भारतीय जनता पार्टी के बाद कांग्रेस ने भी पंजाबी समुदाय से सीमा पाहुजा को प्रत्याशी बनाकर गुरुग्राम मेयर का चुनाव रोचक बना दिया है। गुरुग्राम में पंजाबी समुदाय का बड़ा दबदबा है और सबसे ज्यादा वोट भी इसी समुदाय की हैं। सीमा पाहुजा तेज तर्रार और मुखर पार्षद है। जो सीधे जनता के बीच जाकर समस्याओं को उठाने का काम करतीं है। जबकि राजरानी मल्होत्रा आरएसएस बैकग्राउंड से है और मायके से लेकर ससुराल तक दोनों परिवार आरएसएस से जुडे़ हैं। नगर निगम क्षेत्र में पंजाबी वोटर सबसे ज्यादा कांग्रेस प्रत्याशी ने पहले पार्टी ज्वाइन की और दोपहर बाद उन्हें टिकट मिल गई। वे पहले कांग्रेस में थी, लेकिन बाद में भाजपा चली गई थी। वे आरएसएस और भाजपा की चुनाव रणनीति से भली भांति वाकिफ है, ऐसे में भाजपा प्रत्याशी की मुश्किल बढ़ सकती हैं। क्योंकि गुरुग्राम नगर निगम क्षेत्र में पंजाबी वोटर सबसे ज्यादा हैं। उधर, भाजपा द्वारा लोकसभा और विधानसभा के बाद नगर निगम चुनाव में भी गुरुग्राम से वैश्य समुदाय के किसी व्यक्ति को पार्षद तक की टिकट नहीं दी गई। वैश्य समाज के कुछ बड़े नाम इस पर आपत्ति भी जता चुके हैं। भाजपा ने 36 वार्डों में से 11 यादवों, पांच ब्राह्मणों,चार-चार जाट और गुर्जर नेताओं को टिकट दिया है। जबकि पंजाबियों में यशपाल बत्रा की पत्नी को टिकट को दिया गया है। ऐसे में पंजाबी के साथ साथ दोनों ही पार्टियों की नजर वैश्य समुदाय की वोटों पर हैं। गुरुग्राम के चुनाव में माना जाता है कि जिस तरफ पंजाबी और वैश्य वोटरों का झुकाव होता, जीत उसी प्रत्याशी की होती है। भाजपा में रह चुकी हैं सीमा राजरानी के पति तिलकराज मल्होत्रा साल 2000 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि वे जीत हासिल नहीं कर पाएं। जबकि सीमा पाहुजा 13 साल से सक्रिय राजनीति में हैं और दो बार गुरुग्राम नगर निगम में पार्षद रह चुकी हैं। 2024 विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा से विधायक की टिकट की प्रबल दावेदार थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें मौका नहीं दिया तो इस्तीफा देकर भाजपा के ही बागी प्रत्याशी नवीन गोयल का खुलकर साथ दिया था। एनएसयूआइ के रास्ते नीरज को मिला टिकट कांग्रेस ने मानेसर से मेयर पद के लिए नीरज यादव को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। नीरज यादव नगर निगम के बड़े गांव मानेसर के रहने वाले हैं। उनके चाचा राव श्रीकृष्ण जिले के पहले जिला परिषद चेयरमैन थे। राव श्रीकृष्ण का इलाके में अच्छा प्रभाव था। नीरज यादव 2008 से कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं। वह संगठन चुनाव जीतकर प्रदेश उपाध्यक्ष और जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं। छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले नीरज दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के प्रभारी भी रह चुके हैं। हाईकमान में उनकी अच्छी पकड़ है। उन्होंने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी की मजबूती के लिए काम किया। जिसके चलते कांग्रेस पार्टी ने उन्हें मानेसर नगर में मेयर पद का प्रत्याशी बनाया। गुरुग्राम नगर निगम पर एक नजर मानेसर नगर निगम पर एक नजर भारतीय जनता पार्टी के बाद कांग्रेस ने भी पंजाबी समुदाय से सीमा पाहुजा को प्रत्याशी बनाकर गुरुग्राम मेयर का चुनाव रोचक बना दिया है। गुरुग्राम में पंजाबी समुदाय का बड़ा दबदबा है और सबसे ज्यादा वोट भी इसी समुदाय की हैं। सीमा पाहुजा तेज तर्रार और मुखर पार्षद है। जो सीधे जनता के बीच जाकर समस्याओं को उठाने का काम करतीं है। जबकि राजरानी मल्होत्रा आरएसएस बैकग्राउंड से है और मायके से लेकर ससुराल तक दोनों परिवार आरएसएस से जुडे़ हैं। नगर निगम क्षेत्र में पंजाबी वोटर सबसे ज्यादा कांग्रेस प्रत्याशी ने पहले पार्टी ज्वाइन की और दोपहर बाद उन्हें टिकट मिल गई। वे पहले कांग्रेस में थी, लेकिन बाद में भाजपा चली गई थी। वे आरएसएस और भाजपा की चुनाव रणनीति से भली भांति वाकिफ है, ऐसे में भाजपा प्रत्याशी की मुश्किल बढ़ सकती हैं। क्योंकि गुरुग्राम नगर निगम क्षेत्र में पंजाबी वोटर सबसे ज्यादा हैं। उधर, भाजपा द्वारा लोकसभा और विधानसभा के बाद नगर निगम चुनाव में भी गुरुग्राम से वैश्य समुदाय के किसी व्यक्ति को पार्षद तक की टिकट नहीं दी गई। वैश्य समाज के कुछ बड़े नाम इस पर आपत्ति भी जता चुके हैं। भाजपा ने 36 वार्डों में से 11 यादवों, पांच ब्राह्मणों,चार-चार जाट और गुर्जर नेताओं को टिकट दिया है। जबकि पंजाबियों में यशपाल बत्रा की पत्नी को टिकट को दिया गया है। ऐसे में पंजाबी के साथ साथ दोनों ही पार्टियों की नजर वैश्य समुदाय की वोटों पर हैं। गुरुग्राम के चुनाव में माना जाता है कि जिस तरफ पंजाबी और वैश्य वोटरों का झुकाव होता, जीत उसी प्रत्याशी की होती है। भाजपा में रह चुकी हैं सीमा राजरानी के पति तिलकराज मल्होत्रा साल 2000 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि वे जीत हासिल नहीं कर पाएं। जबकि सीमा पाहुजा 13 साल से सक्रिय राजनीति में हैं और दो बार गुरुग्राम नगर निगम में पार्षद रह चुकी हैं। 2024 विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा से विधायक की टिकट की प्रबल दावेदार थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें मौका नहीं दिया तो इस्तीफा देकर भाजपा के ही बागी प्रत्याशी नवीन गोयल का खुलकर साथ दिया था। एनएसयूआइ के रास्ते नीरज को मिला टिकट कांग्रेस ने मानेसर से मेयर पद के लिए नीरज यादव को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। नीरज यादव नगर निगम के बड़े गांव मानेसर के रहने वाले हैं। उनके चाचा राव श्रीकृष्ण जिले के पहले जिला परिषद चेयरमैन थे। राव श्रीकृष्ण का इलाके में अच्छा प्रभाव था। नीरज यादव 2008 से कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं। वह संगठन चुनाव जीतकर प्रदेश उपाध्यक्ष और जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं। छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले नीरज दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के प्रभारी भी रह चुके हैं। हाईकमान में उनकी अच्छी पकड़ है। उन्होंने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी की मजबूती के लिए काम किया। जिसके चलते कांग्रेस पार्टी ने उन्हें मानेसर नगर में मेयर पद का प्रत्याशी बनाया। गुरुग्राम नगर निगम पर एक नजर मानेसर नगर निगम पर एक नजर हरियाणा | दैनिक भास्कर
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