राज्यसभा सदस्य और पर्यावरणविद् संत बलबीर सिंह सीचेवाल आज किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मिलने खनौरी बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने किसान नेता डल्लेवाल के स्वस्थ होने की प्रार्थना की। कहा कि वे इस मुद्दे को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष उठाएंगे। उन्होंने कहा कि किसान जिन मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें सरकार द्वारा मानने के बावजूद लागू नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन किसानों को खेतों में होना चाहिए, वह आज सड़कों पर अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। मीडिया से बात करते हुए संत सीचेवाल ने कहा कि वह इस मामले को लेकर पंजाब के CM भगवंत मान से भी बात करेंगे, ताकि वह पंजाब की तरफ से किसानों का मुद्दा केंद्र सरकार के सामने रखें। उन्होंने कहा कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का जीवन पंजाब के किसान संघर्ष और उनके परिवार के लिए बहुत मूल्यवान है। उन्होंने कहा कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट समेत देश के किसान और मजदूर चिंतित हैं। किसानों द्वारा विरोध करना लोकतांत्रिक अधिकार संत सीचेवाल ने कहा कि पिछले 10 महीनों से दिल्ली आकर संघर्ष कर रहे किसानों द्वारा विरोध करना संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि किसान नेता जगजीत सिंह की जान को हमेशा खतरा है। केंद्र सरकार को इसमें देरी नहीं करनी चाहिए। संत सीचेवाल ने कहा कि इस बार उन्हें किसानों की मांगों और आर्थिक हालात का मुद्दा सदन में उठाना था, लेकिन हर बार हंगामों के कारण यह मुद्दा नहीं उठाया जा सका। उनका चार बार का शून्यकाल भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। कम हो रही किसानों की आय : सीचेवाल संत सीचेवाल ने कमेटी द्वारा कोर्ट में पेश की गई एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि उस रिपोर्ट के मुताबिक किसानों की आय दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। जबकि आजादी के 75 साल बाद हर किसी ने विकास का दामन छू लिया है। हर साल औसतन 18 हजार किसान आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। जो बहुत दुखद है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा हर बार कॉरपोरेट कर्ज माफ कर दिया जाता है, लेकिन किसानों की बात नहीं सुनी जाती। उन्होंने पुरजोर मांग की कि जिस तरह कारपोरेट का कर्ज माफ किया जाता है, उसी तरह किसानों का भी कर्ज माफ किया जाना चाहिए। राज्यसभा सदस्य और पर्यावरणविद् संत बलबीर सिंह सीचेवाल आज किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मिलने खनौरी बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने किसान नेता डल्लेवाल के स्वस्थ होने की प्रार्थना की। कहा कि वे इस मुद्दे को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष उठाएंगे। उन्होंने कहा कि किसान जिन मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें सरकार द्वारा मानने के बावजूद लागू नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन किसानों को खेतों में होना चाहिए, वह आज सड़कों पर अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। मीडिया से बात करते हुए संत सीचेवाल ने कहा कि वह इस मामले को लेकर पंजाब के CM भगवंत मान से भी बात करेंगे, ताकि वह पंजाब की तरफ से किसानों का मुद्दा केंद्र सरकार के सामने रखें। उन्होंने कहा कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का जीवन पंजाब के किसान संघर्ष और उनके परिवार के लिए बहुत मूल्यवान है। उन्होंने कहा कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट समेत देश के किसान और मजदूर चिंतित हैं। किसानों द्वारा विरोध करना लोकतांत्रिक अधिकार संत सीचेवाल ने कहा कि पिछले 10 महीनों से दिल्ली आकर संघर्ष कर रहे किसानों द्वारा विरोध करना संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि किसान नेता जगजीत सिंह की जान को हमेशा खतरा है। केंद्र सरकार को इसमें देरी नहीं करनी चाहिए। संत सीचेवाल ने कहा कि इस बार उन्हें किसानों की मांगों और आर्थिक हालात का मुद्दा सदन में उठाना था, लेकिन हर बार हंगामों के कारण यह मुद्दा नहीं उठाया जा सका। उनका चार बार का शून्यकाल भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। कम हो रही किसानों की आय : सीचेवाल संत सीचेवाल ने कमेटी द्वारा कोर्ट में पेश की गई एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि उस रिपोर्ट के मुताबिक किसानों की आय दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। जबकि आजादी के 75 साल बाद हर किसी ने विकास का दामन छू लिया है। हर साल औसतन 18 हजार किसान आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। जो बहुत दुखद है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा हर बार कॉरपोरेट कर्ज माफ कर दिया जाता है, लेकिन किसानों की बात नहीं सुनी जाती। उन्होंने पुरजोर मांग की कि जिस तरह कारपोरेट का कर्ज माफ किया जाता है, उसी तरह किसानों का भी कर्ज माफ किया जाना चाहिए। पंजाब | दैनिक भास्कर
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याद रहे कि गत साल पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना और बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज फरीदकोट के कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर पंजाब के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच गतिरोध हुआ था। इसके बाद पंजाब विधानसभा द्वारा यह विधेयक पारित किया गया था।
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