करनाल जिले के घरौंडा थाना के गुढ़ा गांव में एक जेबीटी टीचर के साथ मारपीट का मामला सामने आया है। टीचर ने हमलावरों पर अपहरण के प्रयास का भी आरोप लगाया है। टीचर अपने स्कूल में ड्यूटी पर जा रहा था।रास्ते में ही जेबीटी टीचर पर हमला किया गया है। पीड़ित ने मामले की शिकायत पुलिस से की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पानीपत का रहने वाला अध्यापक पानीपत निवासी शिक्षक सतीश गुढा गांव के सरकारी स्कूल में कार्यरत है। पुलिस को दी शिकायत के मुताबिक, कल सुबह वह अपनी ड्यूटी पर स्कूल में जा रहा था। इसी दौरान टाटा सफारी गाड़ी से उनकी गाड़ी को पीछे से टक्कर मारी गई। टक्कर के बाद आरोपियों ने गाड़ी से उतरकर उस पर हमला किया। हमले के बाद आरोपियों ने उन्हें अपनी गाड़ी में डालने की कोशिश की, लेकिन मौके पर पहुंचे गांव वालों और स्कूल स्टाफ ने उन्हें छुड़ा लिया। पीड़ित सतीश ने शिकायत में बताया है कि अपहरण के इस प्रयास के पीछे बृजपाल नामक व्यक्ति का हाथ बताया जा रहा है। सतीश कुमार के अनुसार, बृजपाल पहले भी उन्हें जान से मारने की धमकी दे चुका था। वह एक करोड़ रुपए की मांग कर रहा था और लगातार फोन पर धमकियां दे रहा था। पुलिस जांच में जुटी, आरोपियों की तलाश जारी घटना के बाद सतीश कुमार ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद मौके पर पुलिस पहुंची। पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया है। घरौंडा थाने के SHO राजपाल ने बताया कि सतीश कुमार ने अपने साथ हुई मारपीट की शिकायत दी है। जिसमें अपहरण का भी जिक्र किया है। अपहरण और मारपीट के आरोप में जांच जारी है। पूरे मामले की गहनता से जांच की जा रही है। तथ्यों और जांच के आधार पर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। करनाल जिले के घरौंडा थाना के गुढ़ा गांव में एक जेबीटी टीचर के साथ मारपीट का मामला सामने आया है। टीचर ने हमलावरों पर अपहरण के प्रयास का भी आरोप लगाया है। टीचर अपने स्कूल में ड्यूटी पर जा रहा था।रास्ते में ही जेबीटी टीचर पर हमला किया गया है। पीड़ित ने मामले की शिकायत पुलिस से की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पानीपत का रहने वाला अध्यापक पानीपत निवासी शिक्षक सतीश गुढा गांव के सरकारी स्कूल में कार्यरत है। पुलिस को दी शिकायत के मुताबिक, कल सुबह वह अपनी ड्यूटी पर स्कूल में जा रहा था। इसी दौरान टाटा सफारी गाड़ी से उनकी गाड़ी को पीछे से टक्कर मारी गई। टक्कर के बाद आरोपियों ने गाड़ी से उतरकर उस पर हमला किया। हमले के बाद आरोपियों ने उन्हें अपनी गाड़ी में डालने की कोशिश की, लेकिन मौके पर पहुंचे गांव वालों और स्कूल स्टाफ ने उन्हें छुड़ा लिया। पीड़ित सतीश ने शिकायत में बताया है कि अपहरण के इस प्रयास के पीछे बृजपाल नामक व्यक्ति का हाथ बताया जा रहा है। सतीश कुमार के अनुसार, बृजपाल पहले भी उन्हें जान से मारने की धमकी दे चुका था। वह एक करोड़ रुपए की मांग कर रहा था और लगातार फोन पर धमकियां दे रहा था। पुलिस जांच में जुटी, आरोपियों की तलाश जारी घटना के बाद सतीश कुमार ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद मौके पर पुलिस पहुंची। पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया है। घरौंडा थाने के SHO राजपाल ने बताया कि सतीश कुमार ने अपने साथ हुई मारपीट की शिकायत दी है। जिसमें अपहरण का भी जिक्र किया है। अपहरण और मारपीट के आरोप में जांच जारी है। पूरे मामले की गहनता से जांच की जा रही है। तथ्यों और जांच के आधार पर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा की एक और शूटर आज मेडल पर निशाना लगाएगी:पेरिस ओलिंपिक में फाइनल खेलेगी रमिता जिंदल; 8 साल की उम्र में शुरू की थी शूटिंग मनु भाकर के बाद एक और इंडियन शूटर रमिता जिंदल पेरिस ओलिंपिक में फाइनल में पहुंच गई। रमिता आज यानी सोमवार दोपहर एक बजे 10 मीटर एयर राइफल इवेंट का फाइनल मैच खेलेंगी। रमिता ने रविवार को हुए क्वालिफिकेशन राउंड में 631.5 अंकों के साथ पांचवां स्थान हासिल कर फाइनल में जगह पक्की की थी। 20 वर्षीय रमिता हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के लाडवा की रहने वाली है। साल 2022 एशियाई खेलों में सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर रमिता ने अपनी पहचान बनाई थी। वह अपनी कोच सुमा शिरूर (एथेंस 2004) के बाद ओलिंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला राइफल शूटर हैं। पिता शूटिंग रेंज में लेकर गए तो दिलचस्पी बढ़ी रमिता जिंदल का जन्म 16 जनवरी 2004 को लाडवा में जिंदल परिवार में हुआ। वह दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज की छात्रा है। रमिता के पिता अरविंद जिंदल टैक्स एडवाइजर हैं। 8 साल की उम्र में रमिता ने शूटिंग शुरू की थी। अरविंद जिंदल बेटी रमिता को कुरुक्षेत्र के करण शूटिंग रेंज में ले गए। यहां से रमिता की शूटिंग में दिलचस्पी बढ़ गई। सुबह वह स्कूल जाने लगी और फिर शाम को अभ्यास के लिए करण शूटिंग रेंज जाने लगी। रमिता जिंदल को पहली सफलता तब मिली, जब वह 2018 की राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में शीर्ष 10 में रहीं। 2020 में रमिता ने नेशनल लेवल की प्रतियोगिताओं में मेडल जीतना शुरू किया। इसके बाद उसे भारतीय शूटर के रूप में पहचान मिली। 2023 में ओलिंपिक में स्थान फाइनल किया साल 2023 में बाकू में हुए विश्व चैम्पियनशिप में रमिता जिंदल ने गोल्ड मेडल हासिल किया। यहां मेडल जीतने के बाद उनका पेरिस ओलिंपिक 2024 में स्थान पक्का हो गया। रमिता जिंदल की प्रमुख उपलब्धियां 2021 : ISSF जूनियर विश्व चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल 2022 : एशियाई खेलों में सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल 2022 : ISSF विश्व कप में गोल्ड और सिल्वर मेडल 2022 : विश्व चैम्पियनशिप में 2 गोल्ड मेडल 2023 : एशियाई शूटिंग चैम्पियनशिप में एक सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज मेडल 2023 : विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल ये खबरें भी पढ़ें :- हरियाणवी छोरी ने देश को दिलाया पहला मेडल:पेरिस ओलिंपिक में जीता ब्रॉन्ज, पहली भारतीय महिला शूटर बनीं, दादी बोलीं- सोने की टूम पहनाऊंगी मनु भाकर बोलीं-फाइनल में दिमाग में गीता चल रही थी:कृष्ण ने अर्जुन को कहा था-लक्ष्य पर ध्यान दो, परिणाम पर नहीं; ओलिंपिक में ब्रॉन्ज जीता
हरियाणा-पंजाब-यूपी और दिल्ली के मंत्रियों की मीटिंग:रोहतक पहुंचे श्याम सिंह राणा हुए शामिल, पराली प्रबंधन पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने दिए निर्देश
हरियाणा-पंजाब-यूपी और दिल्ली के मंत्रियों की मीटिंग:रोहतक पहुंचे श्याम सिंह राणा हुए शामिल, पराली प्रबंधन पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने दिए निर्देश केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए चार राज्यों हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कृषि मंत्रियों की अंतर मंत्रालय बैठक ली। बैठक फसल अवशेष प्रबन्धन व आगजनी की घटनाओं को लेकर हुई। इस बैठक में रोहतक पहुंचे हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने भी भाग लिया। बैठक में हरियाणा और अन्य तीन राज्यों में पिछले वर्ष तथा वर्तमान वर्ष हुई आगजनी की घटनाओं को लेकर विचार-विमर्श किया। जिसमें मंत्री श्याम सिंह राणा ने हरियाणा राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए बताया कि पिछले वर्ष के मुकाबले वर्तमान वर्ष खरीफ सीजन में हरियाणा राज्य में आगजनी की घटनाओं में लगभग 60 प्रतिशत की कमी आई है। जिसका श्रेय हरियाणा राज्य के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली को जाता है। पराली प्रबंधन से बढ़ती है मिट्टी की उपजाऊ शक्ति उन्होंने कहा कि इसके तहत राज्य सरकार द्वारा किसानों को धान की पराली न जलाने बारे ग्राम स्तरीय, खंड स्तरीय, जिला स्तरीय, पाठशाला कार्यक्रमों, प्रिंटिड मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से किसानों को जागरूक करना व किसानों को पराली प्रबन्धन के लिए प्रोत्साहन राशि और कृषि यंत्र उपलब्ध करवाना शामिल है। यदि राज्य के किसान पराली को ना जलाकर उसका प्रबन्धन खेत व खेत से बाहर करते हैं तो मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है, साथ ही मिट्टी में आर्गेनिक तत्वों की मात्रा भी बढ़ती है। मिट्टी में पाए जाने वाले फसल के मित्र कीट भी सुरक्षित रहते हैं। जिसके कारण मिट्टी की संरचना पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। इस बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा के संयुक्त निदेशक (कृषि अभियांत्रिकी) जगमेन्द्र नैन और रोहतक के उप कृषि निदेशक सुरेन्द्र सिंह भी उपस्थित रहे। आगजनी की घटनाओं को लेकर सरकार सतर्क कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि हरियाणा राज्य सरकार धान की पराली में होने वाली आगजनी की घटनाओं के बारे पूर्णतः सतर्क है। हरियाणा राज्य ने ग्राम स्तरीय, खंड स्तरीय और जिला स्तरीय टीमों के माध्यम से पूर्ण निगरानी रखे हुए है। किसानों को प्रतिदिन हरेक गांव में जागरूकता शिविर लगाकर धान की पराली ना जलाने बारे जागरूक कर रही है। आगजनी की घटनाओं पर काबू पाने के लिए कृषि विभाग व जिला प्रशासन पूर्ण प्रयासरत है। यदि कोई किसान जाने-अनजाने में धान की पराली में आग लगाता है तो कमिश्नर द्वारा जारी किए दिशा-निर्देशानुसार किसान पर जुर्माना लगाने, एफआईआर दर्ज करवाने व मेरी फसल मेरा ब्योरा में रेड एंट्री करने की प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी। पराली जलाने वाले 2 किसानों पर केस दर्ज डीसी अजय कुमार ने मंत्री को आश्वस्त किया कि रोहतक जिले में कार्यरत सभी अधिकारी और कर्मचारी तथा जिला प्रशासन पूरी तत्परता के साथ आगजनी की घटनाओं को काबू करने के लिए अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में प्रयासरत हैं। उन्होंने बताया कि जिले में अब तक केवल 8 आगजनी की घटनाओं की सूचना हरसेक द्वारा प्राप्त हुई है। जिनमें से 6 स्थानों पर आगजनी नहीं पाई गई। दो घटनाएं सही पाई गई हैं। कमिश्नर के दिशा-निर्देशानुसार गांव डोभ और कबूलपुर के किसानों के विरूद्ध संबंधित पुलिस थानों में पॉल्यूशन प्रोटेक्शन एक्ट 1986 व अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करवा दी गई है। एक किसान पर जुर्माना भी लगाया गया है।
विधानसभा चुनाव से पहले BJP का आदमपुर पर दांव:3 साल बाद नगर पालिका दर्जा खत्म होगा, कुलदीप बिश्नोई ने जताया आभार
विधानसभा चुनाव से पहले BJP का आदमपुर पर दांव:3 साल बाद नगर पालिका दर्जा खत्म होगा, कुलदीप बिश्नोई ने जताया आभार हिसार की आदमपुर नगर पालिका का दर्जा जल्द ही खत्म हो जाएगा। सरकार से इसकी मंजूरी मिलने के बाद फाइल हिसार डीसी ऑफिस पहुंच गई है। कभी भी इसकी घोषणा हो सकती है। आदमपुर को भाजपा सरकार ने 29 जून 2021 को नगर पालिका का दर्जा दिया था। इसके बाद से ही लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। करीब 40 दिन तक लगातार धरना-प्रदर्शन चला था। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई ने धरने पर पहुंचकर आश्वासन दिया था कि वह सरकार से मिलकर नगर पालिका का दर्जा खत्म करवाएंगे। कुलदीप बिश्नोई ने तब के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की थी। मनोहर लाल ने आश्वासन दिया था कि नगर पालिका का दर्जा हटाएंगे। करीब 2 साल पहले सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि आदमपुर गांव को नगर पालिका से हटाया जाएगा। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई ने विधायक बेटे भव्य बिश्नोई के साथ जाकर 6 जून को मुख्यमंत्री नायब सैनी से मुलाकात की थी और इस मामले को जल्द हल करने को कहा था। इसके बाद सरकार ने कार्रवाई करते हुए फाइल आगे बढ़ा दी। अब फाइल मंजूर होकर डीसी ऑफिस तक पहुंच गई है। पहले नगर पालिका का दर्जा देने को चली थी मुहिम बता दें कि इससे पहले मंडी आदमपुर को नगर पालिका बनाने के लिए जन सेवा समिति ने मुहिम शुरू की थी। बाद में जन सेवा समिति के सदस्यों ने आदमपुर की करीब 16 सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं को अपने साथ लिया और उनसे इस बारे में चर्चा की। संस्थाओं द्वारा सहमति जताने के साथ ही अपने-अपने लेटर हेड पर प्रस्ताव लिखित में दिए गए थे। संस्थाओं से प्रस्ताव मिलने के बाद समिति द्वारा सामूहिक बैठक बुलाई गई थी। आदमपुर को नगरपालिका बनाने के लिए तब जजपा के नेता रहे रमेश गोदारा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से मुलाकात की थी। इसके बाद आदमपुर को नगर पालिका का दर्जा मिला था। इसके बाद नगर पालिका का दर्जा हटवाने को चला धरना आदमपुर ग्राम पंचायत को नगरपालिका से बाहर कर पुनः ग्राम पंचायत का दर्जा देने की मांग पर 40 दिनों तक धरना चला। इसके बाद ग्रामीणों के साथ वीडियो काल कर आदमपुर से विधायक कुलदीप बिश्नोई ने दावा किया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उनकी मांग को मानते हुए आदमपुर गांव को पुन: ग्राम पंचायत का दर्जा देने की स्वीकृति दे दी है। कुलदीप बिश्नोई की ओर से कहा गया था कि वे इस मामले को लेकर गुरुग्राम में मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिलकर विस्तृत सकारात्मक चर्चा कर चुके हैं। आदमपुर ग्राम पंचायत बहाली को लेकर मुख्यमंत्री ने उनके सामने अधिकारियों को निर्देश दिए। पूर्व CM के इलाका उपमंडल बनने को तरसा आदमपुर को उपमंडल बनाने के मामले में पहले की सरकारें राजनीति करती रही हैं। 1991 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे चौ. भजनलाल ने आदमपुर को उपमंडल का दर्जा दे दिया था। वर्ष 1996 में बनी हविपा-भाजपा गठबंधन की सरकार के मुख्यमंत्री बंसीलाल ने तोशाम सहित आदमपुर का उपमंडल का दर्जा वापस ले लिया। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुए और आदमपुर के साथ-साथ तोशाम को भी फिर से उपमंडल का दर्जा दे दिया। साथ ही इसे विधानसभा में पारित भी करवा दिया था। फिर कांग्रेस की सरकार बनने के बाद फाइलें धूल फांकती रही और अब तक आदमपुर को उप मंडल का दर्जा नहीं मिल सका है। नगर पालिका का दर्जा का इसलिए हुआ था विरोध लोगों का आरोप था कि नगरपालिका बनने के बाद विकास का कोई कार्य आरंभ नहीं हुआ, जबकि जनता के ऊपर टैक्स थोपे जाने लगे। निकायों के टैक्स लोगों से लिए जाने लगे। इसके कारण लोग परेशान हो गए। निर्माण करा रहे लोगों को नोटिस दिए जाने लगे। आदमपुर गांव के पूर्व सरपंच कृष्ण सेठी ने बताया कि नगरपालिका का कोई फायदा नहीं है, बल्कि नुकसान ही नुकसान है। नगरपालिका बनने के बाद से मनरेगा स्कीम बंद हो गई है। चुनावों में उठाना पड़ा नुकसान, भजनलाल के गढ़ में हारी भाजपा भजनलाल परिवार का अभेद दुर्ग कहे जाने वाले आदमपुर में भाजपा को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। आदमपुर विधानसभा पर 56 साल से बिश्नोई परिवार का कब्जा है। इस सीट पर पहली बार भजनलाल 1968 में विधायक बने थे तब से लेकर जितने भी चुनाव हुए सभी में भजनलाल परिवार ही आदमपुर से जीतता आ रहा है। मगर इस बार भजनलाल के किले में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। स्व. भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई भाजपा में हैं और उनके बेटे भव्य बिश्नोई आदमपुर में 2022 में भाजपा की टिकट पर विधायक चुने गए थे। मगर इस बार कुलदीप बिश्नोई भाजपा की नैया आदमपुर में पार नहीं लगा सके। भाजपा के हिसार से लोकसभा रणजीत चौटाला को आदमपुर में 53156 वोट मिले जबकि कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी को 59544 वोट मिले। जयप्रकाश जेपी 6384 वोट से आदमपुर से चुनाव जीत गए। कुलदीप ने बार-बार जनता के सामने जोड़े थे हाथ कुलदीप बिश्नोई इस बात को जानते थे कि आदमपुर में अगर वह हार गए तो इसका खामियाजा उनके राजनीतिक जीवन पर पड़ेगा। इस स्थिति को भांपते हुए वह बार-बार जनता के बीच गए और अपने पिता चौधरी भजनलाल से जुड़ाव को याद दिलाकर वोट मांगे। वह बार-बार जनता के बीच जाकर हाथ जोड़ते हुए नजर आए और कहते रहे कि लाज रख लेना कहीं गलत कदम मल उठा लेना। मगर लोगों ने कुलदीप बिश्नोई की अपील को अनसुना कर दिया। आदमपुर में कांग्रेस को बढ़त मिली और सबसे खास बात है कि बिश्नोईयों के गांव में जयप्रकाश जेपी आगे रहे। इसका कारण कुलदीप बिश्नोई से लोगों की नाराजगी को कारण माना जा रहा है। बिश्नोई परिवार का आदमपुर में घटा जनाधार आदमपुर में बिश्नोई परिवार का जनाधार लगातार कम हो रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भजनलाल के पौते भव्य बिश्नोई हिसार से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे तब भाजपा के बृजेंद्र सिंह ने भव्य को आदमपुर में हराया था। अब लोकसभा चुनाव में यह दूसरा मौका है जब बिश्नोई परिवार आदमपुर में हार गया हो। वहीं दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव में भाजपा की ही टिकट पर भव्य आदमपुर से चुनाव लड़े और चुनाव जीते। मगर चुनाव जीत का मार्जिन कम हो गया। भव्य 15,714 वोटों से ही चुनाव जीत पाए। बिश्नोई परिवार का आदमपुर ही नहीं आसपास की सीटों भी प्रभाव था जो कहीं देखने को नहीं मिला।