‘1200 वर्ग फीट जमीन पर मस्जिद थी। 1 साल पहले रात में तोड़ दी गई। समझौते में नगर निगम ने छोटा जमीन का टुकड़ा दिया था। 520 स्क्वायर फिट जमीन पर मस्जिद बनाई, तब कोई झांकने नहीं आया। अब GDA कह रहा कि ये अवैध है। ढहा देंगे…।’ ये कहना है शुऐब अहमद का। वह मस्जिद के मुतवल्ली रहे सुहेल अहमद के बेटे हैं। मस्जिद कमेटी के पदाधिकारी भी हैं। वह कहते हैं- मैंने 17 फरवरी को कमिश्नर कोर्ट में स्टे के लिए अर्जी दाखिल की। अब 25 फरवरी को कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे। GDA (गोरखपुर विकास प्राधिकरण) के उपाध्यक्ष आनंद वर्धन ने कहा- जमीन का विवाद नहीं, हमने नक्शा पास नहीं कराने पर नोटिस भेजा था। मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद को समझने के लिए दैनिक भास्कर ऐप की टीम ने मुस्लिम पक्ष, उनके वकील, हिंदू पक्ष और GDA के उपाध्यक्ष से बात की। 6 सवालों में मस्जिद का पूरा मसला समझिए… मस्जिद को लेकर विवाद क्या है?
मस्जिद कमेटी ने कहा- यह 20492 स्क्वायर फिट का प्लॉट है। एक समय इसके बीचों बीच में मस्जिद थी। नगर निगम ने जनवरी, 2024 में ढांचा ढहा दिया। कमेटी ने आपत्ति की। जिसके बाद नगर निगम की बोर्ड बैठक में सहमति बनी। हमें प्लॉट के दक्षिणी कोने में 520 स्क्वायर फिट जमीन मिली। वहीं पर आज यह 4 मंजिला मस्जिद खड़ी है। कमेटी के मुताबिक, मस्जिद नगर निगम की सहमति से ही बनाई गई थी। मगर अब GDA मस्जिद को अवैध बता रहा है। मस्जिद का पुराना स्ट्रक्चर कब और कैसे बना?
लोगों का कहना है- इस जमीन पर करीब 40 साल पहले अवैध कब्जे होना शुरू हुए। कई मैकेनिक अस्थाई निर्माण बनाकर गाड़ियां रिपेयरिंग का काम करने लगे। मुस्लिम कम्युनिटी के लोगों ने टीन शेड लगाकर छोटे-छोटे घर तैयार कर लिए। इसी जमीन के बीचो-बीच एक मस्जिद भी बना ली गई। चार दीवार बनाकर टीन शेड डाला गया था। उन्होंने कहा- यह जमीन नगर निगम ऑफिस से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर 20492 स्क्वायर फिट एरिया में है। इसकी कीमत करीब 100 करोड़ रुपए है। पुरानी मस्जिद कब टूटी?
नगर निगम ने 22 जनवरी, 2024 को अपनी जमीन से अतिक्रमण हटवा दिए। सिर्फ मस्जिद ही बची। बाद में रात के वक्त उसको भी ढहा दिया गया। मस्जिद का पक्का निर्माण नहीं था, इसलिए बहुत विरोध नहीं हुआ। मगर मुतवल्ली ने DM ऑफिस और नगर निगम के अधिकारियों से मिलकर अपनी बात जरूर रखी। कहा कि कोर्ट से मस्जिद के नाम पर डिक्री है, इसलिए उसे नहीं तोड़ना चाहिए था। इसके बाद नगर निगम की बोर्ड बैठक में यह मामला गया। सहमति बनी कि जमीन के एक हिस्से में मस्जिद के लिए जगह दे दी जाए। पहली बार मस्जिद का मामला कोर्ट कब गया?
दरअसल, 1967 में भी नगर निगम ने मस्जिद हटवाने का प्रयास किया था। तब मस्जिद की तरफ से लोग कोर्ट चले गए। दावा किया गया है कि मस्जिद इस जमीन पर 100 साल से है। कोर्ट ने मस्जिद के लिए 1284 स्क्वायर फिट जमीन देने का आदेश दिया। इसमें 24×26 स्क्वायर फिट जमीन मस्जिद के लिए दी। साथ ही, 60 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ी जमीन मस्जिद के रास्ते के लिए दी थी। नगर निगम ने कितनी जमीन मस्जिद के लिए दी?
