कांग्रेस ने हरियाणा में बागी को निकाला:​​​​​​​बहादुरगढ़ से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे; चित्रा सरवारा के बाद दूसरे नेता पर कार्रवाई

कांग्रेस ने हरियाणा में बागी को निकाला:​​​​​​​बहादुरगढ़ से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे; चित्रा सरवारा के बाद दूसरे नेता पर कार्रवाई

हरियाणा में झज्जर जिले की बहादुरगढ़ विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजेश जून को कांग्रेस ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने के बाद 6 साल के लिए निकाला गया है। राजेश जून बहादुरगढ़ से कांग्रेस का टिकट मांग रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट न देकर राजेंद्र सिंह जून को उम्मीदवार बनाया है। इसके कारण उन्होंने बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया। बहादुरगढ़ विधानसभा से फिलहाल 14 उम्मीदवार मैदान में हैं। इससे पहले अंबाला कैंट विधानसभा सीट से टिकट मांग रहीं नेता चित्रा सरवारा को भी कांग्रेस ने 6 साल के बाहर का रास्ता दिखा दिया है। कांग्रेस ने अंबाला कैंट से उनकी टिकट काटकर परविंदर परी को अपना उम्मीदवार बनाया है। AICC की ओर से जारी लेटर… पहली लिस्ट में नाम न आने के बाद की बगावत
बहादुरगढ़ विधानसभा सीट से टिकट कटने से नाराज होकर राकेश जून ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। कांग्रेस की पहली लिस्ट में नाम न होने के बाद ही राजेश जून ने बगावत कर दी थी। इसके साथ ही 11 सितंबर को नामांकन दाखिल कर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। कांग्रेस ने यहां से मौजूदा विधायक राजेंद्र जून को चुनाव में उतारा है। राजेश जून ने 2014 के विधानसभा चुनाव में बहादुरगढ़ विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। इस चुनाव में उन्हें 28 हजार 242 वोट मिले थे, और वह तीसरे स्थान पर थे। इसके बाद वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने राजेंद्र जून के पक्ष में अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया था। डबल वोट लेकर विधायक बनने का दावा किया
बहादुरगढ़ विधानसभा से 3 बार के MLA राजेंद्र जून राजेश जून के चाचा हैं। टिकट कटने पर ही राजेश जून ने समर्थकों की मीटिंग बुलाई थी। उसमें उन्होंने ऐलान करते हुए कहा था, ‘मेरे साथ कांग्रेस नेतृत्व ने धोखा किया है। अब मैं कांग्रेस उम्मीदवार से डबल वोट लेकर विधायक बनूंगा।’ राजेश जून ने कहा था कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने टिकट देने का वादा किया था, लेकिन वादा नहीं निभाया। 16 चुनावों में यहां से 8 बार कांग्रेस जीती
अब तक हुए 16 विधानसभा चुनावों में बहादुरगढ़ से 8 बार कांग्रेस, लोकदल 5 बार, ओल्ड कांग्रेस, हविपा और भाजपा एक-एक बार चुनाव जीती है। यहां सबसे पहले चौधरी छोटूराम की पार्टी जमींदारा लीग से उनके भतीजे चौधरी श्रीचंद विधायक बने थे। जबकि, वर्ष 1987 में पूर्व मंत्री मांगेराम नंबरदार ने 25 हजार 320 वोटों से अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। वहीं, वर्ष 1972 में एनसीओ के हरद्वारी लाल ने महज 395 वोटों से सबसे छोटी जीत हासिल की थी। जाट मतदाता सबसे अधिक
बहादुरगढ़ विधानसभा में 32 गांवों के अनुपात में शहर के 31 वार्डों में करीब 40 हजार वोट अधिक हैं। हलके में कुल 2 लाख 40 हजार 980 मतदाता हैं, जिनमें 1 लाख 27 हजार 774 पुरुष और 1 लाख 13 हजार 201 महिला हैं। जबकि, 85 वर्ष से अधिक आयु के 2201 मतदाता हैं। क्षेत्र में इस बार कुल 233 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। बहादुरगढ़ विधानसभा क्षेत्र में करीब 94 हजार जाट, करीब 23 हजार ब्राह्मण, हरिजन करीब 19 हजार, बनिया करीब 18 हजार, करीब 13 हजार पंजाबी और करीब 11 हजार वोटर वाल्मीकि हैं। इनके अलावा धानक, सैनी और खाती करीब 7-7 हजार, अहीर और कुम्हार करीब 5-5 हजार हैं। इस कारण पिछले कई चुनावों में शहर निर्णायक साबित हुआ है। गांवों की बात करें तो राठी, दलाल और छिल्लर-छिकारा गोत्र का दबदबा है। कांग्रेस के ये बागी मैदान में, अब तक 2 पर कार्रवाई
कांग्रेस के 20 सीटों पर 29 बागी मैदान में हैं। इनमें बल्लभगढ़ में पूर्व मुख्य संसदीय सचिव शारदा राठौर, तिगांव में पूर्व MLA ललित नागर, कलायत में सुरजेवाला कैंप की अनीता ढुल, उचाना में वीरेंद्र घोघड़िया, पटौदी से सुधीर चौधरी, पानीपत सिटी से पूर्व विधायक रोहिता रेवड़ी, पानीपत ग्रामीण से विजय जैन, पुंडरी से सतबीर भाणा, पृथला से नीटू मान और कोसली से मनोज आजाद कैंडिडेट के तौर पर मैदान में हैं। वहीं, जगाधरी में आदर्शपाल कांग्रेस का टिकट न मिलने पर AAP के टिकट पर उतर गए हैं। सभी बागियों में से पार्टी ने अब तक 2 पर कार्रवाई की है। उनमें राजेश जून और अंबाला कैंट से चित्रा सरवारा को पार्टी ने 6 साल के लिए निकाल दिया है। भाजपा ने बागियों पर नहीं की कोई कार्रवाई
इधर, भाजपा के भी 15 सीटों पर 19 बागी मैदान में हैं। इनमें प्रमुख चेहरों में हिसार से कुरुक्षेत्र सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल और गौतम सरदाना, गन्नौर से देवेंद्र कादियान, सफीदों से पूर्व MLA बचन सिंह आर्य, तोशाम से शशिरंजन परमार, हथीन से पूर्व विधायक केहर सिंह रावत, लाडवा से संदीप गर्ग, गुरुग्राम से नवीन गोयल, पृथला से नयनपाल रावत व दीपक डागर, पुंडरी से दिनेश कौशिक, कलायत से विनोद निर्मल व आनंद राणा, इसराना से सत्यवान शेरा और असंध से जिलेराम शर्मा शामिल हैं। सरकार में 5 साल मंत्री रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री रणजीत चौटाला भी रानियां से मैदान में हैं। वहीं, डबवाली में आदित्य देवीलाल चौटाला भाजपा की फाइनल लिस्ट आने से पहले ही इनेलो में शामिल होकर मैदान में उतर गए। हालांकि, भाजपा ने इनमें से किसी भी नेता पर कोई कार्रवाई नहीं की है। ये भी पढ़ें… हरियाणा कांग्रेस ने बागी चित्रा सरवारा को निकाला:पार्टी कैंडिडेट की ही बेटी, टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय लड़ रहीं; अनिल विज से टक्कर हरियाणा में कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त नेता चित्रा सरवारा को पार्टी से निकाल दिया है। उन्होंने कांग्रेस से टिकट न मिलने पर अंबाला कैंट विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था। इसके बाद पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित किया है। पूरी खबर पढ़ें… हरियाणा में झज्जर जिले की बहादुरगढ़ विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजेश जून को कांग्रेस ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने के बाद 6 साल के लिए निकाला गया है। राजेश जून बहादुरगढ़ से कांग्रेस का टिकट मांग रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट न देकर राजेंद्र सिंह जून को उम्मीदवार बनाया है। इसके कारण उन्होंने बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया। बहादुरगढ़ विधानसभा से फिलहाल 14 उम्मीदवार मैदान में हैं। इससे पहले अंबाला कैंट विधानसभा सीट से टिकट मांग रहीं नेता चित्रा सरवारा को भी कांग्रेस ने 6 साल के बाहर का रास्ता दिखा दिया है। कांग्रेस ने अंबाला कैंट से उनकी टिकट काटकर परविंदर परी को अपना उम्मीदवार बनाया है। AICC की ओर से जारी लेटर… पहली लिस्ट में नाम न आने के बाद की बगावत
बहादुरगढ़ विधानसभा सीट से टिकट कटने से नाराज होकर राकेश जून ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। कांग्रेस की पहली लिस्ट में नाम न होने के बाद ही राजेश जून ने बगावत कर दी थी। इसके साथ ही 11 सितंबर को नामांकन दाखिल कर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। कांग्रेस ने यहां से मौजूदा विधायक राजेंद्र जून को चुनाव में उतारा है। राजेश जून ने 2014 के विधानसभा चुनाव में बहादुरगढ़ विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। इस चुनाव में उन्हें 28 हजार 242 वोट मिले थे, और वह तीसरे स्थान पर थे। इसके बाद वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने राजेंद्र जून के पक्ष में अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया था। डबल वोट लेकर विधायक बनने का दावा किया
बहादुरगढ़ विधानसभा से 3 बार के MLA राजेंद्र जून राजेश जून के चाचा हैं। टिकट कटने पर ही राजेश जून ने समर्थकों की मीटिंग बुलाई थी। उसमें उन्होंने ऐलान करते हुए कहा था, ‘मेरे साथ कांग्रेस नेतृत्व ने धोखा किया है। अब मैं कांग्रेस उम्मीदवार से डबल वोट लेकर विधायक बनूंगा।’ राजेश जून ने कहा था कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने टिकट देने का वादा किया था, लेकिन वादा नहीं निभाया। 16 चुनावों में यहां से 8 बार कांग्रेस जीती
अब तक हुए 16 विधानसभा चुनावों में बहादुरगढ़ से 8 बार कांग्रेस, लोकदल 5 बार, ओल्ड कांग्रेस, हविपा और भाजपा एक-एक बार चुनाव जीती है। यहां सबसे पहले चौधरी छोटूराम की पार्टी जमींदारा लीग से उनके भतीजे चौधरी श्रीचंद विधायक बने थे। जबकि, वर्ष 1987 में पूर्व मंत्री मांगेराम नंबरदार ने 25 हजार 320 वोटों से अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। वहीं, वर्ष 1972 में एनसीओ के हरद्वारी लाल ने महज 395 वोटों से सबसे छोटी जीत हासिल की थी। जाट मतदाता सबसे अधिक
बहादुरगढ़ विधानसभा में 32 गांवों के अनुपात में शहर के 31 वार्डों में करीब 40 हजार वोट अधिक हैं। हलके में कुल 2 लाख 40 हजार 980 मतदाता हैं, जिनमें 1 लाख 27 हजार 774 पुरुष और 1 लाख 13 हजार 201 महिला हैं। जबकि, 85 वर्ष से अधिक आयु के 2201 मतदाता हैं। क्षेत्र में इस बार कुल 233 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। बहादुरगढ़ विधानसभा क्षेत्र में करीब 94 हजार जाट, करीब 23 हजार ब्राह्मण, हरिजन करीब 19 हजार, बनिया करीब 18 हजार, करीब 13 हजार पंजाबी और करीब 11 हजार वोटर वाल्मीकि हैं। इनके अलावा धानक, सैनी और खाती करीब 7-7 हजार, अहीर और कुम्हार करीब 5-5 हजार हैं। इस कारण पिछले कई चुनावों में शहर निर्णायक साबित हुआ है। गांवों की बात करें तो राठी, दलाल और छिल्लर-छिकारा गोत्र का दबदबा है। कांग्रेस के ये बागी मैदान में, अब तक 2 पर कार्रवाई
कांग्रेस के 20 सीटों पर 29 बागी मैदान में हैं। इनमें बल्लभगढ़ में पूर्व मुख्य संसदीय सचिव शारदा राठौर, तिगांव में पूर्व MLA ललित नागर, कलायत में सुरजेवाला कैंप की अनीता ढुल, उचाना में वीरेंद्र घोघड़िया, पटौदी से सुधीर चौधरी, पानीपत सिटी से पूर्व विधायक रोहिता रेवड़ी, पानीपत ग्रामीण से विजय जैन, पुंडरी से सतबीर भाणा, पृथला से नीटू मान और कोसली से मनोज आजाद कैंडिडेट के तौर पर मैदान में हैं। वहीं, जगाधरी में आदर्शपाल कांग्रेस का टिकट न मिलने पर AAP के टिकट पर उतर गए हैं। सभी बागियों में से पार्टी ने अब तक 2 पर कार्रवाई की है। उनमें राजेश जून और अंबाला कैंट से चित्रा सरवारा को पार्टी ने 6 साल के लिए निकाल दिया है। भाजपा ने बागियों पर नहीं की कोई कार्रवाई
इधर, भाजपा के भी 15 सीटों पर 19 बागी मैदान में हैं। इनमें प्रमुख चेहरों में हिसार से कुरुक्षेत्र सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल और गौतम सरदाना, गन्नौर से देवेंद्र कादियान, सफीदों से पूर्व MLA बचन सिंह आर्य, तोशाम से शशिरंजन परमार, हथीन से पूर्व विधायक केहर सिंह रावत, लाडवा से संदीप गर्ग, गुरुग्राम से नवीन गोयल, पृथला से नयनपाल रावत व दीपक डागर, पुंडरी से दिनेश कौशिक, कलायत से विनोद निर्मल व आनंद राणा, इसराना से सत्यवान शेरा और असंध से जिलेराम शर्मा शामिल हैं। सरकार में 5 साल मंत्री रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री रणजीत चौटाला भी रानियां से मैदान में हैं। वहीं, डबवाली में आदित्य देवीलाल चौटाला भाजपा की फाइनल लिस्ट आने से पहले ही इनेलो में शामिल होकर मैदान में उतर गए। हालांकि, भाजपा ने इनमें से किसी भी नेता पर कोई कार्रवाई नहीं की है। ये भी पढ़ें… हरियाणा कांग्रेस ने बागी चित्रा सरवारा को निकाला:पार्टी कैंडिडेट की ही बेटी, टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय लड़ रहीं; अनिल विज से टक्कर हरियाणा में कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त नेता चित्रा सरवारा को पार्टी से निकाल दिया है। उन्होंने कांग्रेस से टिकट न मिलने पर अंबाला कैंट विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था। इसके बाद पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित किया है। पूरी खबर पढ़ें…   हरियाणा | दैनिक भास्कर