काशी में नरमुंडों की माला पहन शिव तांडव करेंगे नागा:11 हजार चिताओं की राख से खेली जाएगी मसाने की होली; महिलाएं शामिल नहीं होगी

काशी में नरमुंडों की माला पहन शिव तांडव करेंगे नागा:11 हजार चिताओं की राख से खेली जाएगी मसाने की होली; महिलाएं शामिल नहीं होगी

धधकती चिताओं के बीच रोते-बिलखते लोग। वहीं पर चिता की राख से होली खेलते शिव के गण…। काशी में​​​​​​ मसाने की होली कुछ ऐसी ही होगी। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर नरमुंड की माला पहने शिव के गण नृत्य करेंगे। 11 हजार चिताओं की भस्म से होली खेली जाएगी। महाकुंभ संपन्न होने के बाद काशी पहुंचे 5000 से ज्यादा नागा साधु भी शामिल होंगे। जूना अखाड़े के संत मणिकर्णिका घाट पर होली खेलेंगे। अलग-अलग अखाड़ों के आश्रम में भी होली खेली जाएगी। महाश्मशान के इस खास उत्सव को देखने 5 लाख टूरिस्ट काशी पहुंचे हैं। कमेटी ने महिलाओं को होली में शामिल होने की इजाजत नहीं दी है। काशी में 2 दिन होने वाले आयोजन में क्या-कुछ होगा, ये जानने के लिए दैनिक भास्कर ऐप की टीम हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… 10 मार्च : हरिश्चंद्र घाट 3 Km लंबी शोभायात्रा, घाट पर पूजा…फिर होली खेलेंगे साधु
10 मार्च यानी सोमवार को काशी विश्वनाथ मंदिर से 5 km दूर कीनाराम बाबा आश्रम से हरिश्चंद्र घाट तक 3Km लंबी शोभायात्रा निकाली जाएगी। आश्रम से सुबह 9 बजे शोभा यात्रा निकलेगी। इसमें बाबा कीनाराम, कालूराम, बाबा मसान नाथ का चित्र बग्घी पर रहेगा। डमरू दल के साथ घोड़े पर भोलेनाथ के 5 स्वरूप रहेंगे। विभिन्न झांकियों के साथ ढोल-नगाड़ा, बैंड पार्टी शामिल होगी। शोभायात्रा कीनाराम जन्मस्थल से शुरू होकर आईपी विजया, भेलूपुर थाना होते हुए सोनारपुर से हरिश्चंद्र घाट पहुंचेगी। इसके बाद बाबा मसान नाथ का भव्य श्रृंगार और आरती की जाएगी। आरती के बाद लोग बाबा के मंदिर पर ही चिता भस्म के साथ होली खेलेंगे। इस बार हरिश्चंद्र घाट पर नागा साधुओं का टेंट लगा हुआ है। इसे ध्यान में रखते हुए साउंड सिस्टम नहीं रहेंगे। मसाने की होली में सिर्फ काशी के लोग या साधु-संत ही शामिल नहीं होते। टूरिस्ट भी शामिल हो सकते हैं। 11 मार्च : मणिकर्णिका घाट घाट पर पूजा होगी, लोग नाचते हुए गुलाल-अबीर लगाएंगे
11 मार्च को मणिकर्णिका घाट पर दोपहर 12 बजे बाबा मसान नाथ की पूजा होगी। इसमें नागा साधु भी शामिल होंगे। कोई शोभायात्रा नहीं निकलेगी। भक्ति गीतों पर गंगा घाट पर लोग झूमते और नाचते हैं। एक-दूसरे को गुलाल अबीर और भस्म लगाते हैं। 2025 की होली में घाट कमेटी ने DJ बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही मसाने की होली सिर्फ 1 घंटे खेली जाएगी। पिछले साल तक DJ बजता था, समय की कोई बाध्यता भी नहीं थी। मुंबई, दक्षिण भारत के कलाकार पहुंचे काशी
हरिश्चंद्र घाट की व्यवस्था को समझने के लिए दैनिक भास्कर ने काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति के अध्यक्ष पवन चौधरी से बात की। उन्होंने कहा- हम 25 साल से घाट पर मसाने की होली की व्यवस्था देखते आ रहे हैं। कीनाराम बाबा आश्रम से 20 झांकियों के साथ शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसमें मुंबई और दक्षिण भारत के कलाकार शामिल होंगे, जो बाबा के स्वरूपों में दिखेंगे। इसमें सभी लोग बाबा के बाराती की तरह शामिल होते हैं। इस यात्रा में भूत, पिशाच, हाकिनी-डाकिनी, चुड़ैल के स्वरूप दिखते हैं। बाबा के बाराती नाचते-गाते चलते हैं। हरिश्चंद्र घाट पर बाबा मसान नाथ की पूजा होती है। धधकती चिंताओं के बीच में चिता भस्म होली की शुरुआत होती है। इस आयोजन की तैयारियां 6 महीने पहले से होती हैं। चिताओं की राख इकट्‌ठा की जाती है। जिसे भस्म के साथ होली के दिन उड़ाया जाता है। मसाने की होली में बड़ा बदलाव मणिकर्णिका घाट पर महिलाएं नहीं आएंगी, नाव से होली देखेंगी
महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर बाबा मसान नाथ मंदिर कमेटी व्यवस्थाएं संभालती है। आयोजन समिति के प्रमुख गुलशन कपूर ने बताया- दोपहर 12 बजे मसान नाथ की दोपहर की आरती होगी। 5100 चिताओं की भस्म जमा की गई है। जब भस्म उड़ती है, तो वह नीचे जमीन पर नहीं आती, बल्कि उड़ती रहती है। इस बार महाकुंभ होने की वजह से बहुत से नागा संन्यासी भी शामिल होंगे। बाबा के घर को बहुत सुविधा नहीं चाहिए, बस उन्हें खाली स्थान चाहिए। कमेटी ने महिलाओं के मसाने की होली में आने पर प्रतिबंध लगाया है। इस बार महिलाएं नाव से महाश्मशान की होली देख पाएंगी। बढ़ती भीड़ और हुड़दंग की वजह से महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए समिति ने यह फैसला लिया है। अब टूरिस्टों की बात… लोग बोले- ऐसा लगता है महादेव के साथ होली खेल रहे
काशी के अभिनव राय कहते हैं- दुनिया में यह सबसे अनोखी होली होती है। इसको खेलने का तरीका भी अलग है। जो लोग यहां आते हैं, वो अलग मिजाज में दिखते हैं। इसमें लोग अपने में खोकर होली खेलते हैं। तब लगता है कि यह महादेव की नगरी है। ये उनकी होली है, हम उनके साथ होली खेल रहे हैं। राणा प्रताप सिंह कहते हैं- काशी के लोग इस होली का आनंद लेना चाहते हैं। मगर कुछ उपद्रवी लोग माहौल खराब करते हैं। कमेटी ने कुछ रोक लगाई हैं। यह होली बहुत खास है, मनाने का तरीका भी बिल्कुल अलग है। काशी की मसाने की होली की खासियत यह है कि हर साल नए लोग शामिल होते हैं। यह होली किसी खास परिवार या शहर के लोगों की नहीं है। विश्वनाथ मंदिर के निदेशक बोले- चिता भस्म का शास्त्र में उल्लेख नहीं
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं विश्वनाथ मंदिर के मानित निदेशक डॉ. विनय पांडेय ने शास्त्र प्रमाणों के उदाहरण देते हुए कहा- चिता भस्म होली का उल्लेख किसी भी शास्त्र में नहीं है। यह अब एक इवेंट बन चुका है, जो सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। …………………… यह भी पढ़ें : बरसाने में लट्‌ठमार होली…घूंघट में सखियों ने लट्ठ बरसाए:हुरियारों ने खुद को ढाल से बचाया; मथुरा में 10Km तक भारी भीड़ चेहरे पर घूंघट…हाथ में लट्‌ठ। ये नजारा रहा…मथुरा के बरसाने में चल रही लट्‌ठमार होली का। यहां शनिवार को 2 घंटे तक राधा बनीं हुरियारिनों ​ने कृष्ण रूपी हुरियारों ​पर जमकर ​​​​​​लट्ठ बरसाए। हुरियारों ने भी गीत गाते हुए ढाल से अपना बचाव किया। पढ़िए पूरी खबर… धधकती चिताओं के बीच रोते-बिलखते लोग। वहीं पर चिता की राख से होली खेलते शिव के गण…। काशी में​​​​​​ मसाने की होली कुछ ऐसी ही होगी। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर नरमुंड की माला पहने शिव के गण नृत्य करेंगे। 11 हजार चिताओं की भस्म से होली खेली जाएगी। महाकुंभ संपन्न होने के बाद काशी पहुंचे 5000 से ज्यादा नागा साधु भी शामिल होंगे। जूना अखाड़े के संत मणिकर्णिका घाट पर होली खेलेंगे। अलग-अलग अखाड़ों के आश्रम में भी होली खेली जाएगी। महाश्मशान के इस खास उत्सव को देखने 5 लाख टूरिस्ट काशी पहुंचे हैं। कमेटी ने महिलाओं को होली में शामिल होने की इजाजत नहीं दी है। काशी में 2 दिन होने वाले आयोजन में क्या-कुछ होगा, ये जानने के लिए दैनिक भास्कर ऐप की टीम हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… 10 मार्च : हरिश्चंद्र घाट 3 Km लंबी शोभायात्रा, घाट पर पूजा…फिर होली खेलेंगे साधु
10 मार्च यानी सोमवार को काशी विश्वनाथ मंदिर से 5 km दूर कीनाराम बाबा आश्रम से हरिश्चंद्र घाट तक 3Km लंबी शोभायात्रा निकाली जाएगी। आश्रम से सुबह 9 बजे शोभा यात्रा निकलेगी। इसमें बाबा कीनाराम, कालूराम, बाबा मसान नाथ का चित्र बग्घी पर रहेगा। डमरू दल के साथ घोड़े पर भोलेनाथ के 5 स्वरूप रहेंगे। विभिन्न झांकियों के साथ ढोल-नगाड़ा, बैंड पार्टी शामिल होगी। शोभायात्रा कीनाराम जन्मस्थल से शुरू होकर आईपी विजया, भेलूपुर थाना होते हुए सोनारपुर से हरिश्चंद्र घाट पहुंचेगी। इसके बाद बाबा मसान नाथ का भव्य श्रृंगार और आरती की जाएगी। आरती के बाद लोग बाबा के मंदिर पर ही चिता भस्म के साथ होली खेलेंगे। इस बार हरिश्चंद्र घाट पर नागा साधुओं का टेंट लगा हुआ है। इसे ध्यान में रखते हुए साउंड सिस्टम नहीं रहेंगे। मसाने की होली में सिर्फ काशी के लोग या साधु-संत ही शामिल नहीं होते। टूरिस्ट भी शामिल हो सकते हैं। 11 मार्च : मणिकर्णिका घाट घाट पर पूजा होगी, लोग नाचते हुए गुलाल-अबीर लगाएंगे
11 मार्च को मणिकर्णिका घाट पर दोपहर 12 बजे बाबा मसान नाथ की पूजा होगी। इसमें नागा साधु भी शामिल होंगे। कोई शोभायात्रा नहीं निकलेगी। भक्ति गीतों पर गंगा घाट पर लोग झूमते और नाचते हैं। एक-दूसरे को गुलाल अबीर और भस्म लगाते हैं। 2025 की होली में घाट कमेटी ने DJ बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही मसाने की होली सिर्फ 1 घंटे खेली जाएगी। पिछले साल तक DJ बजता था, समय की कोई बाध्यता भी नहीं थी। मुंबई, दक्षिण भारत के कलाकार पहुंचे काशी
हरिश्चंद्र घाट की व्यवस्था को समझने के लिए दैनिक भास्कर ने काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति के अध्यक्ष पवन चौधरी से बात की। उन्होंने कहा- हम 25 साल से घाट पर मसाने की होली की व्यवस्था देखते आ रहे हैं। कीनाराम बाबा आश्रम से 20 झांकियों के साथ शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसमें मुंबई और दक्षिण भारत के कलाकार शामिल होंगे, जो बाबा के स्वरूपों में दिखेंगे। इसमें सभी लोग बाबा के बाराती की तरह शामिल होते हैं। इस यात्रा में भूत, पिशाच, हाकिनी-डाकिनी, चुड़ैल के स्वरूप दिखते हैं। बाबा के बाराती नाचते-गाते चलते हैं। हरिश्चंद्र घाट पर बाबा मसान नाथ की पूजा होती है। धधकती चिंताओं के बीच में चिता भस्म होली की शुरुआत होती है। इस आयोजन की तैयारियां 6 महीने पहले से होती हैं। चिताओं की राख इकट्‌ठा की जाती है। जिसे भस्म के साथ होली के दिन उड़ाया जाता है। मसाने की होली में बड़ा बदलाव मणिकर्णिका घाट पर महिलाएं नहीं आएंगी, नाव से होली देखेंगी
महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर बाबा मसान नाथ मंदिर कमेटी व्यवस्थाएं संभालती है। आयोजन समिति के प्रमुख गुलशन कपूर ने बताया- दोपहर 12 बजे मसान नाथ की दोपहर की आरती होगी। 5100 चिताओं की भस्म जमा की गई है। जब भस्म उड़ती है, तो वह नीचे जमीन पर नहीं आती, बल्कि उड़ती रहती है। इस बार महाकुंभ होने की वजह से बहुत से नागा संन्यासी भी शामिल होंगे। बाबा के घर को बहुत सुविधा नहीं चाहिए, बस उन्हें खाली स्थान चाहिए। कमेटी ने महिलाओं के मसाने की होली में आने पर प्रतिबंध लगाया है। इस बार महिलाएं नाव से महाश्मशान की होली देख पाएंगी। बढ़ती भीड़ और हुड़दंग की वजह से महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए समिति ने यह फैसला लिया है। अब टूरिस्टों की बात… लोग बोले- ऐसा लगता है महादेव के साथ होली खेल रहे
काशी के अभिनव राय कहते हैं- दुनिया में यह सबसे अनोखी होली होती है। इसको खेलने का तरीका भी अलग है। जो लोग यहां आते हैं, वो अलग मिजाज में दिखते हैं। इसमें लोग अपने में खोकर होली खेलते हैं। तब लगता है कि यह महादेव की नगरी है। ये उनकी होली है, हम उनके साथ होली खेल रहे हैं। राणा प्रताप सिंह कहते हैं- काशी के लोग इस होली का आनंद लेना चाहते हैं। मगर कुछ उपद्रवी लोग माहौल खराब करते हैं। कमेटी ने कुछ रोक लगाई हैं। यह होली बहुत खास है, मनाने का तरीका भी बिल्कुल अलग है। काशी की मसाने की होली की खासियत यह है कि हर साल नए लोग शामिल होते हैं। यह होली किसी खास परिवार या शहर के लोगों की नहीं है। विश्वनाथ मंदिर के निदेशक बोले- चिता भस्म का शास्त्र में उल्लेख नहीं
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं विश्वनाथ मंदिर के मानित निदेशक डॉ. विनय पांडेय ने शास्त्र प्रमाणों के उदाहरण देते हुए कहा- चिता भस्म होली का उल्लेख किसी भी शास्त्र में नहीं है। यह अब एक इवेंट बन चुका है, जो सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। …………………… यह भी पढ़ें : बरसाने में लट्‌ठमार होली…घूंघट में सखियों ने लट्ठ बरसाए:हुरियारों ने खुद को ढाल से बचाया; मथुरा में 10Km तक भारी भीड़ चेहरे पर घूंघट…हाथ में लट्‌ठ। ये नजारा रहा…मथुरा के बरसाने में चल रही लट्‌ठमार होली का। यहां शनिवार को 2 घंटे तक राधा बनीं हुरियारिनों ​ने कृष्ण रूपी हुरियारों ​पर जमकर ​​​​​​लट्ठ बरसाए। हुरियारों ने भी गीत गाते हुए ढाल से अपना बचाव किया। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर