क्या आम लोग युद्ध में सेना जॉइन कर सकते हैं?:शंकराचार्य और हेड कॉन्स्टेबल ने पाकिस्तान बॉर्डर जाने की इच्छा जताई, क्या है नियम?

क्या आम लोग युद्ध में सेना जॉइन कर सकते हैं?:शंकराचार्य और हेड कॉन्स्टेबल ने पाकिस्तान बॉर्डर जाने की इच्छा जताई, क्या है नियम?

रामपुर पुलिस लाइन में तैनात हेड कॉन्स्टेबल चमन सिंह ने 9 मई को SP को पत्र लिखकर पाकिस्तान बॉर्डर पर लड़ने की अनुमति मांगी। मेरठ में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया। शंकराचार्य ने कहा, वो देश के नागरिक के रूप में सेना की सेवा करने के लिए सदैव तैयार हैं। इधर, सेना केंद्र सरकार ने भी सेना को टेरिटोरियल आर्मी को सक्रिय करने का आदेश दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आम लोग सेना जॉइन कर सकते हैं, टेरिटोरियल आर्मी क्या है, इसे लेकर क्या नियम हैं, भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए- सवाल 1- आम नागरिक युद्ध में क्या शामिल हो सकता है?
जवाब– आम लोग सीधे युद्ध में शामिल नहीं हो सकते। अगर किसी आम नागरिक को सेना के साथ जुड़कर काम करना है तो टेरिटोरियल आर्मी के जरिए ही शामिल हो सकता है। इसमें जवान से लेकर अफसर तक भर्ती करने के नियम हैं। सवाल 2- टेरिटोरियल आर्मी क्या है?
जवाब- पाकिस्तान से तनाव के बीच केंद्र सरकार ने सेना को टेरिटोरियल आर्मी (प्रादेशिक सेना) को सक्रिय करने का आदेश दिया। थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी टेरिटोरियल आर्मी रूल्स 1948 के नियम 33 के तहत टेरिटोरियल आर्मी के किसी भी सैन्य अधिकारी या जवान को सेना की मदद के लिए बुला सकते हैं। टेरिटोरियल आर्मी को सेकेंड लाइन ऑफ डिफेंस भी कहते हैं। यह देश में कई बड़े ऑपरेशनों में काम कर चुकी है और युद्ध मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति के जवानों की परछाई बनकर ठीक उनके पीछे मदद के लिए तैयार रहती है। अभी इसके 50 हजार सदस्य हैं, जो 65 विभागीय यूनिट्स (जैसे रेलवे, आईओसी) और गैर विभागीय इन्फेंट्री व इंजीनियर बटालियन में हैं। इनकी ट्रेनिंग सेना की तरह ही होती है। सवाल 3- क्या पहले कभी भारत ने टेरिटोरियल आर्मी का इस्तेमाल किया है?
जवाब- साल 1962, 1965, 1971, 1999 की लड़ाई और प्राकृतिक आपदाओं में जरूरी सेवाओं को बहाल करने में टेरिटोरियल आर्मी अहम भूमिका निभा चुकी है। खास बात यह भी है कि टेरिटोरियल आर्मी को भी उनकी वीरता के लिए सम्मानित किया जाता है। आजादी के बाद से बीते 77 साल में टेरिटोरियल आर्मी को 1 कीर्ति, 5 अतिविशिष्ट सेवा मेडल, 5 वीर, 5 शौर्य चक्र, 74 सेना मेडल, 28 विशिष्ट सेवा मेडल समेत 402 पदक मिले हैं। सवाल 4- टेरिटोरियल आर्मी कब बनाई गई थी?
जवाब- टेरिटोरियल आर्मी की शुरुआत 18 अगस्त, 1948 को हुई थी। इसकी शुरुआत 11 यूनिट्स के साथ हुई थी। 9 अक्टूबर, 1949 को देश के पहले गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी ने इसका मुख्यालय शुरू किया था। यही वजह है कि इसी दिन टेरिटोरियल आर्मी डे मनाते हैं। आजादी के बाद के सालों में धीरे-धीरे इसमें इन्फेंट्री, इंजीनियरिंग, सिग्नल जैसी यूनिट्स बनीं। सवाल 5- टेरिटोरियल आर्मी कौन और कैसे भर्ती हो सकता है?
जवाब- इसमें सेना कई चैनलों से भर्ती करती हैं। वो है- सवाल 6- टेरिटोरियल आर्मी में कब तक नौकरी कर सकते हैं?
जवाब- इसमें कम से कम 7 साल तक नौकरी कर सकते हैं। सेना की तरह इसमें पदोन्नत होकर कमीशंड भी होते हैं। ऐसे लोगों को 20 साल की फिजिकल सर्विस के बाद पेंशन भी मिलती है। जूनियर कमीशंड ऑफिसर, नॉन कमीशंड ऑफिसर, अन्य कार्मिक पद हैं। लीव एनकैशमेंट, एलटीए भी देते हैं। सवाल 7- फिलहाल टेरिटोरियल आर्मी में कितने सैनिक हैं?
जवाब- टेरिटोरियल आर्मी में फिलहाल 50 हजार जवान हैं। यह 32 इन्फैन्ट्री बटालियन, इंजीनियरिंग और दूसरे डिपार्टमेंट में बंटे हैं। इन 50 हजार जवानों में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में काम करने वाले और भारतीय रेलवे के तत्कालीन कर्मचारियों सहित रिटायर हो चुके लोग शामिल हैं। इन्हें टेरिटोरियल आर्मी के डायरेक्टर जनरल कमांड करते हैं। यह ऑफिसर इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का अधिकारी होता है। सवाल 8- टेरिटोरियल आर्मी का क्या काम होता है?
जवाब- टेरिटोरियल आर्मी का काम है कि वह सेना को युद्ध क्षेत्र पर पूरी तरह फोकस करने के लिए दूसरे कामों में मदद करें। टेरिटोरियल आर्मी के ये काम हैं- सवाल 9– क्या रिटायर्ड सैनिकों को सेना बुला सकती है?
जवाब- आर्मी रूल्स ,1954 के मुताबिक अगर जरूरत हो तो केंद्र सरकार की ओर से रिटायर्ड जवानों को सेना में दोबारा नियुक्त किया जा सकता है। हालांकि भारतीय सेना में रिटायर्ड जवानों को लेने के लिए विशेष परिस्थितियों का उत्पन्न होना जरूरी है। जैसे कि युद्ध जैसी स्थिति में रिटायर्ड सैनिक भारतीय सेना में वापस अपनी सेवाएं दे सकते हैं या फिर देश में कोई आपातकालीन स्थिति आ जाती है, तो ऐसे में भी रिटायर्ड सैनिक भारतीय सेना में वापस अपनी सेवाएं देने के लिए जा सकते हैं। ————— यह खबर भी पढ़िए:- 1971 के युद्ध में आगरा में गिरे थे 16 बम:यूपी को इस बार कितना खतरा, पाक बॉर्डर से सबसे नजदीक हैं पश्चिमी शहर 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध। आगरा एक के बाद एक बमों के हमले से दहल उठा था। पाकिस्तान ने बमवर्षक विमान मार्टिन बी-57 कैनबरा से बम गिराए थे। धिमिश्री और कीठम पर भी बम गिरे थे। धिमिश्री पर गिरे बम से 10-12 फीट गहरा गड्‌ढा हो गया था। उस समय के लोगों के जेहन में ये यादें आज भी ताजा हैं। पढ़ें पूरी खबर… रामपुर पुलिस लाइन में तैनात हेड कॉन्स्टेबल चमन सिंह ने 9 मई को SP को पत्र लिखकर पाकिस्तान बॉर्डर पर लड़ने की अनुमति मांगी। मेरठ में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया। शंकराचार्य ने कहा, वो देश के नागरिक के रूप में सेना की सेवा करने के लिए सदैव तैयार हैं। इधर, सेना केंद्र सरकार ने भी सेना को टेरिटोरियल आर्मी को सक्रिय करने का आदेश दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आम लोग सेना जॉइन कर सकते हैं, टेरिटोरियल आर्मी क्या है, इसे लेकर क्या नियम हैं, भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए- सवाल 1- आम नागरिक युद्ध में क्या शामिल हो सकता है?
जवाब– आम लोग सीधे युद्ध में शामिल नहीं हो सकते। अगर किसी आम नागरिक को सेना के साथ जुड़कर काम करना है तो टेरिटोरियल आर्मी के जरिए ही शामिल हो सकता है। इसमें जवान से लेकर अफसर तक भर्ती करने के नियम हैं। सवाल 2- टेरिटोरियल आर्मी क्या है?
जवाब- पाकिस्तान से तनाव के बीच केंद्र सरकार ने सेना को टेरिटोरियल आर्मी (प्रादेशिक सेना) को सक्रिय करने का आदेश दिया। थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी टेरिटोरियल आर्मी रूल्स 1948 के नियम 33 के तहत टेरिटोरियल आर्मी के किसी भी सैन्य अधिकारी या जवान को सेना की मदद के लिए बुला सकते हैं। टेरिटोरियल आर्मी को सेकेंड लाइन ऑफ डिफेंस भी कहते हैं। यह देश में कई बड़े ऑपरेशनों में काम कर चुकी है और युद्ध मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति के जवानों की परछाई बनकर ठीक उनके पीछे मदद के लिए तैयार रहती है। अभी इसके 50 हजार सदस्य हैं, जो 65 विभागीय यूनिट्स (जैसे रेलवे, आईओसी) और गैर विभागीय इन्फेंट्री व इंजीनियर बटालियन में हैं। इनकी ट्रेनिंग सेना की तरह ही होती है। सवाल 3- क्या पहले कभी भारत ने टेरिटोरियल आर्मी का इस्तेमाल किया है?
जवाब- साल 1962, 1965, 1971, 1999 की लड़ाई और प्राकृतिक आपदाओं में जरूरी सेवाओं को बहाल करने में टेरिटोरियल आर्मी अहम भूमिका निभा चुकी है। खास बात यह भी है कि टेरिटोरियल आर्मी को भी उनकी वीरता के लिए सम्मानित किया जाता है। आजादी के बाद से बीते 77 साल में टेरिटोरियल आर्मी को 1 कीर्ति, 5 अतिविशिष्ट सेवा मेडल, 5 वीर, 5 शौर्य चक्र, 74 सेना मेडल, 28 विशिष्ट सेवा मेडल समेत 402 पदक मिले हैं। सवाल 4- टेरिटोरियल आर्मी कब बनाई गई थी?
जवाब- टेरिटोरियल आर्मी की शुरुआत 18 अगस्त, 1948 को हुई थी। इसकी शुरुआत 11 यूनिट्स के साथ हुई थी। 9 अक्टूबर, 1949 को देश के पहले गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी ने इसका मुख्यालय शुरू किया था। यही वजह है कि इसी दिन टेरिटोरियल आर्मी डे मनाते हैं। आजादी के बाद के सालों में धीरे-धीरे इसमें इन्फेंट्री, इंजीनियरिंग, सिग्नल जैसी यूनिट्स बनीं। सवाल 5- टेरिटोरियल आर्मी कौन और कैसे भर्ती हो सकता है?
जवाब- इसमें सेना कई चैनलों से भर्ती करती हैं। वो है- सवाल 6- टेरिटोरियल आर्मी में कब तक नौकरी कर सकते हैं?
जवाब- इसमें कम से कम 7 साल तक नौकरी कर सकते हैं। सेना की तरह इसमें पदोन्नत होकर कमीशंड भी होते हैं। ऐसे लोगों को 20 साल की फिजिकल सर्विस के बाद पेंशन भी मिलती है। जूनियर कमीशंड ऑफिसर, नॉन कमीशंड ऑफिसर, अन्य कार्मिक पद हैं। लीव एनकैशमेंट, एलटीए भी देते हैं। सवाल 7- फिलहाल टेरिटोरियल आर्मी में कितने सैनिक हैं?
जवाब- टेरिटोरियल आर्मी में फिलहाल 50 हजार जवान हैं। यह 32 इन्फैन्ट्री बटालियन, इंजीनियरिंग और दूसरे डिपार्टमेंट में बंटे हैं। इन 50 हजार जवानों में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में काम करने वाले और भारतीय रेलवे के तत्कालीन कर्मचारियों सहित रिटायर हो चुके लोग शामिल हैं। इन्हें टेरिटोरियल आर्मी के डायरेक्टर जनरल कमांड करते हैं। यह ऑफिसर इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का अधिकारी होता है। सवाल 8- टेरिटोरियल आर्मी का क्या काम होता है?
जवाब- टेरिटोरियल आर्मी का काम है कि वह सेना को युद्ध क्षेत्र पर पूरी तरह फोकस करने के लिए दूसरे कामों में मदद करें। टेरिटोरियल आर्मी के ये काम हैं- सवाल 9– क्या रिटायर्ड सैनिकों को सेना बुला सकती है?
जवाब- आर्मी रूल्स ,1954 के मुताबिक अगर जरूरत हो तो केंद्र सरकार की ओर से रिटायर्ड जवानों को सेना में दोबारा नियुक्त किया जा सकता है। हालांकि भारतीय सेना में रिटायर्ड जवानों को लेने के लिए विशेष परिस्थितियों का उत्पन्न होना जरूरी है। जैसे कि युद्ध जैसी स्थिति में रिटायर्ड सैनिक भारतीय सेना में वापस अपनी सेवाएं दे सकते हैं या फिर देश में कोई आपातकालीन स्थिति आ जाती है, तो ऐसे में भी रिटायर्ड सैनिक भारतीय सेना में वापस अपनी सेवाएं देने के लिए जा सकते हैं। ————— यह खबर भी पढ़िए:- 1971 के युद्ध में आगरा में गिरे थे 16 बम:यूपी को इस बार कितना खतरा, पाक बॉर्डर से सबसे नजदीक हैं पश्चिमी शहर 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध। आगरा एक के बाद एक बमों के हमले से दहल उठा था। पाकिस्तान ने बमवर्षक विमान मार्टिन बी-57 कैनबरा से बम गिराए थे। धिमिश्री और कीठम पर भी बम गिरे थे। धिमिश्री पर गिरे बम से 10-12 फीट गहरा गड्‌ढा हो गया था। उस समय के लोगों के जेहन में ये यादें आज भी ताजा हैं। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर