गुरुग्राम में वांटेड डॉक्टर डेथ का साथी गिरफ्तार:100 मर्डर केस, सबूत मिटाने को मगरमच्छों को खिलाई लाशें; गार्ड की नौकरी कर रहा था

गुरुग्राम में वांटेड डॉक्टर डेथ का साथी गिरफ्तार:100 मर्डर केस, सबूत मिटाने को मगरमच्छों को खिलाई लाशें; गार्ड की नौकरी कर रहा था

100 से ज्यादा मर्डर करने वाले डॉक्टर डेथ यानि डॉ. देवेंद्र शर्मा के साथी को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी 21 साल से हरियाणा सहित कई राज्यों की पुलिस टीमों को चकमा दे रहा था। गुरुग्राम में भी इसने डॉक्टर डेथ के साथ मिलकर हत्याएं की थीं। हत्या के बाद शवों को मगरमच्छों को खिला दिया था। पकड़ा गया आरोपी राजेंद्र उर्फ राजू उर्फ रजुआ (59) उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ के कासिमपुर का रहने वाला है। आरोपी पर हत्या, अपहरण और डकैती सहित 12 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें उसे कभी गिरफ्तार नहीं किया गया। अब गुरुग्राम पुलिस उसकी कस्टडी रिमांड लेने की तैयारी कर रही है, ताकि अनसुलझे मामलों को खुलासा हो सके। बता दें कि डॉक्टर डेथ को दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में हत्या के सात अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। गुरुग्राम की अदालत ने भी एक मामले में उसे फांसी की सजा सुनाई थी। अब जानिए कैसे पुलिस की गिरफ्त में आया आरोपी… 9 मई को दौसा से पकड़ा था डॉ. डेथ, मिली जानकारी
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने डॉ. देवेंद्र शर्मा (67) को 19 मई 2025 को राजस्थान के दौसा से गिरफ्तार किया था। कुख्यात सीरियल किलर और आयुर्वेद डॉक्टर शर्मा को ‘डॉक्टर डेथ’ के नाम से भी जाना जाता है। डीसीपी क्राइम ब्रांच आदित्य गौतम ने बताया कि देवेंद्र शर्मा ने पूछताछ में खुलासा किया था कि उसका सहयोगी राजेंद्र 2003-2004 से गिरोह के संचालन से जुड़े कई मामलों में अभी भी फरार है। वह और राजेंद्र फर्जी यात्री बनकर ड्राइवरों को फंसाते थे और इसके बाद उनकी हत्या कर देते थे। गार्ड बनकर पंप पर कर रहा था नौकरी
डीसीपी ने आगे बताया कि डॉक्टर डेथ के खुलासे के बाद पुलिस ने उसके सहयोगी राजेंद्र की तलाश शुरू की। इसके लिए इंस्पेक्टर राकेश कुमार और एसीपी एनडीआर उमेश बर्थवाल की देखरेख में एक विशेष टीम गठित की गई। इस टीम ने अलीगढ़, गुरुग्राम, जयपुर और दिल्ली में गोपनीय पूछताछ की और खुफिया जानकारी हासिल की। इसके बाद राजेंद्र को अलीगढ़ के कासिमपुर से ढूंढ निकाला, जहां वह एक अलग कमरे में छिपा हुआ था। वह एक स्थानीय पंप हाउस में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम कर रहा था। 2003 में डॉक्टर डेथ से जुड़ा राजेंद्र
डीसीपी के मुताबिक, राजेंद्र ने पूछताछ में खुलासा किया कि वह यूपी का रहने वाला है और एक किसान के रूप में काम करता है। 2003 में एक व्यक्तिगत विवाद के बाद वह देवेंद्र शर्मा के गिरोह में शामिल हो गया। गिरोह टैक्सी और ट्रक ड्राइवरों को अपनी सेवाएं देकर लालच देता था, बाद में उनकी हत्या कर देता था। इसके बाद उनके शवों को ठिकाने लगा देता था और वाहनों को ग्रे मार्केट में 15 लाख रुपए में बेच देता था। जयपुर में हो चुकी उम्रकैद की सजा
डीसीपी के मुताबिक, पूछताछ में आरोपी राजेंद्र ने बताया कि जयपुर में एक युवक की अगवा कर हत्या के मामले में उसे उम्रकैद की सजा हुई थी। वर्ष 2007 से 2021 तक वह जयपुर की जेल में बंद रहा। इस दौरान जयपुर पुलिस और जेल प्रशासन से उसने अपनी असली पहचान छिपाकर रखी। 2021 में जमानत लेकर वह अलीगढ़ आ गया था। 4 पॉइंट में समझिए डॉक्टर डेथ के सीरियल किलर बनने की कहानी 1. 125 अवैध ट्रांसप्लांट और फिर करने लगा हत्याएं
दिल्ली के कुख्यात आयुर्वेदिक डॉक्टर देवेंद्र शर्मा का पहली बार क्राइम फाइल में नाम 1998 से 2004 के बीच आया था। वह किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट से जुड़ा हुआ था। इस मामले में उसकी गिरफ्तारी हुई और उसने 125 से अधिक अवैध ट्रांसप्लांट के केस कबूल किए थे। इससे पहले देवेंद्र शर्मा ने 1994 में गैस एजेंसी की डीलरशिप ली थी। हालांकि इसमें घाटा हुआ तो उसने मानव अंगों की तस्करी शुरू कर दी थी। इस प्रकार हत्या की ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम देते हुए यह कब खूंखार सीरियल किलर बन गया, इसे खुद पता नहीं चला। 2. टैक्सी ड्राइवरों को बनाता था निशाना
पुलिस की माने तो आरोपी पर हत्या की सनक सवार थी। इसके लिए वह खासतौर पर टैक्सी ड्राइवरों को निशाना बनाता था। वह टैक्सी बुक करता और फिर ड्राइवर की हत्या करने के बाद उसके शव को उत्तर प्रदेश के कासगंज में मगरमच्छों के लिए मशहूर हजारा नहर में डाल देता था। वहां पलक झपकते मगरमच्छ शवों को खा जाते थे। इसलिए आरोपी के खिलाफ पुलिस को सुराग नहीं मिल पाता। इसके बाद वह टैक्सियों को ब्लैक मार्केट में बेच देता था। 3. 100 से अधिक मर्डर का आरोप
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि देवेंद्र शर्मा पर 100 से अधिक मर्डर का आरोप है। इनमें से अब तक 8 मामलों में यह दोषी भी साबित हो चुका है। इनमें भी 7 मामलों में इसे उम्रकैद हुई है। जबकि हरियाणा के गुरुग्राम में हुए मर्डर के एक मामले में इसे फांसी की सजा हुई है। इन्हीं मामलों में यह दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद था। अगस्त 2023 में यह पैरोल पर तिहाड़ जेल से बाहर आया था और फरार हो गया था। इससे पहले वह साल 2020 में भी पैरोल पर बाहर आकर फरार हुआ था और सात महीने बाद पकड़ा गया। 4. दौसा में पुजारी बन कर काट रहा था फरारी
अगस्त 2023 में पैरोल जंप करने के बाद देवेंद्र शर्मा ने धर्म का चोला ओढ़ लिया था। वह दौसा के एक आश्रम में पुजारी बनकर फरारी काटने लगा। इधर, दिल्ली पुलिस ने उसकी लोकेशन ट्रेस करने और उसे पकड़ने के लिए आधा दर्जन से अधिक टीमें बना रखी थी। इन टीमों ने बड़ी मुश्किल से उसकी लोकेशन को ट्रैक किया और उसे पकड़ने के लिए दौसा के आश्रम में पहुंची। इस दौरान आरोपी आश्रम में प्रवचन करता मिला। —————— डॉक्टर डेथ से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें- ‘डॉक्टर डेथ’:125 से ज्यादा किडनियां निकालीं, सबूत मिटाने के लिए मगरमच्छों को खिला देता लाशें टैक्सी स्टैंड पर एक शख्स टैक्सी ड्राइवर चांद खां से मिला और बोला- मेरा नाम डॉक्टर मुकेश खंडेलवाल है। मुझे यूपी के हापुड़ से बीवी-बच्चों को जयपुर लाना है। चलेंगे? डॉ. मुकेश और चांद खां के बीच कुछ देर मोलभाव हुआ और आखिर में भाड़ा तय हो गया। लंबा समय होने के कारण चांद खा ने टाटा सूमो में अपने भाई शराफत खां को भी बिठा लिया। (पूरी खबर पढ़ें) 100 से ज्यादा मर्डर करने वाले डॉक्टर डेथ यानि डॉ. देवेंद्र शर्मा के साथी को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी 21 साल से हरियाणा सहित कई राज्यों की पुलिस टीमों को चकमा दे रहा था। गुरुग्राम में भी इसने डॉक्टर डेथ के साथ मिलकर हत्याएं की थीं। हत्या के बाद शवों को मगरमच्छों को खिला दिया था। पकड़ा गया आरोपी राजेंद्र उर्फ राजू उर्फ रजुआ (59) उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ के कासिमपुर का रहने वाला है। आरोपी पर हत्या, अपहरण और डकैती सहित 12 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें उसे कभी गिरफ्तार नहीं किया गया। अब गुरुग्राम पुलिस उसकी कस्टडी रिमांड लेने की तैयारी कर रही है, ताकि अनसुलझे मामलों को खुलासा हो सके। बता दें कि डॉक्टर डेथ को दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में हत्या के सात अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। गुरुग्राम की अदालत ने भी एक मामले में उसे फांसी की सजा सुनाई थी। अब जानिए कैसे पुलिस की गिरफ्त में आया आरोपी… 9 मई को दौसा से पकड़ा था डॉ. डेथ, मिली जानकारी
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने डॉ. देवेंद्र शर्मा (67) को 19 मई 2025 को राजस्थान के दौसा से गिरफ्तार किया था। कुख्यात सीरियल किलर और आयुर्वेद डॉक्टर शर्मा को ‘डॉक्टर डेथ’ के नाम से भी जाना जाता है। डीसीपी क्राइम ब्रांच आदित्य गौतम ने बताया कि देवेंद्र शर्मा ने पूछताछ में खुलासा किया था कि उसका सहयोगी राजेंद्र 2003-2004 से गिरोह के संचालन से जुड़े कई मामलों में अभी भी फरार है। वह और राजेंद्र फर्जी यात्री बनकर ड्राइवरों को फंसाते थे और इसके बाद उनकी हत्या कर देते थे। गार्ड बनकर पंप पर कर रहा था नौकरी
डीसीपी ने आगे बताया कि डॉक्टर डेथ के खुलासे के बाद पुलिस ने उसके सहयोगी राजेंद्र की तलाश शुरू की। इसके लिए इंस्पेक्टर राकेश कुमार और एसीपी एनडीआर उमेश बर्थवाल की देखरेख में एक विशेष टीम गठित की गई। इस टीम ने अलीगढ़, गुरुग्राम, जयपुर और दिल्ली में गोपनीय पूछताछ की और खुफिया जानकारी हासिल की। इसके बाद राजेंद्र को अलीगढ़ के कासिमपुर से ढूंढ निकाला, जहां वह एक अलग कमरे में छिपा हुआ था। वह एक स्थानीय पंप हाउस में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम कर रहा था। 2003 में डॉक्टर डेथ से जुड़ा राजेंद्र
डीसीपी के मुताबिक, राजेंद्र ने पूछताछ में खुलासा किया कि वह यूपी का रहने वाला है और एक किसान के रूप में काम करता है। 2003 में एक व्यक्तिगत विवाद के बाद वह देवेंद्र शर्मा के गिरोह में शामिल हो गया। गिरोह टैक्सी और ट्रक ड्राइवरों को अपनी सेवाएं देकर लालच देता था, बाद में उनकी हत्या कर देता था। इसके बाद उनके शवों को ठिकाने लगा देता था और वाहनों को ग्रे मार्केट में 15 लाख रुपए में बेच देता था। जयपुर में हो चुकी उम्रकैद की सजा
डीसीपी के मुताबिक, पूछताछ में आरोपी राजेंद्र ने बताया कि जयपुर में एक युवक की अगवा कर हत्या के मामले में उसे उम्रकैद की सजा हुई थी। वर्ष 2007 से 2021 तक वह जयपुर की जेल में बंद रहा। इस दौरान जयपुर पुलिस और जेल प्रशासन से उसने अपनी असली पहचान छिपाकर रखी। 2021 में जमानत लेकर वह अलीगढ़ आ गया था। 4 पॉइंट में समझिए डॉक्टर डेथ के सीरियल किलर बनने की कहानी 1. 125 अवैध ट्रांसप्लांट और फिर करने लगा हत्याएं
दिल्ली के कुख्यात आयुर्वेदिक डॉक्टर देवेंद्र शर्मा का पहली बार क्राइम फाइल में नाम 1998 से 2004 के बीच आया था। वह किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट से जुड़ा हुआ था। इस मामले में उसकी गिरफ्तारी हुई और उसने 125 से अधिक अवैध ट्रांसप्लांट के केस कबूल किए थे। इससे पहले देवेंद्र शर्मा ने 1994 में गैस एजेंसी की डीलरशिप ली थी। हालांकि इसमें घाटा हुआ तो उसने मानव अंगों की तस्करी शुरू कर दी थी। इस प्रकार हत्या की ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम देते हुए यह कब खूंखार सीरियल किलर बन गया, इसे खुद पता नहीं चला। 2. टैक्सी ड्राइवरों को बनाता था निशाना
पुलिस की माने तो आरोपी पर हत्या की सनक सवार थी। इसके लिए वह खासतौर पर टैक्सी ड्राइवरों को निशाना बनाता था। वह टैक्सी बुक करता और फिर ड्राइवर की हत्या करने के बाद उसके शव को उत्तर प्रदेश के कासगंज में मगरमच्छों के लिए मशहूर हजारा नहर में डाल देता था। वहां पलक झपकते मगरमच्छ शवों को खा जाते थे। इसलिए आरोपी के खिलाफ पुलिस को सुराग नहीं मिल पाता। इसके बाद वह टैक्सियों को ब्लैक मार्केट में बेच देता था। 3. 100 से अधिक मर्डर का आरोप
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि देवेंद्र शर्मा पर 100 से अधिक मर्डर का आरोप है। इनमें से अब तक 8 मामलों में यह दोषी भी साबित हो चुका है। इनमें भी 7 मामलों में इसे उम्रकैद हुई है। जबकि हरियाणा के गुरुग्राम में हुए मर्डर के एक मामले में इसे फांसी की सजा हुई है। इन्हीं मामलों में यह दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद था। अगस्त 2023 में यह पैरोल पर तिहाड़ जेल से बाहर आया था और फरार हो गया था। इससे पहले वह साल 2020 में भी पैरोल पर बाहर आकर फरार हुआ था और सात महीने बाद पकड़ा गया। 4. दौसा में पुजारी बन कर काट रहा था फरारी
अगस्त 2023 में पैरोल जंप करने के बाद देवेंद्र शर्मा ने धर्म का चोला ओढ़ लिया था। वह दौसा के एक आश्रम में पुजारी बनकर फरारी काटने लगा। इधर, दिल्ली पुलिस ने उसकी लोकेशन ट्रेस करने और उसे पकड़ने के लिए आधा दर्जन से अधिक टीमें बना रखी थी। इन टीमों ने बड़ी मुश्किल से उसकी लोकेशन को ट्रैक किया और उसे पकड़ने के लिए दौसा के आश्रम में पहुंची। इस दौरान आरोपी आश्रम में प्रवचन करता मिला। —————— डॉक्टर डेथ से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें- ‘डॉक्टर डेथ’:125 से ज्यादा किडनियां निकालीं, सबूत मिटाने के लिए मगरमच्छों को खिला देता लाशें टैक्सी स्टैंड पर एक शख्स टैक्सी ड्राइवर चांद खां से मिला और बोला- मेरा नाम डॉक्टर मुकेश खंडेलवाल है। मुझे यूपी के हापुड़ से बीवी-बच्चों को जयपुर लाना है। चलेंगे? डॉ. मुकेश और चांद खां के बीच कुछ देर मोलभाव हुआ और आखिर में भाड़ा तय हो गया। लंबा समय होने के कारण चांद खा ने टाटा सूमो में अपने भाई शराफत खां को भी बिठा लिया। (पूरी खबर पढ़ें)   हरियाणा | दैनिक भास्कर