गोंडा: अंधविश्वास के चक्कर में गई 18 साल की कविता की जान, दरगाह में झाड़-फूंक के नाम पर ठगी का खेल

गोंडा: अंधविश्वास के चक्कर में गई 18 साल की कविता की जान, दरगाह में झाड़-फूंक के नाम पर ठगी का खेल

<p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के नवाबगंज थाना क्षेत्र के धर्मपुरवा में स्थित हजरत गुप्ती शहीद शाह र.उ. सेवा समिति दरगाह पिछले सात सालों से अंधविश्वास का अड्डा बनी हुई है. यहां झाड़-फूंक के नाम पर गंभीर बीमारियों को ठीक करने का दावा किया जाता है, लेकिन इसी अंधविश्वास ने 18 वर्षीय किशोरी कविता की जान ले ली. कविता की मौत ने दरगाह की सच्चाई को उजागर कर दिया है, जहां कमेटी के अध्यक्ष एखलाख अहमद, राजू और एक अन्य व्यक्ति द्वारा झाड़-फूंक के बहाने लोगों को ठगा जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>झाड़-फूंक के नाम पर फलता-फूलता धंधा</strong><br />दरगाह पर कमेटी के लोग बुखार, कैंसर, पेट दर्द, सीने में दर्द, सिर दर्द से लेकर बच्चा पैदा होने जैसी समस्याओं को ठीक करने का दावा करते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां आने वाले मरीजों की आर्थिक स्थिति देखकर 50 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक के ताबीज बेचे जाते हैं. यह ताबीज कथित तौर पर बीमारियों को जड़ से खत्म करने का वादा करते हैं, लेकिन हकीकत में यह महज ठगी का जरिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कविता की दुखद मौत</strong><br />17 साल की कविता तेज बुखार से पीड़ित थी. कई दिनों तक इलाज के बावजूद जब उसका बुखार नहीं उतरा, तो परिवार ने दरगाह का रुख किया. परिजनों के अनुसार, कविता को तीन दिनों तक दरगाह पर झाड़-फूंक के लिए रखा गया, लेकिन उसकी हालत बिगड़ती चली गई. और उसने वहीँ दम तोड़ दिया.कविता की मौत के बाद वहां हड़कम्प मच गया और दरगाह के कर्ताधर्ता फरार हो गए, और पुलिस ने कविता के शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पुलिस की कार्रवाई और स्थानीय प्रतिक्रिया</strong><strong><br /></strong>कविता की मौत के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश है. अपर पुलिस अधीक्षक पश्चिमी राधेश्याम राय ने बताया कि मामला दर्ज कर दरगाह के संचालकों की तलाश शुरू कर दी है. और जो भी आरोपी हैं उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शिक्षा की कमी<br /></strong>गोंडा जैसे क्षेत्रों में, जहां चिकित्सा सुविधाएं सीमित हैं, लोग झाड़-फूंक और ताबीज जैसे आसान रास्तों पर भरोसा कर लेते हैं, जिसका खामियाजा कई बार जान देकर चुकाना पड़ता है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के नवाबगंज थाना क्षेत्र के धर्मपुरवा में स्थित हजरत गुप्ती शहीद शाह र.उ. सेवा समिति दरगाह पिछले सात सालों से अंधविश्वास का अड्डा बनी हुई है. यहां झाड़-फूंक के नाम पर गंभीर बीमारियों को ठीक करने का दावा किया जाता है, लेकिन इसी अंधविश्वास ने 18 वर्षीय किशोरी कविता की जान ले ली. कविता की मौत ने दरगाह की सच्चाई को उजागर कर दिया है, जहां कमेटी के अध्यक्ष एखलाख अहमद, राजू और एक अन्य व्यक्ति द्वारा झाड़-फूंक के बहाने लोगों को ठगा जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>झाड़-फूंक के नाम पर फलता-फूलता धंधा</strong><br />दरगाह पर कमेटी के लोग बुखार, कैंसर, पेट दर्द, सीने में दर्द, सिर दर्द से लेकर बच्चा पैदा होने जैसी समस्याओं को ठीक करने का दावा करते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां आने वाले मरीजों की आर्थिक स्थिति देखकर 50 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक के ताबीज बेचे जाते हैं. यह ताबीज कथित तौर पर बीमारियों को जड़ से खत्म करने का वादा करते हैं, लेकिन हकीकत में यह महज ठगी का जरिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कविता की दुखद मौत</strong><br />17 साल की कविता तेज बुखार से पीड़ित थी. कई दिनों तक इलाज के बावजूद जब उसका बुखार नहीं उतरा, तो परिवार ने दरगाह का रुख किया. परिजनों के अनुसार, कविता को तीन दिनों तक दरगाह पर झाड़-फूंक के लिए रखा गया, लेकिन उसकी हालत बिगड़ती चली गई. और उसने वहीँ दम तोड़ दिया.कविता की मौत के बाद वहां हड़कम्प मच गया और दरगाह के कर्ताधर्ता फरार हो गए, और पुलिस ने कविता के शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पुलिस की कार्रवाई और स्थानीय प्रतिक्रिया</strong><strong><br /></strong>कविता की मौत के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश है. अपर पुलिस अधीक्षक पश्चिमी राधेश्याम राय ने बताया कि मामला दर्ज कर दरगाह के संचालकों की तलाश शुरू कर दी है. और जो भी आरोपी हैं उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शिक्षा की कमी<br /></strong>गोंडा जैसे क्षेत्रों में, जहां चिकित्सा सुविधाएं सीमित हैं, लोग झाड़-फूंक और ताबीज जैसे आसान रास्तों पर भरोसा कर लेते हैं, जिसका खामियाजा कई बार जान देकर चुकाना पड़ता है.</p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा यूपी, 1600 मेगावाट की नई तापीय परियोजना से मिलेगी सस्ती बिजली