हरियाणा में गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा (हरियाणा लोकहित पार्टी) BJP के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ सकती है। मुख्यमंत्री नायब सैनी बुधवार को सिरसा दौरे के दौरान सिरसा के विधायक हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा से मिले थे, और उनके घर नाश्ता किया था। इसके बाद CM ने बयान दिया था कि भाजपा हलोपा के साथ है और आगामी विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे। अब माना जा रहा है कि भाजपा 5 विधानसभा सीटों पर हलोपा की जिम्मेदारी लगा सकती है। गोपाल कांडा और गोविंद कांडा पर ही 5 विधानसभाओं में कमल खिलाने की जिम्मेदारी होगी। 2 सीटों के उम्मीदवारों के चयन पर हलोपा और BJP दोनों की सहमति बनाई जाएगी, लेकिन 3 सीटें ऐसी हैं जिन पर दोनों पार्टियों में पेंच फंस सकता है। इसमें सिरसा, रानियां और फतेहाबाद विधानसभा सीट शामिल हैं। इससे कैबिनेट मंत्री समेत विधायकों की कुर्सी खतरे में है। ये है 3 सीटों का गणित… 1. रानिया विधानसभा से लड़ना चाहते हैं गोविंद कांडा
बताया जा रहा है कि हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा रानिया विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहते हैं। रानिया से रणजीत चौटाला निर्दलीय विधायक चुने गए थे, लेकिन वह लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद लोकसभा चुनाव भी हार गए। रणजीत चौटाला को हिसार से चुनाव लड़वाने के पीछे का मकसद रानिया विधानसभा सीट पर गोविंद कांडा की दावेदारी को और मजबूत करना था, लेकिन चौटाला हारकर दोबारा रानिया विधानसभा से तैयारी में लग गए हैं। भाजपा लोकसभा में चुनाव लड़ चुके उम्मीदवारों से किनारा कर सकती है। 2. फतेहाबाद सीट भी ऑफर हो सकती है
अगर रानिया में रणजीत चौटाला अड़ जाते हैं तो फतेहाबाद सीट भी गोबिंद कांडा को ऑफर की जा सकती है। हालांकि, यहां से कुलदीप बिश्नोई के भाई दुड़ाराम मौजूदा विधायक हैं। ऐसे में दुड़ाराम की नाराजगी भी भाजपा मोल नहीं लेना चाहेगी। इधर, मुख्यमंत्री की हाल ही में हुई फतेहाबाद रैली में दुड़ाराम उम्मीद के मुताबिक भीड़ नहीं जुटा पाए। मुख्यमंत्री को रिपोर्ट मिल चुकी है कि स्थानीय विधायक के कामकाज को लेकर लोगों में रोष है। वहीं, लोकसभा चुनाव में भी दुड़ाराम शहरी क्षेत्र के होने के बावजूद सिरसा लोकसभा से उम्मीदवार रहे अशोक तंवर को फतेहाबाद हलके से जितवा नहीं पाए थे। इस कारण उनके रिपोर्ट कार्ड को देखते हुए इस बार उनका टिकट काटकर किसी नए चेहरे को फतेहाबाद में मौका दिया जा सकता है। 3. सिरसा सीट पर BJP नेताओं को लगेगा झटका
उधर, सिरसा सीट पर तैयारी कर रहे भाजपा नेताओं को गोपाल कांडा के कारण दावेदारी छोड़नी पड़ सकती है। यहां से पूर्व चेयरमैन जगदीश चोपड़ा के बेटे अमन चोपड़ा, पूर्व में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके प्रदीप रातुसरिया और पूर्व राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल के बेटे मनीष गोयल दावेदार हैं। ऐसे में गोपाल कांडा के मैदान में आने से उनकी उम्मीदवारी कमजोर पड़ सकती है। बता दें कि भाजपा के गणेशी लाल सिरसा सीट से चौधरी बंसीलाल के समय विधायक बने थे। इसके बाद से सिरसा सीट भाजपा ने कभी नहीं जीती। रानिया में रणजीत की राह मुश्किल
दरअसल, रानियां विधानसभा में रणजीत चौटाला की राह मुश्किल है। रणजीत के रानिया को छोड़कर हिसार से चुनाव लड़ने से क्षेत्र में नाराजगी है। हिसार लोकसभा में रणजीत चौटाला कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी से हार गए थे। लोगों में नाराजगी का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि जब मुख्यमंत्री सैनी सिरसा के दौरे पर थे तो रानिया के लोगों ने बाजार बंद कर विरोध जताया था। रानिया तहसील के लोग क्षेत्र को उपमंडल का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। वहीं, यहां के किसान नेताओं का कहना है कि किसान आंदोलन के समय रणजीत चौटाला कैबिनेट मंत्री थे, मगर किसानों के लिए कोई आवाज नहीं उठाई। इसलिए, वह चौटाला का साथ चुनाव में नहीं देंगे। 2019 में सिरसा की 5 विधानसभा सीटें हारी थी भाजपा
