लुधियाना जिले के खन्ना के समराला रोड पर एक युवक ने शादी से इनकार करने पर अपनी प्रेमिका को आग लगा दी। उसकी आंखों के सामने प्रेमिका जब तड़प रही थी तो प्रेमी ने खुद को भी आग लगा ली। गंभीर रूप से झुलसे प्रेमी-प्रेमिका को सिविल अस्पताल खन्ना भर्ती कराया गया। दोनों को गंभीर हालत में चंडीगढ़ के सेक्टर-32 स्थित सरकारी अस्पताल रेफर किया गया। वहां दोनों का इलाज चल रहा है। इस घटना में युवक करीब 50 फीसदी झुलसा और युवती करीब 40 फीसदी झुलसी बताई जा रही है। 5 साल पहले हुई थी दोस्ती समराला की रहने वाली 27 वर्षीय जसप्रीत कौर के अनुसार वह लुधियाना में नर्सिंग की ड्यूटी करती है। करीब 5 साल पहले उसकी दोस्ती हर्षप्रीत सिंह निवासी पंजाबी बाग खन्ना से हुई थी। उसका हर्षप्रीत के घर भी आना जाना था। लेकिन बाद में उसे पता चला कि हर्षप्रीत सिंह नशे करने का आदी है। जिस कारण उसने हर्षप्रीत से मिलना कम कर दिया था। हर्षप्रीत उसके ऊपर शादी करने का दबाव बना रहा था। उसे इमोशनली टॉर्चर करने लगा था। घर बुलाकर लगाई आग जसप्रीत कौर के अनुसार हर्षप्रीत सिंह ने उसे पंजाबी बाग स्थित अपने घर बुलाया। उसे जान से मारने की नीयत से बाइक की टंकी में से पेट्रोल निकालकर उसके ऊपर छिड़क दिया और फिर लाइटर से आग लगा दी थी। आग लगी होने कारण वह बाहर की तरफ भागी और साथ के कमरे में चली गई। वहां कंबल पड़ा था। कंबल के साथ उसने आग बुझाई। उसका शरीर झुलस गया था। जमीन पर लेटे हुए उसने 108 नंबर पर एम्बुलेंस को फोन किया। इसी बीच हर्षप्रीत ने डरते हुए अपने आप को भी आग लगा ली थी। करीब 20 मिनट के बाद 108 एम्बुलेंस आई और दोनों को सिविल अस्पताल खन्ना ले गई। वहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया। बयानों पर लगाया पांव का अंगूठा इस घटना में गंभीर रूप से झुलसी जसप्रीत कौर के दोनों हाथ भी बुरी तरह जल गए हैं। सिटी थाना पुलिस ने चंडीगढ़ अस्पताल जाकर जसप्रीत के बयान दर्ज किए। एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया में जब बयानों को तस्दीक करने के लिए साइन करवाए जाने थे, तो जसप्रीत के हाथ झुलसे होने कारण वह साइन नहीं कर पाई। पांव का अंगूठा लगाकर साइन तस्दीक हुए। जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। मामले की जांच कर रहे एएसआई हाकम सिंह ने बताया कि आरोपी हर्षप्रीत सिंह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 (जान से मारने की नीयत से हमला) के आरोप में केस दर्ज कर लिया है। फिलहाल हर्षप्रीत खुद भी उपचाराधीन है। आरोपी प्रेमी के ठीक होने पर गिरफ्तार किया जाएगा। लुधियाना जिले के खन्ना के समराला रोड पर एक युवक ने शादी से इनकार करने पर अपनी प्रेमिका को आग लगा दी। उसकी आंखों के सामने प्रेमिका जब तड़प रही थी तो प्रेमी ने खुद को भी आग लगा ली। गंभीर रूप से झुलसे प्रेमी-प्रेमिका को सिविल अस्पताल खन्ना भर्ती कराया गया। दोनों को गंभीर हालत में चंडीगढ़ के सेक्टर-32 स्थित सरकारी अस्पताल रेफर किया गया। वहां दोनों का इलाज चल रहा है। इस घटना में युवक करीब 50 फीसदी झुलसा और युवती करीब 40 फीसदी झुलसी बताई जा रही है। 5 साल पहले हुई थी दोस्ती समराला की रहने वाली 27 वर्षीय जसप्रीत कौर के अनुसार वह लुधियाना में नर्सिंग की ड्यूटी करती है। करीब 5 साल पहले उसकी दोस्ती हर्षप्रीत सिंह निवासी पंजाबी बाग खन्ना से हुई थी। उसका हर्षप्रीत के घर भी आना जाना था। लेकिन बाद में उसे पता चला कि हर्षप्रीत सिंह नशे करने का आदी है। जिस कारण उसने हर्षप्रीत से मिलना कम कर दिया था। हर्षप्रीत उसके ऊपर शादी करने का दबाव बना रहा था। उसे इमोशनली टॉर्चर करने लगा था। घर बुलाकर लगाई आग जसप्रीत कौर के अनुसार हर्षप्रीत सिंह ने उसे पंजाबी बाग स्थित अपने घर बुलाया। उसे जान से मारने की नीयत से बाइक की टंकी में से पेट्रोल निकालकर उसके ऊपर छिड़क दिया और फिर लाइटर से आग लगा दी थी। आग लगी होने कारण वह बाहर की तरफ भागी और साथ के कमरे में चली गई। वहां कंबल पड़ा था। कंबल के साथ उसने आग बुझाई। उसका शरीर झुलस गया था। जमीन पर लेटे हुए उसने 108 नंबर पर एम्बुलेंस को फोन किया। इसी बीच हर्षप्रीत ने डरते हुए अपने आप को भी आग लगा ली थी। करीब 20 मिनट के बाद 108 एम्बुलेंस आई और दोनों को सिविल अस्पताल खन्ना ले गई। वहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया। बयानों पर लगाया पांव का अंगूठा इस घटना में गंभीर रूप से झुलसी जसप्रीत कौर के दोनों हाथ भी बुरी तरह जल गए हैं। सिटी थाना पुलिस ने चंडीगढ़ अस्पताल जाकर जसप्रीत के बयान दर्ज किए। एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया में जब बयानों को तस्दीक करने के लिए साइन करवाए जाने थे, तो जसप्रीत के हाथ झुलसे होने कारण वह साइन नहीं कर पाई। पांव का अंगूठा लगाकर साइन तस्दीक हुए। जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। मामले की जांच कर रहे एएसआई हाकम सिंह ने बताया कि आरोपी हर्षप्रीत सिंह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 (जान से मारने की नीयत से हमला) के आरोप में केस दर्ज कर लिया है। फिलहाल हर्षप्रीत खुद भी उपचाराधीन है। आरोपी प्रेमी के ठीक होने पर गिरफ्तार किया जाएगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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जालंधर वेस्ट सीट पर AAP की रिकॉर्ड जीत के मायने:CM फ्रंट-फुट पर रहे, विश्वास जीतने के लिए लिया घर; कांग्रेस-भाजपा ने खोया कैडर वोट
जालंधर वेस्ट सीट पर AAP की रिकॉर्ड जीत के मायने:CM फ्रंट-फुट पर रहे, विश्वास जीतने के लिए लिया घर; कांग्रेस-भाजपा ने खोया कैडर वोट जालंधर वेस्ट सीट पर हुए विधानसभा उप-चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार मोहिंदर भगत ने सीएम भगवंत मान की सपोर्ट से 55246 वोट हासिल किए और तकरीबन 37325 वोट से जीत हासिल की। जालंधर वेस्ट में ये अभी तक की सबसे बढ़ी जीत मानी जा रही है, जबकि पूर्व विधायक व भाजपा के उम्मीदवार शीतल अंगुराल 17921 वोट और कांग्रेस की सुरिंदर कौर 16757 वोटों के साथ कैडर वोट भी नहीं जुटा पाए। विधानसभा 2022 के चुनावों में 39213 वोट AAP ने हासिल किए थे। जबकि कांग्रेस को 34960 और भाजपा को 33486 वोट मिले थे। लेकिन इस बार आंकड़ों में भारी बदलाव हुआ। भास्कर एक्सप्लेनर में जानें AAP की जीत का रहस्य- 6 फैक्टर्स, जिसने AAP को दिलाई जीत- 1. सीएम मान का विश्वास व एक्शन लोकसभा चुनावों में AAP की हार के बाद सीएम भगवंत मान के लिए ये उप-चुनाव एक कड़ी चुनौती बना, जिसे उन्होंने फ्रंट पर रहते हुए जीता है। चुनावों की घोषणा व मोहिंदर भगत का नाम घोषित होने के बाद सीएम का खुद जालंधर में घर लेना और सप्ताह में दो दिन यहां रुकने की घोषणा ने वोटरों को एक बार फिर AAP पर विश्वास करने के लिए मजबूर किया। 2. खुद प्रचार के लिए उतरे CM
मुख्यमंत्री भगवंत मान का नाम AAP प्रचार लिस्ट में चाहे नीचे था, लेकिन पूरे प्रचार की कमान उन्होंने ही संभाल ली थी। अंतिम दिनों में सीएम मान ने खुद मीटिंगें करनी शुरू की। एक दिन में सीएम मान ने 4 से 5 मीटिंग्स का लक्ष्य रखा था। भीड़ के बीच आम नागरिक की तरह सीएम मान को घूमते देख वोटरों का विश्वास बढ़ा और AAP को उसका फायदा हुआ। 3. मिस CM मान ने संभाली कमान CM मान खुद फ्रंट फुट पर खेल रहे थे, लेकिन उन्हें मिस CM व अपनी पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर का साथ भी इन चुनावों में मिला। चुनाव घोषणा के बाद सीएम मान के साथ डॉ. गुरप्रीत कौर भी जालंधर में शिफ्ट हो गईं। हाथ में कुछ महीनों की बेटी को पकड़ जालंधर में खरीदे घर में प्रवेश ने लोगों के दिलों में छाप छोड़ी। इसके बाद सीएम मान की गैर हाजिरी में उन्होंने कैंप ऑफिस में लोगों की मुश्किलों को सुना भी और तत्काल उनकी समस्याओं को हल भी करवाया। इतना ही नहीं, डॉ. गुरप्रीत कौर खुद नुक्कड़ मीटिंगों में पहुंची और फीमेल वोटरों का विश्वास जीता। 4. जालंधर वेस्ट में 50% से अधिक SC वोटर जालंधर लोकसभा चुनावों में सांसद बने कांग्रेस के चरणजीत सिंह चन्नी की जीत का सबसे बढ़ा कारण SC व रविदासिया समुदाय का समर्थन मिलना था। जालंधर वेस्ट की बात करें ताे यहां 50% से अधिक वोटर SC, रविदासिया व भगत समुदाय का है। चुनावों की घोषणा के बाद से ही मोहिंदर पाल भगत को भगत समुदाय ने समर्थन देने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद रविदासिया समुदाय भी खुलकर उनके साथ चला। पूर्ण रूप से SC वोटर का साथ मिलने के बाद मोहिंदर पाल भगत की जीत लगभग तय हो चुकी थी। 5. AAP सरकार की स्कीमों का लाभ जालंधर वेस्ट में अधिकतर आबादी बस्तियों में बस्ती है, जो बिलो पावर्टी लाइन (BPL) कैटेगरी में आते हैं। जल्लवाल आबादी, भारगो कैंप, बस्ती दानिश मनदा, बस्ती गुजां, बबरीक चौक और बस्ती नौ ऐसे इलाके हैं, जहां अधिकतर वोटर हैं। AAP को इन इलाकों से काफी अधिक फायदा हुआ। 600 यूनिट के बाद भी इन्हें बिजली मुफ्त है और आटा दाल स्कीम से यहां कई घरों के चूल्हे चलते हैं। 6. साफ छवि व चुन्नी लाल भगत के परिवार की छाप रही भारी मोहिंदर पाल भगत पूर्व भाजपा विधायक व पंजाब सरकार में मंत्री रहे चुनी लाल भगत के बेटे हैं। चुनी लाल भगत की तरह आज तक मोहिंदर पाल भगत की छवि पर कोई उंगली नहीं उठा सका। AAP व CM मान ने उनकी छवि को आगे रखकर ही प्रचार शुरू किया। जबकि कांग्रेस पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर सुरिंदर कौर के एक भी काम को प्रमुख रखकर वोट नहीं मांग सकी। वहीं, भाजपा के उम्मीदवार शीतल अंगुराल को वोटरों ने दल बदल का टैग लगाते हुए निकारा। जाने क्यों जरूरी थी AAP के लिए ये जीत AAP को लोकसभा 2024 के चुनावों में पंजाब में सरकार होने के बावजूद करारी हार का सामना करना पड़ा था। AAP कम होती पॉपुलैरिटी को दोबारा खड़ा करने के लिए ये जीत काफी मायने रखती है। पंजाब में पंचायती चुनाव, नगर निगम चुनाव, दोनों पैंडिंग हैं। वहीं, आने वाले 6 महीनों में 4 और सीटों पर विधानसभा उप-चुनाव आने वाले हैं। लोकसभा चुनाव के बाद अगर इस विधानसभा उप-चुनाव में भी हार मिलती तो AAP के वर्कर नैतिक रूप से कमजोर जो जाती। कांग्रेस बेहतर प्लानिंग की तरफ बढ़ेगी कांग्रेस लोकसभा चुनाव में 7 सीटें जीतने और राज्य में 26.30% वोट हासिल करने के बाद सबसे बढ़ी पार्टी बन चुकी है। लोकसभा चुनाव जालंधर में जीतने के बाद भी उप-चुनाव में हार के लिए कांग्रेस को अब मंथन की आवश्यकता है। 2022 में कांग्रेस सरकार गिरने के बाद से कई सीनियर लीडर चुप्पी साध चुके हैं और PPCC से उलट चल रहे हैं। कांग्रेस के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती उन्हें इकट्ठे करके आने वाले समय में 4 लोकसभा सीटों, डेरा बाबा नानक, गिद्दड़बाहा, चब्बेवाल और बरनाला पर होने वाले उप-चुनावों पर ध्यान केंद्रित करना है। कांग्रेस के लिए ये चार सीटों में से तीन पर जीत हासिल करना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि 2022 में इनमें से तीन सीटों डेरा बाबा नानक, गिद्दड़बाहा और चब्बेवाल पर कांग्रेस का कब्जा था। भाजपा खुद को मजबूत करने में जुटी भाजपा एक ऐसी पार्टी है, जिसके पास पंजाब से एक भी लोकसभा सीट नहीं है, लेकिन राज्य की वे तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। भाजपा विस्तार की तरफ बढ़ रही है। ऐसे में उसका लक्ष्य अपने कैडर वोटर को बढ़ाना है। दल बदलू का टैग पाकर शीतल अंगुराल उप-चुनाव में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सके और दूसरे स्थान पर रहे हैं। सिर्फ उनके ही नहीं, सुशील कुमार रिंकू के लिए भी भाजपा में अपना स्थान बनाए रखना एक चुनौती है। अकाली दल ने BSP का सपोर्ट कर पल्ला झाड़ा 2017 व उसके बाद हुए सभी लोकसभा व विधानसभा चुनावों में अकाली दल लगातार नीचे गिरता जा रहा है। अब जब अकाली दल में अंतर-कलह ही बहुत अधिक बढ़ चुकी है तो सीनियर लीडरशिप ने बहुजन समाज पार्टी का साथ देने की घोषणा करते हुए इन चुनावों से ही दूर कर लिया। हालात ऐसे बने की अध्यक्ष सुखबीर बादल और चंदूमाजरा समर्थक बागी गुट के बीच खुद को फंसता देख अकाली दल उम्मीदवार सुरजीत कौर ने ही दल बदल AAP जाइन कर ली। चूंकि, सुरजीत कौर नामांकन वापस ना ले सकी, AAP में जाने के बाद भी वे अकाली दल की उम्मीदवार रहीं। इन परिणामों अकाली दल व BSP के परिणाम ने सभी को हैरान कर दिया। अकाली दल का समर्थन पा कर भी BSP पांचवें नंबर और अकाली दल उससे अधिक वोटें हासिल कर सकी। 4 उप-चुनावों में भी CM मान को दिखानी होगी ताकत जालंधर वेस्ट चुनाव के बाद अब सबसे बड़ी चुनौती चार सीटों डेरा बाबा नानक, गिद्दड़बाहा, चब्बेवाल और बरनाला के उप-चुनाव होंगे। AAP के लिए अपनी गिरी पॉपुलैरिटी को उठाने का यहां सबसे अच्छा मौका होगा। सीएम मान के बाद पंजाब में अभी तक कोई दूसरा बड़ा चेहरा नहीं है और ये पार्टी के लिए एक बड़ा नुकसान भी है। ऐसे में जालंधर उप-चुनाव की तरह ही इन विधानसभा हलकों की कमान सीएम मान को खुद संभालनी होगी। बरनाला तो AAP का गढ़ है। CM मान इसे अपने हाथ से नहीं जाने देंगे। वहीं, चब्बेवाल के पूर्व विधायक डॉ. राज कुमार के दल-बदल कर सांसद बन जाने के बाद यहां भी AAP स्ट्रॉन्ग हुई है। डेरा बाबा नानक और गिद्दड़बाहा दो कांग्रेस की सीटें हैं, जिनकी सेंधमारी के लिए CM मान को कड़ी मेहनत करनी होगी।