चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाइवे मंडी में एक बार फिर से बंद हो गया। मंडी के 9 मील के पास हाईवे पर रात 1 बजे पहाड़ी से भारी मलबा आ गया। इसमें एक थार गाड़ी मलबे में फंस गई। पहाड़ी धंसने के बाद हाईवे पर दोनों ओर वाहनों की लंबी लंबी लाइने लग गई है। इससे स्थानीय लोगों सहित पर्यटकों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है, क्योंकि वीकेंड के कारण चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित अन्य राज्यों से काफी संख्या में पर्यटक मनाली पहुंच रहे हैं। वाया कटौली भेजे जा रहे छोटे वाहन छोटे वाहन वाया कटौला होते हुए भेजे जा रहे है। मगर बसे, ट्रक और दूसरे भारी वाहन हाईवे खुलने के इंतजार में है। बता दें कि मंडी में बीती रात को तेज बारिश हुई है। इससे लैंडस्लाइड हुआ है और मौके पर बार बार मलबा आ रहा है। बता दें कि इस मानसून सीजन में 9 मील के पास 10 से भी ज्यादा बार लैंडस्लाइड हुआ और यहां हाईवे कई-कई घंटे बंद रहा। इसी तरह 4 मील, 6 मील में भी हाईवे ने लोगों को बार बार परेशान किया है। रात 1 बजे हुए लैंडस्लाइड : SP पुलिस अधीक्षक (एसपी) मंडी साक्षी वर्मा ने बताया कि बारिश के चलते रात करीब 1 बजे 9 मील के पास पहाड़ी से मलबा आने के चलते हाईवे बंद है। पुलिस ने ट्रैफिक रोक दिया है और वाहन चालकों से वैकल्पिक मार्गों से जाने की अपील की जा रही है। उन्होंने बताया कि 9 मील के पास मशीनरी तैनात कर दी है और हाइवे जल्द बहाल कर दिया जाएगा। मंडी-धर्मपुर एनचएच पर सफर जोखिमभरा बीती रात को तेज बारिश के बाद मंडी-धर्मपुर एनएच भी फिसलन भरा हो गया है, क्योंकि इस हाईवे पर इन दिनों काम चला हुआ है। इससे गाड़ियां कीचड़ में फंस रही है और फिसलन बढ़ गई है। चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाइवे मंडी में एक बार फिर से बंद हो गया। मंडी के 9 मील के पास हाईवे पर रात 1 बजे पहाड़ी से भारी मलबा आ गया। इसमें एक थार गाड़ी मलबे में फंस गई। पहाड़ी धंसने के बाद हाईवे पर दोनों ओर वाहनों की लंबी लंबी लाइने लग गई है। इससे स्थानीय लोगों सहित पर्यटकों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है, क्योंकि वीकेंड के कारण चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित अन्य राज्यों से काफी संख्या में पर्यटक मनाली पहुंच रहे हैं। वाया कटौली भेजे जा रहे छोटे वाहन छोटे वाहन वाया कटौला होते हुए भेजे जा रहे है। मगर बसे, ट्रक और दूसरे भारी वाहन हाईवे खुलने के इंतजार में है। बता दें कि मंडी में बीती रात को तेज बारिश हुई है। इससे लैंडस्लाइड हुआ है और मौके पर बार बार मलबा आ रहा है। बता दें कि इस मानसून सीजन में 9 मील के पास 10 से भी ज्यादा बार लैंडस्लाइड हुआ और यहां हाईवे कई-कई घंटे बंद रहा। इसी तरह 4 मील, 6 मील में भी हाईवे ने लोगों को बार बार परेशान किया है। रात 1 बजे हुए लैंडस्लाइड : SP पुलिस अधीक्षक (एसपी) मंडी साक्षी वर्मा ने बताया कि बारिश के चलते रात करीब 1 बजे 9 मील के पास पहाड़ी से मलबा आने के चलते हाईवे बंद है। पुलिस ने ट्रैफिक रोक दिया है और वाहन चालकों से वैकल्पिक मार्गों से जाने की अपील की जा रही है। उन्होंने बताया कि 9 मील के पास मशीनरी तैनात कर दी है और हाइवे जल्द बहाल कर दिया जाएगा। मंडी-धर्मपुर एनचएच पर सफर जोखिमभरा बीती रात को तेज बारिश के बाद मंडी-धर्मपुर एनएच भी फिसलन भरा हो गया है, क्योंकि इस हाईवे पर इन दिनों काम चला हुआ है। इससे गाड़ियां कीचड़ में फंस रही है और फिसलन बढ़ गई है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल के शिक्षा विभाग का कारनामा:B.Sc-M.Sc पास टीचर को 8450 रुपए; 10वीं पास चौकीदार को 10630 मानदेय, सोशल मीडिया पर घिरा सोशल मीडिया पर इन दिनों हिमाचल का शिक्षा विभाग खूब सुर्खियां बटोर रहा है। दरअसल, चंबा जिला के भरमौर के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय द्वारा एक समाचार पत्र में विज्ञापन दिया गया, जिसमें एक पार्ट टाइम टीचर और एक चौकीदार के लिए आवेदन मांगे गए। इसमें टीचर को 8450 रुपए मानदेय और चौकीदार को 10630 रुपए मानदेय देने की बात कही गई है। पार्ट टाइम टीचर के लिए बीएससी, एमएससी, बीएड के साथ टेट परीक्षा (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) पास होना अनिवार्य किया गया है, जबकि चपड़ासी के लिए 10वीं पास की शर्त लगाई है। चौकीदार को टीचर से 2180 रुपए ज्यादा मानदेय टीचर को चौकीदार की तुलना में 2180 रुपए कम मानदेय देने की बात विज्ञापन में कही गई है। इसे लेकर लोग सोशल मीडिया में शिक्षा विभाग पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। विभाग का यह विज्ञापन सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। लोग इसे बेरोजगारों के साथ मजाक बता रहे हैं। न्यूनतम मानदेय भी नहीं दिया जा रहा पार्ट टाइम टीचर के साथ साथ चौकीदार दोनों को न्यूनतम मानदेय भी नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल में न्यूनतम दिहाड़ी 400 रुपए है। इस हिसाब से कम से कम 12 हजार रुपए मानदेय अनिवार्य रूप से होना चाहिए। मगर शिक्षा विभाग के इस विज्ञापन के अनुसार, न तो टीचर और न ही चौकीदार को न्यूनतम मानदेय दिया जा रहा है। डिप्टी डायरेक्टर बोले-टीचर पार्ट टाइम, इसलिए कम मानदेय इसे लेकर चंबा के डिप्टी डायरेक्टर एजुकेशन पीएल चड़क ने बताया कि टीचर पार्ट टाइम है, जबकि चौकीदार फुल टाइम रखा जाना है। इसलिए टीचर का मानदेय कम है और चौकीदार का ज्यादा है। हैरानी इस बात की है कि इस साल के शुरुआत में भी सरकार ने पार्ट टाइम भर्तियों की बात कही थी। तब बेरोजगारों के विरोध के बाद सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया था। मगर अब शिक्षा विभाग का यह विज्ञापन कई सवाल खड़े कर रहा है। हिमाचल हाईकोर्ट भी कई बार ऐसी भर्तियों पर आपत्ति जता चुका है।
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रामपुर में मजदूरों का रोष प्रदर्शन:लूहरी परियोजना का काम किया बंद, बोले- दो माह से नहीं मिला वेतन; कंपनी प्रबंधन को दी चेतावनी शिमला जिले के रामपुर में मजदूरों ने लूहरी परियोजना का कार्य बंद कर दिया और दो माह का वेतन न मिलने पर विरोध प्रदर्शन किया। हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन-210 मेगावाट स्टेज-1 संबंधित सीटू ने मंगलवार को मजदूरों का जुलाई और अगस्त माह के वेतन का भुगतान न करने पर यह निर्णय लिया है। मजदूरों ने परियोजना की कार्यप्रणाली को लेकर रोष जताया। मजदूरों को संबोधित करते हुए सीटू शिमला जिला सचिव अमित, यूनियन अध्यक्ष राजपाल और सचिव सतीश ने कहा कि परियोजना में श्रम कानूनों की खुला उल्लंघन हो रही है और सतलज जल विद्युत निगम मूक दर्शक बना हुआ है। 50 मजदूरों को नहीं मिला वेतन मजदूर नेताओं ने कहा कि सतलज जल विद्युत निगम देश की नवरत्न कंपनियों में से एक है। वित्त वर्ष 2023-24 में 908 करोड़ का मुनाफा कमाने वाली कंपनी 50 मजदूरों के दो महीने के वेतन का भुगतान नहीं कर रही है। उग्र आंदोलन की चेतावनी दी मजदूरों को वेतन न देना मुख्य नियोक्ता सतलज जल विद्युत निगम के मजदूर विरोधी रवैये को दर्शाते हैं। यूनियन ने एसजेवीएनएल और पटेल कंपनी प्रबंधन को चेतावनी दी है यदि समय रहते मजदूरों को जुलाई और अगस्त माह के वेतन का भुगतान नहीं किया गया, तो यूनियन उग्र आंदोलन कर परियोजना का काम अनिश्चित समय के लिए बंद करेंगे।
