पाकिस्तान में बीते दिनों मारे गए खालिस्तानी आतंकी व दल खालसा के संस्थापक गजिंदर सिंह के हक में श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने बड़ा बयान दे दिया है। उन्होंने भारत की आतंकियों की सूची में दर्ज नाम आतंकी गजिंदर सिंह को सिख कौम का योद्धा करार दिया। उनका कहना है कि गजेंद्र सिंह ने 1981 में AI फ्लाइट 423 को हाईजैक करके कोई हिंसा नहीं की थी। अमृतसर पहुंचे ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि गजिंदर सिंह ने कुछ दिन पहले अपनी संसारिक यात्रा को पूरा किया है। गजिंदर सिंह ने सिख कौम के लिए बड़ी कुर्बानी दी और लंबा समय बेवतन होकर गुजारा। लेकिन 1981 में उन्होंने प्लेन हाईजैक करके कोई हिंसा नहीं की थी। उन्होंने तत्कालीन सरकार के कान खोलने के लिए प्लेन अगवा किया था। ये वैसा ही था, जैसे अंग्रेजी हकूमत के कान खोलने के लिए शहीद भगत सिंह ने बम फेंका था। उन्होंने कहा कि देश में सिखों को हमेशा देशद्रोही कह कर जेलों में डाला जाता रहा है। कुछ दिन पहले ही संसद में गृहमंत्री ने बयान दिया था कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगा कर देश के संविधान का कत्ल किया था। कत्ल ही क्या, रेप किया था। उस समय इमरजेंसी के खिलाफ सिर्फ सिख कौम थी, जिन्होंने आवाज उठाई थी। अकाली दल की अध्यक्षता में मोर्चे लगाए थे और जेलें काटी थी। गैर सिख अगवा करे तो उसे नेता बनाया जाता है ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि 1978 में इंदिरा गांधी की रिहाई के लिए दो पांड्य भाई प्लेन अगवा करते हैं। दविंद्रा पांड्य व भोला नाथ पांड्य। इनमें एक को विधायक बनाकर मिनिस्टर बनाया जाता है और दूसरे को सांसद बना कर संसद में बैठाया जाता है। सिख नौजवान अगर सरकार के कान खोलने के लिए प्लेन अगवा कर ले जाता है तो उसे गोली मिलती है या जलालत मिलती है। सिखों के लिए हमेशा ही दोहरे मापदंड अपनाए जाते रहे हैं। जाने कौन है गजिंदर सिंह, जिसने अगवा किया था एयर इंडिया का प्लेन बीते दिनों दल खालसा के संस्थापक गजिंदर सिंह की पाकिस्तान के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। वह हृदय रोग से पीड़ित था। गजिंदर सिंह को 1981 में जरनैल सिंह भिंडरावाले की गिरफ्तारी के विरोध में विमान अपहरण के लिए जाना जाता है। गजिंदर सिंह की बात करें तो 2021 में एक सोशल मीडिया पोस्ट से पता चला था कि वह पाकिस्तान में छिपा हुआ है। 2021 में कट्टरपंथी संगठन दल खालसा के एक सदस्य ने गजिंदर सिंह की तस्वीर फेसबुक पर शेयर की और उसके पाकिस्तान में होने की जानकारी दी। 1996 से ही भारतीय खुफिया एजेंसियां उसकी लोकेशन का पता लगाने की कोशिश कर रही थीं। पोस्ट से पता चला कि वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के हसन अब्दाल में गुरुद्वारा पंजा साहिब में मौजूद है। भारत के वांछित आतंकवादियों की सूची में शामिल था गजिंदर को 2002 में 20 सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों की सूची में शामिल किया गया था। वह उन पांच लोगों में शामिल था, जिन्होंने 29 सितंबर 1981 को 111 यात्रियों और छह चालक दल के सदस्यों को लेकर उड़ान संख्या AI-423 का अपहरण किया था। यह उड़ान दिल्ली से अमृतसर आ रही थी और इसे अपहरण करके लाहौर में उतरने के लिए मजबूर किया गया था। इसके बाद आतंकवादियों ने जरनैल सिंह भिंडरावाले और कई अन्य खालिस्तानी चरमपंथियों की रिहाई के साथ 5 लाख अमेरिकी डॉलर की मांग की थी। पाकिस्तान से रिहा होने के बाद वह लापता हो गया इस घटना के बाद सभी पांच लोगों को पाकिस्तान में 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई। 1995 में अपनी सजा पूरी करने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। जिसके बाद गजिंदर 1996 में जर्मनी चला गया। लेकिन भारत द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद उसे जर्मनी में प्रवेश नहीं मिला और वह पाकिस्तान लौट आया। इसके बाद गजिंदर सिंह कभी नहीं मिला। भारतीय खुफिया एजेंसियां उसकी तलाश करती रहीं। भारत सरकार कई बार उसे सौंपने की मांग करती रही, लेकिन पाकिस्तान बार-बार उसकी मौजूदगी से इनकार करता रहा। पाकिस्तान में बीते दिनों मारे गए खालिस्तानी आतंकी व दल खालसा के संस्थापक गजिंदर सिंह के हक में श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने बड़ा बयान दे दिया है। उन्होंने भारत की आतंकियों की सूची में दर्ज नाम आतंकी गजिंदर सिंह को सिख कौम का योद्धा करार दिया। उनका कहना है कि गजेंद्र सिंह ने 1981 में AI फ्लाइट 423 को हाईजैक करके कोई हिंसा नहीं की थी। अमृतसर पहुंचे ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि गजिंदर सिंह ने कुछ दिन पहले अपनी संसारिक यात्रा को पूरा किया है। गजिंदर सिंह ने सिख कौम के लिए बड़ी कुर्बानी दी और लंबा समय बेवतन होकर गुजारा। लेकिन 1981 में उन्होंने प्लेन हाईजैक करके कोई हिंसा नहीं की थी। उन्होंने तत्कालीन सरकार के कान खोलने के लिए प्लेन अगवा किया था। ये वैसा ही था, जैसे अंग्रेजी हकूमत के कान खोलने के लिए शहीद भगत सिंह ने बम फेंका था। उन्होंने कहा कि देश में सिखों को हमेशा देशद्रोही कह कर जेलों में डाला जाता रहा है। कुछ दिन पहले ही संसद में गृहमंत्री ने बयान दिया था कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगा कर देश के संविधान का कत्ल किया था। कत्ल ही क्या, रेप किया था। उस समय इमरजेंसी के खिलाफ सिर्फ सिख कौम थी, जिन्होंने आवाज उठाई थी। अकाली दल की अध्यक्षता में मोर्चे लगाए थे और जेलें काटी थी। गैर सिख अगवा करे तो उसे नेता बनाया जाता है ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि 1978 में इंदिरा गांधी की रिहाई के लिए दो पांड्य भाई प्लेन अगवा करते हैं। दविंद्रा पांड्य व भोला नाथ पांड्य। इनमें एक को विधायक बनाकर मिनिस्टर बनाया जाता है और दूसरे को सांसद बना कर संसद में बैठाया जाता है। सिख नौजवान अगर सरकार के कान खोलने के लिए प्लेन अगवा कर ले जाता है तो उसे गोली मिलती है या जलालत मिलती है। सिखों के लिए हमेशा ही दोहरे मापदंड अपनाए जाते रहे हैं। जाने कौन है गजिंदर सिंह, जिसने अगवा किया था एयर इंडिया का प्लेन बीते दिनों दल खालसा के संस्थापक गजिंदर सिंह की पाकिस्तान के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। वह हृदय रोग से पीड़ित था। गजिंदर सिंह को 1981 में जरनैल सिंह भिंडरावाले की गिरफ्तारी के विरोध में विमान अपहरण के लिए जाना जाता है। गजिंदर सिंह की बात करें तो 2021 में एक सोशल मीडिया पोस्ट से पता चला था कि वह पाकिस्तान में छिपा हुआ है। 2021 में कट्टरपंथी संगठन दल खालसा के एक सदस्य ने गजिंदर सिंह की तस्वीर फेसबुक पर शेयर की और उसके पाकिस्तान में होने की जानकारी दी। 1996 से ही भारतीय खुफिया एजेंसियां उसकी लोकेशन का पता लगाने की कोशिश कर रही थीं। पोस्ट से पता चला कि वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के हसन अब्दाल में गुरुद्वारा पंजा साहिब में मौजूद है। भारत के वांछित आतंकवादियों की सूची में शामिल था गजिंदर को 2002 में 20 सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों की सूची में शामिल किया गया था। वह उन पांच लोगों में शामिल था, जिन्होंने 29 सितंबर 1981 को 111 यात्रियों और छह चालक दल के सदस्यों को लेकर उड़ान संख्या AI-423 का अपहरण किया था। यह उड़ान दिल्ली से अमृतसर आ रही थी और इसे अपहरण करके लाहौर में उतरने के लिए मजबूर किया गया था। इसके बाद आतंकवादियों ने जरनैल सिंह भिंडरावाले और कई अन्य खालिस्तानी चरमपंथियों की रिहाई के साथ 5 लाख अमेरिकी डॉलर की मांग की थी। पाकिस्तान से रिहा होने के बाद वह लापता हो गया इस घटना के बाद सभी पांच लोगों को पाकिस्तान में 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई। 1995 में अपनी सजा पूरी करने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। जिसके बाद गजिंदर 1996 में जर्मनी चला गया। लेकिन भारत द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद उसे जर्मनी में प्रवेश नहीं मिला और वह पाकिस्तान लौट आया। इसके बाद गजिंदर सिंह कभी नहीं मिला। भारतीय खुफिया एजेंसियां उसकी तलाश करती रहीं। भारत सरकार कई बार उसे सौंपने की मांग करती रही, लेकिन पाकिस्तान बार-बार उसकी मौजूदगी से इनकार करता रहा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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