यूपी की चर्चित लोकसभा सीटों में शामिल गाजीपुर पर देशभर की निगाहे हैं। यहां दो बातें खास हैं, पहला- 40 साल बाद इस चुनाव में मुख्तार नहीं दिखेगा, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उसी की है। मुख्तार के बड़े भाई और सांसद अफजाल अंसारी सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वो मुस्लिम वोटों और सहानुभूति फैक्टर के भरोसे हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं। दूसरी – 40 साल से हर चुनाव लड़ते आ रहे मनोज सिन्हा इस बार मैदान में नहीं हैं। भाजपा ने पारसनाथ राय को टिकट दिया है। सत्ता और विपक्षी नेताओं की जनसभा से लेकर नुक्कड़ सभाओं तक मुख्तार अंसारी का नाम छाया है। पीएम मोदी और सीएम योगी बिना नाम लिए, तो केंद्रीय मंत्री नाम लेकर मुख्तार अंसारी की चर्चा कर रहे हैं। चुनाव में विकास, अग्निवीर, परिवर्तन, रोजगार, उद्योग समेत जातिगत मुद्दों की भी बात की जा रही है, लेकिन मुख्तार अंसारी फैक्टर सबसे ज्यादा प्रभावी है। मोदी ने कहा- सपा के शहजादे ने माफिया को गोद में बैठा लिया
गाजीपुर में PM मोदी कहते हैं- पहले माफिया लाल बत्ती में घूमते थे। सपा के शहजादे ने कभी कहा था कि माफिया की एंट्री पर रोक लगाएंगे लेकिन उन्हीं को गोद में बैठाया। ये लोग पासी, नोनिया, यादव, बिंद, कुर्मी, पटेल सबका आरक्षण छिनने में लगे हैं। योगी कहते हैं- पर्सनल लॉ लागू कर महिलाओं को बाजार जाने से रोकना और बुर्का पहनने को मजबूर करना चाहते हैं। मोदी की गारंटी है कि भारत संविधान से ही चलेगा, शरिया कानून से नहीं। गाजीपुर में अखिलेश कहते हैं- भाजपा और बसपा अंदर ही अंदर मिले हुए हैं। 21% दलित वोटर्स को टारगेट करते हुए वह कहते हैं – आपकी जिम्मेदारी है कि अफजाल को जिताएं। ग्राफिक्स में जातिगत समीकरण पब्लिक और एक्सपर्ट्स से बात करके 3 बातें समझ में आती हैं… क्या कहते ही पब्लिक, जानिए… लोग बोले- मुख्तार की मौत से गुस्सा, EVM पर दिखाएंगे
गाजीपुर में क्या सिर्फ अफजाल की हवा है, यही जानने हम सीट पर पहुंचे। सिंचाई विभाग चौराहा पर हमें अभिनव सिंह मिले। चुनावी मिजाज पर चर्चा हुई तो उनका रुख सपा के सांसद की जीत की ओर नजर आया। अभिनव सिंह ने कहा- चुनाव में सपा गठबंधन हर तरह से रिकॉर्ड मत पा रहा है। गाजीपुर में 20 लाख से ज्यादा वोटर हैं। सपा 10 लाख से ज्यादा मत लेकर जीत रही है। पहले सिर्फ मुस्लिम सपोर्ट था, अब राजभर और क्षत्रिय बिरादरी भी अफजाल अंसारी को चुन रही है। मैं भी क्षत्रिय हूं और अब सपा के साथ हूं। मुख्तार अंसारी की मौत से लोगों में आक्रोश है उसे EVM पर दिखाएंगे। शास्त्री चौराहे पर समाजसेवी विवेकानंद पांडे ने बताया- गाजीपुर की पहचान कभी माफियाओं से हुआ करती थी, अब यह पहचान बदल गई है। इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीतना चाहिए, इससे रुके हुए डेवलपमेंट आगे बढ़ेंगे। भाजपा की सरकार बनने के साथ गाजीपुर में पारस राय मजबूत सांसद प्रत्याशी बनकर उभरे हैं। ओमप्रकाश तिवारी बच्चा कहते हैं – वीआईपी सीट होने के नाते गाजीपुर में कांटे की लड़ाई है। सपा के अफजाल अंसारी को कड़ा मुकाबला भाजपा से मिल रहा है। भाजपा प्रत्याशी नए हैं, लेकिन राजनीतिक दल के अलावा संघ से जुड़े रहे हैं। 4 लाख से ज्यादा यादव, 3 लाख मुस्लिम समेत ओबीसी 11 लाख हैं, जो हार-जीत में अहम भूमिका अदा करने वाले हैं। कोर्ट के फैसले के डर से बेटी नुसरत को मैदान में उतारा
