गिद्दड़बाहा सीट पर उपचुनाव जंग की तैयारी:कांग्रेस के सीनियर नेता पहुंचे मैदान में, पार्टी नेताओं से मीटिंग, बूथ स्तर पर स्ट्रेटजी

गिद्दड़बाहा सीट पर उपचुनाव जंग की तैयारी:कांग्रेस के सीनियर नेता पहुंचे मैदान में, पार्टी नेताओं से मीटिंग, बूथ स्तर पर स्ट्रेटजी

भले ही अभी पंजाब की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का ऐलान निर्वाचन आयोग ने अभी नहीं किया है। लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी मैदान में अपनी ताकत झोंक दी है। गिद्दड़बाहा सीट को फतह करने के लिए सभी पार्टियां ताकत लगा रही है। इसी कड़ी कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने चुनाव को लेकर नेताओं से मीटिंग स्ट्रेटजी बनाई है। मीटिंग में सीट के लिए प्रभारी लगाए गए खडूर साहिब के पूर्व सांसद जसबीर सिहं डिंपा, फरीकदोट के पूर्व विधायक किकी ढिल्लों और कांग्रेस के सचिव कैप्टन संदीप संधू भी हाजिर रहे। कांग्रेस पार्टी की तरफ से अपने साेशल मीडिया अकाउंट फेसबुक पर दी गई। बूथ स्तर पर बनाई स्ट्रेटजी कांग्रेस का फोकस इस सीट को हर हाल में जीतना है। ऐसे में पार्टी पूरी रणनीति से तैयारी में जुटी है। पार्टी के बड़े नेता सीधे नेताओं व समर्थकों के बीच पहुंचे है। मीटिंग में नेताओं और समर्थकों को अपने बूथ मजबूत बनाने की सलाह दी है। लोगों से संपर्क बढ़ाने को कहा है। इसके अलावा हर अपडेट पार्टी के सीनियर नेताओं से शेयर करने को कहा है। कम होता जीत का अंतर कांग्रेस के लिए चुनौती इस सीट पर कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने लगातार तीन चुनाव जीता है। लेकिन 2022 में उनकी जीत का अंतर मात्र 1349 रह गया था। यह बात कांग्रेस को थोड़ा सता रही है। क्योंकि यहां दूसरे नंबर शिरोमणि अकाली दल रहा है। 2022 में कांग्रेस नेता राजा वड़िंग को 50998 वोट मिले थे, जबकि अकाली दल को 49649 मत मिले थे। वहीं, 2017 में 63500 और अकाली दल को 47800 वोट हासिल हुए थे। सिर्फ पांच पर बार जीती कांग्रेस गिद्दड़बाहा सीट पर 1967 में बनी थी। पहला चुनाव यहां से कांग्रेस नेता हरचरण सिंह बराड़ जीते थे। इसके बाद लगातार पांच बार 1969, 72, 77, 80 और 85 में इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल जीते। 1992 में कांग्रेस नेता रघुबीर सिंह जीते। इसके बाद 1995, 97, 2002 और 2007 में सीट से शिरोमणि अकाली दल की टिकट पर मनप्रीत बादल जीतते रहे। जबकि 2012, 2017 और 2022 में इस सीट से कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग जीते हैं। लेकिन अब वह लुधियाना से लोकसभा चुनाव जीते हैं। उन्होंने इस सीट के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। इस वजह से यह सीट खाली हुई है। अन्य पार्टियां भी इस चुनाव में जुटी इस सीट के लिए अन्य राजनीतिक पार्टियां भी खूब पसीना बहा रही है। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल भी गत दो दिनों से हलके में थे। चर्चा यहां तक है कि वह इस सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं। जबकि आम आदमी पार्टी की तरफ से सीएम भगवंत मान हलके का दौरा करके गए है। मालवा नहर बनाने तक ऐलान किया है। है। कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा और धर्मकोट के विधायक देविंदरजीत सिंह लाडी ढोस को प्रभारी व सह प्रभारी लगाया है।बीजेपी भी इस सीट पर एक्टिव है। भले ही अभी पंजाब की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का ऐलान निर्वाचन आयोग ने अभी नहीं किया है। लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी मैदान में अपनी ताकत झोंक दी है। गिद्दड़बाहा सीट को फतह करने के लिए सभी पार्टियां ताकत लगा रही है। इसी कड़ी कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने चुनाव को लेकर नेताओं से मीटिंग स्ट्रेटजी बनाई है। मीटिंग में सीट के लिए प्रभारी लगाए गए खडूर साहिब के पूर्व सांसद जसबीर सिहं डिंपा, फरीकदोट के पूर्व विधायक किकी ढिल्लों और कांग्रेस के सचिव कैप्टन संदीप संधू भी हाजिर रहे। कांग्रेस पार्टी की तरफ से अपने साेशल मीडिया अकाउंट फेसबुक पर दी गई। बूथ स्तर पर बनाई स्ट्रेटजी कांग्रेस का फोकस इस सीट को हर हाल में जीतना है। ऐसे में पार्टी पूरी रणनीति से तैयारी में जुटी है। पार्टी के बड़े नेता सीधे नेताओं व समर्थकों के बीच पहुंचे है। मीटिंग में नेताओं और समर्थकों को अपने बूथ मजबूत बनाने की सलाह दी है। लोगों से संपर्क बढ़ाने को कहा है। इसके अलावा हर अपडेट पार्टी के सीनियर नेताओं से शेयर करने को कहा है। कम होता जीत का अंतर कांग्रेस के लिए चुनौती इस सीट पर कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने लगातार तीन चुनाव जीता है। लेकिन 2022 में उनकी जीत का अंतर मात्र 1349 रह गया था। यह बात कांग्रेस को थोड़ा सता रही है। क्योंकि यहां दूसरे नंबर शिरोमणि अकाली दल रहा है। 2022 में कांग्रेस नेता राजा वड़िंग को 50998 वोट मिले थे, जबकि अकाली दल को 49649 मत मिले थे। वहीं, 2017 में 63500 और अकाली दल को 47800 वोट हासिल हुए थे। सिर्फ पांच पर बार जीती कांग्रेस गिद्दड़बाहा सीट पर 1967 में बनी थी। पहला चुनाव यहां से कांग्रेस नेता हरचरण सिंह बराड़ जीते थे। इसके बाद लगातार पांच बार 1969, 72, 77, 80 और 85 में इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल जीते। 1992 में कांग्रेस नेता रघुबीर सिंह जीते। इसके बाद 1995, 97, 2002 और 2007 में सीट से शिरोमणि अकाली दल की टिकट पर मनप्रीत बादल जीतते रहे। जबकि 2012, 2017 और 2022 में इस सीट से कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग जीते हैं। लेकिन अब वह लुधियाना से लोकसभा चुनाव जीते हैं। उन्होंने इस सीट के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। इस वजह से यह सीट खाली हुई है। अन्य पार्टियां भी इस चुनाव में जुटी इस सीट के लिए अन्य राजनीतिक पार्टियां भी खूब पसीना बहा रही है। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल भी गत दो दिनों से हलके में थे। चर्चा यहां तक है कि वह इस सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं। जबकि आम आदमी पार्टी की तरफ से सीएम भगवंत मान हलके का दौरा करके गए है। मालवा नहर बनाने तक ऐलान किया है। है। कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा और धर्मकोट के विधायक देविंदरजीत सिंह लाडी ढोस को प्रभारी व सह प्रभारी लगाया है।बीजेपी भी इस सीट पर एक्टिव है।   पंजाब | दैनिक भास्कर