पूर्व वजीर-ए-आजम इमरान खान पिछले एक साल से सलाखों के पीछे हैं। लेकिन इस्लामाबाद पुलिस ने उन पर 8 सितंबर, 2024 को हुई उस एक सार्वजनिक बैठक के लिए खिलाफत-ए-वतन (देशद्रोह) का मामला दर्ज किया है। जिसमें खान ने कभी हिस्सा ही नहीं लिया। पुलिस का इल्जाम है कि उनकी पार्टी के नेताओं ने उनके उकसावे पर राज्य संस्थाओं के खिलाफ भाषण दिए। लेकिन खान पहले पूर्व वजीर-ए-आजम नहीं हैं, जिन पर पाकिस्तान में देशद्रोह का इल्जाम लगा है। हकीकत तो यह है कि इस तरह के इल्जाम झेलने वाले वे मुल्क के 9वें पूर्व वजीर-ए-आजम हैं। बंगाली नेता हुसैन शहीद सुहरावर्दी पहले पूर्व वजीर-ए-आजम थे, जिन पर 1962 में देशद्रोह का मामला चला था। सुहरावर्दी 1956 में पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम बने थे। जनरल अयूब खान उन्हें सेना प्रमुख के तौर पर सलामी देते थे, लेकिन कुछ साल बाद ही सुहरावर्दी को जनरल अयूब खान की सैन्य सरकार ने देशद्रोह के इल्जाम के तहत गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि उन्होंने सैन्य तानाशाही को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। 1963 में सुहरावर्दी का इंतकाल हो गया। मुहम्मद अली जिन्ना की छोटी बहन मिस फातिमा जिन्ना ने 1964 में जनरल अयूब खान के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का फैसला किया। उस समय के सभी ज्ञात “देशद्रोही’ जिन्ना की बहन का समर्थन कर रहे थे। शेख मुजीब उर रहमान ढाका में उनके मुख्य मतदान एजेंट थे। जनरल अयूब खान ने दिसंबर 1964 में टाइम पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू में फातिमा जिन्ना को भारत और अमेरिका की पैरोकार बताया था। अयूब खान ने धांधली करके यह चुनाव जीत लिया था। कई विपक्षी नेताओं को देशद्रोह के इल्जाम में सलाखों के पीछे डाल दिया गया। जुल्फिकार अली भुट्टो की लोकतांत्रिक सरकार ने भी कई राजनीतिक विरोधियों को देशद्रोह के इल्जाम में गिरफ्तार किया। उन्होंने 1973 में बलूचिस्तान की निर्वाचित सरकार को बर्खास्त कर दिया और सूबे के गवर्नर मीर गौस बख्श बिजिंजू और मुख्यमंत्री सरदार अताउल्लाह मेंगल को हैदराबाद साजिश मामले में गिरफ्तार कर लिया। जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपनी पुस्तक “रूमर एंड रिएलिटी’ में दावा किया था कि सेना के जनरलों ने उन्हें अपने ही मंत्री मेराज मुहम्मद खान को देशद्रोह के इल्जाम में गिरफ्तार करने के लिए मजबूर किया। जनरल जिया ने 1977 में मार्शल लॉ लागू करने के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो का मीडिया ट्रायल शुरू करवा दिया। फौज समर्थक अखबारों ने दावा किया था कि वे देशद्रोही और हत्यारे थे, इस तथ्य के बावजूद कि उन्होंने पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम शुरू किया था। जनरल जिया की मौत के बाद 1988 में चुनाव हुए और बेनजीर भुट्टो वजीर-ए-आजम बनीं। उन्हें खुफिया एजेंसियों द्वारा सुचारू रूप से काम नहीं करने दिया गया। बेनजीर भुट्टो को पंजाब सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवाज शरीफ ने “सुरक्षा के लिए जोखिम’ करार दिया था। कुछ ही सालों के भीतर नवाज शरीफ मुल्क के वजीर-ए-आजम बन गए और फिर उनके विरोधियों ने उन्हें भी “सुरक्षा जोखिम’ घोषित कर दिया। इस तरह हुसैन शहीद सुहरावर्दी, जुल्फिकार अली भुट्टो, बेनजीर भुट्टो, नवाज शरीफ, गुलाम मुस्तफा जतोई, मलिक मिराज खालिद, यूसुफ रजा गिलानी और राजा परवेज़ अशरफ सहित कम से कम 8 प्रधानमंत्रियों पर अलग-अलग समय में देशद्रोह के इल्जाम लगे। उनके खिलाफ सभी इल्जाम सियासी थे और किसी भी अदालत में कुछ भी साबित नहीं हुआ। अब इमरान खान के खिलाफ इल्जाम लगे हैं। 