भाजपा प्रदेश में अबकी बार हारी हुई विधानसभा सीटों पर फोकस कर रही है। हार के कारणों से सबक लेते हुए लगातार मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री उन विधानसभाओं में जा रहे हैं। सिरसा जिले की पांचों सीट भाजपा 2019 में हार गई थी। इसके अलावा ऐलनाबाद में हुए उपचुनाव में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। सिरसा जिले में सिरसा, रानिया, डबवाली, कालांवाली और ऐलानाबाद विधानसभाएं आती हैं। मुख्यमंत्री नायब सैनी एक महीने में तीसरी बार 31 जुलाई को सिरसा पहुंचे थे। लोकसभा चुनाव हारने के बाद मुख्यमंत्री लगातार सिरसा का दौरा कर रहे हैं। हरियाणा में गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा (हरियाणा लोकहित पार्टी) BJP के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ सकती है। मुख्यमंत्री नायब सैनी बुधवार को सिरसा दौरे के दौरान सिरसा के विधायक हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा से मिले थे, और उनके घर नाश्ता किया था। इसके बाद CM ने बयान दिया था कि भाजपा हलोपा के साथ है और आगामी विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे। अब माना जा रहा है कि भाजपा 5 विधानसभा सीटों पर हलोपा की जिम्मेदारी लगा सकती है। गोपाल कांडा और गोविंद कांडा पर ही 5 विधानसभाओं में कमल खिलाने की जिम्मेदारी होगी। 2 सीटों के उम्मीदवारों के चयन पर हलोपा और BJP दोनों की सहमति बनाई जाएगी, लेकिन 3 सीटें ऐसी हैं जिन पर दोनों पार्टियों में पेंच फंस सकता है। इसमें सिरसा, रानियां और फतेहाबाद विधानसभा सीट शामिल हैं। इससे कैबिनेट मंत्री समेत विधायकों की कुर्सी खतरे में है। ये है 3 सीटों का गणित… 1. रानिया विधानसभा से लड़ना चाहते हैं गोविंद कांडा
बताया जा रहा है कि हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा रानिया विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहते हैं। रानिया से रणजीत चौटाला निर्दलीय विधायक चुने गए थे, लेकिन वह लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद लोकसभा चुनाव भी हार गए। रणजीत चौटाला को हिसार से चुनाव लड़वाने के पीछे का मकसद रानिया विधानसभा सीट पर गोविंद कांडा की दावेदारी को और मजबूत करना था, लेकिन चौटाला हारकर दोबारा रानिया विधानसभा से तैयारी में लग गए हैं। भाजपा लोकसभा में चुनाव लड़ चुके उम्मीदवारों से किनारा कर सकती है। 2. फतेहाबाद सीट भी ऑफर हो सकती है
अगर रानिया में रणजीत चौटाला अड़ जाते हैं तो फतेहाबाद सीट भी गोबिंद कांडा को ऑफर की जा सकती है। हालांकि, यहां से कुलदीप बिश्नोई के भाई दुड़ाराम मौजूदा विधायक हैं। ऐसे में दुड़ाराम की नाराजगी भी भाजपा मोल नहीं लेना चाहेगी। इधर, मुख्यमंत्री की हाल ही में हुई फतेहाबाद रैली में दुड़ाराम उम्मीद के मुताबिक भीड़ नहीं जुटा पाए। मुख्यमंत्री को रिपोर्ट मिल चुकी है कि स्थानीय विधायक के कामकाज को लेकर लोगों में रोष है। वहीं, लोकसभा चुनाव में भी दुड़ाराम शहरी क्षेत्र के होने के बावजूद सिरसा लोकसभा से उम्मीदवार रहे अशोक तंवर को फतेहाबाद हलके से जितवा नहीं पाए थे। इस कारण उनके रिपोर्ट कार्ड को देखते हुए इस बार उनका टिकट काटकर किसी नए चेहरे को फतेहाबाद में मौका दिया जा सकता है। 3. सिरसा सीट पर BJP नेताओं को लगेगा झटका
उधर, सिरसा सीट पर तैयारी कर रहे भाजपा नेताओं को गोपाल कांडा के कारण दावेदारी छोड़नी पड़ सकती है। यहां से पूर्व चेयरमैन जगदीश चोपड़ा के बेटे अमन चोपड़ा, पूर्व में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके प्रदीप रातुसरिया और पूर्व राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल के बेटे मनीष गोयल दावेदार हैं। ऐसे में गोपाल कांडा के मैदान में आने से उनकी उम्मीदवारी कमजोर पड़ सकती है। बता दें कि भाजपा के गणेशी लाल सिरसा सीट से चौधरी बंसीलाल के समय विधायक बने थे। इसके बाद से सिरसा सीट भाजपा ने कभी नहीं जीती। रानिया में रणजीत की राह मुश्किल
दरअसल, रानियां विधानसभा में रणजीत चौटाला की राह मुश्किल है। रणजीत के रानिया को छोड़कर हिसार से चुनाव लड़ने से क्षेत्र में नाराजगी है। हिसार लोकसभा में रणजीत चौटाला कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी से हार गए थे। लोगों में नाराजगी का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि जब मुख्यमंत्री सैनी सिरसा के दौरे पर थे तो रानिया के लोगों ने बाजार बंद कर विरोध जताया था। रानिया तहसील के लोग क्षेत्र को उपमंडल का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। वहीं, यहां के किसान नेताओं का कहना है कि किसान आंदोलन के समय रणजीत चौटाला कैबिनेट मंत्री थे, मगर किसानों के लिए कोई आवाज नहीं उठाई। इसलिए, वह चौटाला का साथ चुनाव में नहीं देंगे। 2019 में सिरसा की 5 विधानसभा सीटें हारी थी भाजपा
भाजपा प्रदेश में अबकी बार हारी हुई विधानसभा सीटों पर फोकस कर रही है। हार के कारणों से सबक लेते हुए लगातार मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री उन विधानसभाओं में जा रहे हैं। सिरसा जिले की पांचों सीट भाजपा 2019 में हार गई थी। इसके अलावा ऐलनाबाद में हुए उपचुनाव में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। सिरसा जिले में सिरसा, रानिया, डबवाली, कालांवाली और ऐलानाबाद विधानसभाएं आती हैं। मुख्यमंत्री नायब सैनी एक महीने में तीसरी बार 31 जुलाई को सिरसा पहुंचे थे। लोकसभा चुनाव हारने के बाद मुख्यमंत्री लगातार सिरसा का दौरा कर रहे हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर