पंजाब के सहकारिता विभाग और वेरका मिल्क प्लांट के दलित जनरल मैनेजर के बीच विवाद बढ़ गया है। खन्ना और पटियाला के जीएम डॉ. सुरजीत सिंह भदौड़ ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। डॉ. भदौड़ का आरोप है कि विभाग उन्हें दलित होने के कारण टारगेट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग वेरका मिल्क प्लांटों के खातों का ऑडिट करने की बजाय व्यक्तिगत रूप से उनका ऑडिट कर रहा है। यह पंजाब सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1961 के नियमों का उल्लंघन है। बता दें कि, सहकारिता विभाग पांच प्लांट, पटियाला, संगरूर, खन्ना, फरीदकोट और लुधियाना का विशेष ऑडिट करवा रहा है। जीएम का कहना है कि इन सभी प्लांटों का ऑडिट पहले ही हो चुका है। पिछली ऑडिट रिपोर्ट में कोई अनियमितता नहीं पाई गई थी। रजिस्ट्रार पर लगाए नौकरी को नुकसान पहुंचाने के आरोप डॉ. भदौड़ ने आरोप लगाया कि रजिस्ट्रार ने जातिगत पूर्वाग्रह के तहत उनकी नौकरी को नुकसान पहुंचाने के लिए यह कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि विशेष ऑडिट के लिए 20 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति से विभाग को आर्थिक नुकसान हो रहा है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पंजाब सहकारिता विभाग से 15 दिनों में जवाब मांगा है। अधिनियम की उक्त धारा के अनुसार, किसी भी सहकारी समिति के खातों का ऑडिट किया जा सकता है, लेकिन किसी व्यक्तिगत विशेष अधिकारी का नहीं। यह ऑडिट भी सहकारी समितियों के कम से कम 10 सदस्यों की शिकायत पर ही किया जा सकता है, यदि रजिस्ट्रार सहकारी समितियों द्वारा उक्त सहकारी समितियों में किसी धोखाधड़ी, वित्तीय घोटाले या अनियमितता की पूर्व जांच की गई हो, जबकि विशेष रूप से ऑडिट किए जा रहे इन प्लांटों में कहीं भी कोई धोखाधड़ी, वित्तीय अनियमितता या कोई घोटाला सामने नहीं आया है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को भेजी शिकायत आयोग को भेजी अपनी शिकायत में डॉ. भदौड़ ने आरोप लगाया है कि पंजाब सहकारिता विभाग और ऑडिट विभाग के ऊंची जाति के वरिष्ठ अधिकारियों ने मिलीभगत कर जातिवाद और भेदभाव के तहत उनकी नौकरी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। उन्होंने बताया कि उनकी 20 साल से अधिक की सेवा में उन पर कोई आरोप नहीं है, बल्कि अब जब वे महाप्रबंधक के ऊंचे पद पर हैं तो विभाग उनके द्वारा पिछले पांच वर्षों में महाप्रबंधक के रूप में किए गए कार्यों में गलतियां ढूंढ़ने का प्रयास किया जा रहा है जो अनुसूचित जाति अत्याचार अधिनियम, 1989 के दायरे में आता है। इसलिए, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग नई दिल्ली ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत शक्तियों के तहत इस शिकायत पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। पंजाब के सहकारिता विभाग और वेरका मिल्क प्लांट के दलित जनरल मैनेजर के बीच विवाद बढ़ गया है। खन्ना और पटियाला के जीएम डॉ. सुरजीत सिंह भदौड़ ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। डॉ. भदौड़ का आरोप है कि विभाग उन्हें दलित होने के कारण टारगेट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग वेरका मिल्क प्लांटों के खातों का ऑडिट करने की बजाय व्यक्तिगत रूप से उनका ऑडिट कर रहा है। यह पंजाब सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1961 के नियमों का उल्लंघन है। बता दें कि, सहकारिता विभाग पांच प्लांट, पटियाला, संगरूर, खन्ना, फरीदकोट और लुधियाना का विशेष ऑडिट करवा रहा है। जीएम का कहना है कि इन सभी प्लांटों का ऑडिट पहले ही हो चुका है। पिछली ऑडिट रिपोर्ट में कोई अनियमितता नहीं पाई गई थी। रजिस्ट्रार पर लगाए नौकरी को नुकसान पहुंचाने के आरोप डॉ. भदौड़ ने आरोप लगाया कि रजिस्ट्रार ने जातिगत पूर्वाग्रह के तहत उनकी नौकरी को नुकसान पहुंचाने के लिए यह कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि विशेष ऑडिट के लिए 20 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति से विभाग को आर्थिक नुकसान हो रहा है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पंजाब सहकारिता विभाग से 15 दिनों में जवाब मांगा है। अधिनियम की उक्त धारा के अनुसार, किसी भी सहकारी समिति के खातों का ऑडिट किया जा सकता है, लेकिन किसी व्यक्तिगत विशेष अधिकारी का नहीं। यह ऑडिट भी सहकारी समितियों के कम से कम 10 सदस्यों की शिकायत पर ही किया जा सकता है, यदि रजिस्ट्रार सहकारी समितियों द्वारा उक्त सहकारी समितियों में किसी धोखाधड़ी, वित्तीय घोटाले या अनियमितता की पूर्व जांच की गई हो, जबकि विशेष रूप से ऑडिट किए जा रहे इन प्लांटों में कहीं भी कोई धोखाधड़ी, वित्तीय अनियमितता या कोई घोटाला सामने नहीं आया है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को भेजी शिकायत आयोग को भेजी अपनी शिकायत में डॉ. भदौड़ ने आरोप लगाया है कि पंजाब सहकारिता विभाग और ऑडिट विभाग के ऊंची जाति के वरिष्ठ अधिकारियों ने मिलीभगत कर जातिवाद और भेदभाव के तहत उनकी नौकरी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। उन्होंने बताया कि उनकी 20 साल से अधिक की सेवा में उन पर कोई आरोप नहीं है, बल्कि अब जब वे महाप्रबंधक के ऊंचे पद पर हैं तो विभाग उनके द्वारा पिछले पांच वर्षों में महाप्रबंधक के रूप में किए गए कार्यों में गलतियां ढूंढ़ने का प्रयास किया जा रहा है जो अनुसूचित जाति अत्याचार अधिनियम, 1989 के दायरे में आता है। इसलिए, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग नई दिल्ली ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत शक्तियों के तहत इस शिकायत पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। पंजाब | दैनिक भास्कर
