जगह : गाजियाबाद की कंचन पार्क कॉलोनी समय : सुबह के 4 बजे 6 फीट चौड़ी गली में 50 गज का 3 मंजिला पुराना मकान। इसकी दूसरी मंजिल पर गुलबहार अपने बेटे जान मोहम्मद, शान और भतीजे जीशान के साथ सो रही थी। अचानक उन्हें अपने पैरों के पास जलन महसूस हुई। झटके से आंख खुली तो वह घबरा गईं। पूरा कमरा आग की लपटों में घिरा हुआ था। गुलबहार खुद को बचाने से पहले बच्चों को जल्दी-जल्दी संभालने लगीं। दो बच्चों को गोद में लिया। तीसरे बच्चे को किसी तरह उठाया। मगर दरवाजे से बाहर निकलने की कोशिश में वह आग की लपटों में घिर गईं…न खुद बच सकीं, न बच्चों को ही बचा सकीं। यह सब बताते हुए 64 वर्षीय हाजी फारूक रोने लगते हैं। गुलबहार उनकी छोटी बहू थीं। मरने वालों में 3 पोते भी शामिल हैं। हाजी फारुक का कपड़े का काम है। फारुक के 5 बेटों में- नौशाद, दिलशाद, शहजाद, शमशाद, शहनवाज हैं। इकलौती बेटी की शादी हो चुकी है। रविवार सुबह जब इस मकान में हादसा हुआ, तब मकान मालिक हाजी फारूक के साथ यहां दो बेटे शमशाद और शाहनवाज परिवार के साथ सोए हुए थे। जबकि तीन अन्य बेटे दूसरे मकान में रहते हैं, वह बच गए। जब घर में आग लगी, तब कमरों में धुआं भर गया। किसी को कुछ दिख ही नहीं रहा था। जैसे-तैसे शहनवाज, शमशाद और उसकी पत्नी आयशा अपने 4 साल के बेटे को गोद में लेकर भागी। आग में आयशा और उसका बच्चा भी झुलस गया। शमशाद और शहनवाज भी उनको बचाने में झुलस गए। दोनों भाइयों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। आयशा और उसके बच्चे की हालत गंभीर है। बंद कमरे में आवाज नहीं निकली
हाजी फारूक के बहनोई फारूक मोहम्मद ने कहा- जिस समय दूसरी मंजिल पर आग लगी, मुख्य दरवाजा बंद था। कोई आवाज बाहर तक नहीं आई। सुबह जब पड़ोस के लोगों उठे तब देखा कि मकान से धुआं उठ रहा है। पड़ोसी रिहान कहते हैं- मैं करीब 6 बजे सोकर उठा। मां नमाज पढ़ रही थी। किसी चीज के जलने की गंध आ रही थी। घर के बाहर झांककर देखा। चारों तरफ धुआं ही धुआं था। हल्ला मचा हुआ था कि हाजी फारुक के घर में आग लगी है। वह आगे कहते हैं- गली की चौड़ाई 6 फीट है, यहां दो पहिया वाहन भी बड़ी मुश्किल से निकल पाते हैं। शोर मचाकर पड़ोस के लोगों को इकट्ठा किया, सर्दी ज्यादा थी, इसलिए लोगों को घरों से निकलने में भी टाइम लगा। अंदर से मकान का दरवाजा बंद था, इस बीच किसी की आवाज सुनाई नहीं दी। हम लोगों ने पुलिस और फायर विभाग को फोन किए। लोगों ने बाल्टी लेकर पानी फेंकना शुरू किया। कुछ देर में पुलिस आई, मगर गली में अंदर तक आग बुझाने वाली गाड़ी नहीं आ सकी। फिर छोटी गाड़ी बुलाई गईं, बाहर से पाइप जोड़े गए। फायर ब्रिगेड के साथ आए फायर फाइटर के लिए बड़ा चैलेंज दूसरी मंजिल तक पहुंचना था। हाजी फारुक नीचे के मंजिल पर थे। वह बच गए। दूसरी मंजिल पर शहनवाज अपनी पत्नी और बच्चों के साथ थे। मुख्य गेट से दाखिल होते ही ऊपर की तरफ चढ़ने के लिए सीढ़ियां थीं। लिंटर जर्जर था, इसलिए पुलिस ने गेट बंद कर कर गली में आवाजाही रोक दी। फायर फाइटर ने दूसरी मंजिल की तरफ दीवार तोड़कर अंदर पानी डाला। आग बुझाने बाद भी चारों तरफ धुआं था। एक बच्चे को गोद में उठाकर बाहर लाया गया। जब अंदर देखा तो 2 बच्चे एक साथ लिपटे मिले, एक बच्चे का शव छत पर था, महिला के कपड़े भी जलकर चिपक गए.. इस हादसे में 4 लोगों की मौत हुई है। रुबीना बोली- मासूम बच्चे मर गए, ये नाइंसाफी है
