गुरुग्राम के मेयर चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत मिली है, लेकिन वार्ड चुनाव में बागियों ने ही भाजपा का खेल बिगाड़ने का काम किया। निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे आधा दर्जन बागियों ने भाजपा प्रत्याशियों को हरा दिया। जबकि कांग्रेस के केवल तीन प्रत्याशी ही जीतने में कामयाब रहे, लेकिन मेयर प्रत्याशी पौने दो लाख वोट से हार गई तो उनके पति पवन पाहुजा भी वार्ड 32 से 3595 वोट के बड़े मार्जन से चुनाव हारे। राव इंद्रजीत वर्सेज राव नरबीर गुरुग्राम में इस बार साउथ हरियाणा के दिग्गज राव इंद्रजीत वर्सेज राव नरबीर चुनाव देखने को मिला। मेयर राजरानी मल्होत्रा और उनके पति आरएसएस बैकग्राउंड से हैं, इसलिए दोनों बड़े नेताओं ने उनका सहयोग किया, लेकिन वार्डों में अपने अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए पैरवी की। राव इंद्रजीत के जिन समर्थकों का टिकट कटा, उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर अपनी ताकत दिखाई और जीत भी हासिल की। हारने वालों में राव नरबीर के समर्थक ज्यादा बताए जा रहे हैं। ये रहे चर्चित वार्ड -चर्चित वार्ड की बात करें तो सबसे पहले वार्ड एक में भाजपा के प्रत्याशी सुंदर सिंह राव इंद्रजीत के समर्थक हैं तो खुद को राव नरबीर का नजदीकी बताकर चुनाव मैदान में उतरे साहब राम चुनाव हार गए। साहब राम का साइबर सिटी के डवलपमेंट में काफी योगदान रहा है और वे उस समय नाथूपुर के सरपंच हुआ करते थे। -वार्ड दो से पूर्व मेयर विमल यादव ने बागी होकर अपनी पत्नी रिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वह हार गई। -वार्ड 3 में दो निर्दलीयों में टक्कर थी और यहां राकेश यादव 1880 वोटों से जीत गए। इस वार्ड में भाजपा और कांग्रेस तीसरे और चौथे नंबर पर रही। -वार्ड 6 के दौलताबाद गांव में राव नरबीर सिंह ने उन्हें वोट नहीं देने को लेकर खरी खोटी सुनाई तो नाराज लोगों ने फिर से उन्हें झटका दे दिया और अपने गांव के कांग्रेस उम्मीदवार सतपाल को 1200 वोट से जीत दिलवाई। -वार्ड 23 में पहले तीन नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी रहे और कुनाल यादव ने जीत हासिल की। भाजपा प्रत्याशी यहां चौथे नंबर पर रहा। नोटा से भी फिसड्डी रहे पांच प्रत्याशी -इस चुनाव में नोटा का भी जलवा देखने को मिला। मेयर चुनाव में 15911 मतदाताओं ने दोनों प्रत्याशियों को नापसंद किया और नोटा का विकल्प चुनाव। तो पार्षद चुनाव में पांच प्रत्याशियों से नोटा आगे रहा। वार्ड 28 से नौ प्रत्याशी थे और यहां निर्दलीय प्रत्याशी राजबीर सिंह को नोटा से भी कम केवल 32 वोट मिले। इसी तरह वार्ड 29 से दीपशिखा और भावना, वार्ड 31 से अमित कुमार और वार्ड 34 से राखी को नोटा से कम वोट मिले। प्रधानमंत्री ने दी बधाई एक गांव से तीन प्रत्याशी वार्ड नंबर पांच से चौकाने वाला रिजल्ट प्राप्त हुआ, यहां से भाजपा के राकेश राणा एक नजदीकी मुकाबले में 761 वोट से हार गए। खास बात ये रही है उनके गांव बजघेड़ा के रहने वाले जजपा प्रत्याशी रामअवतार राणा ने उन्हें हराया। इस वार्ड के चार प्रत्याशियों में से तीन तो अकेले बजघेड़ा गांव से राकेश राणा, रामअवतार और पिंकी बीर सिंह राणा मैदान में थे। यहां से रामअवतार राणा ने जीत हासिल कर जजपा का भी खाता खोला। चार बार गिनती, फिर दो वोट से जीते महावीर वार्ड 10 का चुनाव काफी रोचक रहा। यहां निर्दलीय महावीर यादव ने बीजेपी प्रत्याशी को मात्र दो वोट से हराया, लेकिन भाजपा के अजीत यादव इतनी जल्दी हार मानने वाले नहीं थे। उन्होंने चार बार गिनती करवाई। हालांकि चारों बार महावीर यादव जीते। उनके समर्थकों ने सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए हंगामा भी किया। तब जाकर बार बार गिनती का कार्य रोक कर महावीर यादव को विजेता घोषित किया गया। गुरुग्राम के मेयर चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत मिली है, लेकिन वार्ड चुनाव में बागियों ने ही भाजपा का खेल बिगाड़ने का काम किया। निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे आधा दर्जन बागियों ने भाजपा प्रत्याशियों को हरा दिया। जबकि कांग्रेस के केवल तीन प्रत्याशी ही जीतने में कामयाब रहे, लेकिन मेयर प्रत्याशी पौने दो लाख वोट से हार गई तो उनके पति पवन पाहुजा भी वार्ड 32 से 3595 वोट के बड़े मार्जन से चुनाव हारे। राव इंद्रजीत वर्सेज राव नरबीर गुरुग्राम में इस बार साउथ हरियाणा के दिग्गज राव इंद्रजीत वर्सेज राव नरबीर चुनाव देखने को मिला। मेयर राजरानी मल्होत्रा और उनके पति आरएसएस बैकग्राउंड से हैं, इसलिए दोनों बड़े नेताओं ने उनका सहयोग किया, लेकिन वार्डों में अपने अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए पैरवी की। राव इंद्रजीत के जिन समर्थकों का टिकट कटा, उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर अपनी ताकत दिखाई और जीत भी हासिल की। हारने वालों में राव नरबीर के समर्थक ज्यादा बताए जा रहे हैं। ये रहे चर्चित वार्ड -चर्चित वार्ड की बात करें तो सबसे पहले वार्ड एक में भाजपा के प्रत्याशी सुंदर सिंह राव इंद्रजीत के समर्थक हैं तो खुद को राव नरबीर का नजदीकी बताकर चुनाव मैदान में उतरे साहब राम चुनाव हार गए। साहब राम का साइबर सिटी के डवलपमेंट में काफी योगदान रहा है और वे उस समय नाथूपुर के सरपंच हुआ करते थे। -वार्ड दो से पूर्व मेयर विमल यादव ने बागी होकर अपनी पत्नी रिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वह हार गई। -वार्ड 3 में दो निर्दलीयों में टक्कर थी और यहां राकेश यादव 1880 वोटों से जीत गए। इस वार्ड में भाजपा और कांग्रेस तीसरे और चौथे नंबर पर रही। -वार्ड 6 के दौलताबाद गांव में राव नरबीर सिंह ने उन्हें वोट नहीं देने को लेकर खरी खोटी सुनाई तो नाराज लोगों ने फिर से उन्हें झटका दे दिया और अपने गांव के कांग्रेस उम्मीदवार सतपाल को 1200 वोट से जीत दिलवाई। -वार्ड 23 में पहले तीन नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी रहे और कुनाल यादव ने जीत हासिल की। भाजपा प्रत्याशी यहां चौथे नंबर पर रहा। नोटा से भी फिसड्डी रहे पांच प्रत्याशी -इस चुनाव में नोटा का भी जलवा देखने को मिला। मेयर चुनाव में 15911 मतदाताओं ने दोनों प्रत्याशियों को नापसंद किया और नोटा का विकल्प चुनाव। तो पार्षद चुनाव में पांच प्रत्याशियों से नोटा आगे रहा। वार्ड 28 से नौ प्रत्याशी थे और यहां निर्दलीय प्रत्याशी राजबीर सिंह को नोटा से भी कम केवल 32 वोट मिले। इसी तरह वार्ड 29 से दीपशिखा और भावना, वार्ड 31 से अमित कुमार और वार्ड 34 से राखी को नोटा से कम वोट मिले। प्रधानमंत्री ने दी बधाई एक गांव से तीन प्रत्याशी वार्ड नंबर पांच से चौकाने वाला रिजल्ट प्राप्त हुआ, यहां से भाजपा के राकेश राणा एक नजदीकी मुकाबले में 761 वोट से हार गए। खास बात ये रही है उनके गांव बजघेड़ा के रहने वाले जजपा प्रत्याशी रामअवतार राणा ने उन्हें हराया। इस वार्ड के चार प्रत्याशियों में से तीन तो अकेले बजघेड़ा गांव से राकेश राणा, रामअवतार और पिंकी बीर सिंह राणा मैदान में थे। यहां से रामअवतार राणा ने जीत हासिल कर जजपा का भी खाता खोला। चार बार गिनती, फिर दो वोट से जीते महावीर वार्ड 10 का चुनाव काफी रोचक रहा। यहां निर्दलीय महावीर यादव ने बीजेपी प्रत्याशी को मात्र दो वोट से हराया, लेकिन भाजपा के अजीत यादव इतनी जल्दी हार मानने वाले नहीं थे। उन्होंने चार बार गिनती करवाई। हालांकि चारों बार महावीर यादव जीते। उनके समर्थकों ने सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए हंगामा भी किया। तब जाकर बार बार गिनती का कार्य रोक कर महावीर यादव को विजेता घोषित किया गया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
