कान्हा ने भेजा काशी-विश्वनाथ के लिए गुलाल:पूजा-अर्चना के बाद रवाना हुई गुलाल यात्रा,अभिभूत हो उठे ब्रजवासी और श्रद्धालु

कान्हा ने भेजा काशी-विश्वनाथ के लिए गुलाल:पूजा-अर्चना के बाद रवाना हुई गुलाल यात्रा,अभिभूत हो उठे ब्रजवासी और श्रद्धालु

श्री कृष्ण जन्मस्थान से काशी विश्वनाथ धाम के लिए होली के रंग, गुलाल, बाबा के वस्त्र, प्रसाद आदि सामग्री फाल्गुन शुक्ल नवमी को एक भव्य शोभायात्रा के मध्य रवाना की। वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा काशी विश्वनाथ धाम से भी भगवान श्रीकृष्ण की होली उत्सव के लिए कर्पूर भस्म, सुगन्धित द्रव्य, वस्त्र एवं प्रसाद आदि सामग्री, श्री महादेव जी के भाव को धारण करते हुए भगवान श्रीकृष्ण की रंगारंग होली उत्सव के लिए भेजी गयी है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने की पहल
काशी विश्वनाथ न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा की अलौकिक पहल से श्रुतियों, स्मृतियों एवं पुराणों में उल्लिखित सनातन की पुरातन परंपरा का पुनर्जागरण हुआ है। होली की परंपरागत वाद्य यंत्रों पर झूमते, नाचते एवं होली गायन करते हजारों श्रद्धालु एवं ब्रजवासी काशी विश्वनाथ की गुलाल यात्रा’ में सम्मिलित होकर अभिभूत हुए। यह लोग गए काशी रंग गुलाल लेकर
श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा-संस्थान के सचिव कपिल शर्मा, प्रबंध समिति के सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी एवं अन्य पदाधिकारी, अधिकारी श्री कृष्ण जन्मभूमि से काशी विश्वनाथ जा रही ऐसी अनूठी पहल को लेकर उत्साह व भाव से लगे हुए थे। शोभायात्रा भव्य सुसज्जित वाहन में काशी विश्वनाथ धाम के लिए रवाना हुई। संस्थान के पूजाचार्य राम अवतार अवस्थी, शशांक गर्ग, ब्रजकिशोर अग्रवाल, पवन अग्रवाल एवं गोपाल भगवान के रंग, गुलाल एवं प्रसाद को लेकर गये हैं। काशी से भेजी होली सामग्री
काशी विश्वनाथ धाम से शोभायात्रा के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के लिए होली महोत्सव के लिए भेंट आ रही है। काशी विश्वनाथ धाम से आने वाली यात्रा को मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी निखलेश कुमार मिश्र, उप जिला मजिस्ट्रेट शंभू शरण ने पूजन-अर्चन के बाद मथुरा रवाना किया। भगवान शिव हुए थे ब्रज की होली में शामिल
भगवान श्री कृष्ण और राधा की प्रिय होली लीला में भगवान शिव का विशिष्ट स्थान है। भगवान शिव के हृदय में बसन्त भाव उत्पन्न हुआ वह भी होली खेलने के लिए बरसाना रंगीली गली पधारे। भगवान शिव के विचित्र रूप को देखकर गोपियां आश्चर्यचकित होते हुए कहा कि- ” मैं कैसे होरी खेलूं या बावरिया के संग, अंग भभूत, गले विषमाला, लटकन बिराजै गंग, मैं कैसे होरी खेलूं या बावरिया के संग ” इसके बाद भगवान शिव के संकेत को पाकर भगवान शिव ने गोपी रूप धारण किया। प्रिया-प्रियतम की इस प्रिय लीला में सम्मिलित हुए, आज भी रंगेश्वर महादेव के रूप में रंगीली गली में विराजमान हैं। जिस ब्रज भाव और होली के आनन्द को प्राप्त करने के लिए भगवान शिव ने गोपी रूप धारण किया, आज उसी होली लीला की प्रसादी को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि से काशी विश्वनाथ धाम भेजा गया है। चूंकि काशी विश्वनाथ धाम एवं श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर होली का मुख्य आयोजन रंगभरी एकादशी के दिन होता है। अतः काशी विश्वनाथ धाम एवं श्रीकृष्ण-जन्मभूमि के प्रमुख होली उत्सव में परस्पर आदान-प्रदान से प्राप्त दिव्य प्रसाद का उपयोग होगा, जिसका लाभ भक्तजन ले सकेंगे। श्री कृष्ण जन्मस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया श्री कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ धाम के मध्य यह सनातनी नवाचार करोड़ों-करोड़ सनातनियों के लिए न सिर्फ एक संदेश है अपितु भविष्य के लिए भी परम कल्याणकारी है। श्री कृष्ण जन्मस्थान से काशी विश्वनाथ धाम के लिए होली के रंग, गुलाल, बाबा के वस्त्र, प्रसाद आदि सामग्री फाल्गुन शुक्ल नवमी को एक भव्य शोभायात्रा के मध्य रवाना की। वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा काशी विश्वनाथ धाम से भी भगवान श्रीकृष्ण की होली उत्सव के लिए कर्पूर भस्म, सुगन्धित द्रव्य, वस्त्र एवं प्रसाद आदि सामग्री, श्री महादेव जी के भाव को धारण करते हुए भगवान श्रीकृष्ण की रंगारंग होली उत्सव के लिए भेजी गयी है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने की पहल
काशी विश्वनाथ न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा की अलौकिक पहल से श्रुतियों, स्मृतियों एवं पुराणों में उल्लिखित सनातन की पुरातन परंपरा का पुनर्जागरण हुआ है। होली की परंपरागत वाद्य यंत्रों पर झूमते, नाचते एवं होली गायन करते हजारों श्रद्धालु एवं ब्रजवासी काशी विश्वनाथ की गुलाल यात्रा’ में सम्मिलित होकर अभिभूत हुए। यह लोग गए काशी रंग गुलाल लेकर
श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा-संस्थान के सचिव कपिल शर्मा, प्रबंध समिति के सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी एवं अन्य पदाधिकारी, अधिकारी श्री कृष्ण जन्मभूमि से काशी विश्वनाथ जा रही ऐसी अनूठी पहल को लेकर उत्साह व भाव से लगे हुए थे। शोभायात्रा भव्य सुसज्जित वाहन में काशी विश्वनाथ धाम के लिए रवाना हुई। संस्थान के पूजाचार्य राम अवतार अवस्थी, शशांक गर्ग, ब्रजकिशोर अग्रवाल, पवन अग्रवाल एवं गोपाल भगवान के रंग, गुलाल एवं प्रसाद को लेकर गये हैं। काशी से भेजी होली सामग्री
काशी विश्वनाथ धाम से शोभायात्रा के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के लिए होली महोत्सव के लिए भेंट आ रही है। काशी विश्वनाथ धाम से आने वाली यात्रा को मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी निखलेश कुमार मिश्र, उप जिला मजिस्ट्रेट शंभू शरण ने पूजन-अर्चन के बाद मथुरा रवाना किया। भगवान शिव हुए थे ब्रज की होली में शामिल
भगवान श्री कृष्ण और राधा की प्रिय होली लीला में भगवान शिव का विशिष्ट स्थान है। भगवान शिव के हृदय में बसन्त भाव उत्पन्न हुआ वह भी होली खेलने के लिए बरसाना रंगीली गली पधारे। भगवान शिव के विचित्र रूप को देखकर गोपियां आश्चर्यचकित होते हुए कहा कि- ” मैं कैसे होरी खेलूं या बावरिया के संग, अंग भभूत, गले विषमाला, लटकन बिराजै गंग, मैं कैसे होरी खेलूं या बावरिया के संग ” इसके बाद भगवान शिव के संकेत को पाकर भगवान शिव ने गोपी रूप धारण किया। प्रिया-प्रियतम की इस प्रिय लीला में सम्मिलित हुए, आज भी रंगेश्वर महादेव के रूप में रंगीली गली में विराजमान हैं। जिस ब्रज भाव और होली के आनन्द को प्राप्त करने के लिए भगवान शिव ने गोपी रूप धारण किया, आज उसी होली लीला की प्रसादी को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि से काशी विश्वनाथ धाम भेजा गया है। चूंकि काशी विश्वनाथ धाम एवं श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर होली का मुख्य आयोजन रंगभरी एकादशी के दिन होता है। अतः काशी विश्वनाथ धाम एवं श्रीकृष्ण-जन्मभूमि के प्रमुख होली उत्सव में परस्पर आदान-प्रदान से प्राप्त दिव्य प्रसाद का उपयोग होगा, जिसका लाभ भक्तजन ले सकेंगे। श्री कृष्ण जन्मस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया श्री कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ धाम के मध्य यह सनातनी नवाचार करोड़ों-करोड़ सनातनियों के लिए न सिर्फ एक संदेश है अपितु भविष्य के लिए भी परम कल्याणकारी है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर