हरियाणा में करनाल के सेक्टर-13 में पंजाब नेशनल बैंक के शाखा प्रबंधन ने कैशियर पर करीब 59.67 लाख रुपए के गबन का आरोप लगाया है। मामले का खुलासा कैश की गिनती के दौरान हुआ। कैशियर द्वारा घोटाले से बैंक में हड़कंप मच गया। ब्रांच मैनेजर ने मामले की शिकायत सिविल लाइन थाना पुलिस को की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस इस मामले में हर पहलू पर गहनता से जांच कर रही है। कैशियर की संदिग्ध हरकतों ने बढ़ाया शक पुलिस शिकायत के मुताबिक, घटना के दौरान डिप्टी मैनेजर दीपा और अन्य कर्मचारियों ने देखा कि कैशियर फिजिकल चेकिंग करवाने में आनाकानी कर रहा था।जब स्टोर रूम में संदूक खोला गया, तो उसमें मात्र 2 लाख 23 हजार 159 रुपये मिले। इसके बाद बैंक प्रबंधन ने कैश बुक और रजिस्टर के मिलान के बाद पाया कि 59 लाख 67 हजार 664 रुपए गायब हैं। ATM और अन्य खातों की भी जांच जारी शाखा प्रमुख प्रमोद गर्ग ने पुलिस का दी शिकायत बताया कि कैश की गिनती अभी जारी है और संभावना है कि गबन की राशि बढ़ सकती है। इसके अलावा, शाखा के साथ स्थित एटीएम और बीएनए (बैंक नोट एकसेप्टर) की जांच भी की जा रही है। माना जा रहा है कि कैशियर ने इनसे भी धनराशि निकालने की कोशिश की होगी। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया बैंक प्रबंधन की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी कैशियर गितेश बरेजा के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस जांच अधिकारी बंशीलाल ने बताया कि शाखा प्रमुख द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत और अन्य दस्तावेजों के आधार पर 59 लाख से अधिक की गबन का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि गितेश बरेजा ने बैंक की प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए बड़ी राशि की हेराफेरी की है। पुलिस अब मामले से जुड़े सभी सबूतों को जुटाकर आरोपी को पकड़ने के प्रयास में है। बैंक ने भी मामले में पूर्ण सहयोग का भरोसा दिलाया है। हरियाणा में करनाल के सेक्टर-13 में पंजाब नेशनल बैंक के शाखा प्रबंधन ने कैशियर पर करीब 59.67 लाख रुपए के गबन का आरोप लगाया है। मामले का खुलासा कैश की गिनती के दौरान हुआ। कैशियर द्वारा घोटाले से बैंक में हड़कंप मच गया। ब्रांच मैनेजर ने मामले की शिकायत सिविल लाइन थाना पुलिस को की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस इस मामले में हर पहलू पर गहनता से जांच कर रही है। कैशियर की संदिग्ध हरकतों ने बढ़ाया शक पुलिस शिकायत के मुताबिक, घटना के दौरान डिप्टी मैनेजर दीपा और अन्य कर्मचारियों ने देखा कि कैशियर फिजिकल चेकिंग करवाने में आनाकानी कर रहा था।जब स्टोर रूम में संदूक खोला गया, तो उसमें मात्र 2 लाख 23 हजार 159 रुपये मिले। इसके बाद बैंक प्रबंधन ने कैश बुक और रजिस्टर के मिलान के बाद पाया कि 59 लाख 67 हजार 664 रुपए गायब हैं। ATM और अन्य खातों की भी जांच जारी शाखा प्रमुख प्रमोद गर्ग ने पुलिस का दी शिकायत बताया कि कैश की गिनती अभी जारी है और संभावना है कि गबन की राशि बढ़ सकती है। इसके अलावा, शाखा के साथ स्थित एटीएम और बीएनए (बैंक नोट एकसेप्टर) की जांच भी की जा रही है। माना जा रहा है कि कैशियर ने इनसे भी धनराशि निकालने की कोशिश की होगी। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया बैंक प्रबंधन की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी कैशियर गितेश बरेजा के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस जांच अधिकारी बंशीलाल ने बताया कि शाखा प्रमुख द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत और अन्य दस्तावेजों के आधार पर 59 लाख से अधिक की गबन का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि गितेश बरेजा ने बैंक की प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए बड़ी राशि की हेराफेरी की है। पुलिस अब मामले से जुड़े सभी सबूतों को जुटाकर आरोपी को पकड़ने के प्रयास में है। बैंक ने भी मामले में पूर्ण सहयोग का भरोसा दिलाया है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा कांग्रेस में अब हुड्डा गुट की नहीं चलेगी:बाबरिया-बघेल ने प्रभारियों की सूची बदली, उदयभान की लिस्ट रोकने की 3 वजहें
