कैथल जिले में सीवन ब्लॉक के गांव आंधली की महिला सरपंच परमजीत कौर को हरियाणा पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 51(1) बी के तहत निलंबित कर दिया गया है। सरपंच पर आरोप हैं कि उन्होंने ग्राम पंचायत की 52 एकड़ भूमि का गलत इस्तेमाल किया। बिना लीज पर दिए ही पट्टेदारों को अपने मोबाइल का ओटीपी देकर जमीन पर खेती की अनुमति दे दी। इससे पंचायत को आर्थिक नुकसान हुआ है। डीसी प्रीति ने उनको निलंबित किया है। जानकारी अनुसार, मामला मई और जून 2024 का है। गांव के अवतार सिंह ने डीसी को शिकायत की थी कि सरपंच ने पट्टेदारों को ‘मेरी फसल मेरा बयोरा’ पोर्टल पर भूमि का पंजीकरण करवा दिया। इससे पट्टेदार सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकें और अपनी फसल बेच सकें। निलंबन के बाद सरपंच परमजीत कौर अब ग्राम पंचायत की किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं ले सकेंगी। उनको आदेश दिए गए हैं कि वे पंचायत की चल-अचल संपत्तियों का रिकॉर्ड बहुमत वाले पंच को सौंपना होगा। नियमों के अनुसार, पंचायती भूमि को लीज पर दिए बिना उस पर खेती करना अवैध है। जांच में आरोप सही पाए गए
डीसी कैथल ने मामले की जांच सीवन ब्लॉक के बीडीपीओ (खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी) को सौंपी। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि सरपंच परमजीत कौर ने न तो जांच में सहयोग किया और न ही कोई बयान दर्ज कराया। रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि सरपंच ने पंचायती भूमि को लीज पर दिए बिना ही ओटीपी साझा कर अवैध तरीके से फसल का पंजीकरण करवाया। सरपंच को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया, लेकिन संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर निजी सुनवाई का अवसर भी दिया गया। इसके बावजूद सरपंच द्वारा दिए गए बयान असंतोषजनक पाए गए, जिसके बाद डीसी ने उन्हें निलंबित कर दिया। जांच कमेटी करेगी विस्तृत जांच
डीसी कैथल ने सरपंच को निलंबित करने के बाद मामले की विस्तृत जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में अतिरिक्त उपायुक्त कैथल (अध्यक्ष),उपनिदेशक कृषि एवं कल्याण विभाग, कैथल (सदस्य), खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी, सीवन (सदस्य) शामिल हैं। यह कमेटी एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट डीसी को सौंपेगी। ग्राम पंचायत को हुआ लाखों का नुकसान
इस पूरे मामले में ग्राम पंचायत को लाखों रुपए का नुकसान हुआ, क्योंकि बिना लीज प्रक्रिया के पंचायती भूमि पट्टेदारों को दी गई। पट्टेदारों ने सरकारी योजनाओं का अवैध लाभ उठाकर अपनी फसल का पंजीकरण करवाया और उसे बाजार में बेचने का रास्ता साफ किया। इस कार्रवाई से न केवल पंचायत को वित्तीय नुकसान हुआ, बल्कि पंचायती व्यवस्था की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। कैथल जिले में सीवन ब्लॉक के गांव आंधली की महिला सरपंच परमजीत कौर को हरियाणा पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 51(1) बी के तहत निलंबित कर दिया गया है। सरपंच पर आरोप हैं कि उन्होंने ग्राम पंचायत की 52 एकड़ भूमि का गलत इस्तेमाल किया। बिना लीज पर दिए ही पट्टेदारों को अपने मोबाइल का ओटीपी देकर जमीन पर खेती की अनुमति दे दी। इससे पंचायत को आर्थिक नुकसान हुआ है। डीसी प्रीति ने उनको निलंबित किया है। जानकारी अनुसार, मामला मई और जून 2024 का है। गांव के अवतार सिंह ने डीसी को शिकायत की थी कि सरपंच ने पट्टेदारों को ‘मेरी फसल मेरा बयोरा’ पोर्टल पर भूमि का पंजीकरण करवा दिया। इससे पट्टेदार सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकें और अपनी फसल बेच सकें। निलंबन के बाद सरपंच परमजीत कौर अब ग्राम पंचायत की किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं ले सकेंगी। उनको आदेश दिए गए हैं कि वे पंचायत की चल-अचल संपत्तियों का रिकॉर्ड बहुमत वाले पंच को सौंपना होगा। नियमों के अनुसार, पंचायती भूमि को लीज पर दिए बिना उस पर खेती करना अवैध है। जांच में आरोप सही पाए गए
डीसी कैथल ने मामले की जांच सीवन ब्लॉक के बीडीपीओ (खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी) को सौंपी। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि सरपंच परमजीत कौर ने न तो जांच में सहयोग किया और न ही कोई बयान दर्ज कराया। रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि सरपंच ने पंचायती भूमि को लीज पर दिए बिना ही ओटीपी साझा कर अवैध तरीके से फसल का पंजीकरण करवाया। सरपंच को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया, लेकिन संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर निजी सुनवाई का अवसर भी दिया गया। इसके बावजूद सरपंच द्वारा दिए गए बयान असंतोषजनक पाए गए, जिसके बाद डीसी ने उन्हें निलंबित कर दिया। जांच कमेटी करेगी विस्तृत जांच
डीसी कैथल ने सरपंच को निलंबित करने के बाद मामले की विस्तृत जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में अतिरिक्त उपायुक्त कैथल (अध्यक्ष),उपनिदेशक कृषि एवं कल्याण विभाग, कैथल (सदस्य), खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी, सीवन (सदस्य) शामिल हैं। यह कमेटी एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट डीसी को सौंपेगी। ग्राम पंचायत को हुआ लाखों का नुकसान
इस पूरे मामले में ग्राम पंचायत को लाखों रुपए का नुकसान हुआ, क्योंकि बिना लीज प्रक्रिया के पंचायती भूमि पट्टेदारों को दी गई। पट्टेदारों ने सरकारी योजनाओं का अवैध लाभ उठाकर अपनी फसल का पंजीकरण करवाया और उसे बाजार में बेचने का रास्ता साफ किया। इस कार्रवाई से न केवल पंचायत को वित्तीय नुकसान हुआ, बल्कि पंचायती व्यवस्था की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
