हरियाणा के सोनीपत के गोहाना क्षेत्र में बुढ़ापा पेंशन को लेकर शिकायत करने के शक में एक व्यक्ति की बुरी तरह से पिटाई की गई। इसमें उसके दो दांत टूट गए और मुंह से खून आ गया। उसकी पत्नी व एक अन्य व्यक्ति ने उसको छुड़वा कर अस्पताल पहुंचाया। पुलिस ने उसकी शिकायत पर आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। गोहाना क्षेत्र के गांव बिलबिलान के रहने वाले सुखवंत ने पुलिस को बताया कि वह शाम के समय 5 बजे अपनी पत्नी के साथ धान की ट्राली को ढक कर वापस घर आ रहा था। गांव के ही सतीश ने उनका रास्ता रोक लिया। उसने उसको पकड़ लिया ओर गाली गलौज करने लगा। बसंत भी उसके साथ था। दोनों ने उसके साथ मारपीट करनी शुरू कर दी। उससे कहा कि तुम मेरी बुढ़ापा पेंशन क्यों तुड़वाना चाह रहे हो। सुखवंत ने कहा कि मैंने उसको समझाया कि आपकी बुढ़ापा पेंशन को लेकर उसने कोई शिकायत नहीं की है। उन्होंने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया और उसकी पिटाई करते रहे। इससे उसके दो दांत टूट गये व मुंह से खून निकलने लगा। मेरी पत्नी सुनीता व गांव के ही बिजेंद्र ने किसी तरह उसको छुड़वाया। इसके बाद वे उसे धमकी देते हुए वहां से चले गए। परिजनों ने उसे घायल हालत में गोहाना के नागरिक अस्पताल में दाखिल कराया, वहां से डॉक्टरों ने उसे खानपुर पीजीआई रेफर कर दिया। बाद में मामले में शिकायत गोहाना सदर थाना में दी। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 115(2) 126(2) 351(2) 3(5) BNS में केस दर्ज कर लिया है। हरियाणा के सोनीपत के गोहाना क्षेत्र में बुढ़ापा पेंशन को लेकर शिकायत करने के शक में एक व्यक्ति की बुरी तरह से पिटाई की गई। इसमें उसके दो दांत टूट गए और मुंह से खून आ गया। उसकी पत्नी व एक अन्य व्यक्ति ने उसको छुड़वा कर अस्पताल पहुंचाया। पुलिस ने उसकी शिकायत पर आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। गोहाना क्षेत्र के गांव बिलबिलान के रहने वाले सुखवंत ने पुलिस को बताया कि वह शाम के समय 5 बजे अपनी पत्नी के साथ धान की ट्राली को ढक कर वापस घर आ रहा था। गांव के ही सतीश ने उनका रास्ता रोक लिया। उसने उसको पकड़ लिया ओर गाली गलौज करने लगा। बसंत भी उसके साथ था। दोनों ने उसके साथ मारपीट करनी शुरू कर दी। उससे कहा कि तुम मेरी बुढ़ापा पेंशन क्यों तुड़वाना चाह रहे हो। सुखवंत ने कहा कि मैंने उसको समझाया कि आपकी बुढ़ापा पेंशन को लेकर उसने कोई शिकायत नहीं की है। उन्होंने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया और उसकी पिटाई करते रहे। इससे उसके दो दांत टूट गये व मुंह से खून निकलने लगा। मेरी पत्नी सुनीता व गांव के ही बिजेंद्र ने किसी तरह उसको छुड़वाया। इसके बाद वे उसे धमकी देते हुए वहां से चले गए। परिजनों ने उसे घायल हालत में गोहाना के नागरिक अस्पताल में दाखिल कराया, वहां से डॉक्टरों ने उसे खानपुर पीजीआई रेफर कर दिया। बाद में मामले में शिकायत गोहाना सदर थाना में दी। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 115(2) 126(2) 351(2) 3(5) BNS में केस दर्ज कर लिया है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
किरण चौधरी अभी भी कांग्रेस विधायक:मानसून सेशन में BJP विधायकों के साथ नहीं मिलेगी सीट; विधायकी से इस्तीफा न देने की 2 वजहें
किरण चौधरी अभी भी कांग्रेस विधायक:मानसून सेशन में BJP विधायकों के साथ नहीं मिलेगी सीट; विधायकी से इस्तीफा न देने की 2 वजहें हरियाणा में कांग्रेस से इस्तीफा दे चुकी तोशाम से विधायक किरण चौधरी अभी कांग्रेस विधायक ही रहेंगी। इसका खुलासा खुद विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता कर चुके हैं। अगस्त में होने वाले मानसून सेशन में उन्हें कांग्रेस के खेमे में ही बैठना पड़ेगा। सदन में उन्हें नई सीट आवंटित नहीं की जाएगी। इससे पहले कांग्रेस के दल-बदल कानून के तहत किरण चौधरी की विधानसभा सदस्यता रद्द करने का नोटिस स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता पहले ही खारिज कर चुके हैं। स्पीकर स्पष्ट कर चुके हैं कि विधानसभा की पार्टी स्थिति के अनुसार, किरण चौधरी कांग्रेस के साथ हैं। उन्हें तब तक कांग्रेस का हिस्सा माना जाएगा जब तक वह इस्तीफा नहीं दे देतीं या अयोग्य घोषित नहीं कर दी जातीं। अब यहां पढ़िए क्या है नियम… किरण चौधरी की विधायकी को लेकर चल रही कॉन्ट्रोवर्सी पर कानूनी जानकारों का कहना है कि इस मुद्दे पर नियमों के अनुसार याचिका दायर की जानी चाहिए। हर याचिका पर याचिकाकर्ता द्वारा सिग्नेचर किए जाने चाहिए और सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के अनुसार उनके द्वारा वेरिफिकेशन की जानी चाहिए। याचिका के हर अटैचमेंट पर भी उसी तरह सिग्नेचर किए जाने चाहिए और उसका सत्यापन किया जाना चाहिए। जबकि स्पीकर दावा कर चुके हैं कि कांग्रेस के द्वारा दायर किए गए नोटिस के हर पेज पर सिग्नेचर नहीं किए हैं। स्पीकर बोले- खुद संज्ञान नहीं ले सकते विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता का कहना है कि किरण चौधरी के भाजपा में जाने पर वह स्वतः संज्ञान नहीं ले सकते। आरोप लगाने से पहले कांग्रेस को खुद को देखना चाहिए। अपने समय में वे 4 साल से अधिक समय तक एक याचिका पर बैठे रहे। स्पीकर ने नियमों का हवाला देते हुए दावा किया कि कांग्रेस ने पहले नोटिस दिया और फिर रिमाइंडर भेजा। जब मैंने उनका नोटिस खारिज किया, तब भी उन्होंने नियम नहीं पढ़े। मुझे उनकी कानून की डिग्री पर संदेह है। कांग्रेस ने स्पीकर पर ये लगाए आरोप कांग्रेस के मुख्य सचेतक बीबी बत्रा और डिप्टी CLP नेता आफताब अहमद स्पीकर पर जमकर निशाना साध चुके हैं। हाल ही में कांग्रेस के दोनों विधायकों ने आरोप लगाया था कि चूंकि स्पीकर सत्ताधारी पार्टी से हैं, इसलिए वे वैसे भी उनकी याचिका खारिज कर देते। कांग्रेस के दोनों नेता यहां तक कह चुके हैं कि स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता संविधान का मजाक उड़ा रहे हैं। कांग्रेस का आरोप- SC के फैसले की हो रही अनदेखी आफताब अहमद के अनुसार, स्पीकर के कार्यों ने डॉ. महाचंद्र प्रसाद सिंह बनाम बिहार विधान परिषद के अध्यक्ष और अन्य के ऐतिहासिक 2004 के फैसले में निर्धारित सुप्रीम कोर्ट के सिद्धांतों की अनदेखी की है। उनका कहना है कि इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि नियमों के प्रावधान इतने अनिवार्य नहीं थे, जबकि यह भी देखा गया था कि संवैधानिक प्रावधान यानी 10वीं अनुसूची के आदेश को पूरा करना स्पीकर का कर्तव्य है। किरण के इस्तीफा न देने की ये 2 बड़ी वजहें… 1. वोटिंग के लिए व्हिप जारी नहीं कर सकती कांग्रेस कानूनी विश्लेषक और पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकील हेमंत कुमार ने बताया कि BJP ने जानबूझकर सोची समझी रणनीति के कारण किरण से इस्तीफा नहीं दिलवाया। अगले कुछ दिनों में हरियाणा से खाली हुई राज्यसभा सीट के उपचुनाव में मतदान की आवश्यकता होती है तो उस परिस्थिति में किरण सदन में कांग्रेस विधायक रहते हुए भी भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर सकती हैं। इसकी वजह यह है कि राज्यसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपने विधायकों को वोटिंग के संबंध में निर्देश देने के लिए व्हिप नहीं जारी किया जा सकता है। इसका फायदा BJP राज्यसभा चुनाव की वोटिंग में उठाएगी। 2. अभी विधानसभा में बहुमत में BJP किरण चौधरी के भाजपा में आने से विधानसभा में नायब सैनी की मौजूदा सरकार की 87 सदस्यीय सदन में विधायकों की संख्या एक बढ़कर 44 (स्पीकर को मिलाकर) हो गई है। इस संख्या में बीजेपी के 41 विधायक हैं, जबकि 1 हलोपा विधायक गोपाल कांडा, किरण चौधरी और एक निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत शामिल हैं। चूंकि अभी सदन में 87 विधायक हैं, ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 44 हो गया है, जो भाजपा के पास है। यदि मानसून सत्र के दौरान विश्वास मत हासिल करने के लिए फ्लोर टेस्ट होता है तो यहां विपक्ष के मुकाबले बहुमत में दिखाई देगी।
नई मोदी सरकार में हरियाणा से 2 मंत्री संभव:राव ने दिल्ली में डेरा डाला, गुर्जर की होगी छुट्टी; खट्टर BJP राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में
नई मोदी सरकार में हरियाणा से 2 मंत्री संभव:राव ने दिल्ली में डेरा डाला, गुर्जर की होगी छुट्टी; खट्टर BJP राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में केंद्र में PM नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली NDA सरकार का 9 जून को संभावित शपथग्रहण है। इसमें हरियाणा से 2 कैबिनेट मंत्री बनाए जा सकते हैं। जिनमें राव इंद्रजीत सिंह को दोबारा मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। इसके लिए राव इंद्रजीत दिल्ली में डेरा डाल चुके हैं। हालांकि फरीदाबाद से जीते कृष्णपाल गुर्जर के दोबारा मंत्री बनने के चांस कम नजर आ रहे हैं। कृष्णपाल गुर्जर की जगह भिवानी-महेंद्रगढ़ से जाट चेहरे चौधरी धर्मबीर या कुरूक्षेत्र से जीतने वाले नवीन जिंदल को जगह मिल सकती है। वहीं हरियाणा के पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में हैं। भाजपा उन्हें जेपी नड्डा की जगह ये जिम्मेदारी सौंप सकती है। हालांकि उनको राष्ट्रीय महामंत्री बनाए जाने की चर्चा भी तेज है। चूंकि हरियाणा में 4 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में यहां से चुने गए सांसदों को भाजपा में बड़ी जिम्मेदारियां मिलनी तय मानी जा रही हैं। खट्टर मोदी के पुराने साथी, संगठन का अनुभव