कोर्ट का यह आदेश नगर निगम की बोर्ड बैठक में रखा गया। फैसला हुआ कि जमीन के दक्षिण-पश्चिम कोने में 24×26 स्क्वायर फीट जमीन मस्जिद के लिए दी जाएगी। सड़क यहां पहले से है। नगर निगम के बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लग गई।
GDA मस्जिद को अवैध क्यों बता रहा?
नगर निगम बोर्ड से प्रस्ताव पास होने के बाद मस्जिद कमेटी ने 4 मंजिला इमारत खड़ी कर ली। 15 फरवरी को GDA के अवर अभियंता ने निर्माण को रोकने के लिए कहा। नोटिस चस्पा हुआ, जिसमें मस्जिद का नक्शा पास नहीं होना बताया गया। मगर निर्माण होते रहे। इस पर आपत्ति हुई तो ऊपर की दो मंजिल तोड़ने के लिए कहा गया। इसके बाद एक मंजिल तोड़ने पर सहमति बनी। इसी बीच हाईकोर्ट में PIL दाखिल कर दी गई। फिर मस्जिद कमेटी एक मंजिल तोड़ने से पीछे हट गई। मस्जिद पक्ष के लोग क्या कहते हैं?
मस्जिद टूटी तो दिली तकलीफ होगी
मौलाना अब्दुल हमीद मस्जिद में इबादत करते हैं। उन्होंने सवाल किया- अब GDA ने इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया है, जब बन रही थी तो रोकने क्यों नहीं आए? वह कहते हैं कि अगर मस्जिद को शहीद किया गया तो हम कांप्लेक्स के बीच में अपनी 1200 वर्ग फीट जमीन के लिए दावा करेंगे। कोर्ट में GDA के आदेश को चुनौती दी गई है। मस्जिद को कुछ हुआ तो मुसलमानों को दिली तकलीफ होगी। यहां पहले गाड़ियां खड़ी होती थीं, कोई विवाद नहीं
मस्जिद के बगल में ही जावेद की दुकान है। उन्होंने कहा- इस परिसर में पहले गाड़ियां खड़ी होती थीं। कोई विवाद नहीं था। एक मस्जिद थी, टीन शेड पड़ा था। उसमें लोग इबादत करने आते थे। यह मस्जिद 4 महीने तक बनी। इसे अब तोड़ने का आदेश दिया गया है। GDA वालों को पहले ही रोकना चाहिए था। कांग्रेस नेता बोले- यह अंग्रेजों के जमाने का गाड़ीखाना टोला
कांग्रेस के नेता तौकीर आलम कहते हैं कि यह गाड़ीखाना टोला था। अंग्रेजों के जमाने का था। 1200 वर्ग फीट में मस्जिद थी। जब निगम ने जगह दी, तब भी हमें तकलीफ हुई थी। मगर लगा कि मस्जिद बन जाएगी। उन्होंने कहा- मस्जिद निर्माण होने लगा तो किसी को एतराज नहीं था। जब बनना शुरू हुआ तो GDA के लोग कहां थे। एक कमरा भी बनता है तो वहां पहुंच जाते हैं। अब हिंदुओं की राय पढ़िए…
मौके पर पहुंची दैनिक भास्कर टीम को कुछ हिंदू भी मिले। इस विवाद में ऑन कैमरा कुछ कहने से बचते नजर आए। लेकिन उन्होंने वहां की स्थिति बताई। राकेश बोले- पास में बड़ी मस्जिद, लोग वहीं जाते हैं
राकेश प्रताप सिंह ने कहा- इस जमीन पर बहुत सी दुकानें थीं। कई मैकेनिक बाइक बनाते थे। कुछ सफाई वाले रहते थे। एक धार्मिक स्थल था, जिसका पक्का निर्माण नहीं था। मुस्लिम समाज के लोग कभी-कभी वहां नमाज पढ़ने जाते थे। बगल में एक बड़ी मस्जिद भी है। अधिकतर लोग वहीं जाते थे। नन्हे सिंह बताते हैं- मोहल्ले में बहुत आना-जाना रहा है। उस कैंपस में कई लोग रहते थे। नई मस्जिद तो लगभग 8 से 10 महीने पहले बनी है, अब लोग बता रहे कि नक्शा ही पास नहीं था।
वकील बोले- नियमानुसार मुस्लिम पक्ष सही
मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता जयप्रकाश कहते हैं- 17 तारीख को अपील की गई है। हमारा मुख्य आधार वह नियम है, जिसमें कहा गया है कि 100 वर्ग मीटर से कम के भूखंड पर निर्माण के लिए नक्शा पास कराना जरूरी नहीं है। मस्जिद का भूखंड 100 वर्ग मीटर से काफी कम है। अब जानिए 100 वर्ग मीटर से कम भूखंड पर नक्शे को लेकर क्या नियम हैं…
आर्किटेक्ट एवं प्लानर मनीष मिश्र ने कहा- 1 मई, 1997 के शासनादेश में इस बात का उल्लेख है। पुराने एवं निर्मित क्षेत्रों में 100 वर्ग मीटर तक के भूखंड पर आवासीय भवनों के निर्माण, पुनर्निर्माण या जीर्णोद्धार के लिए किसी प्रकार की स्वीकृति की जरूरत नहीं है। लेकिन इसके साथ एक प्रतिबंध भी लगाया गया है। प्रतिबंध के मुताबिक महायोजना या उपनियमों आदि के अनुसार सेट बैक छोड़ना जरूरी होगा। निर्माण कुल मिलाकर 3 मंजिल से अधिक नहीं होगा। इस तरह यह नियम केवल आवासीय भवनों पर ही लागू होगा। उसमें भी सेटबैक की अनिवार्यता है।
GDA ने क्या कहा… GDA ने जो नोटिस जारी की है। उसमें इस बात का उल्लेख है कि 15 मई, 2024 को क्षेत्र के अवर अभियंता ने वहां जाकर निर्माण रोकने को कहा था। तब तक पहली मंजिल पर निर्माण चल रहा था। इस संबंध में चालान भी काटा गया। GDA उपाध्यक्ष आनंद वर्धन ने बताया कि जब निर्माण शुरू हुआ तो नोटिस दिया गया था। ऑनलाइन एप के माध्यम से नोटिस दिया जाता है। उसमें निर्माण की फोटो आदि भी लगाया जाता है। उनको इसकी जानकारी दी गई थी और निर्माण रोकने का नोटिस भी दिया गया था। विवाद जमीन को लेकर नहीं, अवैध निर्माण का है
मस्जिद से जुड़ा विवाद जमीन को लेकर नहीं बल्कि अवैध निर्माण को लेकर है। GDA ने जमीन पर कोई सवाल नहीं उठाया है। यह जमीन आवासीय एवं कॉमर्शियल है। निर्माण मानचित्र पास कराए बिना कराया जा रहा था, इसलिए ध्वस्तीकरण का आदेश पारित करना पड़ा।
………. ये खबर भी पढ़ें- UP में 3 लाख में लड़की-5 लाख में लड़का खरीदिए:बच्ची सांवली है, 30 हजार कम दे देना… कैमरे पर मासूमों का सौदा बच्ची सांवली है… इसको जॉनसन बेबी पाउडर लगाना, आठ दिन में गोरी हो जाएगी। इसका रेट 30 हजार कम करा देंगे। ज्यादा सुंदर बच्चा चाहिए तो मई तक रुक जाइए। हमारी एक पार्टी का सातवां महीना चल रहा है। पांच हजार रुपए में लखीमपुर से पता लगा लेंगे कि बड़ा (बेटा) निकल रहा है या छोटी (बेटी)। लखनऊ में मासूम बच्ची का सौदा कर रही यह महिला चाइल्ड ट्रैफिकिंग गैंग की सदस्य है। गैंग तक पहुंचने में दैनिक भास्कर टीम को 20 दिन लगे। हमारा रिपोर्टर नि:संतान बनकर इस गिरोह तक पहुंचा। लखनऊ में बच्ची की डिलीवरी तय की गई। गैंग की दूसरी महिला सदस्य दिल्ली से बच्ची लेकर आई। पढ़ें पूरी खबर ‘1200 वर्ग फीट जमीन पर मस्जिद थी। 1 साल पहले रात में तोड़ दी गई। समझौते में नगर निगम ने छोटा जमीन का टुकड़ा दिया था। 520 स्क्वायर फिट जमीन पर मस्जिद बनाई, तब कोई झांकने नहीं आया। अब GDA कह रहा कि ये अवैध है। ढहा देंगे…।’ ये कहना है शुऐब अहमद का। वह मस्जिद के मुतवल्ली रहे सुहेल अहमद के बेटे हैं। मस्जिद कमेटी के पदाधिकारी भी हैं। वह कहते हैं- मैंने 17 फरवरी को कमिश्नर कोर्ट में स्टे के लिए अर्जी दाखिल की। अब 25 फरवरी को कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे। GDA (गोरखपुर विकास प्राधिकरण) के उपाध्यक्ष आनंद वर्धन ने कहा- जमीन का विवाद नहीं, हमने नक्शा पास नहीं कराने पर नोटिस भेजा था। मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद को समझने के लिए दैनिक भास्कर ऐप की टीम ने मुस्लिम पक्ष, उनके वकील, हिंदू पक्ष और GDA के उपाध्यक्ष से बात की। 6 सवालों में मस्जिद का पूरा मसला समझिए… मस्जिद को लेकर विवाद क्या है?
मस्जिद कमेटी ने कहा- यह 20492 स्क्वायर फिट का प्लॉट है। एक समय इसके बीचों बीच में मस्जिद थी। नगर निगम ने जनवरी, 2024 में ढांचा ढहा दिया। कमेटी ने आपत्ति की। जिसके बाद नगर निगम की बोर्ड बैठक में सहमति बनी। हमें प्लॉट के दक्षिणी कोने में 520 स्क्वायर फिट जमीन मिली। वहीं पर आज यह 4 मंजिला मस्जिद खड़ी है। कमेटी के मुताबिक, मस्जिद नगर निगम की सहमति से ही बनाई गई थी। मगर अब GDA मस्जिद को अवैध बता रहा है। मस्जिद का पुराना स्ट्रक्चर कब और कैसे बना?
लोगों का कहना है- इस जमीन पर करीब 40 साल पहले अवैध कब्जे होना शुरू हुए। कई मैकेनिक अस्थाई निर्माण बनाकर गाड़ियां रिपेयरिंग का काम करने लगे। मुस्लिम कम्युनिटी के लोगों ने टीन शेड लगाकर छोटे-छोटे घर तैयार कर लिए। इसी जमीन के बीचो-बीच एक मस्जिद भी बना ली गई। चार दीवार बनाकर टीन शेड डाला गया था। उन्होंने कहा- यह जमीन नगर निगम ऑफिस से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर 20492 स्क्वायर फिट एरिया में है। इसकी कीमत करीब 100 करोड़ रुपए है। पुरानी मस्जिद कब टूटी?
नगर निगम ने 22 जनवरी, 2024 को अपनी जमीन से अतिक्रमण हटवा दिए। सिर्फ मस्जिद ही बची। बाद में रात के वक्त उसको भी ढहा दिया गया। मस्जिद का पक्का निर्माण नहीं था, इसलिए बहुत विरोध नहीं हुआ। मगर मुतवल्ली ने DM ऑफिस और नगर निगम के अधिकारियों से मिलकर अपनी बात जरूर रखी। कहा कि कोर्ट से मस्जिद के नाम पर डिक्री है, इसलिए उसे नहीं तोड़ना चाहिए था। इसके बाद नगर निगम की बोर्ड बैठक में यह मामला गया। सहमति बनी कि जमीन के एक हिस्से में मस्जिद के लिए जगह दे दी जाए। पहली बार मस्जिद का मामला कोर्ट कब गया?
दरअसल, 1967 में भी नगर निगम ने मस्जिद हटवाने का प्रयास किया था। तब मस्जिद की तरफ से लोग कोर्ट चले गए। दावा किया गया है कि मस्जिद इस जमीन पर 100 साल से है। कोर्ट ने मस्जिद के लिए 1284 स्क्वायर फिट जमीन देने का आदेश दिया। इसमें 24×26 स्क्वायर फिट जमीन मस्जिद के लिए दी। साथ ही, 60 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ी जमीन मस्जिद के रास्ते के लिए दी थी। नगर निगम ने कितनी जमीन मस्जिद के लिए दी?