हाजी फारूक के घर के बराबर में रुबीना का मकान है। रुबीना ने बताया कि सुबह जब आग लगी तो सब लोग सोए हुए थे। मैंने छत पर चढ़कर चिल्लाना शुरू किया कि मकान में आग लग गई… सब कुछ जल गया। इसके बाद पूरा मोहल्ला जगाकर इकट्ठा किया है। सबने अपने-अपने घरों की छतों से पानी डाला, मगर आग कहां बुझने वाली थी। लपटें ऊंची उठ रही थीं, घर में घुसने की किसी की भी हिम्मत नहीं हुई। उन्होंने कहा- पुलिस सवा 7 बजे आई, आधा घंटे पहले हम लोगों को आग का पता चला था। हम सिर पर बिना पल्लू डाले ही बाहर आ गए, खूब चीखे-चिल्लाए। पानी की टंकी साढ़े 7 बजे आई खाली हो गई। मासूम बच्चे मर गए, यह कोई इंसाफ नहीं है। कमरे आग पहुंची तो एक बच्चा ही हाथ आया
अपने परिवार के 4 लोगों को खोने वाले शहनवाज की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। वह बार रोते हुए कहते हैं- या अल्लाह यह कौन सा दिन दिखाया है। कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा भी हो जाएगा। वह कहते हैं- रात 8 बजे सभी आराम से सोए थे। पता नहीं आग कब लगी, दरवाजा भी नहीं खोल पाए। चारों तरफ आग फैली थी, एक ही बच्चा हाथ आया। उसके बाद कमरे में नहीं घुस पाया। मैं दरवाजे तक भी नहीं पहुंच पाया। अब अग्निकांड की 3 तस्वीर… …………………. ये खबर भी पढ़ें- आगरा में बेकरी का ओवन फटा, 14 कर्मचारी झुलसे:चमड़ी जल गई, सड़क पर तड़पते रहे….मदद के लिए चिल्लाते रहे आगरा में बेकरी का ओवन फटने से 14 से अधिक कर्मचारी गंभीर रूप से झुलस गए। इस दौरान अफरातफरी मच गई। झुलसे कर्मचारी रोड पर करीब 1 घंटे तक तड़पते और मदद की गुहार लगाते रहे। सूचना पर फायर ब्रिगेड की टीम और पुलिस पहुंची। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। घटना दोपहर 1 बजे की हरीपर्वत के ट्रांसपोर्ट नगर में मेडले बेकर्स की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की है। पढ़ें पूरी खबर जगह : गाजियाबाद की कंचन पार्क कॉलोनी समय : सुबह के 4 बजे 6 फीट चौड़ी गली में 50 गज का 3 मंजिला पुराना मकान। इसकी दूसरी मंजिल पर गुलबहार अपने बेटे जान मोहम्मद, शान और भतीजे जीशान के साथ सो रही थी। अचानक उन्हें अपने पैरों के पास जलन महसूस हुई। झटके से आंख खुली तो वह घबरा गईं। पूरा कमरा आग की लपटों में घिरा हुआ था। गुलबहार खुद को बचाने से पहले बच्चों को जल्दी-जल्दी संभालने लगीं। दो बच्चों को गोद में लिया। तीसरे बच्चे को किसी तरह उठाया। मगर दरवाजे से बाहर निकलने की कोशिश में वह आग की लपटों में घिर गईं…न खुद बच सकीं, न बच्चों को ही बचा सकीं। यह सब बताते हुए 64 वर्षीय हाजी फारूक रोने लगते हैं। गुलबहार उनकी छोटी बहू थीं। मरने वालों में 3 पोते भी शामिल हैं। हाजी फारुक का कपड़े का काम है। फारुक के 5 बेटों में- नौशाद, दिलशाद, शहजाद, शमशाद, शहनवाज हैं। इकलौती बेटी की शादी हो चुकी है। रविवार सुबह जब इस मकान में हादसा हुआ, तब मकान मालिक हाजी फारूक के साथ यहां दो बेटे शमशाद और शाहनवाज परिवार के साथ सोए हुए थे। जबकि तीन अन्य बेटे दूसरे मकान में रहते हैं, वह बच गए। जब घर में आग लगी, तब कमरों में धुआं भर गया। किसी को कुछ दिख ही नहीं रहा था। जैसे-तैसे शहनवाज, शमशाद और उसकी पत्नी आयशा अपने 4 साल के बेटे को गोद में लेकर भागी। आग में आयशा और उसका बच्चा भी झुलस गया। शमशाद और शहनवाज भी उनको बचाने में झुलस गए। दोनों भाइयों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। आयशा और उसके बच्चे की हालत गंभीर है। बंद कमरे में आवाज नहीं निकली
हाजी फारूक के बहनोई फारूक मोहम्मद ने कहा- जिस समय दूसरी मंजिल पर आग लगी, मुख्य दरवाजा बंद था। कोई आवाज बाहर तक नहीं आई। सुबह जब पड़ोस के लोगों उठे तब देखा कि मकान से धुआं उठ रहा है। पड़ोसी रिहान कहते हैं- मैं करीब 6 बजे सोकर उठा। मां नमाज पढ़ रही थी। किसी चीज के जलने की गंध आ रही थी। घर के बाहर झांककर देखा। चारों तरफ धुआं ही धुआं था। हल्ला मचा हुआ था कि हाजी फारुक के घर में आग लगी है। वह आगे कहते हैं- गली की चौड़ाई 6 फीट है, यहां दो पहिया वाहन भी बड़ी मुश्किल से निकल पाते हैं। शोर मचाकर पड़ोस के लोगों को इकट्ठा किया, सर्दी ज्यादा थी, इसलिए लोगों को घरों से निकलने में भी टाइम लगा। अंदर से मकान का दरवाजा बंद था, इस बीच किसी की आवाज सुनाई नहीं दी। हम लोगों ने पुलिस और फायर विभाग को फोन किए। लोगों ने बाल्टी लेकर पानी फेंकना शुरू किया। कुछ देर में पुलिस आई, मगर गली में अंदर तक आग बुझाने वाली गाड़ी नहीं आ सकी। फिर छोटी गाड़ी बुलाई गईं, बाहर से पाइप जोड़े गए। फायर ब्रिगेड के साथ आए फायर फाइटर के लिए बड़ा चैलेंज दूसरी मंजिल तक पहुंचना था। हाजी फारुक नीचे के मंजिल पर थे। वह बच गए। दूसरी मंजिल पर शहनवाज अपनी पत्नी और बच्चों के साथ थे। मुख्य गेट से दाखिल होते ही ऊपर की तरफ चढ़ने के लिए सीढ़ियां थीं। लिंटर जर्जर था, इसलिए पुलिस ने गेट बंद कर कर गली में आवाजाही रोक दी। फायर फाइटर ने दूसरी मंजिल की तरफ दीवार तोड़कर अंदर पानी डाला। आग बुझाने बाद भी चारों तरफ धुआं था। एक बच्चे को गोद में उठाकर बाहर लाया गया। जब अंदर देखा तो 2 बच्चे एक साथ लिपटे मिले, एक बच्चे का शव छत पर था, महिला के कपड़े भी जलकर चिपक गए.. इस हादसे में 4 लोगों की मौत हुई है। रुबीना बोली- मासूम बच्चे मर गए, ये नाइंसाफी है
हाजी फारूक के घर के बराबर में रुबीना का मकान है। रुबीना ने बताया कि सुबह जब आग लगी तो सब लोग सोए हुए थे। मैंने छत पर चढ़कर चिल्लाना शुरू किया कि मकान में आग लग गई… सब कुछ जल गया। इसके बाद पूरा मोहल्ला जगाकर इकट्ठा किया है। सबने अपने-अपने घरों की छतों से पानी डाला, मगर आग कहां बुझने वाली थी। लपटें ऊंची उठ रही थीं, घर में घुसने की किसी की भी हिम्मत नहीं हुई। उन्होंने कहा- पुलिस सवा 7 बजे आई, आधा घंटे पहले हम लोगों को आग का पता चला था। हम सिर पर बिना पल्लू डाले ही बाहर आ गए, खूब चीखे-चिल्लाए। पानी की टंकी साढ़े 7 बजे आई खाली हो गई। मासूम बच्चे मर गए, यह कोई इंसाफ नहीं है। कमरे आग पहुंची तो एक बच्चा ही हाथ आया
अपने परिवार के 4 लोगों को खोने वाले शहनवाज की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। वह बार रोते हुए कहते हैं- या अल्लाह यह कौन सा दिन दिखाया है। कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा भी हो जाएगा। वह कहते हैं- रात 8 बजे सभी आराम से सोए थे। पता नहीं आग कब लगी, दरवाजा भी नहीं खोल पाए। चारों तरफ आग फैली थी, एक ही बच्चा हाथ आया। उसके बाद कमरे में नहीं घुस पाया। मैं दरवाजे तक भी नहीं पहुंच पाया। अब अग्निकांड की 3 तस्वीर… …………………. ये खबर भी पढ़ें- आगरा में बेकरी का ओवन फटा, 14 कर्मचारी झुलसे:चमड़ी जल गई, सड़क पर तड़पते रहे….मदद के लिए चिल्लाते रहे आगरा में बेकरी का ओवन फटने से 14 से अधिक कर्मचारी गंभीर रूप से झुलस गए। इस दौरान अफरातफरी मच गई। झुलसे कर्मचारी रोड पर करीब 1 घंटे तक तड़पते और मदद की गुहार लगाते रहे। सूचना पर फायर ब्रिगेड की टीम और पुलिस पहुंची। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। घटना दोपहर 1 बजे की हरीपर्वत के ट्रांसपोर्ट नगर में मेडले बेकर्स की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की है। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर