एटा लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के देवेश शाक्य उर्फ बिल्लू ने दो बार के सांसद राजवीर सिंह को हराकर साइकिल दौड़ाई है। राजवीर पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदूवादी नेता स्व कल्याण सिंह के पुत्र हैं। देवेश शाक्य अपनी रणनीति और सपा संगठन की मदद से एटा लोकसभा सीट पर काबिज हुए हैं। सांसद देवेश शाक्य पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बेहद करीबी माने जाते हैं। जब स्वामी प्रसाद मौर्या भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए थे तभी देवेश शाक्य ने भी बीजेपी छोड़कर सपा का दामन थाम लिया था। स्वामी तो सपा छोड़कर चले गए लेकिन देवेश शाक्य निष्ठा के साथ समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे। जिसका नतीजा हुआ कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनको चुनाव लड़ाया। देवेश ने भी मौके को जीत में बदलकर अपनी काबिलियत दिखा दी। देवेश कहते हैं कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र और एटा से 2 बार सांसद रहे राजवीर सिंह को हराना बेहद चुनौतीपूर्ण था। मतगणना से महज 4 दिन पहले उनके बड़े भाई उनका निधन हो गया। मेरी जीत की सबसे ज्यादा खुशी मेरे भाई को होती लेकिन ये मरी बदकिस्मती है कि वो ये देख नहीं पाए। सपा के नवनिर्वाचित सांसद देवेश शाक्य से भास्कर रिपोर्टर ने खास बातचीत की। पढ़िए मुख्य अंश…। सवाल: एटा से चुनाव लड़ना कितना चुनौतीपूर्ण था किस रणनीति के तहत विजय प्राप्त की? जवाब: मैंने एटा लोकसभा प्रभारी के रूप काम किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मुझे एटा से प्रत्याशी बनाया तो निश्चित तौर पर एटा हमारे लिए कोई नई जगह नहीं थी। एटा की जनता ने जो मुझे प्यार दिया तो कहीं ना कहीं एक साल की मेहनत रंग लाई। संगठन की मजबूती और जनता की जीत है। मेरी स्वयं की कोई हैसियत नहीं थी कि मैं वहां से चुनाव लड़ूं और जीत सकूं। कुशल नेतृत्व संगठन का सहयोग और सपा कार्यकर्ताओं का ऊर्जावान रहना मेरी जीत का बड़ा कारण है। सर्व समाज ने यह चुनाव लड़ाया है, उसी का परिणाम है कि राजू भइया को शिकस्त मिली है। सवाल: जनता का भरोसा जीतने में सफल हुए, अब 5 साल में किस तरीके से काम करेंगे? जवाब: चुनाव के दौरान लगभग 100 दिन का मुझे मौका मिला। मैंने देखा कि जो वहां की मूलभूत सुविधाएं हैं, मैं लगातार उसको लिखता रहा। जब मैं नामांकन के बाद जनता के बीच में गया। जनता से बातचीत करके मैंने अपना एटा लोकसभा का एक मेनिफेस्टो तैयार करके जारी किया था। जिसमें बहुत जरूरी समस्याएं हैं जो एक सांसद को पूरी करनी चाहिए। सबसे पहले उस मेनिफेस्टो पर काम करूंगा। सदन में सबसे पहले उन्ही मुद्दों पर अपनी बात रखूंगा। सवाल : एटा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना आपका फैसला था या समाजवादी पार्टी ने चुनाव लड़ाने का आपको मन बनाया था ? जवाब: एटा लोकसभा से जब मैं प्रभारी नियुक्त किया गया उसके बाद जब मैं संगठन तैयार किया। तब संगठन का कुशल नेतृत्व देखकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुझे वहां से चुनाव लड़ने के लिए निर्देशित किया। विश्वास के साथ मुझे चुनाव लड़ाया। मैंने उस विश्वास को कायम रखा और एटा लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का परचम लहराया। मेरे लिए यह चुनाव बहुत संघर्ष भरा चुनाव रहा। मैं जनता का ऋणी रहूंगा और जिन मुद्दों के लिए जनता ने मुझे चुना है उनको पूरा करके अपनी बात पर कायम रहूंगा। सवाल: इंडिया गठबंधन का पीडीए फार्मूला, संविधान बचाओ का जो घोषणा पत्र था, इन सब का कितना प्रभाव दिखाई दिया ? जवाब: निश्चित तौर पर जो घोषणा पत्र में पीडीए की बात कही गई, उसका काफी प्रभाव था। घोषणा पत्र में अग्निवीर, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, महंगाई विकास इन सभी मुद्दों पर जनता ने वोट किया। भाजपा ने इन मुद्दों को लेकर कभी बात नहीं की। जब उनसे इस पर बात करेंगे तो भाजपा वाले बात नही करेंगे। हमारी पार्टी के घोषणा पत्र में तमाम मुद्दों पर जनता ने भरोसा जताया है। राजू भईया की एक भी लोकार्पण की पट्टी मैंने वहां लगी नहीं देखी। इसी का परिणाम है कि वहां की जनता ने उनको नकार दिया। मैंने वहां की जनता से संवाद किया। कोई खोखले वादे नहीं किए। जनता से शायद यही वजह रही कि वहां की जनता ने मुझे जो प्यार दिया, वही वोट में तब्दील हुआ। सवाल: जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायक का चुनाव हारने के बाद किस तरह से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया? जवाब: मेरे बड़े भाई विनय शाक्य विधायक और मंत्री रहे। राजनीति के बारे में उनसे ही काफी कुछ सीखा है। वही मेरे राजनीतिक गुरु रहे हैं। चुनाव लड़ने के दौरान कोई नेता छोटा या बड़ा नहीं होता है। अच्छी रणनीति बनाकर अगर चुनाव लड़ा जाएगा तो सफलता हाथ लगेगी। अगर हमारी रणनीति सही है तो मुझे प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव मैदान में डाला जाए तो मैं वहां भी चुनाव लड़ लूंगा। अच्छी रणनीति और कुशल नेतृत्व से किसी भी दिग्गज को चुनाव हराया जा सकता है। सवाल: मतगणना से कुछ दिन पूर्व आपके भाई का निधन हुआ। आपकी जीत वह देख नहीं सके। इस पर क्या कहेंगे? जवाब: मेरे बड़े भाई ने मुझे राजनीति में बहुत कुछ सिखाया है। बहुत कुछ मुझे वह देकर गए हैं। मेरी बदकिस्मती है की मतगणना से कुछ दिन पूर्व उनका निधन हो गया। वह सुखद घड़ी में मेरे साथ नहीं हैं। आज वह मेरे साथ नहीं हैं। इस बात का कष्ट मुझे जिंदगी भर रहेगा। मेरी इस जीत की घड़ी में अगर वह साथ होते तो ईश्वर से मुझे कोई जिंदगी में गिला शिकवा नहीं होती। एटा लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के देवेश शाक्य उर्फ बिल्लू ने दो बार के सांसद राजवीर सिंह को हराकर साइकिल दौड़ाई है। राजवीर पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदूवादी नेता स्व कल्याण सिंह के पुत्र हैं। देवेश शाक्य अपनी रणनीति और सपा संगठन की मदद से एटा लोकसभा सीट पर काबिज हुए हैं। सांसद देवेश शाक्य पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बेहद करीबी माने जाते हैं। जब स्वामी प्रसाद मौर्या भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए थे तभी देवेश शाक्य ने भी बीजेपी छोड़कर सपा का दामन थाम लिया था। स्वामी तो सपा छोड़कर चले गए लेकिन देवेश शाक्य निष्ठा के साथ समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे। जिसका नतीजा हुआ कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनको चुनाव लड़ाया। देवेश ने भी मौके को जीत में बदलकर अपनी काबिलियत दिखा दी। देवेश कहते हैं कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र और एटा से 2 बार सांसद रहे राजवीर सिंह को हराना बेहद चुनौतीपूर्ण था। मतगणना से महज 4 दिन पहले उनके बड़े भाई उनका निधन हो गया। मेरी जीत की सबसे ज्यादा खुशी मेरे भाई को होती लेकिन ये मरी बदकिस्मती है कि वो ये देख नहीं पाए। सपा के नवनिर्वाचित सांसद देवेश शाक्य से भास्कर रिपोर्टर ने खास बातचीत की। पढ़िए मुख्य अंश…। सवाल: एटा से चुनाव लड़ना कितना चुनौतीपूर्ण था किस रणनीति के तहत विजय प्राप्त की? जवाब: मैंने एटा लोकसभा प्रभारी के रूप काम किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मुझे एटा से प्रत्याशी बनाया तो निश्चित तौर पर एटा हमारे लिए कोई नई जगह नहीं थी। एटा की जनता ने जो मुझे प्यार दिया तो कहीं ना कहीं एक साल की मेहनत रंग लाई। संगठन की मजबूती और जनता की जीत है। मेरी स्वयं की कोई हैसियत नहीं थी कि मैं वहां से चुनाव लड़ूं और जीत सकूं। कुशल नेतृत्व संगठन का सहयोग और सपा कार्यकर्ताओं का ऊर्जावान रहना मेरी जीत का बड़ा कारण है। सर्व समाज ने यह चुनाव लड़ाया है, उसी का परिणाम है कि राजू भइया को शिकस्त मिली है। सवाल: जनता का भरोसा जीतने में सफल हुए, अब 5 साल में किस तरीके से काम करेंगे? जवाब: चुनाव के दौरान लगभग 100 दिन का मुझे मौका मिला। मैंने देखा कि जो वहां की मूलभूत सुविधाएं हैं, मैं लगातार उसको लिखता रहा। जब मैं नामांकन के बाद जनता के बीच में गया। जनता से बातचीत करके मैंने अपना एटा लोकसभा का एक मेनिफेस्टो तैयार करके जारी किया था। जिसमें बहुत जरूरी समस्याएं हैं जो एक सांसद को पूरी करनी चाहिए। सबसे पहले उस मेनिफेस्टो पर काम करूंगा। सदन में सबसे पहले उन्ही मुद्दों पर अपनी बात रखूंगा। सवाल : एटा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना आपका फैसला था या समाजवादी पार्टी ने चुनाव लड़ाने का आपको मन बनाया था ? जवाब: एटा लोकसभा से जब मैं प्रभारी नियुक्त किया गया उसके बाद जब मैं संगठन तैयार किया। तब संगठन का कुशल नेतृत्व देखकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुझे वहां से चुनाव लड़ने के लिए निर्देशित किया। विश्वास के साथ मुझे चुनाव लड़ाया। मैंने उस विश्वास को कायम रखा और एटा लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का परचम लहराया। मेरे लिए यह चुनाव बहुत संघर्ष भरा चुनाव रहा। मैं जनता का ऋणी रहूंगा और जिन मुद्दों के लिए जनता ने मुझे चुना है उनको पूरा करके अपनी बात पर कायम रहूंगा। सवाल: इंडिया गठबंधन का पीडीए फार्मूला, संविधान बचाओ का जो घोषणा पत्र था, इन सब का कितना प्रभाव दिखाई दिया ? जवाब: निश्चित तौर पर जो घोषणा पत्र में पीडीए की बात कही गई, उसका काफी प्रभाव था। घोषणा पत्र में अग्निवीर, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, महंगाई विकास इन सभी मुद्दों पर जनता ने वोट किया। भाजपा ने इन मुद्दों को लेकर कभी बात नहीं की। जब उनसे इस पर बात करेंगे तो भाजपा वाले बात नही करेंगे। हमारी पार्टी के घोषणा पत्र में तमाम मुद्दों पर जनता ने भरोसा जताया है। राजू भईया की एक भी लोकार्पण की पट्टी मैंने वहां लगी नहीं देखी। इसी का परिणाम है कि वहां की जनता ने उनको नकार दिया। मैंने वहां की जनता से संवाद किया। कोई खोखले वादे नहीं किए। जनता से शायद यही वजह रही कि वहां की जनता ने मुझे