कोर्ट का यह आदेश नगर निगम की बोर्ड बैठक में रखा गया। फैसला हुआ कि जमीन के दक्षिण-पश्चिम कोने में 24×26 स्क्वायर फीट जमीन मस्जिद के लिए दी जाएगी। सड़क यहां पहले से है। नगर निगम के बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लग गई।
GDA मस्जिद को अवैध क्यों बता रहा?
नगर निगम बोर्ड से प्रस्ताव पास होने के बाद मस्जिद कमेटी ने 4 मंजिला इमारत खड़ी कर ली। 15 फरवरी को GDA के अवर अभियंता ने निर्माण को रोकने के लिए कहा। नोटिस चस्पा हुआ, जिसमें मस्जिद का नक्शा पास नहीं होना बताया गया। मगर निर्माण होते रहे। इस पर आपत्ति हुई तो ऊपर की दो मंजिल तोड़ने के लिए कहा गया। इसके बाद एक मंजिल तोड़ने पर सहमति बनी। इसी बीच हाईकोर्ट में PIL दाखिल कर दी गई। फिर मस्जिद कमेटी एक मंजिल तोड़ने से पीछे हट गई। मस्जिद पक्ष के लोग क्या कहते हैं?
मस्जिद टूटी तो दिली तकलीफ होगी
मौलाना अब्दुल हमीद मस्जिद में इबादत करते हैं। उन्होंने सवाल किया- अब GDA ने इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया है, जब बन रही थी तो रोकने क्यों नहीं आए? वह कहते हैं कि अगर मस्जिद को शहीद किया गया तो हम कांप्लेक्स के बीच में अपनी 1200 वर्ग फीट जमीन के लिए दावा करेंगे। कोर्ट में GDA के आदेश को चुनौती दी गई है। मस्जिद को कुछ हुआ तो मुसलमानों को दिली तकलीफ होगी। यहां पहले गाड़ियां खड़ी होती थीं, कोई विवाद नहीं
मस्जिद के बगल में ही जावेद की दुकान है। उन्होंने कहा- इस परिसर में पहले गाड़ियां खड़ी होती थीं। कोई विवाद नहीं था। एक मस्जिद थी, टीन शेड पड़ा था। उसमें लोग इबादत करने आते थे। यह मस्जिद 4 महीने तक बनी। इसे अब तोड़ने का आदेश दिया गया है। GDA वालों को पहले ही रोकना चाहिए था। कांग्रेस नेता बोले- यह अंग्रेजों के जमाने का गाड़ीखाना टोला
कांग्रेस के नेता तौकीर आलम कहते हैं कि यह गाड़ीखाना टोला था। अंग्रेजों के जमाने का था। 1200 वर्ग फीट में मस्जिद थी। जब निगम ने जगह दी, तब भी हमें तकलीफ हुई थी। मगर लगा कि मस्जिद बन जाएगी। उन्होंने कहा- मस्जिद निर्माण होने लगा तो किसी को एतराज नहीं था। जब बनना शुरू हुआ तो GDA के लोग कहां थे। एक कमरा भी बनता है तो वहां पहुंच जाते हैं। अब हिंदुओं की राय पढ़िए…
मौके पर पहुंची दैनिक भास्कर टीम को कुछ हिंदू भी मिले। इस विवाद में ऑन कैमरा कुछ कहने से बचते नजर आए। लेकिन उन्होंने वहां की स्थिति बताई। राकेश बोले- पास में बड़ी मस्जिद, लोग वहीं जाते हैं
राकेश प्रताप सिंह ने कहा- इस जमीन पर बहुत सी दुकानें थीं। कई मैकेनिक बाइक बनाते थे। कुछ सफाई वाले रहते थे। एक धार्मिक स्थल था, जिसका पक्का निर्माण नहीं था। मुस्लिम समाज के लोग कभी-कभी वहां नमाज पढ़ने जाते थे। बगल में एक बड़ी मस्जिद भी है। अधिकतर लोग वहीं जाते थे। नन्हे सिंह बताते हैं- मोहल्ले में बहुत आना-जाना रहा है। उस कैंपस में कई लोग रहते थे। नई मस्जिद तो लगभग 8 से 10 महीने पहले बनी है, अब लोग बता रहे कि नक्शा ही पास नहीं था।
वकील बोले- नियमानुसार मुस्लिम पक्ष सही
मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता जयप्रकाश कहते हैं- 17 तारीख को अपील की गई है। हमारा मुख्य आधार वह नियम है, जिसमें कहा गया है कि 100 वर्ग मीटर से कम के भूखंड पर निर्माण के लिए नक्शा पास कराना जरूरी नहीं है। मस्जिद का भूखंड 100 वर्ग मीटर से काफी कम है। अब जानिए 100 वर्ग मीटर से कम भूखंड पर नक्शे को लेकर क्या नियम हैं…
आर्किटेक्ट एवं प्लानर मनीष मिश्र ने कहा- 1 मई, 1997 के शासनादेश में इस बात का उल्लेख है। पुराने एवं निर्मित क्षेत्रों में 100 वर्ग मीटर तक के भूखंड पर आवासीय भवनों के निर्माण, पुनर्निर्माण या जीर्णोद्धार के लिए किसी प्रकार की स्वीकृति की जरूरत नहीं है। लेकिन इसके साथ एक प्रतिबंध भी लगाया गया है। प्रतिबंध के मुताबिक महायोजना या उपनियमों आदि के अनुसार सेट बैक छोड़ना जरूरी होगा। निर्माण कुल मिलाकर 3 मंजिल से अधिक नहीं होगा। इस तरह यह नियम केवल आवासीय भवनों पर ही लागू होगा। उसमें भी सेटबैक की अनिवार्यता है।
GDA ने क्या कहा… GDA ने जो नोटिस जारी की है। उसमें इस बात का उल्लेख है कि 15 मई, 2024 को क्षेत्र के अवर अभियंता ने वहां जाकर निर्माण रोकने को कहा था। तब तक पहली मंजिल पर निर्माण चल रहा था। इस संबंध में चालान भी काटा गया। GDA उपाध्यक्ष आनंद वर्धन ने बताया कि जब निर्माण शुरू हुआ तो नोटिस दिया गया था। ऑनलाइन एप के माध्यम से नोटिस दिया जाता है। उसमें निर्माण की फोटो आदि भी लगाया जाता है। उनको इसकी जानकारी दी गई थी और निर्माण रोकने का नोटिस भी दिया गया था। विवाद जमीन को लेकर नहीं, अवैध निर्माण का है
मस्जिद से जुड़ा विवाद जमीन को लेकर नहीं बल्कि अवैध निर्माण को लेकर है। GDA ने जमीन पर कोई सवाल नहीं उठाया है। यह जमीन आवासीय एवं कॉमर्शियल है। निर्माण मानचित्र पास कराए बिना कराया जा रहा था, इसलिए ध्वस्तीकरण का आदेश पारित करना पड़ा।
………. ये खबर भी पढ़ें- UP में 3 लाख में लड़की-5 लाख में लड़का खरीदिए:बच्ची सांवली है, 30 हजार कम दे देना… कैमरे पर मासूमों का सौदा बच्ची सांवली है… इसको जॉनसन बेबी पाउडर लगाना, आठ दिन में गोरी हो जाएगी। इसका रेट 30 हजार कम करा देंगे। ज्यादा सुंदर बच्चा चाहिए तो मई तक रुक जाइए। हमारी एक पार्टी का सातवां महीना चल रहा है। पांच हजार रुपए में लखीमपुर से पता लगा लेंगे कि बड़ा (बेटा) निकल रहा है या छोटी (बेटी)। लखनऊ में मासूम बच्ची का सौदा कर रही यह महिला चाइल्ड ट्रैफिकिंग गैंग की सदस्य है। गैंग तक पहुंचने में दैनिक भास्कर टीम को 20 दिन लगे। हमारा रिपोर्टर नि:संतान बनकर इस गिरोह तक पहुंचा। लखनऊ में बच्ची की डिलीवरी तय की गई। गैंग की दूसरी महिला सदस्य दिल्ली से बच्ची लेकर आई। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
गोरखपुर में मस्जिद क्यों गिराई जा रही?:मुस्लिम पक्ष बोला- बनवाते समय कोई नहीं आया, GDA का जवाब- नोटिस भेजा था
