करनाल में BJP और कांग्रेस में कांटे की टक्कर:2018 के बाद दोनों प्रत्याशी आमने सामने, जातीय समीकरण बिगाड़ सकते है खेल

करनाल में BJP और कांग्रेस में कांटे की टक्कर:2018 के बाद दोनों प्रत्याशी आमने सामने, जातीय समीकरण बिगाड़ सकते है खेल

हरियाण के करनाल में होने वाले निकाय चुनावों को लेकर भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार चुके है। बीजेपी की तरफ से पूर्व मेयर रेणु बाला गुप्ता और कांग्रेस की ओर से लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व डिप्टी मेयर मनोज वधवा को मैदान में उतारा है। दोनों ही पार्टियों ने राजनीति और जातीय समीकरण साधकर अपने प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। करनाल में सबसे ज्यादा पंजाबी समाज की वोटे है, जबकि दूसरे नंबर पर बनिया समाज की वोटहै। ऐसे में कांग्रेस ने मनोज वधवा को टिकट देकर पंजाबी वोटर्स को साधने का प्रयास किया है। वहीं बीजेपी ने रेणु बाला गुप्ता को टिकट देकर बनिया समाज ही नहीं बल्कि रेणु बाला गुप्ता की अच्छी छवि के मार्फत 36 बिरादरियों को साधने की कोशिश में है। 2018 में भी इन दोनों प्रत्याशियों की बीच मुकाबले की टक्कर थी। लेकिन इस बार मुकाबला इस लिए खास है कि क्योंकि इस बार मनोज वधवा को कांग्रेस ने अपने सिंबल पर मैदान में उतारा है। 2018 में वह आजाद चुनाव लड़ रहे थे लेकिन उन्हें अंदर खाते कांग्रेस का सर्मथन मिला हुआ था। रेणु बाला को इसलिए मिली टिकट राजनीति विशेषज्ञ DAV कॉलेज के प्राचार्य आर.पी सैनी की मानें तो उनका कहना है कि रेणु बाला गुप्ता लगतार दो बार भजपा की और से मेयर रह चुकी है। इस बार वह विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदार थी। लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। टिकट ना मिलने का कारण वह नाराज चल रही थी, जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें भविष्य में अच्छा मान सम्मान का आश्वासन दिया था। विधानसभा चुनावों के बाद उनके पति बृज गुप्ता को कार्यकारी जिला अध्यक्ष नियुक्त करके उनकी नाराजगी दूर की गई और अब उन्हें दोबारा मेयर का टिकट दिया गया। किसकी चली और किसकी नहीं राजनीति विशेषज्ञों की माने तो भाजपा में अबकी बार भी केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के इशारे में करनाल की टिकटों का ऐलान हुआ, वहीं स्थानीय विधायक को ऐसा कोई भाव दिखता हुआ नजर नहीं आया। अगर बात कही जाए कांग्रेस की तो करनाल में मनोज वधवा को टिकट मिला है और मनोज वधवा हुड्डा गुट के नेता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आने का मुख्य कारण विधायक की टिकट लेना था। लेकिन उन्हें भी टिकट नहीं दी गई। जिसके बाद अब उन्हें कांग्रेस टिकट पर मेयर का प्रत्याशी बनाया गया है। आमने सामने की टक्कर, मुकाबला टफ ​​​​​​​करनाल में कांग्रेस और बीजेपी में आमने सामने की टक्कर रहेगी। वर्ष 2018 के मेयर चुनाव में रेणु बाला गुप्ता और मनोज वधवा की पत्नी आशा वधवा मैदान में थे। रेणु बाला गुप्ता को करारी टक्कर मनोज वधवा की पत्नी ने दी थी और रेणु बाला गुप्ता महज 8 हजार वोटो से ही जीत पाई थी। रेणु बाला गुप्ता के प्रचार में बीजेपी के बड़े बड़े नेता मैदान में उतरे थे। ऐसे में अब एक बार फिर रेणु बाला गुप्ता और मनोज वधवा आमने सामने है। रेणु बाला गुप्ता दो बार लगातार मेयर रह चुकी है, जबकि मनोज वधवा डिप्टी मेयर रह चुके है। अब किसको कितनी वोट मिलती है लेकिन वह 12 मार्च को पता चल पाएगा। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती ​​​​​​​कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती केंद्र और स्टेट में बीजेपी की सरकार होना है। बीजेपी लोगों के लिए बीच में पहुंचकर ट्रिपल इंजन की सरकार का नारा देगी और लोगों को इस बात का हवाला देकर अपनी ओर करने का प्रयास करेगी कि हमारी केंद्र में सरकार है और राज्य में भी सरकार है और निगम में भी हमारी सरकार होगी तो विकास का पहिया दोगुनी रफ्तार से घुमेगा, जबकि कांग्रेस के पास ऐसा कोई तर्क नहीं होगा। हरियाणा विधानसभा में हार और दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे बुरी परफॉर्मेंस कांग्रेस के लिए नासूर बन सकता है। ऐसे में कांग्रेस किन मुद्​दों को लेकर और किन दलीलों का हवाला देकर अपनी ओर करने का प्रयास करेगी, वह देखने वाली बात है। क्या कुछ है जातीय समीकरण की स्थिति ​​​​​​​करनाल में लगभग 3 लाख वोटर्स है। इनमें अगर जातिगत आंकड़ो पर नजर डाली जाए तो सबसे ज्यादा वोटर पंजाबी समाज है और सबसे कम गुर्जर समाज के है। एक निजी एजेंसी ओर से किए गए सर्वे के अनुसार जातीय समीकरण पर नजर डाली जाए तो वह निम्न प्रकार से है। पंजाबी अरोडा-खत्री 66262 अग्रवाल समाज 24834 रविदासिया 21656 ब्राह्मण 20747 जटसिख 12976 रोड समाज 13546 वाल्मीकि 11044 जाट 13546 राजपूत 9789 कश्यप 9976 गडरिया 8667 सैनी 6490 गुर्जर 5400 कंबोज 6746 कुम्हार 6643 हरियाण के करनाल में होने वाले निकाय चुनावों को लेकर भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार चुके है। बीजेपी की तरफ से पूर्व मेयर रेणु बाला गुप्ता और कांग्रेस की ओर से लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व डिप्टी मेयर मनोज वधवा को मैदान में उतारा है। दोनों ही पार्टियों ने राजनीति और जातीय समीकरण साधकर अपने प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। करनाल में सबसे ज्यादा पंजाबी समाज की वोटे है, जबकि दूसरे नंबर पर बनिया समाज की वोटहै। ऐसे में कांग्रेस ने मनोज वधवा को टिकट देकर पंजाबी वोटर्स को साधने का प्रयास किया है। वहीं बीजेपी ने रेणु बाला गुप्ता को टिकट देकर बनिया समाज ही नहीं बल्कि रेणु बाला गुप्ता की अच्छी छवि के मार्फत 36 बिरादरियों को साधने की कोशिश में है। 2018 में भी इन दोनों प्रत्याशियों की बीच मुकाबले की टक्कर थी। लेकिन इस बार मुकाबला इस लिए खास है कि क्योंकि इस बार मनोज वधवा को कांग्रेस ने अपने सिंबल पर मैदान में उतारा है। 2018 में वह आजाद चुनाव लड़ रहे थे लेकिन उन्हें अंदर खाते कांग्रेस का सर्मथन मिला हुआ था। रेणु बाला को इसलिए मिली टिकट राजनीति विशेषज्ञ DAV कॉलेज के प्राचार्य आर.