एक तरफ पंजाब सरकार नशे की सप्लाई चेन तोड़ने के बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं दूसरी तरफ नशा किस तरह युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर रहा है, इसकी उदहारण नशा मुक्ति केंद्र गुरदासपुर में दाखिल एक युवक से मिलती है। युवक ने 7 साल में 60 लाख का नशा पी लिया। नशे की लत को पूरा करने के लिए उसने घर, सोना आदि भी बेच दिया। युवक के पिता सुनार थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। युवक खुद भी सुनार का काम करता है। युवक के पिता और मां की मौत हो चुकी है। अब युवक अपनी बहन की खातिर नशा छोड़ने के लिए गुरदासपुर के नशा मुक्ति केंद्र में पहुंचा है। युवक ने बताया कि उसने 2016 में नशा करना शुरू किया था। पहले तो उसने शौकिया तौर पर नशा करना शुरू किया। उसे क्या पता था कि यह लत उनके लिए काल बन जाएगी। वह कब नशे की चपेट में आ गया, उसे खुद भी पता ही नहीं चला। पहले तो उसके दोस्त उसे नशा करवाते थे, लेकिन बाद में वे पैसे मांगने लगे। जिससे वह खुद के पैसे खर्च कर नशा करने लगा। माता पिता की हो चुकी मौत युवक ने बताया कि उसके पिता सुनार का काम करते थे। उसके माता-पिता की मौत हो चुकी है। अब एक बहन ही उनके साथ है। युवक ने बताया कि वह 2016 से अब तक 60 से 65 लाख नशा कर चुका है। नशा करने के लिए उसने अपना घर, सोना और सब कुछ बेच दिया। अब युवक अपनी बहन की खातिर नशा छोड़ने के लिए गुरदासपुर के नशा मुक्ति केंद्र में दाखिल हो गया है और अब नशा छोड़कर बेहतर जिंदगी जीना चाहता है। नौजवान ने युवाओं से अपील की है कि नशा कभी खत्म नहीं हो सकता, नशा तभी खत्म होगा जब हम नशा करना बंद कर देंगे। नशा मुक्ति केंद्र के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रोमेश महाजन ने कहा कि पंजाब में जो नशा बिक रहा है, उसमें केमिकल होने से युवाओं की मौत हो रही है। उन्होंने कहा कि नशे पर रोक लगाने के लिए प्रशासन की ओर से कई पहल की जा रही हैं, जो सराहनीय हैं, लेकिन युवाओं को अपनी इच्छा शक्ति से नशा छोड़ने का प्रयास करना चाहिए। एक तरफ पंजाब सरकार नशे की सप्लाई चेन तोड़ने के बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं दूसरी तरफ नशा किस तरह युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर रहा है, इसकी उदहारण नशा मुक्ति केंद्र गुरदासपुर में दाखिल एक युवक से मिलती है। युवक ने 7 साल में 60 लाख का नशा पी लिया। नशे की लत को पूरा करने के लिए उसने घर, सोना आदि भी बेच दिया। युवक के पिता सुनार थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। युवक खुद भी सुनार का काम करता है। युवक के पिता और मां की मौत हो चुकी है। अब युवक अपनी बहन की खातिर नशा छोड़ने के लिए गुरदासपुर के नशा मुक्ति केंद्र में पहुंचा है। युवक ने बताया कि उसने 2016 में नशा करना शुरू किया था। पहले तो उसने शौकिया तौर पर नशा करना शुरू किया। उसे क्या पता था कि यह लत उनके लिए काल बन जाएगी। वह कब नशे की चपेट में आ गया, उसे खुद भी पता ही नहीं चला। पहले तो उसके दोस्त उसे नशा करवाते थे, लेकिन बाद में वे पैसे मांगने लगे। जिससे वह खुद के पैसे खर्च कर नशा करने लगा। माता पिता की हो चुकी मौत युवक ने बताया कि उसके पिता सुनार का काम करते थे। उसके माता-पिता की मौत हो चुकी है। अब एक बहन ही उनके साथ है। युवक ने बताया कि वह 2016 से अब तक 60 से 65 लाख नशा कर चुका है। नशा करने के लिए उसने अपना घर, सोना और सब कुछ बेच दिया। अब युवक अपनी बहन की खातिर नशा छोड़ने के लिए गुरदासपुर के नशा मुक्ति केंद्र में दाखिल हो गया है और अब नशा छोड़कर बेहतर जिंदगी जीना चाहता है। नौजवान ने युवाओं से अपील की है कि नशा कभी खत्म नहीं हो सकता, नशा तभी खत्म होगा जब हम नशा करना बंद कर देंगे। नशा मुक्ति केंद्र के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रोमेश महाजन ने कहा कि पंजाब में जो नशा बिक रहा है, उसमें केमिकल होने से युवाओं की मौत हो रही है। उन्होंने कहा कि नशे पर रोक लगाने के लिए प्रशासन की ओर से कई पहल की जा रही हैं, जो सराहनीय हैं, लेकिन युवाओं को अपनी इच्छा शक्ति से नशा छोड़ने का प्रयास करना चाहिए। पंजाब | दैनिक भास्कर
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