जो प्यार दिया, वही वोट में तब्दील हुआ। सवाल: जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायक का चुनाव हारने के बाद किस तरह से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया? जवाब: मेरे बड़े भाई विनय शाक्य विधायक और मंत्री रहे। राजनीति के बारे में उनसे ही काफी कुछ सीखा है। वही मेरे राजनीतिक गुरु रहे हैं। चुनाव लड़ने के दौरान कोई नेता छोटा या बड़ा नहीं होता है। अच्छी रणनीति बनाकर अगर चुनाव लड़ा जाएगा तो सफलता हाथ लगेगी। अगर हमारी रणनीति सही है तो मुझे प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव मैदान में डाला जाए तो मैं वहां भी चुनाव लड़ लूंगा। अच्छी रणनीति और कुशल नेतृत्व से किसी भी दिग्गज को चुनाव हराया जा सकता है। सवाल: मतगणना से कुछ दिन पूर्व आपके भाई का निधन हुआ। आपकी जीत वह देख नहीं सके। इस पर क्या कहेंगे? जवाब: मेरे बड़े भाई ने मुझे राजनीति में बहुत कुछ सिखाया है। बहुत कुछ मुझे वह देकर गए हैं। मेरी बदकिस्मती है की मतगणना से कुछ दिन पूर्व उनका निधन हो गया। वह सुखद घड़ी में मेरे साथ नहीं हैं। आज वह मेरे साथ नहीं हैं। इस बात का कष्ट मुझे जिंदगी भर रहेगा। मेरी इस जीत की घड़ी में अगर वह साथ होते तो ईश्वर से मुझे कोई जिंदगी में गिला शिकवा नहीं होती। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
मणिमहेश में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई:11:47 बजे तक शाही स्नान का शुभ मुहूर्त; 6 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच गए
मणिमहेश में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई:11:47 बजे तक शाही स्नान का शुभ मुहूर्त; 6 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच गए उत्तर भारत की पवित्र एवं पावन मणिमहेश यात्रा के लिए हिमाचल के भरमौर में भारी जन सैलाब उमड़ आया है। देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालु डल झील में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर बीते 26 अगस्त से शुरू मणिमहेश यात्रा आज देर रात आधिकारिक तौर पर यात्रा संपन्न हो जाएगी। मणिमहेश यात्रा के शाही स्नान की शुभ मुहूर्त बीती रात 11 बजकर 13 मिनट से शुरू हुआ, जो कि बुधवार रात 11 बजकर 47 मिनट पर खत्म होगा। बीते कल शिव चेलों ने शिव कुंड की परिक्रमा करने के बाद डल तोड़ने की परंपरा निभाई। एक लाख श्रद्धालु करेंगे शाही स्नान SDM भरमौर कुलविंदर सिंह ने बताया कि इस बार एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु शाही स्नान करेंगे। उन्होंने बताया कि यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 6 लाख से ज्यादा लोग मणिमहेश पहुंच चुके हैं। आज शाम तक श्रद्धालुओं का यह आंकड़ा और बढ़ेगा। इस यात्रा के लिए पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। शिव भक्त हर हर महादेव का जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे हैं। मान्यता के अनुसार मणिमहेश की इन पहाड़ियों पर शिव का वास है। नीचे डल झील जहां शाही स्नान के लिए श्रद्धालु पहुंचे हैं। हेलिकॉप्टर की उड़ान में खराब मौसम से बाधा उत्पन्न मणिमहेश के लिए सरकार ने भरमौर से हेलिकॉप्टर सेवा बीते 24 अगस्त को ही शुरू कर दी थी, लेकिन इस बार खराब मौसम ने इसमें बाधा उत्पन्न की है। लिहाजा ज्यादातर श्रद्धालु इस बार पैदल चल कर मणिमहेश पहुंचे है। कुछ श्रद्धालु घोड़ों व खच्चरों पर भी इस पावन यात्रा के लिए आएं। यहां बनाए गए कैंप प्रशासन ने मणिमहेश यात्रा के लिए भरमौर, हड़सर, धनछो, सुंदरासी और गौरीकुंड में 5 जगह कैंप स्थापित किए है। यहां से प्रत्येक श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य जांच के बाद ही आगे भेजा गया, क्योंकि 13385.83 फीट की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश में कई बार ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इन कैंप में मेडिकल टीमें तैनात की गई है। उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा मणिमहेश यात्रा को उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा माना जाता है। 13 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थिति मणिमहेश पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को ऊंचे-ऊंचे पहाड़ चढ़ने पड़ते हैं। यह यात्रा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुंदर दृश्यों के लिए भी जानी जाती है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को घने जंगलों, अल्पाइन घास के मैदानों और चट्टानों के बीच बीच से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान हिमालय का मनमोहक दृश्य भी देखने को मिलता हैं। यही वजह है कि यह अध्यात्मिक यात्रा रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता का भी आभास कराती है। मणिमहेश के कैलाश शिखर में शिव का निवास मान्यता है कि भगवान शिव मणिमहेश के कैलाश शिखर पर निवास करते हैं, जो झील से दिखाई देता है। यह यात्रा हर साल, आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में हिंदू त्यौहार जन्माष्टमी के अवसर पर होती है। माना जाता है कि यह यात्रा 9वीं शताब्दी में शुरू हुई थी जब एक स्थानीय राजा, राजा साहिल वर्मन को भगवान शिव के दर्शन हुए थे जिन्होंने मणिमहेश झील पर एक मंदिर स्थापित करने का निर्देश दिया।
बीजापुर पत्रकार मर्डर: मुकेश चंद्राकर के परिजन से मिलेंगे मंत्री केदार कश्यप, CM साय ने दिया यह निर्देश
बीजापुर पत्रकार मर्डर: मुकेश चंद्राकर के परिजन से मिलेंगे मंत्री केदार कश्यप, CM साय ने दिया यह निर्देश <p style=”text-align: justify;”><strong>Chhattisgarh News: </strong>बीजापुर में युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर (Mukesh Chandrakar) की हत्या कर दी गई है. इस घटना से लोगों में जहां नाराजगी है वहीं सीएम विष्णु देव साय (Vishnu Deo Sai) ने अपने एक मंत्री को पीड़ित परिवार के घर के जाकर उनसे मुलाकात करने और सहायता देने के निर्देश दिए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सीएम विष्णु देव साय ने कहा, ”मैंने राज्य के मंत्री केदार कश्यप को निर्देश दिया है कि वे तत्काल बीजापुर जाकर युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर के पीड़ित परिवार से मिलें और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करें.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुकेश चंद्राकर की हत्या की जानकारी सामने आने पर सीएम साय ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पोस्ट किया था, ”बीजापुर के युवा और समर्पित पत्रकार मुकेश चंद्राकर जी की हत्या का समाचार अत्यंत दु:खद और हृदयविदारक है. मुकेश जी का जाना पत्रकारिता जगत और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अपराधी को जल्द दिलाई जाएगी कड़ी सजा – सीएम साय</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सीएम साय ने आगे लिखा, ”इस घटना के अपराधी को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा. अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा देने के निर्देश हमने दिए हैं. ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोक संतप्त परिजनों को इस दुःख की घड़ी में संबल प्रदान करें.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली से गिरफ्तार हुआ मुख्य आरोपी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बीजापुर पुलिस ने हत्याकांड में चार लोगों को गिरफ्तार किया है. मुख्य आरोपी की पहचान रितेश चंद्राकर के रूप में हुई है जो कि ठेकेदार है. उसे दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था. मुकेश चंद्राकर का शव रितेश चंद्राकर के सेप्टिक टैंक से मिला था. शव को टैंक में छुपाकर क्रंक्रीट बिछा दिया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुकेश का शव निकालने के लिए पुलिस को मशक्कत करनी पड़ी. जेसीबी चलाकर टैंक को तोड़ा गया और फिर उससे शव बाहर निकाला गया. बताया जा रहा है कि नए साल के अवसर पर रितेश चंद्राकर ने मुकेश चंद्राकर को बुलाया था और फिर उनकी हत्या कर दी गई थी. उनके सिर पर चोट के निशान भी पाए गए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>य़े भी पढ़ें- <a title=”Bijapur Journalist Murder: ‘बीजेपी के जंगलराज में कोई भी…’, पत्रकार मुकेश चंद्राकर मर्डर केस को लेकर कांग्रेस ने BJP को घेरा” href=”https://www.abplive.com/states/chhattisgarh/congress-target-chhattisgarh-bjp-government-over-bijapur-journalist-mukesh-chandrakar-murder-case-2855799″ target=”_self”>Bijapur Journalist Murder: ‘बीजेपी के जंगलराज में कोई भी…’, पत्रकार मुकेश चंद्राकर मर्डर केस को लेकर कांग्रेस ने BJP को घेरा</a></strong></p>
अयोध्या दीपोत्सव में सपा सांसद शामिल नहीं हुए:अवधेश प्रसाद ने कहा- मुझे निमंत्रण नहीं मिला; नाराज संत बोले- वो नमाज पढ़ने चले गए
अयोध्या दीपोत्सव में सपा सांसद शामिल नहीं हुए:अवधेश प्रसाद ने कहा- मुझे निमंत्रण नहीं मिला; नाराज संत बोले- वो नमाज पढ़ने चले गए अयोध्या में दीपोत्सव भव्य और दिव्य मना। CM योगी खुद मौजूद रहे। 25 लाख दीये जलाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बन गया। मगर एक नई कॉन्ट्रोवर्सी भी शुरू हो गई। अयोध्या से सपा सांसद अवधेश प्रसाद इसमें शामिल नहीं हुए। उन्होंने कहा- मुझे दीपोत्सव में नहीं बुलाया गया। निमंत्रण नहीं मिला। मैं अयोध्या पहुंचा हूं, मगर कोई पास या निमंत्रण नहीं मिला। दैनिक भास्कर से फोन पर हुई बात में अवधेश प्रसाद ने कहा- हमारे देश में जो त्योहार मान्यता और परंपरा पर होते हैं, BJP उनका राजनीतिकरण करती जा रही है। BJP देश को बांटने का काम करती है, जो अच्छा नहीं है। हमारा अनेकता में एकता का सिद्धांत है। यही हमारे देश का मजबूत सूत्र है। इससे ही देश मजबूत है। हम मजबूत हैं। यह त्योहार क्या एक समुदाय का ही है। दीपोत्सव में शामिल नहीं होने पर उन्होंने कहा – सुना है कि दीपोत्सव के लिए पास और निमंत्रण कार्ड की व्यवस्था है। हमारे पास कोई निमंत्रण नहीं आया है। ये हमारा भी त्योहार है। इधर, बतौर सांसद अवधेश प्रसाद के न शामिल होने पर संत समाज नाराज हैं। उनका कहना है कि राजनीति अपनी जगह है, लेकिन दीपोत्सव में सांसद को शामिल होना चाहिए था। सपा सांसद के दीपोत्सव में शामिल नहीं होने पर संतों ने क्या कहा…पढ़िए परमहंस आचार्य बोले-सांसद को सबसे पहले आना चाहिए, लेकिन वह पापी लोग हैं
जगतगुरु परमहंस आचार्य ने कहा- अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली दीवाली है। साधु-संतों में खास उत्साह है। विदेशों में भी लोग आज अयोध्या को देख रहे हैं। मगर कुछ राक्षस हैं, जैसे यहां का सांसद। सबसे पहले इस आयोजन में उनको आना चाहिए। मगर ये पापी लोग हैं। सांसद होने के बावजूद नहीं आए, ये दुर्भाग्य: करपात्री महाराज
संत करपात्री महाराज ने कहा- जाको प्रभु दारुण दुख देही, ताकी मति पहले हर लेही। अयोध्या के लोगों ने उन्हें सांसद बनाया। इसके बावजूद अगर दीपोत्सव में नहीं आ रहे हैं, तो यह उनका दुर्भाग्य है। उन्हें तो आना ही चाहिए। क्या राम सपा के नहीं हैं? क्या अयोध्या भाजपा की है? इसमें राजनीति की बात नहीं करनी चाहिए। राम का ही तो राष्ट्र है। उन्हें शायद पता नहीं है। राष्ट्र का मंगल करने वाला राम किसी पार्टी का नहीं है। खबर में आगे बढ़ने से पहले इस पोल में शामिल होकर अपनी राय दीजिए… गुमशुदा सांसद के पोस्टर लगवा दूंगा: स्वामी दिवाकर आचार्य
स्वामी दिवाकर आचार्य ने कहा- अयोध्या के सांसद हिंदू समाज के लिए दुर्भाग्य हैं। वह चुनकर आए हैं, बुजुर्ग हैं। उन्हें तो आना ही चाहिए था। उनकी लोकसभा में इस तरह का भव्य दीपोत्सव मनाया जा रहा है। अगर वह 2-3 दिन और नहीं दिखते हैं, तो मैं गुमशुदा सांसद की तलाश के पोस्टर लगवा दूंगा। रामलाल अब अपने महल में विराजमान हो चुके हैं। हिंदू आस्था पर यह चोट है कि सांसद को निमंत्रण का इंतजार करना पड़ रहा है। वो कही नमाज पढ़ने चले गए हैं। अपने त्योहार पर आस्था रखनी चाहिए। योगी बोले – हमने जो कहा, करके दिखा दिया
अयोध्या के दीपोत्सव की शुरुआत सीएम योगी ने की। इस दौरान उन्होंने कहा – यह वर्ष अयोध्या के लिए अद्भुत, अनुपम, अलौकिक है। 500 साल का इंतजार खत्म हुआ। एक बार फिर रामलला अपने धाम में विराजमान होकर दुनिया के सभी पीड़ितों को ये संदेश दे गए कि कभी भी अपने पथ से विचलित नहीं होना चाहिए। आज अवसर है, उन सभी आत्माओं को स्मरण करने का, जिनका पूरा जीवन राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए समर्पित था। मैं उन सभी पूज्य संतों को नमन करता हूं, जो 3.5 लाख की संख्या में अपनी शहादत देकर एक ही तमन्ना के साथ इस धरा से अलविदा हो गए। इससे पहले हम लोग बोलते थे और जो हमने कहा वो करके भी दिखाया।
———————————————- अयोध्या दीपोत्सव से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… 28 लाख दीयों से जगमग अयोध्या, नया रिकॉर्ड बना:योगी ने राम रथ खींचा, भगवान का राजतिलक किया; बोले- मथुरा-काशी भी ऐसी ही होगी रामनगरी अयोध्या दिवाली से एक दिन पहले दीयों से जगमग हो गई। सरयू नदी के 55 घाटों पर 28 लाख दीये जलाए गए। इसके साथ ही नया रिकॉर्ड बन गया। पिछले साल 22 लाख दीये जलाए गए थे। सीएम योगी ने राम मंदिर में पहला दीप जलाकर दीपोत्सव का शुभारंभ किया। पढ़िए पूरी खबर..