हिमाचल प्रदेश में सेब प्रोडक्शन में लगातार गिरावट:हर साल बढ़ रहा रकबा, घट रहा उत्पादन, इस बार 2.91 करोड़ पेटी का अनुमान
हिमाचल प्रदेश में सेब प्रोडक्शन में लगातार गिरावट:हर साल बढ़ रहा रकबा, घट रहा उत्पादन, इस बार 2.91 करोड़ पेटी का अनुमान हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं के कारण हर साल सेब का उत्पादन गिर रहा है। सेब का रकबा बढ़ने के बावजूद उत्पादन कम हो रहा है। इस बार भी बागवानी विभाग ने 2.81 करोड़ पेटी सेब आने का अनुमान जताया है। प्रदेश में 1.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की खेती हो रही है। वर्ष 2009-10 में सेब का रकबा 99564 हेक्टेयर था, उस दौरान 5 करोड़ 11 लाख पेटी सेब का उत्पादन हुआ था। वर्ष 2022-23 में सेब का रकबा बढ़कर 1.15 लाख हेक्टेयर हो गया और उत्पादन घटकर 2.11 करोड़ पेटी रह गया। वर्ष 2010 के बाद पांच करोड़ तो छोड़िए, चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन भी नहीं हो सका। दूसरी सबसे अधिक फसल 11 साल पहले यानी 2013 में 3.69 करोड़ पेटी हुई थी। साल 2010 में हुई थी रिकॉर्ड प्रोडक्शन साल कितनी पेटी 2010 5.11 करोड़
2011 1.38 करोड़
2012 1.84 करोड़
2013 3.69 करोड़
2014 2.80 करोड़
2015 3.88 करोड़
2016 2.40 करोड़
2017 2.08 करोड़
2018 1.65 करोड़
2019 3.24 करोड़
2020 2.40 करोड़
2021 3.05 करोड़
2022 3.36 करोड़
2023 2.11 करोड़ विश्व बैंक की 1134 करोड़ की परियोजना भी नहीं बढ़ा पाई उत्पादन सेब उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य में विश्व बैंक की 1134 करोड़ रुपये की परियोजना भी लागू की गई थी। वर्ष 2017 में जब इस परियोजना को मंजूरी मिली थी, तब दावा किया गया था कि औसत सेब उत्पादन 8 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो जाएगा, जो 2017 में भी 6 मीट्रिक टन था। इसमें अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। सेब उत्पादन पर मौसम का असर : डॉ. भारद्वाज बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज ने बताया कि सेब उत्पादन पूरी तरह मौसम पर निर्भर है। पिछले कुछ सालों से मौसम सेब के अनुकूल नहीं रहा है। सर्दियों में अच्छी बर्फबारी न होना, फ्लावरिंग के दौरान बारिश-बर्फबारी और ओलावृष्टि या सूखे जैसे कारणों से सेब का अच्छा उत्पादन नहीं हो पा रहा है। बर्फबारी का ट्रेंड बदलने से फसल पर बुरा असर हिमाचल में बीते एक दशक के दौरान बर्फबारी का ट्रेंड बदला है। आमतौर पर प्रदेश में दिसंबर से 15 फरवरी के बीच बर्फबारी होती थी। मगर पिछले कुछ सालों के दौरान फरवरी से मार्च में बर्फ गिरती रही है। कई ऊंचे क्षेत्रों में तो अप्रैल में भी बर्फबारी रिपोर्ट हुई है। इसका असर सेब की खेती पर पड़ रहा है, क्योंकि मार्च-अप्रैल में बर्फ के बाद अचानक ठंड पड़ने से सेब की फ्लावरिंग प्रभावित होती है। ठंडे मौसम में मधुमक्खियां परागण नहीं कर पाती और अच्छी फ्लावरिंग भी नहीं हो पाती। इसकी मार फसल पर पड़ती है। इसके विपरीत साल दर साल सेब पर उत्पादन लागत हर साल बढ़ती जा रही है और उत्पादन कम हो रहा है। इस बार 2.91 करोड़ पेटी सेब का पूर्वानुमान: नेगी बागवानी मंत्री जगत नेगी ने कहा, इस बार 2.91 करोड़ पेटी सेब होने का पूर्वानुमान है। सेब की खेती मौसम पर निर्भर करती है। आने वाले दिनों में सेब के अच्छे साइज व रंग के लिए बारिश के साथ साथ धूप खिलना भी जरूरी है।