पी सैनी की मानें तो उनका कहना है कि रेणु बाला गुप्ता लगतार दो बार भजपा की और से मेयर रह चुकी है। इस बार वह विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदार थी। लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। टिकट ना मिलने का कारण वह नाराज चल रही थी, जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें भविष्य में अच्छा मान सम्मान का आश्वासन दिया था। विधानसभा चुनावों के बाद उनके पति बृज गुप्ता को कार्यकारी जिला अध्यक्ष नियुक्त करके उनकी नाराजगी दूर की गई और अब उन्हें दोबारा मेयर का टिकट दिया गया। किसकी चली और किसकी नहीं राजनीति विशेषज्ञों की माने तो भाजपा में अबकी बार भी केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के इशारे में करनाल की टिकटों का ऐलान हुआ, वहीं स्थानीय विधायक को ऐसा कोई भाव दिखता हुआ नजर नहीं आया। अगर बात कही जाए कांग्रेस की तो करनाल में मनोज वधवा को टिकट मिला है और मनोज वधवा हुड्डा गुट के नेता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आने का मुख्य कारण विधायक की टिकट लेना था। लेकिन उन्हें भी टिकट नहीं दी गई। जिसके बाद अब उन्हें कांग्रेस टिकट पर मेयर का प्रत्याशी बनाया गया है। आमने सामने की टक्कर, मुकाबला टफ ​​​​​​​करनाल में कांग्रेस और बीजेपी में आमने सामने की टक्कर रहेगी। वर्ष 2018 के मेयर चुनाव में रेणु बाला गुप्ता और मनोज वधवा की पत्नी आशा वधवा मैदान में थे। रेणु बाला गुप्ता को करारी टक्कर मनोज वधवा की पत्नी ने दी थी और रेणु बाला गुप्ता महज 8 हजार वोटो से ही जीत पाई थी। रेणु बाला गुप्ता के प्रचार में बीजेपी के बड़े बड़े नेता मैदान में उतरे थे। ऐसे में अब एक बार फिर रेणु बाला गुप्ता और मनोज वधवा आमने सामने है। रेणु बाला गुप्ता दो बार लगातार मेयर रह चुकी है, जबकि मनोज वधवा डिप्टी मेयर रह चुके है। अब किसको कितनी वोट मिलती है लेकिन वह 12 मार्च को पता चल पाएगा। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती ​​​​​​​कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती केंद्र और स्टेट में बीजेपी की सरकार होना है। बीजेपी लोगों के लिए बीच में पहुंचकर ट्रिपल इंजन की सरकार का नारा देगी और लोगों को इस बात का हवाला देकर अपनी ओर करने का प्रयास करेगी कि हमारी केंद्र में सरकार है और राज्य में भी सरकार है और निगम में भी हमारी सरकार होगी तो विकास का पहिया दोगुनी रफ्तार से घुमेगा, जबकि कांग्रेस के पास ऐसा कोई तर्क नहीं होगा। हरियाणा विधानसभा में हार और दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे बुरी परफॉर्मेंस कांग्रेस के लिए नासूर बन सकता है। ऐसे में कांग्रेस किन मुद्​दों को लेकर और किन दलीलों का हवाला देकर अपनी ओर करने का प्रयास करेगी, वह देखने वाली बात है। क्या कुछ है जातीय समीकरण की स्थिति ​​​​​​​करनाल में लगभग 3 लाख वोटर्स है। इनमें अगर जातिगत आंकड़ो पर नजर डाली जाए तो सबसे ज्यादा वोटर पंजाबी समाज है और सबसे कम गुर्जर समाज के है। एक निजी एजेंसी ओर से किए गए सर्वे के अनुसार जातीय समीकरण पर नजर डाली जाए तो वह निम्न प्रकार से है। पंजाबी अरोडा-खत्री 66262 अग्रवाल समाज 24834 रविदासिया 21656 ब्राह्मण 20747 जटसिख 12976 रोड समाज 13546 वाल्मीकि 11044 जाट 13546 राजपूत 9789 कश्यप 9976 गडरिया 8667 सैनी 6490 गुर्जर 5400 कंबोज 6746 कुम्हार 6643   हरियाणा | दैनिक भास्कर