हरियाणा और पंजाब के किसानों ने दिल्ली कूच पर अपना फैसला टाल दिया गया है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने इस दौरान राज्य सरकार को चेतावनी दे दी है कि अगर किसानों की जमीनों पर जबरदस्ती कब्जे ना करें। उन्हें उचित मुआवजा दें। अभी हमारा ध्यान केंद्र की तरफ है। अगर किसी भी जिले में जबरदस्ती जमीन एक्वायर की तो पंजाब सरकार की नाक में दम कर देंगे। सरवन सिंह पंधेर ने सोमवार अमृतसर में मीडिया से बातचीत करते हुए राज्य सरकार को आज शुरू हुए सत्र को लंबा करने की मांग भी रखी। उन्होंने कहा कि सत्र को लंबा किया जाए और विदेश से लैटे युवाओं को गलत तरीको से बाहर भेजने वाले एजेंटों के खिलाफ, नशे के खिलाफ और पंजाब के अन्य मुद्दों को लेकर चर्चा की जाए। इसके साथ ही सीएम भगवंत मान के समक्ष मांग रखी कि उनकी 12 मांगों को लेकर सत्र में मता पास किया जाए और उसे केंद्र को दिया जाए। इस दौरान मंडी प्राइवेटाइजेशन को लेकर जो केंद्र में बिल पास किया गया है, उसके खिलाफ भी मता पास कर केंद्र को भेजा जाए और मंडियों को प्राइवेट हाथों में जाने से रोका जाए। शनिवार केंद्रीय मंत्रियों से हुई थी बैठक रविवार को दोनों फोरम के नेताओं ने अपने-अपने समर्थकों के साथ बातचीत की और आगे की रणनीति पर चर्चा की है। शनिवार को आंदोलनकारी किसानों और केंद्र के बीच चंडीगढ़ में हुई छठीं मीटिंग में भी कोई हल नहीं निकल सका। ढाई घंटे चली मीटिंग में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने केंद्र के सामने आंकड़े रखे। अब अगली मीटिंग 19 मार्च को चंडीगढ़ में ही होगी। मीटिंग के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- ‘बैठक अच्छे माहौल में हुई। हमने मोदी सरकार की प्राथमिकताएं किसानों के सामने रखीं। किसानों की भी बातें सुनीं। किसानों के पास अपने आंकड़े हैं और केंद्र सरकार के पास अपना डेटा है। दोनों आंकड़ों को मिलाया जाएगा।’ उधर, किसानों का 25 फरवरी को दिल्ली कूच का प्रोग्राम है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा था कि अगर मीटिंग में हल नहीं निकला तो दिल्ली कूच होगा। मंत्री बोले- डेटा वेरिफिकेशन के बात नीति बनाने के लिए समय चाहिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसान जत्थेबंदियों ने अपनी मांगों के समर्थन में कुछ आंकड़े सामने रखे। इन आंकड़ों के आधार पर उन्होंने अपनी मांगों को उचित ठहराया। आंकड़ों में विभिन्न फसलों की खरीद मात्रा, खरीद मूल्य और बाजार मूल्य का डेटा शामिल था। इन आंकड़ों पर विभिन्न मत सामने आए। किसान संगठनों द्वारा दिए गए आंकड़े केंद्र सरकार के आंकड़ों से मेल नहीं खा रहे थे, इसलिए मंत्रियों ने इनके स्रोत के बारे में पूछताछ की। फिर यह तय हुआ कि अगले कुछ दिनों में केंद्रीय एजेंसियां किसानों से यह डेटा लेंगी। डाटा का मूल्यांकन किया जाएगा। 19 मार्च को इस पर दोबारा चर्चा होगी। डल्लेवाल अनशन जारी करने पर अड़े किसानों के साथ हुई मीटिंग में शिवराज सिंह चौहान, प्रह्लाद जोशी और पीयूष गोयल ने डल्लेवाल से अपना अनशन खत्म करने की अपील की। लेकिन डल्लेवाल ने ऐसा करने से मना कर दिया। डल्लेवाल ने उनसे कहा कि जब तक सभी फसलों पर MSP की गारंटी नहीं मिलती अनशन खत्म नहीं होगा। किसान आंदोलन से जुड़ीं 3 अहम बातें… 1. हाईकोर्ट ने शंभू बॉर्डर खोलने को कहा, हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट गई फरवरी 2024 में किसानों को शंभू बॉर्डर पर रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रास्ता बंद कर दिया। इसके खिलाफ अंबाला के व्यापारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने एक हफ्ते में बॉर्डर खोलने के आदेश दिए। मगर, इसके खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 10 सुनवाई कर चुका है। इस दौरान रिटायर्ड जस्टिस की अगुआई में कमेटी भी बनाई, जो किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता कर मामला निपटा सके, लेकिन किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। 