हरियाणा कांग्रेस में अब हुड्डा गुट की नहीं चलेगी:बाबरिया-बघेल ने प्रभारियों की सूची बदली, उदयभान की लिस्ट रोकने की 3 वजहें कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा में हुड्डा गुट को झटका दे दिया है। हुड्डा के आशीर्वाद से प्रदेशाध्यक्ष बने उदयभान के फैसले को पूरी तरह से बदला जा रहा है। उदयभान ने 18 दिसंबर को जिला प्रभारियों की सूची जारी की थी। इस सूची के बारे में न तो प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया से चर्चा की गई और न ही सहप्रभारी जितेंद्र बघेल को इसकी भनक लगी। इस सूची में ज्यादातर नाम हुड्डा के करीबियों के ही शामिल किए गए, जिस पर कांग्रेस के बाकी नेताओं ने ऐतराज जताया। इसके बाद प्रभारी और सहप्रभारी हरकत में आए। दोनों ने हाईकमान को इसकी जानकारी दी। इसके बाद दीपक बाबरिया ने अगले ही दिन एक पत्र जारी कर उदयभान की सूची को निरस्त कर दिया, जिस पर खूब बवाल मचा। इस पर हुड्डा ने प्रतिक्रिया दी कि यह सूची रिवाइज होगी। इसमें कुछ बदलाव किया जाएगा। मगर, अब प्रभारी व सहप्रभारी ने एक अलग सूची तैयारी की है। जिसमें सभी सीनियर नेताओं से समन्वय स्थापित कर नामों को शामिल किया गया है। उदयभान द्वारा जारी सूची को बाबरिया ने रोक दिया था… सूची में सेकेंड लाइनर को जगह
दैनिक भास्कर से खास बातचीत में सहप्रभारी जितेंद्र बघेल ने कहा कि कांग्रेस 2 से 3 दिन में प्रभारियों की सूची जारी कर देगी। ये पहली सूची से एकदम अलग होगी। इसमें नए चेहरों को मौका दिया गया है। अधिकतर सेकेंड लाइनर को आगे किया है। वहीं हारे विधायकों को नई सूची में जगह नहीं दी जाएगी और पुराने चेहरों को भी बदला जा सकता है। कांग्रेस में नई सूची जारी होने के बाद पुराने नेता जिनका पहली सूची में नाम था मोर्चा खोल सकते हैं। वहीं कांग्रेस जिला प्रभारियों के साथ-साथ जिले की बाकी टीम भी बनाएगी, जिसमें लीगल टीम के नाम भी जारी हो सकते हैं। यूथ कांग्रेस से भी नाम लिए जा सकते हैं। एक गुट की नहीं चलेगी, कॉर्डिनेशन से काम होगा
जिला प्रभारियों की नई सूची से कांग्रेस हाईकमान यह मैसेज देना चाह रहा है कि हरियाणा में हुड्डा गुट की एक तरफा नहीं चलेगी। कॉर्डिनेशन से ही काम होगा। सभी नेताओं को विश्वास में लेकर ही संगठन आगे बढ़ेगा। इससे पहले अकसर हरियाणा में कांग्रेस गुटों में बंटी नजर आती रही है। इसका नुकसान कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ा था। इसके बाद कांग्रेस ने फीडबैक के लिए फैक्ट एंड फाइंडिंग कमेटी बनाई। जिसमें ग्राउंड पर जाकर हारे प्रत्याशियों से बात की थी, जिसमें यह निकलकर सामने आया कि कांग्रेस में हार का मुख्य कारण गुटबाजी रही। कांग्रेस के नेताओं ने ही पार्टी को हराने का काम किया। बाबरिया के लिस्ट रोकने की 3 बड़ी वजहें … 1. सैलजा गुट के नेताओं को जगह नहीं
कांग्रेस अच्छे माहौल के बावजूद हरियाणा में विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकी। इसके बाद माना गया कि पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को फ्री हैंड देने की वजह से बाकी नेता नाराज हो गए। खास तौर पर सिरसा सांसद कुमारी सैलजा को तरजीह नहीं दी गई। चुनावी हार के बावजूद भी हुड्डा ग्रुप का संगठन पर दबदबा कायम है। हालांकि हाईकमान ने प्रभारियों की लिस्ट में सैलजा गुट के नेताओं को जगह न देने का सीरियस नोटिस लिया है। 2. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दिल्ली जाकर शिकायत की
चर्चा यह भी है कि प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने इस लिस्ट में उचाना से चुनाव हारे पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह का नाम शामिल नहीं किया था। इसके बाद उन्होंने इस पर आपत्ति जताई थी। दिल्ली जाकर भी उन्होंने पार्टी नेताओं से इस बारे में शिकायत की थी। इस दौरान उन्होंने पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उदयभान पर जमकर जुबानी हमला भी किया था। 3. हाईकमान को भरोसे में नहीं लिया
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक चुनाव में हार के बाद संगठन की कमी सबको खली। अब हाईकमान संगठन को गंभीरता दिखा रहा है। इसके बावजूद जिला प्रभारियों की लिस्ट में फेरबदल के बारे में प्रदेश प्रभारी या हाईकमान से कोई बात नहीं की गई। इसी वजह से हाईकमान ने लिस्ट रोक दी। लिस्ट में 6 MLA भी थे शामिल
प्रदेश प्रभारी ने जो लिस्ट रोकी, वह 18 दिसंबर को जारी की गई थी। जिसमें प्रदेश अध्यक्ष ने 6 विधायक, 12 पूर्व विधायक और 2 पूर्व मंत्री शामिल किए थे। इसके पीछे निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस को मजबूत करने की वजह मानी जा रही थी।
हरियाणा के युवक को एक साल में 4 नौकरियां मिलीं:इनमें 3 सरकारी; पहली जॉब 1 दिन में छोड़ी, कॉन्स्टेबल के बाद लेक्चरर बना
हरियाणा के युवक को एक साल में 4 नौकरियां मिलीं:इनमें 3 सरकारी; पहली जॉब 1 दिन में छोड़ी, कॉन्स्टेबल के बाद लेक्चरर बना हरियाणा के एक युवक ने राज्य सरकार की भर्ती में 4 बार नौकरी हासिल कर ली। इनमें 3 बार सरकारी और एक बार कॉन्ट्रैक्ट बेस पर मिली नौकरी शामिल है। सचिन सुथार को सबसे पहले सरकारी तौर पर पंचायत लोकल ऑपरेटर की नौकरी मिली। इसके बाद गणित टीचर और फिर पुलिस कॉन्स्टेबल की परीक्षा पास करने में वह कामयाब रहा। अब हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन (HPSC) से उसे मैथ के लेक्चरर की नौकरी मिल गई है। सचिन का कहना है कि वह असिस्टेंट प्रोफेसर बनने तक रुकने वाले नहीं हैं। सचिन के पिता राजमिस्त्री हैं जबकि मां गृहणी है। पिता राजेंद्र सुथार ने कहा कि उन्होंने सचिन को मजदूरी कर पढ़ाया। बेटा शुरू से ही पढ़ाई में होशियार रहा है। वह खुद मजदूरी करते हैं, लेकिन बच्चे को पढ़ाने में किसी प्रकार की कमी नहीं होने दी। उन्होंने कहा कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। सचिन ने कहा कि उनके गांव में बिजली की अच्छी सुविधा नहीं है, इसलिए उन्होंने सोलर लाइट में भी पढ़ाई की। युवक को मिली 4 नौकरियों की कहानी…. 1. पहली बार एग्जाम में ही सरकारी नौकरी मिल गई
नौकरी के लिए पहली बार उन्होंने 2023 में ही क्रीड पंचायत लोकल ऑपरेटर (CPLO) की परीक्षा दी। जिसके बाद मार्च 2024 में ग्राम पंचायत लोकल ऑपरेटर पद पर उनका चयन हो गया। इस पद पर युवक ने एक ही दिन काम किया। 2. दूसरी बार गणित लेक्चरर पद पर चुने गए
इसके बाद सचिन ने आगे परीक्षा देनी जारी रखी। कुछ दिन बाद ही उनका चयन हरियाणा कौशल रोजगार निगम के तहत PGT गणित टीचर के पद पर हो गया। 16 मार्च 2024 को सचिन ने इस पद पर जॉइनिंग ली। वह अग्रोहा के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में पढ़ा रहे हैं। 3. तीसरी पर हरियाणा पुलिस में कॉन्स्टेबल चुने गए
इसके बाद अक्टूबर माह में ही सचिन हरियाणा पुलिस में भर्ती हो गए। उनके पास इसका जॉइनिंग लेटर भी आ गया। हालांकि, सचिन ने यह नौकरी जॉइन नहीं की। उन्होंने एप्लिकेशन डालकर नौकरी जॉइन करने के लिए 3 महीने का एक्सटेंशन ले लिया। इसका कारण था कि सचिन उस समय हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) के इंटरव्यू की तैयारी कर रहे थे। 4. अब PGT मैथ के लेक्चरर की नौकरी मिली
हरियाणा लोक सेवा आयोग के एग्जाम में भी सचिन को कामयाबी मिली। 4 जनवरी को उन्हें सूचना मिली कि HPSC में भी उनका सिलेक्शन हो गया है। उनका PGT मैथ के लेक्चरर के पद पर चयन हुआ है। हालांकि, उन्हें अभी नौकरी के लिए स्टेशन अलॉट नहीं हुआ है। अब PhD की तैयारी कर रहे, असिस्टेंट प्रोफेसर बनना सपना
सचिन का कहना है कि वह अब तक एच-टैट (HTET-TGT), एच टैट (HTET-PGT) और सी-टैट (CTET-PRT और TGT) का एग्जाम क्लियर कर चुके हैं। अब वह UGC नेट और Ph.D की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने मेहनत करना अभी नहीं छोड़ा है क्योंकि उनके सपने अभी पूरी नहीं हुए हैं। बहन भी पढ़ने में तेज, 12वीं बोर्ड में 98.8% नंबर मिले
सचिन ने बताया कि उनकी बड़ी बहन रेनू भी पढ़ने में बहुत तेज थी। 2019 में उसने 12वीं की बोर्ड की परीक्षा में 98.8% अंक प्राप्त किए थे। हालांकि, उसके आगे वह पढ़ी नहीं। सचिन ने बताया कि 3 साल पहले ही उनकी बहन की शादी हो गई। हालांकि, वह अब भी टीचर बनने की तैयारी कर रही है।
कुमारी सैलजा को बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी:कांग्रेस में संगठन महासचिव बन सकती हैं, केसी वेणुगोपाल की जगह लेने की चर्चा
कुमारी सैलजा को बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी:कांग्रेस में संगठन महासचिव बन सकती हैं, केसी वेणुगोपाल की जगह लेने की चर्चा हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कद कमजोर पड़ते दिखाई दे रहा है। कुमारी सैलजा के समर्थक भी लगातार हुड्डा ग्रुप पर हार का ठीकरा फोड़ रहा है। इसके बाद कांग्रेस हाईकमान अपना हर कदम फूंक फूंक कर रख रहा है। महाराष्ट्र व झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस बड़ा बदलाव करने के मूड में नजर आ रही है। सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा को कांग्रेस बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। चर्चाएं है कि उन्हें राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बनाया जा सकता है। अभी तक यह जिम्मेदारी केसी वेणुगोपाल संभाल रहे हैं। इन चर्चाओं को तब और हवा मिली, जब 29 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी हुई। अमूमन इस तरह की लिस्ट केसी वेणुगोपाल की तरफ से ही जारी की जाती थीं। इस बार कुमारी सैलजा की तरफ से लिस्ट जारी की गई। उसमें हरियाणा से सिर्फ राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला का नाम था। टिकट बंटवारे में हुड्डा की चली हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 37 सीट मिलीं। कांग्रेस ने पूर्व CM भूपेंद्र हु्ड्डा के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा था। टिकट के बंटवारे से लेकर स्टार कैंपेनरों की रैलियों तक में हुड्डा की ज्यादा चली। कुमारी सैलजा कहीं फ्रंट पर नहीं दिखीं। इसे कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा में हार का एक बड़ा कारण भी माना है। इस गुटबाजी के कारण संगठन कमजोर हुआ। एक्सपर्ट बोले- कांग्रेस में बदलाव की जरूरत करनाल DAV कॉलेज के प्राचार्य एवं राजनीतिक विशेषज्ञ आरपी सैनी ने बताया कि कांग्रेस में जैसे हालात बने हुए है, उसको देखते हुए बदलाव की जरूरत है। कांग्रेस को अपने संगठन में या फिर काम करने के तरीके में बदलाव करने की जरूरत है। कांग्रेस को मंथन नहीं, बल्कि काम करने की जरूरत है। किसी दूसरे नेता को मौका दिया जाना चाहिए, ताकि कांग्रेस आगे बढ़ सके। ऐसे नेता को मौका दिया जाए जो पूरी कांग्रेस को साथ लेकर चले। गोगी बोले- रूटीन वर्क कांग्रेस में जिम्मेदारी मिलने की चर्चाओं को लेकर कुमारी सैलजा से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कॉल नहीं उठाई। जब इस संबंध में असंध के पूर्व विधायक एवं सैलजा समर्थक शमशेर सिंह गोगी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ऐसा कुछ नहीं है। चूंकि सारे नेता बाहर है और हो सकता है कि उस दिन कुमारी सैलजा दिल्ली में हो, उससे महाराष्ट्र वाली लिस्ट पर साइन करवा दिए होंगे, यह एक रूटीन वर्क है। कंफ्यूजन की जरूरत नहीं है। यह बात ठीक है कि वह दिल्ली में मौजूद थी, लिस्ट हाईकमान ने भेज दी थी और उन्होंने साइन करके जारी कर दी। इसलिए उसने संगठन मंत्री की जगह साइन कर दिए। नियमानुसार जो जनरल सेक्रेटरी हेडक्वार्टर में मौजूद होगा, वो ही तो साइन करेगा। भविष्य में चेंज हो सकते है, लेकिन अभी ऐसा कुछ नहीं है।