पूर्व वजीर-ए-आजम इमरान खान पिछले एक साल से सलाखों के पीछे हैं। लेकिन इस्लामाबाद पुलिस ने उन पर 8 सितंबर, 2024 को हुई उस एक सार्वजनिक बैठक के लिए खिलाफत-ए-वतन (देशद्रोह) का मामला दर्ज किया है। जिसमें खान ने कभी हिस्सा ही नहीं लिया। पुलिस का इल्जाम है कि उनकी पार्टी के नेताओं ने उनके उकसावे पर राज्य संस्थाओं के खिलाफ भाषण दिए। लेकिन खान पहले पूर्व वजीर-ए-आजम नहीं हैं, जिन पर पाकिस्तान में देशद्रोह का इल्जाम लगा है। हकीकत तो यह है कि इस तरह के इल्जाम झेलने वाले वे मुल्क के 9वें पूर्व वजीर-ए-आजम हैं। बंगाली नेता हुसैन शहीद सुहरावर्दी पहले पूर्व वजीर-ए-आजम थे, जिन पर 1962 में देशद्रोह का मामला चला था। सुहरावर्दी 1956 में पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम बने थे। जनरल अयूब खान उन्हें सेना प्रमुख के तौर पर सलामी देते थे, लेकिन कुछ साल बाद ही सुहरावर्दी को जनरल अयूब खान की सैन्य सरकार ने देशद्रोह के इल्जाम के तहत गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि उन्होंने सैन्य तानाशाही को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। 1963 में सुहरावर्दी का इंतकाल हो गया। मुहम्मद अली जिन्ना की छोटी बहन मिस फातिमा जिन्ना ने 1964 में जनरल अयूब खान के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का फैसला किया। उस समय के सभी ज्ञात “देशद्रोही’ जिन्ना की बहन का समर्थन कर रहे थे। शेख मुजीब उर रहमान ढाका में उनके मुख्य मतदान एजेंट थे। जनरल अयूब खान ने दिसंबर 1964 में टाइम पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू में फातिमा जिन्ना को भारत और अमेरिका की पैरोकार बताया था। अयूब खान ने धांधली करके यह चुनाव जीत लिया था। कई विपक्षी नेताओं को देशद्रोह के इल्जाम में सलाखों के पीछे डाल दिया गया। जुल्फिकार अली भुट्टो की लोकतांत्रिक सरकार ने भी कई राजनीतिक विरोधियों को देशद्रोह के इल्जाम में गिरफ्तार किया। उन्होंने 1973 में बलूचिस्तान की निर्वाचित सरकार को बर्खास्त कर दिया और सूबे के गवर्नर मीर गौस बख्श बिजिंजू और मुख्यमंत्री सरदार अताउल्लाह मेंगल को हैदराबाद साजिश मामले में गिरफ्तार कर लिया। जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपनी पुस्तक “रूमर एंड रिएलिटी’ में दावा किया था कि सेना के जनरलों ने उन्हें अपने ही मंत्री मेराज मुहम्मद खान को देशद्रोह के इल्जाम में गिरफ्तार करने के लिए मजबूर किया। जनरल जिया ने 1977 में मार्शल लॉ लागू करने के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो का मीडिया ट्रायल शुरू करवा दिया। फौज समर्थक अखबारों ने दावा किया था कि वे देशद्रोही और हत्यारे थे, इस तथ्य के बावजूद कि उन्होंने पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम शुरू किया था। जनरल जिया की मौत के बाद 1988 में चुनाव हुए और बेनजीर भुट्टो वजीर-ए-आजम बनीं। उन्हें खुफिया एजेंसियों द्वारा सुचारू रूप से काम नहीं करने दिया गया। बेनजीर भुट्टो को पंजाब सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवाज शरीफ ने “सुरक्षा के लिए जोखिम’ करार दिया था। कुछ ही सालों के भीतर नवाज शरीफ मुल्क के वजीर-ए-आजम बन गए और फिर उनके विरोधियों ने उन्हें भी “सुरक्षा जोखिम’ घोषित कर दिया। इस तरह हुसैन शहीद सुहरावर्दी, जुल्फिकार अली भुट्टो, बेनजीर भुट्टो, नवाज शरीफ, गुलाम मुस्तफा जतोई, मलिक मिराज खालिद, यूसुफ रजा गिलानी और राजा परवेज़ अशरफ सहित कम से कम 8 प्रधानमंत्रियों पर अलग-अलग समय में देशद्रोह के इल्जाम लगे। उनके खिलाफ सभी इल्जाम सियासी थे और किसी भी अदालत में कुछ भी साबित नहीं हुआ। अब इमरान खान के खिलाफ इल्जाम लगे हैं। 2011 में मेमो गेट स्कैंडल के दौरान आसिफ अली जरदारी और अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक्कानी पर देशद्रोह के इल्जाम लगे थे। यह नवाज शरीफ ही थे, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पीपीपी सरकार के खिलाफ एक आवेदन दायर किया था। लेकिन कुछ ही सालों के भीतर जब शरीफ़ वज़ीर-ए-आज़म बन गए तो पीपीपी उन्हें ‘मोदी का यार’ घोषित कर रही थी। पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठानों और सियासतदानों ने अपनी पिछली ग़लतियों से कभी कोई सबक़ नहीं सीखा। पाकिस्तानी टीवी चैनलों और पत्रकारों ने बिना सबूत के एक-दूसरे पर विदेशी फंडिंग और देशद्रोह के इल्ज़ाम लगाए और आम जनता की नजरों में अपनी छवि खराब ही की। पीटीआई नेता इमरान खान ने दावा किया था कि नवाज शरीफ मुल्क की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। अब नवाज शरीफ भी खान के बारे में यही कहते हैं। यह असहिष्णुता चरमपंथ को बढ़ावा दे रही है, लेकिन हमारे ‘सुपर देशभक्तों’ को लगता है कि वे देशद्रोह के इल्जाम फैलाकर इस मुल्क को मजबूत बना रहे हैं। वे यह समझने में नाकामयाब रहे हैं कि इस देशद्रोह के कानून को पाकिस्तान के निर्माण से बहुत पहले औपनिवेशिक ताकतें केवल अपने फायदे के लिए अमल में लाई थीं। हमारे पुराने आकाओं ने तो इंग्लैंड में इन देशद्रोह कानूनों को कभी का निरस्त कर दिया है, लेकिन हम अभी भी इन औपनिवेशिक कानूनों का एक-दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं। हमें इन औपनिवेशिक कानूनों से छुटकारा पाना होगा। हमारी सबसे बड़ी दुश्मन तो औपनिवेशिक मानसिकता है। ये कॉलम भी पढ़ें… कॉमेडी फिल्मों से हंसना चाहते हैं दोनों तरफ के लोग!:भारत-पाकिस्तान एक साथ हंसेंगे तो पूरा दक्षिण एशिया हंसेगा पूर्व वजीर-ए-आजम इमरान खान पिछले एक साल से सलाखों के पीछे हैं। लेकिन इस्लामाबाद पुलिस ने उन पर 8 सितंबर, 2024 को हुई उस एक सार्वजनिक बैठक के लिए खिलाफत-ए-वतन (देशद्रोह) का मामला दर्ज किया है। जिसमें खान ने कभी हिस्सा ही नहीं लिया। पुलिस का इल्जाम है कि उनकी पार्टी के नेताओं ने उनके उकसावे पर राज्य संस्थाओं के खिलाफ भाषण दिए। लेकिन खान पहले पूर्व वजीर-ए-आजम नहीं हैं, जिन पर पाकिस्तान में देशद्रोह का इल्जाम लगा है। हकीकत तो यह है कि इस तरह के इल्जाम झेलने वाले वे मुल्क के 9वें पूर्व वजीर-ए-आजम हैं। बंगाली नेता हुसैन शहीद सुहरावर्दी पहले पूर्व वजीर-ए-आजम थे, जिन पर 1962 में देशद्रोह का मामला चला था। सुहरावर्दी 1956 में पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम बने थे। जनरल अयूब खान उन्हें सेना प्रमुख के तौर पर सलामी देते थे, लेकिन कुछ साल बाद ही सुहरावर्दी को जनरल अयूब खान की सैन्य सरकार ने देशद्रोह के इल्जाम के तहत गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि उन्होंने सैन्य तानाशाही को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। 1963 में सुहरावर्दी का इंतकाल हो गया। मुहम्मद अली जिन्ना की छोटी बहन मिस फातिमा जिन्ना ने 1964 में जनरल अयूब खान के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का फैसला किया। उस समय के सभी ज्ञात “देशद्रोही’ जिन्ना की बहन का समर्थन कर रहे थे। शेख मुजीब उर रहमान ढाका में उनके मुख्य मतदान एजेंट थे। जनरल अयूब खान ने दिसंबर 1964 में टाइम पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू में फातिमा जिन्ना को भारत और अमेरिका की पैरोकार बताया था। अयूब खान ने धांधली करके यह चुनाव जीत लिया था। कई विपक्षी नेताओं को देशद्रोह के इल्जाम में सलाखों के पीछे डाल दिया गया। जुल्फिकार अली भुट्टो की लोकतांत्रिक सरकार ने भी कई राजनीतिक विरोधियों को देशद्रोह के इल्जाम में गिरफ्तार किया। उन्होंने 1973 में बलूचिस्तान की निर्वाचित सरकार को बर्खास्त कर दिया और सूबे के गवर्नर मीर गौस बख्श बिजिंजू और मुख्यमंत्री सरदार अताउल्लाह मेंगल को हैदराबाद साजिश मामले में गिरफ्तार कर लिया। जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपनी पुस्तक “रूमर एंड रिएलिटी’ में दावा किया था कि सेना के जनरलों ने उन्हें अपने ही मंत्री मेराज मुहम्मद खान को देशद्रोह के इल्जाम में गिरफ्तार करने के लिए मजबूर किया। जनरल जिया ने 1977 में मार्शल लॉ लागू करने के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो का मीडिया ट्रायल शुरू करवा दिया। फौज समर्थक अखबारों ने दावा किया था कि वे देशद्रोही और हत्यारे थे, इस तथ्य के बावजूद कि उन्होंने पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम शुरू किया था। जनरल जिया की मौत के बाद 1988 में चुनाव हुए और बेनजीर भुट्टो वजीर-ए-आजम बनीं। उन्हें खुफिया एजेंसियों द्वारा सुचारू रूप से काम नहीं करने दिया गया। बेनजीर भुट्टो को पंजाब सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवाज शरीफ ने “सुरक्षा के लिए जोखिम’ करार दिया था। कुछ ही सालों के भीतर नवाज शरीफ मुल्क के वजीर-ए-आजम बन गए और फिर उनके विरोधियों ने उन्हें भी “सुरक्षा जोखिम’ घोषित कर दिया। इस तरह हुसैन शहीद सुहरावर्दी, जुल्फिकार अली भुट्टो, बेनजीर भुट्टो, नवाज शरीफ, गुलाम मुस्तफा जतोई, मलिक मिराज खालिद, यूसुफ रजा गिलानी और राजा परवेज़ अशरफ सहित कम से कम 8 प्रधानमंत्रियों पर अलग-अलग समय में देशद्रोह के इल्जाम लगे। उनके खिलाफ सभी इल्जाम सियासी थे और किसी भी अदालत में कुछ भी साबित नहीं हुआ। अब इमरान खान के खिलाफ इल्जाम लगे हैं। 2011 में मेमो गेट स्कैंडल के दौरान आसिफ अली जरदारी और अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक्कानी पर देशद्रोह के इल्जाम लगे थे। यह नवाज शरीफ ही थे, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पीपीपी सरकार के खिलाफ एक आवेदन दायर किया था। लेकिन कुछ ही सालों के भीतर जब शरीफ़ वज़ीर-ए-आज़म बन गए तो पीपीपी उन्हें ‘मोदी का यार’ घोषित कर रही थी। पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठानों और सियासतदानों ने अपनी पिछली ग़लतियों से कभी कोई सबक़ नहीं सीखा। पाकिस्तानी टीवी चैनलों और पत्रकारों ने बिना सबूत के एक-दूसरे पर विदेशी फंडिंग और देशद्रोह के इल्ज़ाम लगाए और आम जनता की नजरों में अपनी छवि खराब ही की। पीटीआई नेता इमरान खान ने दावा किया था कि नवाज शरीफ मुल्क की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। अब नवाज शरीफ भी खान के बारे में यही कहते हैं। यह असहिष्णुता चरमपंथ को बढ़ावा दे रही है, लेकिन हमारे ‘सुपर देशभक्तों’ को लगता है कि वे देशद्रोह के इल्जाम फैलाकर इस मुल्क को मजबूत बना रहे हैं। वे यह समझने में नाकामयाब रहे हैं कि इस देशद्रोह के कानून को पाकिस्तान के निर्माण से बहुत पहले औपनिवेशिक ताकतें केवल अपने फायदे के लिए अमल में लाई थीं। हमारे पुराने आकाओं ने तो इंग्लैंड में इन देशद्रोह कानूनों को कभी का निरस्त कर दिया है, लेकिन हम अभी भी इन औपनिवेशिक कानूनों का एक-दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं। हमें इन औपनिवेशिक कानूनों से छुटकारा पाना होगा। हमारी सबसे बड़ी दुश्मन तो औपनिवेशिक मानसिकता है। ये कॉलम भी पढ़ें… कॉमेडी फिल्मों से हंसना चाहते हैं दोनों तरफ के लोग!:भारत-पाकिस्तान एक साथ हंसेंगे तो पूरा दक्षिण एशिया हंसेगा उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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Noida: गौतमबुद्धनगर पुलिस की चेतावनी! वाहन चलाते पकड़े गए नाबालिग तो भरना पड़ेगा 25 हजार का जुर्माना
Noida: गौतमबुद्धनगर पुलिस की चेतावनी! वाहन चलाते पकड़े गए नाबालिग तो भरना पड़ेगा 25 हजार का जुर्माना <p style=”text-align: justify;”><strong>Traffic Advisory Noida:</strong> गौतमबुद्धनगर पुलिस आयुक्तालय ने 18 वर्ष से कम उम्र के युवाओं के लिए दोपहिया और चार पहिया वाहन चलाने के संबंध में उनके माता-पिता को कड़ी चेतावनी जारी की है. पुलिस ने इस मामले में बयान जारी कर अभिभावकों को आगाह किया है कि नियमों का उल्लंघन करने पर 25 हजार रुपये तक जुर्माने का भुगतान करना पड़ सकता है. इससे बचने के लिए अभिभावकों को सलाह है कि वो अपने बच्चों को गैर कानूनी तरीके से वाहन चलाने से रोकें. </p>
<p style=”text-align: justify;”>गौतमबुद्धनगर पुलिस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कम उम्र के वाहन चालकों के माता-पिता या अभिभावकों के खिलाफ संभावित कानूनी कार्रवाई, 12 महीने के लिए वाहन पंजीकरण रद्द करने और 25 साल की उम्र तक नाबालिग को लाइसेंस नहीं देने की चेतावनी दी है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सड़क सुरक्षा नियमों का पालन जरूरी </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>नोएडा, ग्रेटर नोएडा और देश के अन्य हिस्सों में लापरवाही से वाहन चलाने को लेकर नाबालिगों से जुड़ी कई घटनाओं के मद्देनजर गौतमबुद्धनगर पुलिस ने सख्ती बरतने का फैसला लिया है. पुलिस के मुताबिक यह कदम सड़क सुरक्षा और यातायात कानूनों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक अभियान का हिस्सा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नाबालिगों के लिए कोई भी वाहन चलाना गैर कानूनी </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दो दिन पहले एक आधिकारिक बयान में नोएडा पुलिस ने जोर देकर कहा कि नाबालिगों के लिए कोई भी वाहन चलाना अनुचित और अवैध है. किसी भी माता-पिता को किसी भी परिस्थिति में अपने कम उम्र के बच्चों को दोपहिया या चार पहिया वाहन चलाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए. </p>
<p><strong>क्या कहता है कानून?</strong></p>
<p>गौतमबुद्धनगर पुलिस ने साफ कर दिया है कि मोटरवाहन यान अधिनियम की धारा 199 (क) के अनुसार नाबालिगों के वाहन चलाने पर कार्रवाई की जाएगी. 18 साल से कम आयु वाले बच्चों द्वारा वाहन चलाने पर सजा और जुर्माने के मुताबिक अभिभावक और वाहन स्वामी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 125 के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज हो सकता है. 25 हजार रुपये तक जुर्माना किया जाएगा. 12 माह के लिए वाहन का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा. अपराध करने वाले बच्चे को 25 वर्ष तक ड्राइविंग लाइसेंस जारी के लिए अपात्र माना जाएगा. </p>
<p><strong><a title=”Delhi Rains: दिल्ली के इन इलाकों में सुबह-सुबह हुई बारिश, जानें- अगले पांच दिनों तक कैसा रहेगा मौसम?” href=”https://www.abplive.com/photo-gallery/states/delhi-ncr-delhi-rained-early-in-morning-today-imd-alert-light-rain-and-humidity-2734645″ target=”_blank” rel=”noopener”>Delhi Rains: दिल्ली के इन इलाकों में सुबह-सुबह हुई बारिश, जानें- अगले पांच दिनों तक कैसा रहेगा मौसम?</a></strong></p>
बिहार में और लुढ़केगा पारा, 12 जिलों में आज घना कुहासा, कड़ाके की ठंड पर IMD का अलर्ट जारी
बिहार में और लुढ़केगा पारा, 12 जिलों में आज घना कुहासा, कड़ाके की ठंड पर IMD का अलर्ट जारी <p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar Weather News: </strong><span style=”font-weight: 400;”>बिहार में चार दिनों के बाद मौसम में बदलाव के संकेत हैं. कुछ जगहों पर वर्षा तो कई जिलों में शीतलहर के साथ कड़ाके की ठंड का पूर्वानुमान है. राज्य के कई जिलों में न्यूनतम तापमान लुढ़क चुका है. आज (मंगलवार) पूर्वी इलाकों में घने कुहासे की चेतावनी दी गई है. एक सप्ताह से राज्य के तापमान में एक से दो डिग्री का उतार-चढ़ाव हो रहा था. ऐसी संभावना है कि बहुत अधिक नहीं लेकिन 28 दिसंबर से ठंड में काफी वृद्धि हो जाएगी. </span></p>
<p style=”text-align: justify;”><span style=”font-weight: 400;”>सोमवार को पटना मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 घंटे में तापमान में कोई विशेष बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन 1.1 डिग्री तापमान गिरा है. बीते रविवार की रिपोर्ट के अनुसार रोहतास और समस्तीपुर में सबसे कम न्यूनतम तापमान 8.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था जबकि सोमवार की रिपोर्ट में सबसे कम तापमान समस्तीपुर में 7.4 डिग्री रहा. पटना में 0.2 डिग्री की गिरावट के साथ न्यूनतम तापमान 12.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है.</span></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>23.9 डिग्री रहा राजधानी पटना का अधिकतम तापमान</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><span style=”font-weight: 400;”>अधिकतम तापमान भी कुछ कम हुआ है. रविवार को सबसे अधिक फारबिसगंज में 29.02 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था तो सोमवार को सबसे अधिक सीतामढ़ी में 28.5 डिग्री पारा दर्ज किया गया है. एक डिग्री की गिरावट के साथ पटना का अधिकतम तापमान 23.9 डिग्री सेल्सियस रहा. सोमवार को राज्य का अधिकतम औसत तापमान 24 डिग्री के करीब रहा तो वहीं न्यूनतम तापमान 9 से 10 डिग्री के आसपास रहा.</span></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जमुई समेत इन जिलों में आज घने कोहरे की चेतावनी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><span style=”font-weight: 400;”>मौसम विभाग का कहना है कि आज (मंगलवार) राज्य के तापमान में कोई विशेष बदलाव की संभावना नहीं है, लेकिन अधिकतम और न्यूनतम तापमान में 1 से 2 डिग्री की गिरावट हो सकती है. आज राज्य के पूर्वी इलाकों के 12 जिलों में सुबह के समय घना कुहासा छाया रहेगा. इन 12 जिलों में बांका, जमुई, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, अररिया, सुपौल, मधेपुरा और सहरसा शामिल हैं.</span></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कहीं हल्की तो कहीं मध्यम वर्षा का अलर्ट</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><span style=”font-weight: 400;”>मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार 27 दिसंबर से एक मजबूत पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय रूप पश्चिमी हिमालय एवं आसपास के मैदानी क्षेत्र को प्रभावित करेगा. इससे बिहार में शीतलहर बढ़ने की संभावना है. 28 और 29 दिसंबर को रोहतास, कैमूर, बक्सर, औरंगाबाद, भोजपुर और अरवल में हल्की या मध्यम स्तर की वर्षा हो सकती है. कहीं-कहीं बूंदाबांदी वर्षा का भी पूर्वानुमान है.</span></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें- <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/patna-university-will-get-amount-of-rs-100-crore-from-central-government-under-pm-usha-yojana-2848603″>Bihar News: नए साल से पहले पटना विश्विद्यालय को केंद्र सरकार से बड़ी सौगात, मिलेगी 100 करोड़ रुपये की राशि</a><br /></strong></p>
झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो के फैसले ने चढ़ाया सियासी पारा, किया ये बड़ा ऐलान
झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो के फैसले ने चढ़ाया सियासी पारा, किया ये बड़ा ऐलान <p style=”text-align: justify;”><strong>Jharkhand Assembly Elections 2024:</strong> झारखंड विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच एक बड़ा बयान सामने आया है, जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. गुरुवार (5 सितंबर) को झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने घोषणा करते हुए विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा कि वह आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, वह पहले की तरह पार्टी की सेवा में रहेंगे. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस दौरान उन्होंने कहा कि वह पार्टी के उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाएंगे. उन्होंने यह घोषणा विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कांग्रेस के जिला अध्यक्षों और कार्यकारी अध्यक्षों की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए की. उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा मिले निर्देशों के आलोक में यह बैठक बुलाई गई थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, ”यह एक सतत प्रक्रिया है. इस बैठक में जिला अध्यक्षों से सभी बिंदुओं पर फीडबैक लिया गया. जिलाध्यक्षों का संवाद कार्यक्रम जारी है, जिसमें अब तक 9 जिलों में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा चुका है. अगला कार्यक्रम सिमडेगा जिले में होगा, जिसके लिए नवनियुक्त सह प्रभारी शुक्रवार को आ रहे हैं.”उन्होंने बताया कि शुक्रवार शाम 7 बजे पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की मीटिंग होगी, जिसमें चुनावी रणनीति पर चर्चा की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गठबंधन के तहत सीटों के बंटवारे के फार्मूले पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से कांग्रेस इस बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि गठबंधन के तहत विनिंग फॉर्मूला लागू किया जाएगा, यानी जहां जो पार्टी या संगठन ज्यादा मजबूत है, वहां उसकी दावेदारी होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर गुरुवार को रांची में प्रदेश अध्यक्ष ने सभी जिलाध्यक्षों को बैठक के लिए बुलाया था. करीब चार घंटे तक चली इस बैठक में विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर मंथन हुआ. झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान जल्द होने वाला है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इसी साल के अंत तक झारखंड में विधानसभा का चुनाव कराया जाएगा. झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को समाप्त होने वाला है. झारखंड में पिछला विधानसभा चुनाव दिसंबर 2019 में हुआ था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें:</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”CM हेमंत सोरेन का बड़ा दावा, ‘इस साल विधानसभा चुनाव के बाद BJP हमेशा के लिए…'” href=”https://www.abplive.com/states/jharkhand/hemant-soren-claims-after-jharkhand-assembly-elections-bjp-will-be-out-of-state-forever-2777160″ target=”_self”>CM हेमंत सोरेन का बड़ा दावा, ‘इस साल विधानसभा चुनाव के बाद BJP हमेशा के लिए…'</a></strong></p>