गाजीपुर में अफजाल अंसारी, अपनी बेटी नुसरत अंसारी के साथ जनता के बीच जा रहे हैं। चुनाव प्रचार कर रहे हैं। नुसरत अंसारी भी निर्दलीय उम्मीदवार हैं। सजा पर रोक के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में अफजाल ने 7 दिन का समय मांग लिया है, ताकि चुनाव हो सके। अगर कोर्ट अफजाल अंसारी के खिलाफ फैसला सुनाता, तो 1 जून को गाजीपुर में मतदान से पहले चुनाव प्रक्रिया में अफजाल अयोग्य घोषित हो सकते थे। राजनीतिक जानकारों की मानें तो फैसले के असमंजस को लेकर ही अफजाल अंसारी ने अपनी बेटी नुसरत अंसारी को गाजीपुर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा। पॉलिटिकल एक्सपर्ट गाजीपुर में क्या मुख्तार के अलावा कोई चुनाव का मुद्दा है?
पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं- काशी से जुड़े गाजीपुर को लहुरीकाशी कहा जाता है। मुख्तार अंसारी के मरने के बाद अंसारी परिवार पहला चुनाव लड़ रहा है। सपा ने अफजाल को बसपा से बिना इस्तीफा दिए प्रत्याशी बनाया है। भाजपा और सपा के बीच टक्कर नजर आ रही है। पूरे समीकरण इन दोनों के आस-पास ही घूम रहे हैं। बसपा यहां सिर्फ लड़ाई में बने रहने के लिए चुनाव लड़ रही है। सांसद अफजाल अंसारी 2019 में बसपा-सपा गठबंधन के प्रत्याशी थे, उनके लिए वोट बैंक सहेजना आसान होगा, जबकि पारस नाथ राय नए प्रत्याशी हैं। इनके सामने सबसे बड़ी चुनौती 2019 में मनोज सिन्हा को मिले 4.46 लाख वोटों को पाना है। यही वोट उन्हें फाइट में दिखाएगा। गाजीपुर में किसी बड़े चुनावी मुद्दे का ज्यादा असर नहीं है। विकास की चर्चा है, लेकिन चुनावी बयार जातिवाद पर नजर आती है। रोजगार जैसे विषय गायब हैं। पॉलिटिकल लीडर सपा का दावा: अफजाल ने कहा- पूर्वांचल में औकात नापने के लिए हम बहुत हैं
सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने कहा- अंसारी परिवार और सपा मिलकर पूर्वांचल में भाजपा को औकात दिखाने के लिए काफी हैं। जिस षड्यंत्र के तहत आधार केस ही खत्म हो गया। उस सजा के आदेश पर हमने अपील की, जहां जमानत भी मिली। सर्वोच्च न्यायालय ने मेरी अपील सुनकर सजा को निलंबित कर दिया। इससे चुनाव आयोग की अयोग्यता समाप्त हो गई। हम चुनाव लड़ रहे हैं और मजबूती से लड़ रहे हैं, न्याय पालिका पर पूरा भरोसा है। वह कहते हैं- गाजीपुर के पास की सीट वाराणसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं। केंद्र और प्रदेश के मंत्री जुटे हैं, ये उनकी घबराहट है, जो अलग-अलग मंच पर दिख रही है। आने वाली 1 और 4 जून का परिणाम देकर जनता जवाब देगी। भाजपा का दावा : सपा सीट नहीं जीत रही
भाजपा के पूर्व मंत्री विजय मिश्रा कहते हैं- गाजीपुर में एक बार फिर लोग भाजपा को चुनने वाले हैं। पब्लिक सपोर्ट हमारे साथ है, यह मोदी-योगी की जनसभाओं में अपार जनसमूह के रूप में हम देख चुके हैं। गाजीपुर के जरिए पूरे पूर्वांचल से सपा खत्म होती दिख रही है। यूपी की चर्चित लोकसभा सीटों में शामिल गाजीपुर पर देशभर की निगाहे हैं। यहां दो बातें खास हैं, पहला- 40 साल बाद इस चुनाव में मुख्तार नहीं दिखेगा, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उसी की है। मुख्तार के बड़े भाई और सांसद अफजाल अंसारी सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वो मुस्लिम वोटों और सहानुभूति फैक्टर के भरोसे हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं। दूसरी – 40 साल से हर चुनाव लड़ते आ रहे मनोज सिन्हा इस बार मैदान में नहीं हैं। भाजपा ने पारसनाथ राय को टिकट दिया है। सत्ता और विपक्षी नेताओं की जनसभा से लेकर नुक्कड़ सभाओं तक मुख्तार अंसारी का नाम छाया है। पीएम मोदी और सीएम योगी बिना नाम लिए, तो केंद्रीय मंत्री नाम लेकर मुख्तार अंसारी की चर्चा कर रहे हैं। चुनाव में विकास, अग्निवीर, परिवर्तन, रोजगार, उद्योग समेत जातिगत मुद्दों की भी बात की जा रही है, लेकिन मुख्तार अंसारी फैक्टर सबसे ज्यादा प्रभावी है। मोदी ने कहा- सपा के शहजादे ने माफिया को गोद में बैठा लिया
गाजीपुर में PM मोदी कहते हैं- पहले माफिया लाल बत्ती में घूमते थे। सपा के शहजादे ने कभी कहा था कि माफिया की एंट्री पर रोक लगाएंगे लेकिन उन्हीं को गोद में बैठाया। ये लोग पासी, नोनिया, यादव, बिंद, कुर्मी, पटेल सबका आरक्षण छिनने में लगे हैं। योगी कहते हैं- पर्सनल लॉ लागू कर महिलाओं को बाजार जाने से रोकना और बुर्का पहनने को मजबूर करना चाहते हैं। मोदी की गारंटी है कि भारत संविधान से ही चलेगा, शरिया कानून से नहीं। गाजीपुर में अखिलेश कहते हैं- भाजपा और बसपा अंदर ही अंदर मिले हुए हैं। 21% दलित वोटर्स को टारगेट करते हुए वह कहते हैं – आपकी जिम्मेदारी है कि अफजाल को जिताएं। ग्राफिक्स में जातिगत समीकरण पब्लिक और एक्सपर्ट्स से बात करके 3 बातें समझ में आती हैं… क्या कहते ही पब्लिक, जानिए… लोग बोले- मुख्तार की मौत से गुस्सा, EVM पर दिखाएंगे
गाजीपुर में क्या सिर्फ अफजाल की हवा है, यही जानने हम सीट पर पहुंचे। सिंचाई विभाग चौराहा पर हमें अभिनव सिंह मिले। चुनावी मिजाज पर चर्चा हुई तो उनका रुख सपा के सांसद की जीत की ओर नजर आया। अभिनव सिंह ने कहा- चुनाव में सपा गठबंधन हर तरह से रिकॉर्ड मत पा रहा है। गाजीपुर में 20 लाख से ज्यादा वोटर हैं। सपा 10 लाख से ज्यादा मत लेकर जीत रही है। पहले सिर्फ मुस्लिम सपोर्ट था, अब राजभर और क्षत्रिय बिरादरी भी अफजाल अंसारी को चुन रही है। मैं भी क्षत्रिय हूं और अब सपा के साथ हूं। मुख्तार अंसारी की मौत से लोगों में आक्रोश है उसे EVM पर दिखाएंगे। शास्त्री चौराहे पर समाजसेवी विवेकानंद पांडे ने बताया- गाजीपुर की पहचान कभी माफियाओं से हुआ करती थी, अब यह पहचान बदल गई है। इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीतना चाहिए, इससे रुके हुए डेवलपमेंट आगे बढ़ेंगे। भाजपा की सरकार बनने के साथ गाजीपुर में पारस राय मजबूत सांसद प्रत्याशी बनकर उभरे हैं। ओमप्रकाश तिवारी बच्चा कहते हैं – वीआईपी सीट होने के नाते गाजीपुर में कांटे की लड़ाई है। सपा के अफजाल अंसारी को कड़ा मुकाबला भाजपा से मिल रहा है। भाजपा प्रत्याशी नए हैं, लेकिन राजनीतिक दल के अलावा संघ से जुड़े रहे हैं। 4 लाख से ज्यादा यादव, 3 लाख मुस्लिम समेत ओबीसी 11 लाख हैं, जो हार-जीत में अहम भूमिका अदा करने वाले हैं। कोर्ट के फैसले के डर से बेटी नुसरत को मैदान में उतारा