2011 में मेमो गेट स्कैंडल के दौरान आसिफ अली जरदारी और अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक्कानी पर देशद्रोह के इल्जाम लगे थे। यह नवाज शरीफ ही थे, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पीपीपी सरकार के खिलाफ एक आवेदन दायर किया था। लेकिन कुछ ही सालों के भीतर जब शरीफ़ वज़ीर-ए-आज़म बन गए तो पीपीपी उन्हें ‘मोदी का यार’ घोषित कर रही थी। पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठानों और सियासतदानों ने अपनी पिछली ग़लतियों से कभी कोई सबक़ नहीं सीखा। पाकिस्तानी टीवी चैनलों और पत्रकारों ने बिना सबूत के एक-दूसरे पर विदेशी फंडिंग और देशद्रोह के इल्ज़ाम लगाए और आम जनता की नजरों में अपनी छवि खराब ही की। पीटीआई नेता इमरान खान ने दावा किया था कि नवाज शरीफ मुल्क की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। अब नवाज शरीफ भी खान के बारे में यही कहते हैं। यह असहिष्णुता चरमपंथ को बढ़ावा दे रही है, लेकिन हमारे ‘सुपर देशभक्तों’ को लगता है कि वे देशद्रोह के इल्जाम फैलाकर इस मुल्क को मजबूत बना रहे हैं। वे यह समझने में नाकामयाब रहे हैं कि इस देशद्रोह के कानून को पाकिस्तान के निर्माण से बहुत पहले औपनिवेशिक ताकतें केवल अपने फायदे के लिए अमल में लाई थीं। हमारे पुराने आकाओं ने तो इंग्लैंड में इन देशद्रोह कानूनों को कभी का निरस्त कर दिया है, लेकिन हम अभी भी इन औपनिवेशिक कानूनों का एक-दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं। हमें इन औपनिवेशिक कानूनों से छुटकारा पाना होगा। हमारी सबसे बड़ी दुश्मन तो औपनिवेशिक मानसिकता है। ये कॉलम भी पढ़ें… कॉमेडी फिल्मों से हंसना चाहते हैं दोनों तरफ के लोग!:भारत-पाकिस्तान एक साथ हंसेंगे तो पूरा दक्षिण एशिया हंसेगा पूर्व वजीर-ए-आजम इमरान खान पिछले एक साल से सलाखों के पीछे हैं। लेकिन इस्लामाबाद पुलिस ने उन पर 8 सितंबर, 2024 को हुई उस एक सार्वजनिक बैठक के लिए खिलाफत-ए-वतन (देशद्रोह) का मामला दर्ज किया है। जिसमें खान ने कभी हिस्सा ही नहीं लिया। पुलिस का इल्जाम है कि उनकी पार्टी के नेताओं ने उनके उकसावे पर राज्य संस्थाओं के खिलाफ भाषण दिए। लेकिन खान पहले पूर्व वजीर-ए-आजम नहीं हैं, जिन पर पाकिस्तान में देशद्रोह का इल्जाम लगा है। हकीकत तो यह है कि इस तरह के इल्जाम झेलने वाले वे मुल्क के 9वें पूर्व वजीर-ए-आजम हैं। बंगाली नेता हुसैन शहीद सुहरावर्दी पहले पूर्व वजीर-ए-आजम थे, जिन पर 1962 में देशद्रोह का मामला चला था। सुहरावर्दी 1956 में पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम बने थे। जनरल अयूब खान उन्हें सेना प्रमुख के तौर पर सलामी देते थे, लेकिन कुछ साल बाद ही सुहरावर्दी को जनरल अयूब खान की सैन्य सरकार ने देशद्रोह के इल्जाम के तहत गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि उन्होंने सैन्य तानाशाही को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। 1963 में सुहरावर्दी का इंतकाल हो गया। मुहम्मद अली जिन्ना की छोटी बहन मिस फातिमा जिन्ना ने 1964 में जनरल अयूब खान के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का फैसला किया। उस समय के सभी ज्ञात “देशद्रोही’ जिन्ना की बहन का समर्थन कर रहे थे। शेख मुजीब उर रहमान ढाका में उनके मुख्य मतदान एजेंट थे। जनरल अयूब खान ने दिसंबर 1964 में टाइम पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू में फातिमा जिन्ना को भारत और अमेरिका की पैरोकार बताया था। अयूब खान ने धांधली करके यह चुनाव जीत लिया था। कई विपक्षी नेताओं को देशद्रोह के इल्जाम में सलाखों के पीछे डाल दिया गया। जुल्फिकार अली भुट्टो की लोकतांत्रिक सरकार ने भी कई राजनीतिक विरोधियों को देशद्रोह के इल्जाम में गिरफ्तार किया। उन्होंने 1973 में बलूचिस्तान की निर्वाचित सरकार को बर्खास्त कर दिया और सूबे के गवर्नर मीर गौस बख्श बिजिंजू और मुख्यमंत्री सरदार अताउल्लाह मेंगल को हैदराबाद साजिश मामले में गिरफ्तार कर लिया। जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपनी पुस्तक “रूमर एंड रिएलिटी’ में दावा किया था कि सेना के जनरलों ने उन्हें अपने ही मंत्री मेराज मुहम्मद खान को देशद्रोह के इल्जाम में गिरफ्तार करने के लिए मजबूर किया। जनरल जिया ने 1977 में मार्शल लॉ लागू करने के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो का मीडिया ट्रायल शुरू करवा दिया। फौज समर्थक अखबारों ने दावा किया था कि वे देशद्रोही और हत्यारे थे, इस तथ्य के बावजूद कि उन्होंने पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम शुरू किया था। जनरल जिया की मौत के बाद 1988 में चुनाव हुए और बेनजीर भुट्टो वजीर-ए-आजम बनीं। उन्हें खुफिया एजेंसियों द्वारा सुचारू रूप से काम नहीं करने दिया गया। बेनजीर भुट्टो को पंजाब सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवाज शरीफ ने “सुरक्षा के लिए जोखिम’ करार दिया था। कुछ ही सालों के भीतर नवाज शरीफ मुल्क के वजीर-ए-आजम बन गए और फिर उनके विरोधियों ने उन्हें भी “सुरक्षा जोखिम’ घोषित कर दिया। इस तरह हुसैन शहीद सुहरावर्दी, जुल्फिकार अली भुट्टो, बेनजीर भुट्टो, नवाज शरीफ, गुलाम मुस्तफा जतोई, मलिक मिराज खालिद, यूसुफ रजा गिलानी और राजा परवेज़ अशरफ सहित कम से कम 8 प्रधानमंत्रियों पर अलग-अलग समय में देशद्रोह के इल्जाम लगे। उनके खिलाफ सभी इल्जाम सियासी थे और किसी भी अदालत में कुछ भी साबित नहीं हुआ। अब इमरान खान के खिलाफ इल्जाम लगे हैं। 2011 में मेमो गेट स्कैंडल के दौरान आसिफ अली जरदारी और अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक्कानी पर देशद्रोह के इल्जाम लगे थे। यह नवाज शरीफ ही थे, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पीपीपी सरकार के खिलाफ एक आवेदन दायर किया था। लेकिन कुछ ही सालों के भीतर जब शरीफ़ वज़ीर-ए-आज़म बन गए तो पीपीपी उन्हें ‘मोदी का यार’ घोषित कर रही थी। पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठानों और सियासतदानों ने अपनी पिछली ग़लतियों से कभी कोई सबक़ नहीं सीखा। पाकिस्तानी टीवी चैनलों और पत्रकारों ने बिना सबूत के एक-दूसरे पर विदेशी फंडिंग और देशद्रोह के इल्ज़ाम लगाए और आम जनता की नजरों में अपनी छवि खराब ही की। पीटीआई नेता इमरान खान ने दावा किया था कि नवाज शरीफ मुल्क की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। अब नवाज शरीफ भी खान के बारे में यही कहते हैं। यह असहिष्णुता चरमपंथ को बढ़ावा दे रही है, लेकिन हमारे ‘सुपर देशभक्तों’ को लगता है कि वे देशद्रोह के इल्जाम फैलाकर इस मुल्क को मजबूत बना रहे हैं। वे यह समझने में नाकामयाब रहे हैं कि इस देशद्रोह के कानून को पाकिस्तान के निर्माण से बहुत पहले औपनिवेशिक ताकतें केवल अपने फायदे के लिए अमल में लाई थीं। हमारे पुराने आकाओं ने तो इंग्लैंड में इन देशद्रोह कानूनों को कभी का निरस्त कर दिया है, लेकिन हम अभी भी इन औपनिवेशिक कानूनों का एक-दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं। हमें इन औपनिवेशिक कानूनों से छुटकारा पाना होगा। हमारी सबसे बड़ी दुश्मन तो औपनिवेशिक मानसिकता है। ये कॉलम भी पढ़ें… कॉमेडी फिल्मों से हंसना चाहते हैं दोनों तरफ के लोग!:भारत-पाकिस्तान एक साथ हंसेंगे तो पूरा दक्षिण एशिया हंसेगा उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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नोएडा-गाजियाबाद में सुबह से झमाझम बारिश, इन जिलों में भी जारी की गई चेतावनी, जानें- मौसम अपडेट
नोएडा-गाजियाबाद में सुबह से झमाझम बारिश, इन जिलों में भी जारी की गई चेतावनी, जानें- मौसम अपडेट <p style=”text-align: justify;”><strong>UP Rain Alert:</strong> उत्तर प्रदेश में सावन का महीना आते हैं मानसून एक्टिव हो गया है. पश्चिमी यूपी के कई इलाकों में पिछले तीन दिनों से जमकर बारिश देखने को मिल रही है. इस हफ्ते बारिश का ये सिलसिला जारी रहेगा. हालांकि पूर्वी यूपी के लोग अब भी गर्मी और उमस से परेशान हैं. राजधानी लखनऊ समेत कई ऐसे इलाके हैं जहां लोग को उमस भरी चिपचिपी गर्मी से राहत नहीं मिल पा रही है. लोग अब भी झमाझम बारिश का इंतजार कर रहे हैं. पूर्वी यूपी में कुछेक जगहों पर हल्की-फुल्की बारिश ही हो रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>पिछले 24 घटों में दिल्ली से सटे नोएडा, गाजियाबाद, मथुरा और आगरा समेत कई जनपदों में झमाझम बारिश देखने को मिली. आज सुबह से भी इन इलाकों में बारिश का सिलसिला जारी है. जिसकी वजह से कुछ जगहों पर जलजमाव भी हो गया है. आज प्रदेश के ज़्यादा हिस्सों में बारिश का अनुमान जताया गया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>मौसम विभाग के मुताबिक आज अनेक जगहों पर गरज के बारिश की बौछारें पड़ने की संभावना हैं. इस दौरान प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है. जबकि पूर्वी यूपी में कुछ स्थानों पर गरम और उमस की स्थिति रह सकती है. बारिश का सिलसिला 26 और 27 जुलाई को भी जारी रहेगा. पश्चिमी यूपी के अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश की चेतावनी है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>28 से 30 जुलाई तर पश्चिमी यूपी के कुछ स्थानों बारिश हो सकती हैं वहीं पूर्वी यूपी के अलग-अलग स्थानों पर गरज के साथ बारिश की संभावना जताई गई हैं. इस दौरान अगले पांच दिनों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होने की संभावना है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इन जिलों में होगी भारी बारिश</strong><br />यूपी में आज गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, हापुड़, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, एटा, मैनपुरी, फ़र्रुख़ाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया, जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, कानपुर देहात, हरदोई, उन्नाव, लखनऊ, रायबरेली, फतेहपुर, बाँदा, चित्रकूट, कौशांबी, अमेठी, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, जौनपुर, इलाहाबाद, मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली और सोनभद्र में कई जगहों पर भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा सहारनपुर, बागपत, बिजनौर, मुरादाबाद, बुलंदशहर, संभल, मेरठ, रामपुर, बरेली, बदायूँ, पीलीभीत, शाहजहांपुर, सीतापुर, लखीमपुरखीरी, बहराइच, बाराबंकी, श्रावस्ती, गोंडा, अयोध्या, सिद्धार्थनगर, बस्ती, अंबेडकरनगर, आज़मगढ़, गोरखपुर, संत कबीरनगर, महाराजगंज, गाजीपुर, गोंडा, बलिया, मऊ, देवरिया और कुशीनगर नगर में कुछ स्थानों पर बारिश होने की संभावना बनी हुई है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-outsourcing-job-recruitment-and-reservation-data-released-by-information-department-2745270″>योगी सरकार ने दिया केशव प्रसाद मौर्य की चिट्ठी का जवाब, सामने आया आरक्षण पर बड़ा सच</a></strong><br /><br /></p>
वेस्ट यूपी को अलग राज्य बनाने को लेकर गरमाई सियासत:संजीव बालियान और सपा विधायक शाहिद मंजूर आमने-सामने
वेस्ट यूपी को अलग राज्य बनाने को लेकर गरमाई सियासत:संजीव बालियान और सपा विधायक शाहिद मंजूर आमने-सामने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। हरियाणा चुनाव के दरम्यान वेस्ट यूपी को उत्तर प्रदेश से अलग करने का मुद्दा गरमा रहा है। वहीं इस मुद्दे पर भाजपा और सपा के दो नेता आमने-सामने हैं। भाजपा से मुजफ्फरनगर के पूर्व सांसद रहे डॉ. संजीव बालियान ने मेरठ में दो दिन पहले हुए एक आयोजन में पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग उठाई है। वहीं सपा सरकार में मंत्री रहे वर्तमान में सपा से किठौर विधायक शाहिद मंजूर का कहना है कि ये मांग तो बरसों पुरानी है। अब तक तो पश्चिमी यूपी अलग राज्य बन जाना चाहिए था। आम नागरिक के तौर पर चाहता हूं वेस्ट यूपी अलग राज्य बने
मेरठ में पश्चिमी प्रदेश निर्माण मोर्चा की बैठक के दौरान पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान ने कहा- 35 सालों से मांग चली आ रही है। बहन मायावती ने कई बार पश्श्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने के लिए पत्र भी लिखा। वो केंद्र सरकारों के पास भी गया लेकिन मांग पूरी नहीं हुई। कहा- वेस्ट यूपी अलग राज्य बने ये मांग नहीं जरूरत है। बात पूरब- पश्चिम की नहीं है बल्कि जनसुविधाओं और जन विकास की है। इसमें पूरब पश्चिम और जाति धर्म की लड़ाई न हो बल्कि बैठकर बात की जाए और इस मांग को पूरा किया जाए। मैं सरकार तक इस बात को पहुंचाऊंगा। सरकार से इस मांग का समर्थन करता हूं। यूपी के भविष्य के लिए यूपी का डिवीजन जरूरी है। मैं सरकार का नुमाइंदा नहीं बल्कि एक आम नागरिक के तौर पर चाहता हूं कि वेस्ट यूपी अलग राज्य बने। सपा विधायक बोले- सरकार में मंत्री रहे बालियान तभी मांग हो जानी चाहिए थी पूरी पूर्व मंत्री और मेरठ-किठौर सीट से सपा विधायक शाहिद मंजूर ने कहा- पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग बहुत पुरानी है। 1986 में भी इस पर आंदोलन हुआ। दिल्ली के पूर्व सीएम चौधरी ब्रह्मप्रकाश मेरठ आए थे। गर्वनर रहे वीरेंद्र सिंह भी इसके समर्थन थे। हम भी इसके समर्थन में हैं। हाईकोर्ट बेंच की जो मांग सालों से चली आ रही है अगर वेस्ट यूपी अलग राज्य बना तो ये मांग पूरी होगी। उन्होंने कहा- पश्चिमी यूपी अलग राज्य बने जरूरी है। सरकार को इस पर फैसला लेना है। संजीव बालियान तो अपनी सरकार में मंत्री रहे हैं तब यह मांग पूरी हो जानी चाहिए थी। शाहिद मंजूर ने कहा-पूर्वांचल भारी पड़ रहा
शाहिद मंजूर ने कहा- कहते हैं कि इलाहाबाद की एडवोकेसी काफी मजबूत है, इलाहाबाद हाईकोर्ट क्षेत्र से यूपी के ज्यादातर मंत्री आते हैं। वो पूर्वांचल को नाराज नहीं कर सकते। कहते हैं कि एटा, इटावा, बरेली तक पश्चिमी यूपी राज्य हो उसके आगे दूसरा राज्य रहे। सरकार को ही इस पर फैसला लेना है। जब संजीव बालियान स्वयं सरकार में मंत्री थे तभी इस मुद्दे पर फैसला हो जाना चाहिए था। सरकार को इस पर निर्णय लेना चाहिए। ये हमारा हक है लेकर रहेंगे
पश्चिमी प्रदेश निर्माण मोर्चा के जनरल सेक्रेटरी कर्नल सुधीर चौधरी ने कहा कि पूर्व सीएम बसपा चीफ मायावती ने 2011 में ये प्रस्ताव पास कराया था। केंद्र सरकार ने इसे तब ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। 1995 से ये मांग पिछले 35 सालों से उठती आ रही है। अब ये मांग नहीं रुकेगी अब ये जनांदोलन बनेगी। क्योंकि अब हर उम्र, हर वर्ग, हर पार्टी, बिरादरी के लोग इससे जुड़ गए हैं। ये हमारा हक हम इसे लेकर रहेंगे। हमारे अधिकारों को हाशिए पर रखा गया
पूर्व राज्यमंत्री यूपी सरकार हरिशचंद भाटी ने कहा- यह नई मांग नहीं है, कई बार हो चुकी है। अंबेडकर जी ने संविधान में ये बात लिखी है कि सबके समान अधिकार हों लेकिन जो बड़े सूबे हैं उनमें हर प्रदेश में कोई न कोई भाग हाशिए पर रहता है। संविधान से आशय वहां के लोगों की सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, सरकारी सचिवालय में भागीदारी हो। मांग अब तक पूरी नहीं होने का कारण पार्टियां अपने समय के अनुसार फैसला लेती हैं। बसपा ने फैसला लिया, भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 6 स्टेट बने थे। ये हमारे अधिकारों को जो हाशिए पर रखा गया है। संवैधानिक संस्थाओं के अंदर हमें प्रदेश में अलग किया गया है। हम चाहते हैं हमारा हक हमें मिले। 27 जिलों में लगातार होंगे आयोजन
पश्चिमी प्रदेश मांग मोर्चा राजनैतिक दलों का संगठन नहीं उससे ऊपर है। इसमें हर पार्टी, हर दल और हर वर्ग के लोग शामिल हैं। सब चाहते हैं पश्चिमी यूपी अलग राज्य जल्दी बने। 27 जिलों में ज्ञापन दिया गया। इसे लेकर सेमिनार और यात्राएं की गई हैं। सारे सांसदों को ज्ञापन दिया है। सारे संगठन मिलकर काम कर रहे हैं। ये खबर भी पढ़ें… BJP से नाराज अपर्णा की योगी से मुलाकात:पति प्रतीक यादव भी साथ; क्या अब उपाध्यक्ष पद संभालेंगी? भाजपा से नाराजगी की खबरों के बीच अपर्णा यादव ने सोमवार देर शाम सीएम योगी से मुलाकात की। अपर्णा के साथ उनके पति प्रतीक यादव भी साथ थे। सूत्रों के मुताबिक, योगी ने उन्हें पार्टी का निर्णय स्वीकार करते हुए महिला आयोग की उपाध्यक्ष का जॉइन करने की सलाह दी। मुलायम की बहू अपर्णा यादव को भाजपा ने 3 सितंबर को महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाया। हालांकि, इस पद से वह नाराज चल रही हैं। पढ़ें पूरी खबर
हरियाणा के IAS ऑफिसर्स की वापस होगी सिक्योरिटी:HC ने दिए निर्देश; येलो बुक को प्रशासन के कब्जे में रखने को कहा, DGP से मांगा जवाब
हरियाणा के IAS ऑफिसर्स की वापस होगी सिक्योरिटी:HC ने दिए निर्देश; येलो बुक को प्रशासन के कब्जे में रखने को कहा, DGP से मांगा जवाब पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा की टॉप ब्यूरोक्रेसी को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि वह राज्य में किसी भी आईएएस अधिकारी को दी गई सिक्योरिटी को वापस ले। कोर्ट ने कहा है कि जिन ऑफिसर्स को नागरिक प्रशासन की जिम्मेदारी या अर्ध-न्यायिक कार्य के लिए तैनात किया गया यह आदेश उन्ही अफसरों पर लागू होगा। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक हरियाणा (डीजीपी) शत्रुजीत कपूर को एक हलफनामा दायर कर यह बताने का भी निर्देश दिया है कि क्या हरियाणा राज्य में किसी आईपीएस अधिकारी को किसी बोर्ड या निगम आदि में नागरिक प्रशासन की ड्यूटी सौंपी गई है। येलो बुक कब्जे में लेने के निर्देश हाईकोर्ट ने सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी देने वाली येलो बुक (सुरक्षा उपलब्ध कराने व सुरक्षा प्राप्त लोगों की जानकारी की किताब) को भी प्रशासन के सुरक्षित कब्जे में रखने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई की तारीख पर बुक वापस कर दी जाएगी। मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी गई है। जस्टिस हरकेश मनुजा ने पंजाब एवं हरियाणा राज्य में विभिन्न सुरक्षा प्राप्त व्यक्तियों को दी गई सुरक्षा से संबंधित एक चल रही याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किए हैं। कोर्ट ने डीजीपी के दिए फैक्ट का वेरिफिकेशन कराने को कहा राज्य पुलिस प्रमुख को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने उनसे कहा कि वह हलफनामा दायर करें, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि यदि हरियाणा राज्य में किसी भी आईएएस अधिकारी को नागरिक प्रशासन की जिम्मेदारियों या अर्ध-न्यायिक कार्यों से निपटने के दौरान कोई सुरक्षा प्रदान की जाती है, तो उसे तुरंत प्रभाव से वापस ले लिया जाए। डीजीपी ने यह जानकारी दी है कि आज तक राज्य में किसी भी आईपीएस अधिकारी को किसी भी बोर्ड या निगम आदि में नागरिक प्रशासन का कर्तव्य नहीं सौंपा गया है। कोर्ट ने डीजीपी से अनुरोध किया कि वह इन इस तथ्यों के उचित सत्यापन के बाद अपने हलफनामे में उचित जवाब दें। डीजीपी बोले- हरियाणा शांतिपूर्ण राज्य चार अक्टूबर को हाईकोर्ट में मामले की हुई सुनवाई के दौरान पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यवाही में शामिल हुए और कहा कि हरियाणा अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण राज्य है, राज्य के भीतर आईएएस अधिकारियों को कोई सुरक्षा प्रदान नहीं की गई है, जिन्हें नागरिक प्रशासनिक कार्यों और जिम्मेदारियों से जोड़ा गया है, सिवाय किसी ऐसे अधिकारी को छोड़कर जिसे असाधारण परिस्थितियों में कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए काम सौंपा गया हो।