चंडीगढ़ के सेक्टर-10 में एक बुजुर्ग चीफ आर्किटेक्ट से 2.5 करोड़ रुपए की ठगी का मामला पुलिस ने सुलझा लिया है। आरोपियों ने महिला को डिजिटली अरेस्ट करने और मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे केस में फंसाने के नाम पर यह ठगी की थी। पुलिस ने इस मामले में उत्तर प्रदेश से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही आरोपियों द्वारा ठगी गई रकम बरामद कर ली जाएगी और अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। साइबर सेल की प्रभारी इंस्पेक्टर इरम रिजवी के नेतृत्व में टीम इस मामले की जांच कर रही थी। उत्तर प्रदेश से हुई तीनों गिरफ्तारी इस मामले में केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने हाथरस और आगरा (उत्तर प्रदेश) में छापेमारी कर दो आरोपियों, धर्मेंद्र सिंह (28 वर्ष) और राम किसन सिंह उर्फ रामू (36 वर्ष) को गिरफ्तार किया। इसके बाद आठ जून को बुधनपुर, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में छापेमारी कर तीसरे आरोपी, साकिब (24 वर्ष) को काबू किया। साकिब ने पूछताछ में माना है कि उसने अपने नाम पर खाता और फर्म खोली और अपने साले व अन्य साथियों को धोखाधड़ी के लिए उपयोग करने दिया। इसके बदले उसे 10% कमीशन मिलता था। पूछताछ के दौरान, सभी आरोपियों ने अपनी भूमिका स्वीकार की और अन्य आरोपियों के बारे में जानकारी दी। अब पुलिस आरोपियों से से पैसे की रिकवरी में लगी है। तीन प्वाइंट में समझे डिजिटल अरेस्ट का खेल 1. पहले कहा सिम कार्ड का दुरुपयोग हुआ
महिला ने बताया कि 3 मई 2025 की सुबह उन्हें एक कॉल आया। फोन करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) का अधिकारी बताया। आरोपी ने कहा कि उनके सिम कार्ड का दुरुपयोग हुआ है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है। 2. फिर मनी लांडरिंग का केस में जोड़ा नाम इसके बाद, एक वॉट्सऐप वीडियो कॉल आया, जिसमें एक व्यक्ति ने खुद को विजय खन्ना पुलिस अधिकारी बताया है। उसे कहा कि उनके नाम पर दो गिरफ्तारी वारंट जारी हुए हैं। यह मामला जेट एयरवेज के सीईओ से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस से संबंधित बताया गया। 3. सीबीआई के अधिकारी और एससी के जज बने
फिर उसे फर्जी गिरफ्तारी वारंट और वरिष्ठ अधिकारियों (जैसे डीआईजी सीबीआई राजीव रंजन और सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीश) की पहचान का उपयोग करते हुए गुमराह किया। उन्होंने “फंड्स की जांच” और “नाम क्लियर करने” के बहाने उनसे ₹2.5 करोड़ की राशि कई फर्जी बैंक खातों में जमा करवा ली। यह मामला एक जून को दर्ज किया गया था।
कई स्टेटों में पर खोले बैंक खाते
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि धोखाधड़ी में उपयोग किए गए बैंक खाते भारत के विभिन्न स्थानों से खोले गए थे। कई मोबाइल नंबर अलग-अलग राज्यों से संचालित हो रहे थे।तकनीकी विश्लेषण के तहत केवाईसी, सीडीआर, आईपी और खाता सत्यापन किया गया। चंडीगढ़ के सेक्टर-10 में एक बुजुर्ग चीफ आर्किटेक्ट से 2.5 करोड़ रुपए की ठगी का मामला पुलिस ने सुलझा लिया है। आरोपियों ने महिला को डिजिटली अरेस्ट करने और मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे केस में फंसाने के नाम पर यह ठगी की थी। पुलिस ने इस मामले में उत्तर प्रदेश से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही आरोपियों द्वारा ठगी गई रकम बरामद कर ली जाएगी और अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। साइबर सेल की प्रभारी इंस्पेक्टर इरम रिजवी के नेतृत्व में टीम इस मामले की जांच कर रही थी। उत्तर प्रदेश से हुई तीनों गिरफ्तारी इस मामले में केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने हाथरस और आगरा (उत्तर प्रदेश) में छापेमारी कर दो आरोपियों, धर्मेंद्र सिंह (28 वर्ष) और राम किसन सिंह उर्फ रामू (36 वर्ष) को गिरफ्तार किया। इसके बाद आठ जून को बुधनपुर, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में छापेमारी कर तीसरे आरोपी, साकिब (24 वर्ष) को काबू किया। साकिब ने पूछताछ में माना है कि उसने अपने नाम पर खाता और फर्म खोली और अपने साले व अन्य साथियों को धोखाधड़ी के लिए उपयोग करने दिया। इसके बदले उसे 10% कमीशन मिलता था। पूछताछ के दौरान, सभी आरोपियों ने अपनी भूमिका स्वीकार की और अन्य आरोपियों के बारे में जानकारी दी। अब पुलिस आरोपियों से से पैसे की रिकवरी में लगी है। तीन प्वाइंट में समझे डिजिटल अरेस्ट का खेल 1. पहले कहा सिम कार्ड का दुरुपयोग हुआ
महिला ने बताया कि 3 मई 2025 की सुबह उन्हें एक कॉल आया। फोन करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) का अधिकारी बताया। आरोपी ने कहा कि उनके सिम कार्ड का दुरुपयोग हुआ है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है। 2. फिर मनी लांडरिंग का केस में जोड़ा नाम इसके बाद, एक वॉट्सऐप वीडियो कॉल आया, जिसमें एक व्यक्ति ने खुद को विजय खन्ना पुलिस अधिकारी बताया है। उसे कहा कि उनके नाम पर दो गिरफ्तारी वारंट जारी हुए हैं। यह मामला जेट एयरवेज के सीईओ से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस से संबंधित बताया गया। 3. सीबीआई के अधिकारी और एससी के जज बने
फिर उसे फर्जी गिरफ्तारी वारंट और वरिष्ठ अधिकारियों (जैसे डीआईजी सीबीआई राजीव रंजन और सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीश) की पहचान का उपयोग करते हुए गुमराह किया। उन्होंने “फंड्स की जांच” और “नाम क्लियर करने” के बहाने उनसे ₹2.5 करोड़ की राशि कई फर्जी बैंक खातों में जमा करवा ली। यह मामला एक जून को दर्ज किया गया था।
कई स्टेटों में पर खोले बैंक खाते
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि धोखाधड़ी में उपयोग किए गए बैंक खाते भारत के विभिन्न स्थानों से खोले गए थे। कई मोबाइल नंबर अलग-अलग राज्यों से संचालित हो रहे थे।तकनीकी विश्लेषण के तहत केवाईसी, सीडीआर, आईपी और खाता सत्यापन किया गया। पंजाब | दैनिक भास्कर