2. दिल्ली कूच की कोशिश की केंद्र के बातचीत भी बंद करने के बाद किसानों ने 6 दिसंबर को पहली बार दिल्ली कूच का फैसला किया। मगर, हरियाणा सरकार ने ट्रैक्टर समेत दिल्ली जाने की परमिशन देने से इनकार कर दिया। इसके बाद 101 किसानों का जत्था दिल्ली रवाना किया गया। हालांकि हरियाणा पुलिस ने उन्हें भी शंभू बॉर्डर पर बैरिकेडिंग कर रोक लिया। इसके बाद किसानों ने 8 और 14 दिसंबर को दिल्ली कूच की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने किसानों को रोक लिया। किसानों पर आंसू गैस के गोले भी दागे गए। इसके पहले 13 फरवरी 2014 को किसानों ने खनौरी बॉर्डर से दिल्ली जाने की कोशिश की थी तब किसानों को रोकने के दौरान हिंसा हुई थी। इसी दौरान गोली लगने से 21 फरवरी को शुभकरण की मौत हुई थी। 3. डल्लेवाल ने अनशन शुरू किया, SC तक मामला पहुंचा इसी बीच किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने बेटे-बहू और पोते के नाम संपत्ति कर आमरण अनशन का ऐलान कर दिया। हालांकि 26 नवंबर 2024 को अनशन से पहले पंजाब पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। मगर, उन्होंने वहीं अनशन शुरू कर दिया। किसानों के दबाव में 1 दिसंबर को पंजाब पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया। तब से ही डल्लेवाल का अनशन जारी है। मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। लेकिन डल्लेवाल ने मेडिकल मदद लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट में करीब 10 बार उनकी सेहत को लेकर सुनवाई हुई। इसके बाद केंद्र ने 14 फरवरी को बातचीत का न्योता दे दिया। तब डल्लेवाल मेडिकल सुविधा लेने के लिए राजी हो गए। हरियाणा और पंजाब के किसानों ने दिल्ली कूच पर अपना फैसला टाल दिया गया है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने इस दौरान राज्य सरकार को चेतावनी दे दी है कि अगर किसानों की जमीनों पर जबरदस्ती कब्जे ना करें। उन्हें उचित मुआवजा दें। अभी हमारा ध्यान केंद्र की तरफ है। अगर किसी भी जिले में जबरदस्ती जमीन एक्वायर की तो पंजाब सरकार की नाक में दम कर देंगे। सरवन सिंह पंधेर ने सोमवार अमृतसर में मीडिया से बातचीत करते हुए राज्य सरकार को आज शुरू हुए सत्र को लंबा करने की मांग भी रखी। उन्होंने कहा कि सत्र को लंबा किया जाए और विदेश से लैटे युवाओं को गलत तरीको से बाहर भेजने वाले एजेंटों के खिलाफ, नशे के खिलाफ और पंजाब के अन्य मुद्दों को लेकर चर्चा की जाए। इसके साथ ही सीएम भगवंत मान के समक्ष मांग रखी कि उनकी 12 मांगों को लेकर सत्र में मता पास किया जाए और उसे केंद्र को दिया जाए। इस दौरान मंडी प्राइवेटाइजेशन को लेकर जो केंद्र में बिल पास किया गया है, उसके खिलाफ भी मता पास कर केंद्र को भेजा जाए और मंडियों को प्राइवेट हाथों में जाने से रोका जाए। शनिवार केंद्रीय मंत्रियों से हुई थी बैठक रविवार को दोनों फोरम के नेताओं ने अपने-अपने समर्थकों के साथ बातचीत की और आगे की रणनीति पर चर्चा की है। शनिवार को आंदोलनकारी किसानों और केंद्र के बीच चंडीगढ़ में हुई छठीं मीटिंग में भी कोई हल नहीं निकल सका। ढाई घंटे चली मीटिंग में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने केंद्र के सामने आंकड़े रखे। अब अगली मीटिंग 19 मार्च को चंडीगढ़ में ही होगी। मीटिंग के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- ‘बैठक अच्छे माहौल में हुई। हमने मोदी सरकार की प्राथमिकताएं किसानों के सामने रखीं। किसानों की भी बातें सुनीं। किसानों के पास अपने आंकड़े हैं और केंद्र सरकार के पास अपना डेटा है। दोनों आंकड़ों को मिलाया जाएगा।’ उधर, किसानों का 25 फरवरी को दिल्ली कूच का प्रोग्राम है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा था कि अगर मीटिंग में हल नहीं निकला तो दिल्ली कूच होगा। मंत्री बोले- डेटा वेरिफिकेशन के बात नीति बनाने के लिए समय चाहिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसान जत्थेबंदियों ने अपनी मांगों के समर्थन में कुछ आंकड़े सामने रखे। इन आंकड़ों के आधार पर उन्होंने अपनी मांगों को उचित ठहराया। आंकड़ों में विभिन्न फसलों की खरीद मात्रा, खरीद मूल्य और बाजार मूल्य का डेटा शामिल था। इन आंकड़ों पर विभिन्न मत सामने आए। किसान संगठनों द्वारा दिए गए आंकड़े केंद्र सरकार के आंकड़ों से मेल नहीं खा रहे थे, इसलिए मंत्रियों ने इनके स्रोत के बारे में पूछताछ की। फिर यह तय हुआ कि अगले कुछ दिनों में केंद्रीय एजेंसियां किसानों से यह डेटा लेंगी। डाटा का मूल्यांकन किया जाएगा। 19 मार्च को इस पर दोबारा चर्चा होगी। डल्लेवाल अनशन जारी करने पर अड़े किसानों के साथ हुई मीटिंग में शिवराज सिंह चौहान, प्रह्लाद जोशी और पीयूष गोयल ने डल्लेवाल से अपना अनशन खत्म करने की अपील की। लेकिन डल्लेवाल ने ऐसा करने से मना कर दिया। डल्लेवाल ने उनसे कहा कि जब तक सभी फसलों पर MSP की गारंटी नहीं मिलती अनशन खत्म नहीं होगा। किसान आंदोलन से जुड़ीं 3 अहम बातें… 1. हाईकोर्ट ने शंभू बॉर्डर खोलने को कहा, हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट गई फरवरी 2024 में किसानों को शंभू बॉर्डर पर रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रास्ता बंद कर दिया। इसके खिलाफ अंबाला के व्यापारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने एक हफ्ते में बॉर्डर खोलने के आदेश दिए। मगर, इसके खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 10 सुनवाई कर चुका है। इस दौरान रिटायर्ड जस्टिस की अगुआई में कमेटी भी बनाई, जो किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता कर मामला निपटा सके, लेकिन किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। 2. दिल्ली कूच की कोशिश की केंद्र के बातचीत भी बंद करने के बाद किसानों ने 6 दिसंबर को पहली बार दिल्ली कूच का फैसला किया। मगर, हरियाणा सरकार ने ट्रैक्टर समेत दिल्ली जाने की परमिशन देने से इनकार कर दिया। इसके बाद 101 किसानों का जत्था दिल्ली रवाना किया गया। हालांकि हरियाणा पुलिस ने उन्हें भी शंभू बॉर्डर पर बैरिकेडिंग कर रोक लिया। इसके बाद किसानों ने 8 और 14 दिसंबर को दिल्ली कूच की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने किसानों को रोक लिया। किसानों पर आंसू गैस के गोले भी दागे गए। इसके पहले 13 फरवरी 2014 को किसानों ने खनौरी बॉर्डर से दिल्ली जाने की कोशिश की थी तब किसानों को रोकने के दौरान हिंसा हुई थी। इसी दौरान गोली लगने से 21 फरवरी को शुभकरण की मौत हुई थी। 3. डल्लेवाल ने अनशन शुरू किया, SC तक मामला पहुंचा इसी बीच किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने बेटे-बहू और पोते के नाम संपत्ति कर आमरण अनशन का ऐलान कर दिया। हालांकि 26 नवंबर 2024 को अनशन से पहले पंजाब पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। मगर, उन्होंने वहीं अनशन शुरू कर दिया। किसानों के दबाव में 1 दिसंबर को पंजाब पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया। तब से ही डल्लेवाल का अनशन जारी है। मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। लेकिन डल्लेवाल ने मेडिकल मदद लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट में करीब 10 बार उनकी सेहत को लेकर सुनवाई हुई। इसके बाद केंद्र ने 14 फरवरी को बातचीत का न्योता दे दिया। तब डल्लेवाल मेडिकल सुविधा लेने के लिए राजी हो गए। पंजाब | दैनिक भास्कर
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