लिया है। वे 20 सितंबर को कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। पंजाबी समाज या फिर एससी/ओबीसी के वोटरों में जुनेजा की अच्छी पकड़ है। इनके बड़े भाई सुदर्शन जुनेजा भी बीजेपी में घरौंडा मंडल के अध्यक्ष रह चुके हैं। ऐसे में जुनेजा के बीजेपी छोड़ने से भाजपा को बड़ा झटका लग सकता है और कांग्रेस को फायदा मिल सकता है। ऐसे में कितना असर भाजपा पर पड़ता है उसका परिणाम 8 अक्टूबर को इलेक्शन रिजल्ट बताएंगे, लेकिन इतना जरूर है कि वरिष्ठ नेता का बीजेपी छोड़ना, भाजपा के किसी बड़े झटके से कम नहीं है। हरियाणा के करनाल में दल बदलने का क्रम थमने का नाम नहीं ले रहा है। घरौंडा में भाजपा के वरिष्ठ नेता विनोद जुनेजा ने भाजपा को अलविदा कह दिया है। जुनेजा वर्ष 2022 में नगरपालिका का इलेक्शन लड़ चुके है और चौथे स्थान पर रहे थे। उनके पास भारतीय मोदी आर्मी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का भी पद है और प्रधानमंत्री जन कल्याणकारी योजना प्रचार-प्रसार के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी है। जुनेजा, भाजपा में हुई अनदेखी से खफा हैं। जुनेजा की मानें तो बीजेपी सरकार के होते हुए भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। यहां तक कि किसी को भी आगे बढ़ने नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि 1989 से वह भाजपा से जुड़े हुए है और कर्मठ कार्यकर्ताओं में शामिल रहे। नगरपालिका चेयरमैन का चुनाव था और उसके लिए मैने और मेरे समाज ने टिकट मांगी, लेकिन उसने बीजेपी ने मुझे टिकट नहीं दिया। जिसके चलते मुझे पार्टी के खिलाफ जाकर आजाद चुनाव लड़ा और चौथे स्थान पर रहा। टिकट नहीं मिला, इसका दर्द मुझे ही नहीं बल्कि मेरे समाज को भी है। यह आज से नहीं बल्कि दो साल से है। उन्होंने अपना इस्तीफा भेज दिया है। पंजाबी समाज से आते है जुनेजा आपको बता दें कि विनोद जुनेजा पंजाबी समाज से आते है। ऐसा नहीं है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने जुनेजा को मनाने का प्रयास नहीं किया, लेकिन जुनेजा ने पार्टी छोड़ने का फैसला ले लिया है। वे 20 सितंबर को कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। पंजाबी समाज या फिर एससी/ओबीसी के वोटरों में जुनेजा की अच्छी पकड़ है। इनके बड़े भाई सुदर्शन जुनेजा भी बीजेपी में घरौंडा मंडल के अध्यक्ष रह चुके हैं। ऐसे में जुनेजा के बीजेपी छोड़ने से भाजपा को बड़ा झटका लग सकता है और कांग्रेस को फायदा मिल सकता है। ऐसे में कितना असर भाजपा पर पड़ता है उसका परिणाम 8 अक्टूबर को इलेक्शन रिजल्ट बताएंगे, लेकिन इतना जरूर है कि वरिष्ठ नेता का बीजेपी छोड़ना, भाजपा के किसी बड़े झटके से कम नहीं है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