मनोहर लाल खट्टर करनाल से सांसद चुने गए हैं। भाजपा ने अचानक उन्हें हरियाणा CM की कुर्सी से हटा लोकसभा टिकट दी थी। जिसमें उन्होंने चुनाव जीतकर अपनी काबिलियत साबित की। खट्टर पीएम नरेंद्र मोदी की गुडबुक में हैं। वे मोदी के पुराने साथी रह चुके हैं। खुद मोदी ने चुनाव से पहले गुरुग्राम में कहा था कि जब वे हरियाणा में थे तो खट्टर के साथ बाइक पर रोहतक से गुरुग्राम आते थे। इसके अलावा खट्टर को संगठन का भी बड़ा अनुभव है। वह 2014 में ही विधायक का चुनाव लड़े। इससे पहले करीब 3 दशक से ज्यादा वक्त तक उन्होंने संगठन का काम किया। इस वजह से उनको अध्यक्ष बनाने की चर्चा है। चुनाव में जीत के बाद वे दिल्ली जाकर जेपी नड्डा और अमित शाह से भी मिल चुके हैं। उनको सरकार में लेने की भी पैरवी हो रही है। इसके लिए उनके साढ़े 9 साल हरियाणा में सरकार चलाने के अनुभव का हवाला दिया जा रहा है। अहीरवाल में 14 विधानसभा सीटों पर राव का दबदबा
राव इंद्रजीत सिंह की मंत्रिमंडल में दावेदारी इसलिए मजबूत हैं, क्योंकि वे अहीरवाल बेल्ट के बड़े नेता हैं। दक्षिणी हरियाणा की 14 विधानसभा सीटों पर राव इंद्रजीत सिंह का खुद का प्रभाव रहा है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव में दक्षिणी हरियाणा में बीजेपी को अच्छी बढ़त मिली हैं। इस बार भी राज बब्बर जैसे दिग्गज कांग्रेस नेता को राव ने हरा दिया। वे छठी बार सांसद बने। ऐसे में राव को बाहर कर भाजपा दक्षिणी हरियाणा की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती। सियासी समीकरण देख लग सकता है धर्मबीर का नंबर
गुर्जर को मंत्रीपद न देने के बाद भी हरियाणा को भाजपा नेतृत्व नजरअंदाज नहीं कर सकता। विधानसभा चुनाव के समीकरण को देखते हुए भाजपा भिवानी-महेंद्रगढ़ से लगातार तीसरी बार जीतने वाले चौधरी धर्मबीर को मंत्री बना सकती है। धर्मबीर बड़े जाट चेहरे हैं। अभी राज्य में BJP की सरकार में बड़े लेवल पर जाटों का प्रतिनिधित्व कम है। वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा के 5 सीटें हारने में जाटों की नाराजगी बड़ी वजह बनी। भाजपा इससे उसे साध सकती है। बहुमत न मिलने से कटेगा गुर्जर का पत्ता
फरीदाबाद से लगातार तीसरी बार जीते कृष्णपाल गुर्जर मोदी सरकार के दोनों टर्म में मंत्री रहे। मगर, इस बार उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने के चांस कम है। कृष्णपाल गुर्जर ने भले ही 1 लाख, 72 हजार 914 के अच्छे मार्जिन से जीत दर्ज कर ली, लेकिन BJP के पूर्ण बहुमत में नहीं आने की वजह से इस बार गठबंधन सहयोगियों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना है। यही वजह है कि कृष्णपाल गुर्जर को तीसरी बार मंत्री पद देने के लिए शीर्ष नेतृत्व ने भी अभी तक कोई विचार नहीं किया है।
हरियाणा BJP में कांडा बंधुओं पर घमासान:मंत्री बोले- हलोपा कोई पार्टी नहीं, न इनका जनाधार; CM गठबंधन की बात कह चुके
हरियाणा BJP में कांडा बंधुओं पर घमासान:मंत्री बोले- हलोपा कोई पार्टी नहीं, न इनका जनाधार; CM गठबंधन की बात कह चुके हरियाणा में गोपाल कांडा-गोबिंद कांडा बंधुओं पर BJP में घमासान मच गया है। हलोपा ने रानिया से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। हलोपा गोपाल कांडा की पार्टी है, जो नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) में शामिल है। हलोपा ने BJP नेता गोबिंद कांडा के बेटे धवल कांडा को उम्मीदवार बनाया है। इसी सीट से BJP में शामिल हो चुके बिजली मंत्री रणजीत चौटाला विधायक रह चुके हैं। वे इसी सीट से चुनाव लड़ते हैं। जब इस बारे में रणजीत चौटाला से पूछा गया तो उन्होंने यहां तक कह डाला कि हलोपा कोई पार्टी ही नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि कांडा बंधुओं के पास कोई जनाधार भी नहीं है। यह बात इसलिए अहम है क्योंकि कुछ दिन पहले सीएम नायब सैनी कह चुके हैं कि अगला विधानसभा चुनाव वह हलोपा से मिलकर लड़ेंगे। भाजपा नेता रणजीत चौटाला गुरुवार को फतेहाबाद पुलिस लाइन में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में चीफ गेस्ट बनकर पहुंचे थे। यहां चौटाला ने झंडा फहराया। इसके बाद उन्होंने पत्रकारों से बात की। गृहमंत्री पहले ही कह चुके, समझौता नहीं करेंगे
रणजीत सिंह ने कहा, ‘हर एक का अपना फंडामेंटल है। कोई कहीं से चुनाव लड़ सकता है, लेकिन फाइट तो भाजपा और कांग्रेस में ही रहेगी। कभी किसी समय पंजाब में बादल साहब (SAD प्रमुख सुखबीर सिंह बादल) की पार्टी का 25 साल तक राज रहा। उनका डंका बजता था, बड़ी-बड़ी सभाएं लगती थीं, लेकिन अब वह दल समाप्ति की ओर है। UP में मायावती (बसपा सुप्रीमो) का नाम चलता रहा है। अब कहां हैं वह? हरियाणा में इनेलो और JJP आईं। चौधरी देवीलाल के समय यहीं से तय होता था कि देश का PM कौन बनेगा। बिहार, गुजरात, UP, आदि में मुख्यमंत्री तक देवीलाल बनाते थे। अब ये भी दल चले गए। हलोपा कोई पार्टी नहीं है। 10 सीटों पर टिकट बांटें या 15 सीटों पर, लेकिन मैं मानता हूं कि हलोपा की जनता में कोई अपील नहीं है। गृहमंत्री अमित शाह हरियाणा दौरे के दौरान साफ तौर पर कह गए थे कि भाजपा समझौता नहीं करेगी और अपने बल पर सरकार बनाएगी।’ मैं भाजपा के पैमाने पर खरा हूं
रानिया से भाजपा की टिकट मिलने के सवाल पर रणजीत सिंह ने कहा, ‘3 माह पहले पार्टी ने मुझे हिसार से लोकसभा चुनाव लड़वाया। अब 3 माह में ऐसी कोई डिस्क्वालिफिकेशन मुझमें नहीं आई है। मेरा अपना जनाधार है। 5 लाख से ज्यादा वोट आए और 30 हजार से हार गया, क्योंकि फैमिली के लोग सामने खड़े हो गए थे। रानिया से जब मैंने कांग्रेस छोड़ स्वतंत्र चुनाव लड़ा तो 25 हजार से ज्यादा वोटों से जीतकर आया। बाकियों की जमानत जब्त हो गईं। भाजपा समर्पित, अच्छी इमेज और जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट देती है। उनके हर पैमाने पर मैं खरा उतरता हूं।’ राम रहीम की फरलो गैरकानूनी नहीं
हरियाणा में चुनाव से ठीक पहले डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को मिली फरलो को लेकर चौटाला ने कहा कि उन्हें पैरोल या फरलो कानून के तहत ही मिली है। इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं। उन्होंने कहा कि जेल महकमे के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं होता कि वह अपने स्तर पर किसी को बाहर निकाले। उन्होंने कहा कि जब भी राम रहीम को पैरोल या फरलो मिलती है तो यह प्रश्न उठते हैं। जब भी कोई कैदी 3 साल से ज्यादा सजा भुगत लेता है तो उसके पास अधिकार रहता है कि वह पैरोल या फरलो ले सके। हमारा काम सिर्फ एप्लिकेशन फॉरवर्ड करना होता है। चौटाला ने कहा कि यदि कैदी की सजा 3 साल तक है तो DC लेवल और सजा 7 साल से अधिक है तो पुलिस कमिश्नर स्तर पर पैरोल मिलती है। उन्होंने कहा कि जेल में सिर्फ एप्लिकेशन आती है, जिसे जेल के कानूनों के तहत आगे भेज दिया जाता है। जो भी हो रहा है, वह जेल मैनुअल के तहत हो रहा है।