लुधियाना| जोधेवाल बस्ती के पुल पर शुक्रवार रात एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें एक तेज रफ्तार कार ने फूड डिलीवरी बॉय को टक्कर मार दी। टक्कर लगने से डिलीवरी बॉय युवक पुल से नीचे गिर गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद कार सवार मौके ने भगाने की कोशिश की, लेकिन राहगीरों ने उसे पकड़ लिया और पुलिस को सूचना दी। मृतक की पहचान 28 वर्षीय आकाश मल्होत्रा के रूप में हुई है, जो ताजपुर रोड का निवासी था। जानकारी के अनुसार, आकाश एक फूड डिलीवरी कंपनी में काम करता था और हाल ही में उसने पिता बनने की खुशी हासिल की थी। शुक्रवार रात वह अपने दोस्त हरविंदर के साथ डिलीवरी देने गया था। जब वे देर रात घर लौट रहे थे, तभी जोधेवाल बस्ती पुल पर आकाश की बाइक खराब हो गई। इसके बाद हरविंदर बाइक के पास खड़ा हो गया और आकाश उसे ठीक करने लगा। इसी दौरान तेज रफ्तार कार आई और बाइक को टक्कर मार दी। टक्कर लगने से आकाश पुल से नीचे गिर गया और उसे गंभीर चोटें आईं और मौके पर ही दम तोड़ दिया। मामले में थाना टिब्बा से जांच अधिकारी गुरदयाल सिंह ने बताया कि मृतक के परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लुधियाना| जोधेवाल बस्ती के पुल पर शुक्रवार रात एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें एक तेज रफ्तार कार ने फूड डिलीवरी बॉय को टक्कर मार दी। टक्कर लगने से डिलीवरी बॉय युवक पुल से नीचे गिर गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद कार सवार मौके ने भगाने की कोशिश की, लेकिन राहगीरों ने उसे पकड़ लिया और पुलिस को सूचना दी। मृतक की पहचान 28 वर्षीय आकाश मल्होत्रा के रूप में हुई है, जो ताजपुर रोड का निवासी था। जानकारी के अनुसार, आकाश एक फूड डिलीवरी कंपनी में काम करता था और हाल ही में उसने पिता बनने की खुशी हासिल की थी। शुक्रवार रात वह अपने दोस्त हरविंदर के साथ डिलीवरी देने गया था। जब वे देर रात घर लौट रहे थे, तभी जोधेवाल बस्ती पुल पर आकाश की बाइक खराब हो गई। इसके बाद हरविंदर बाइक के पास खड़ा हो गया और आकाश उसे ठीक करने लगा। इसी दौरान तेज रफ्तार कार आई और बाइक को टक्कर मार दी। टक्कर लगने से आकाश पुल से नीचे गिर गया और उसे गंभीर चोटें आईं और मौके पर ही दम तोड़ दिया। मामले में थाना टिब्बा से जांच अधिकारी गुरदयाल सिंह ने बताया कि मृतक के परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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फर्जी एनकाउंटर मामले में आज सुनाई जाएगी सजा:सीबीआई अदालत ने तीन पुलिस कर्मियों को ठहरा चुकी है दोषी, एक की हो चुकी है मौत
फर्जी एनकाउंटर मामले में आज सुनाई जाएगी सजा:सीबीआई अदालत ने तीन पुलिस कर्मियों को ठहरा चुकी है दोषी, एक की हो चुकी है मौत 1992 में तरनतारन से जुड़े दो युवकों के अपहरण, फर्जी मुठभेड़ व हत्या के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा आज (24 दिंसबर) फैसला सुनाया जाएगा। अदालत इस मामले में तत्कालीन थाना सिटी तरनतारन के प्रभारी गुरबचन सिंह, एएसआई रेशम सिंह व पुलिस मुलाजिम हंस राज सिंह को धारा 302 और 120 बी के तहत दोषी ठहरा चुकी है। तीनों दोषियों को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है। हालांकि इस मामले की सुनवाई के दौरान दिसंबर 2021 में एक आरोपी पुलिसकर्मी अर्जुन सिंह की मृत्यु हो गई थी। घर से किया था अगवा, सास की थी हत्या सीबीआई की ओर से दाखिल की गई चार्जशीट के मुताबिक जगदीप सिंह उर्फ मक्खन एचएचओ गुरबचन सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने उन्हें अगवा कर लिया था। अपहरण से पहले पुलिस ने घर पर फायरिंग की और गोली लगने से मक्खन की सास सविंदर कौर की मौत हो गई, यह घटना 18 नवंबर 1992 की है। इसी तरह गुरनाम सिंह उर्फ पाली को गुरबचन सिंह और अन्य पुलिस अधिकारियों ने 21 नवंबर 1992 को उनके घर से उनका अपहरण कर लिया। फिर 30 नवंबर 1992 को गुरबचन सिंह के नेतृत्व वाली पुलिस पार्टी ने फर्जी पुलिस मुठभेड़ में हत्या कर दी थी। इस संबंध में पंजाब पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने यह रची थी फर्जी कहानी एफआईआर में बताया गया है कि गुरबचन सिंह अन्य आरोपी व्यक्तियों और पुलिस अधिकारियों के साथ 30 नवंबर 1992 की सुबह गश्त के दौरान एक युवक को एक वाहन में यात्रा करते हुए देखा और तरनतारन के नूर दी अड्डा के पास संदिग्ध रूप से उक्त व्यक्ति को पकड़ लिया, जिसने अपनी पहचान गुरनाम सिंह के रूप में बताई पाली के रूप में और पूछताछ के दौरान, उसने रेलवे रोड, टीटी और गुरनाम में दर्शन सिंह के प्रोविजन स्टोर पर हथगोले फेंकने में अपनी संलिप्तता कबूल की। जब गुरनाम सिंह पाली को पुलिस बेहला बाग में कथित तौर पर छिपाए गए हथियारों और गोला-बारूद को बरामद करने के लिए ले गई, तो बाग के अंदर से आतंकवादियों ने पुलिस पार्टी पर गोलियां चला दीं और पुलिस बल ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की। गुरनाम सिंह उर्फ पाली बचने के इरादे से गोलियों की दिशा में भागा लेकिन क्रॉस फायरिंग में मारा गया। जिसकी पहचान जगदीप सिंह उर्फ माखन के रूप में हुई है। दोनों शवों का श्मशान घाट में ‘लावारिस’ मानकर अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसके बा जगदीप सिंह के पिता ने सीबीआई को शिकायत की थी। लंबे समय तक केस में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट और सुप्रीम में स्टे लगी रही। 2016 में स्टे हटी और ट्रायल चला। सीबीआई ने ऐसे दर्ज किया केस सीबीआई की जांच में यह चीज आई थी सामने मृतक जगदीप सिंह मक्खन पंजाब पुलिस में सिपाही था और मृतक गुरनाम सिंह पाली पंजाब पुलिस में एसपीओ था। अदालत में शपथ पत्र में कहा गया है कि वर्ष 1992 के दौरान, पुलिस स्टेशन तरनतारन के एरिया में, SHO गुरबचन सिंह, ASI रेशम सिंह, हंस राज सिंह और अर्जुन सिंह सहित अन्य पुलिस अधिकारियों 2 हत्या कर साजिश की गई थी। शुरुआत में सीबीआई ने मामला दर्ज कर प्रीतम सिंह निवासी मसीत वाली गली नूर का बाजार ने अपना बयान दर्ज कराया था। इसके बाद, सीबीआई ने 27 फरवरी 1997 को गुरबचन सिंह और अन्य के खिलाफ धारा 364/302/34 के तहत मामला दर्ज किया और जांच पूरी होने के बाद गुरबचन सिंह और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार करने के मामले की जांच के आदेश दिए थे।

‘स्वागत समारोह से लगता है नेतृत्व बढ़ेगा, यह गलतफहमी है’:पंजाब के राज्यपाल बोले- जनता के बीच बैठना पड़ता है, नहीं तो अधिकारी जो बताएगा वही सच लगेगा
‘स्वागत समारोह से लगता है नेतृत्व बढ़ेगा, यह गलतफहमी है’:पंजाब के राज्यपाल बोले- जनता के बीच बैठना पड़ता है, नहीं तो अधिकारी जो बताएगा वही सच लगेगा पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा- जनता के रुपयों से सुख-सुविधाएं भोग रहा हूं तो कर्तव्य बनता है कि आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य देने के प्रयास करूं। कटारिया ने पंजाब में हथियारों की सप्लाई को नशे के खिलाफ अभियान को लेकर पदयात्रा शुरू की है। इस संबंध में उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत की। राजस्थान विधानसभा में चल रहे मुद्दों और पंजाब में फैले नशे के कारोबार को लेकर उन्होंने जवाब दिए। वे इन दिनों उदयपुर में हैं। दैनिक भास्कर में पढ़िए पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया से बातचीत- सवाल: आपकी पदयात्रा किस लिए हैं? जवाब: पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए हथियार आ रहे हैं और नशे का सामान भी भेजा जा रहा है। एक जिम्मेदार पद पर होने के नाते युवाओं को इस गिरोह से बचाना आवश्यक है। नशे की बीमारी को खत्म करने के लिए जनता के बीच जाकर जन आंदोलन करने का उद्देश्य है और इसी सोच से पदयात्रा शुरू की है। पंजाब इस नशे की प्रवृत्ति से बहुत विकट स्थिति में आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को नशा मुक्त बनाने में लगे हैं। जब आंकड़ों को देखते हैं पंजाब सबसे ज्यादा नशे से घिरने वाले राज्यों में आता है। इसका बड़ा कारण है कि हमारा बॉर्डर 533 किलोमीटर का है। वहां पाकिस्तान हमको कमजोर करना चाहता है। इसके लिए नशे और हथियारों का लेनदेन ड्रोन के सिस्टम से हो रहा है। केंद्र सरकार ने एंटी ड्रोन भी दिए हैं, लेकिन उतनी संख्या नहीं है कि हम 533 किलोमीटर तक वाॅच रख पाएं। सवाल: अभियान शुरू करने की सोच कैसे मन में आई? जवाब: मैं वहां विलेज की कमेटियों के बीच गया तो माताओं और बहनों की पीड़ा को सुना। उन्होंने बताया कि हमारा परिवार बर्बाद हो रहा है। उनका कहना था कि विकास नहीं होगा तो चलेगा लेकिन नशे की इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए कुछ कीजिए। मुझे लगा कि यह मामला बहुत गंभीर है। वैसे मेरे पास नियमित क्राइम की रिपोर्ट आती है उसको पढ़ता हूं तो लगा कि अपराध का एक बड़ा कारण नशा भी है। नशा एक बड़ा व्यापार हो गया और अरबों का खेल चल रहा है। सरकार पकड़ती भी है, सजा भी देती है लेकिन कंट्रोल नहीं हो रहा है। यही सुनकर लगा कि कुछ करना होगा। सवाल: नशे को रोकने का युवाओं को समझाने का स्थाई समाधान क्या है? जवाब: पंजाब की सरकार ने भी कोशिश की। सरकार भी 2 महीने से सख्त एक्शन ले रही है। कई ऐसे गिरोह के लोगों की संपत्तियां भी गिराई हैं। लोगों को पकड़ा भी है। मेरा मानना है कि सरकार और कानून कभी किसी समस्या का स्थाई समाधान नहीं है, स्थाई समाधान तो जन आंदोलन और जनता के जुड़ाव से ही होगा। नशामुक्त गांव, गली, कॉलेज और विश्वविद्यालय होंगे और सब प्रयास करेंगे तब जाकर हम आने वाली पीढ़ी को बचा पाएंगे। सवाल: राजनीतिक जीवन की यात्राओं और पंजाब की पदयात्रा में कितना फर्क है? जवाब: उसमें राजनीतिक उद्देश्य होता था। पार्टी को मजबूत करने पर काम किया जाता था। जनता को पार्टी से जोड़ा जाता था। यहां कोई पार्टी का लेना देना नहीं है। मेरा जो पद है उसमें न तो मुझे पंजाब से चुनाव लड़ना है और न मै किसी पद पर जाना चाहता हूं। जिस जनता के पैसे से मै सुविधा भोग रहा हूं। ऐसे में कैसे आने वाली पीढ़ी को मैं बचा सकूं उसके लिए प्रयास कर रहा हूं। सवाल: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के 10 जरूरी बिलों को राज्यपाल की ओर से रोके जाने को अवैध भी बताया। एक राज्यपाल की भूमिका को लेकर आपकी क्या सोच है? जवाब: मैं सोचता हूं कि न्यायालय का हम सब सम्मान करते हैं। न्यायालय ने जो निर्देश दिए हैं निश्चित रूप से बिलों को अधिक समय तक रोके रखना का नहीं है। अगर आपकी शक्ति में है तो बिलों को आगे भेज दो, नहीं है तो वापस भेज दीजिए। जो प्रोसेस होता है उसके अनुसार लोकतंत्र का सम्मान तो करना ही पड़ेगा। सवाल: राजस्थान विधानसभा के सत्र में 3 विधेयक प्रवर समिति को चले गए, कई मंत्री जवाब देने में तैयारी के साथ नहीं थे। ऐसा कैसे हो जाता है जवाब: इस बारे में कुछ कमेंट करना मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इस बारे में इतना जरूर समझता हूं प्रवर समिति को सौंपना कोई बुरा काम नहीं है। अगर कोई उसके खिलाफ कठोर इस प्रकार के एविडेंस के साथ चर्चा हुई है तो उस पर प्रवर समिति में चर्चा होनी चाहिए। प्रवर समिति में सभी दलों का प्रतिनिधित्व होता है, उसमें अच्छे लोग रहते हैं। मैं भी कई बार प्रवर समिति में रहा हूं। वहां पार्टी नहीं होती है वहां मेरिट के आधार पर डिस्कशन होता है। अच्छा है उसके बाद छना हुआ बिल आएंगे। ये एक अच्छी प्रक्रिया है। कुछ विरोध हो सकता है। सवाल: आप जब मंत्री थे तब विधानसभा के सवालों के जवाब के लिए घंटों एक्सरसाइज करते थे और आज के समय में कई मंत्रियों के अधूरे जवाब से अजीब सी स्थिति हो जाती है! जवाब: आजकल जनता स्वागत समारोह कर देती है, इससे लगता है कि नेतृत्व बढ़ेगा। यह गलतफहमी है। आपको जो काम दिया है वह कितने अच्छे ढंग से किया है वह आपकी तस्वीर तैयार करता है। मैं जब जयपुर रहता था तब सोमवार से शुक्रवार कोई कार्यक्रम नहीं बनाता था जयपुर मुख्यालय पर ही रहता। शनिवार और रविवार मेरे अपने कार्यक्रम बनाता था। मेरे सारे मंत्री साथियों को कहता हूं कि जनता के बीच बैठो। बैठेंगे तो समय दे पाएंगे और जितना समय देंगे उतना ही उन्हें (जनता) समझेंगे। समझेंगे तो न्याय ही कर सकेंगे। नहीं तो अधिकारी जैसे समस्या लाएगा उसके अनुसार ही काम करना पड़ेगा। दूसरे चरण की यात्रा भी जल्द होगी बता दें कि पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने नशे के बढ़ते प्रकोप को रोकने और युवाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से 3 अप्रैल को पदयात्रा शुरू की थी। यात्रा डेरा बाबा नानक से शुरू की। 6 अप्रैल तक यात्रा गुरदासपुर में और 7-8 अप्रैल को अमृतसर में जलियांवाला बाग पर समाप्त हुई। यह यात्रा का पहला चरण है और अब आगे दूसरा चरण शुरू होगा जिसमें बचे हुए जिलों में यात्रा निकाली जाएगी।

पंजाब के मंत्री गुरमीत हेयर ने विधायक पद से दिया:संगरूर से लोकसभा चुनाव जीता है, बरनाला सीट से थे AAP विधायक
पंजाब के मंत्री गुरमीत हेयर ने विधायक पद से दिया:संगरूर से लोकसभा चुनाव जीता है, बरनाला सीट से थे AAP विधायक संगरूर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले बरनाला से आम आदमी पार्टी के विधायक व पंजाब के कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने भी इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही अब उनकी सीट भी खाली हो गई। ऐसे में उनकी सीट पर भी उप चुनाव होगा। वहीं, इस इस्तीफे को जल्दी ही स्पीकर द्वारा मंजूर कर लिया जाएगा। इससे पहले तीन चुनाव जीतने वाले तीन विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए गए हैं। 2017 में पहली बार चुनाव जीता था गुरमीत सिंह का जन्म 1989 में हुआ था। वह मात्र 35 साल के हैं। वह बरनाला विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक चुने गए हैं। उन्होंने पहली बार 2017 में चुनाव लड़ा था। उस समय वह कांग्रेस नेता केवल सिंह ढिल्लों को हराकर विधानसभा पहुंचे थे। 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने बरनाला क्षेत्र के 50 फीसदी वोट हासिल कर जीत हासिल की थी। वहीं, सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। उन्हें शुरू में पांच विभाग दिए गए थे । वहीं, 2024 में गुरमीत सिंह मीत हेयर कांग्रेस के सुखपाल सिंह खैरा को 172560 मतों के अंतर से हराकर संगरूर लोकसभा से लोकसभा जीते है।