गाजीपुर में अफजाल अंसारी, अपनी बेटी नुसरत अंसारी के साथ जनता के बीच जा रहे हैं। चुनाव प्रचार कर रहे हैं। नुसरत अंसारी भी निर्दलीय उम्मीदवार हैं। सजा पर रोक के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में अफजाल ने 7 दिन का समय मांग लिया है, ताकि चुनाव हो सके। अगर कोर्ट अफजाल अंसारी के खिलाफ फैसला सुनाता, तो 1 जून को गाजीपुर में मतदान से पहले चुनाव प्रक्रिया में अफजाल अयोग्य घोषित हो सकते थे। राजनीतिक जानकारों की मानें तो फैसले के असमंजस को लेकर ही अफजाल अंसारी ने अपनी बेटी नुसरत अंसारी को गाजीपुर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा। पॉलिटिकल एक्सपर्ट गाजीपुर में क्या मुख्तार के अलावा कोई चुनाव का मुद्दा है?
पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं- काशी से जुड़े गाजीपुर को लहुरीकाशी कहा जाता है। मुख्तार अंसारी के मरने के बाद अंसारी परिवार पहला चुनाव लड़ रहा है। सपा ने अफजाल को बसपा से बिना इस्तीफा दिए प्रत्याशी बनाया है। भाजपा और सपा के बीच टक्कर नजर आ रही है। पूरे समीकरण इन दोनों के आस-पास ही घूम रहे हैं। बसपा यहां सिर्फ लड़ाई में बने रहने के लिए चुनाव लड़ रही है। सांसद अफजाल अंसारी 2019 में बसपा-सपा गठबंधन के प्रत्याशी थे, उनके लिए वोट बैंक सहेजना आसान होगा, जबकि पारस नाथ राय नए प्रत्याशी हैं। इनके सामने सबसे बड़ी चुनौती 2019 में मनोज सिन्हा को मिले 4.46 लाख वोटों को पाना है। यही वोट उन्हें फाइट में दिखाएगा। गाजीपुर में किसी बड़े चुनावी मुद्दे का ज्यादा असर नहीं है। विकास की चर्चा है, लेकिन चुनावी बयार जातिवाद पर नजर आती है। रोजगार जैसे विषय गायब हैं। पॉलिटिकल लीडर सपा का दावा: अफजाल ने कहा- पूर्वांचल में औकात नापने के लिए हम बहुत हैं
सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने कहा- अंसारी परिवार और सपा मिलकर पूर्वांचल में भाजपा को औकात दिखाने के लिए काफी हैं। जिस षड्यंत्र के तहत आधार केस ही खत्म हो गया। उस सजा के आदेश पर हमने अपील की, जहां जमानत भी मिली। सर्वोच्च न्यायालय ने मेरी अपील सुनकर सजा को निलंबित कर दिया। इससे चुनाव आयोग की अयोग्यता समाप्त हो गई। हम चुनाव लड़ रहे हैं और मजबूती से लड़ रहे हैं, न्याय पालिका पर पूरा भरोसा है। वह कहते हैं- गाजीपुर के पास की सीट वाराणसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं। केंद्र और प्रदेश के मंत्री जुटे हैं, ये उनकी घबराहट है, जो अलग-अलग मंच पर दिख रही है। आने वाली 1 और 4 जून का परिणाम देकर जनता जवाब देगी। भाजपा का दावा : सपा सीट नहीं जीत रही
भाजपा के पूर्व मंत्री विजय मिश्रा कहते हैं- गाजीपुर में एक बार फिर लोग भाजपा को चुनने वाले हैं। पब्लिक सपोर्ट हमारे साथ है, यह मोदी-योगी की जनसभाओं में अपार जनसमूह के रूप में हम देख चुके हैं। गाजीपुर के जरिए पूरे पूर्वांचल से सपा खत्म होती दिख रही है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर