चंडीगढ़ पीजीआई के नेहरू अस्पताल के नियोनेटोलॉजी विभाग में इलाज कर रहे जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के साथ मारपीट का मामला सामने आया है। बच्चे के गले पर निशान देखकर गुस्साए परिजनों ने डॉक्टर को एनएनएन आईसीयू से कॉलर पकड़कर बाहर घसीटा और थप्पड़ मारे। मामले की सूचना मिलते ही एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एआरडी) के प्रतिनिधि मौके पर पहुंचे और डॉक्टर के समर्थन में प्रदर्शन किया। एआरडी की मांग पर कुछ ही घंटों में पुलिस ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ सेक्टर-11 थाने में दुर्व्यवहार और मारपीट की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली है। गले पर निशान पड़ने के बाद बिगड़े हालात जानकारी के अनुसार, डॉ. पारस कांडपाल ने एक नवजात को आईवी कैनुला लगाने के लिए सहयोगी डॉक्टर डॉ. सिद्धार्थ चक्रवर्ती से मदद ली थी। प्रक्रिया के बाद नर्सिंग स्टाफ ने डॉ. सिद्धार्थ को बताया कि बच्चे के गले पर निशान दिख रहे हैं। जैसे ही यह बात परिजनों तक पहुंची, उन्होंने 4-5 रिश्तेदारों को बुला लिया। इसके बाद उन्होंने डॉ. सिद्धार्थ को पकड़कर आईसीयू से बाहर खींचा और मारपीट शुरू कर दी। करीब 10 मिनट बाद डॉक्टर किसी तरह अंदर लौट पाए। डॉ. सिद्धार्थ ने थाने में शिकायत देकर मारपीट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में डॉक्टरों के साथ इस तरह की हिंसा से काम करना बेहद कठिन हो गया है। डॉक्टरों ने दी चेतावनी – अब नहीं सहेंगे हिंसा घटना के बाद एआरडी अध्यक्ष डॉ. विष्णु जिंजा ने डॉक्टरों के खिलाफ बढ़ रही हिंसा पर गहरी नाराजगी जताई और पीजीआई निदेशक से मुलाकात कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि डॉक्टर इलाज के लिए हैं, न कि किसी के गुस्से का शिकार बनने के लिए। संस्थान में सुरक्षा व्यवस्था को तत्काल मजबूत किया जाए। गौरतलब है कि 2024 में कोलकाता मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर से मारपीट के विरोध में पीजीआई के रेजिडेंट डॉक्टरों ने कई दिनों तक ओपीडी का बहिष्कार किया था। उस समय सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े वादे किए गए थे। सीसीटीवी कैमरे, सिक्योरिटी बटन और गश्त बढ़ाने जैसी कई योजनाएं बनाई गई थीं, लेकिन मौजूदा हालात इन दावों की पोल खोल रहे हैं। सुरक्षा दावों की खुली पोल, सीसीटीवी कैमरे खराब पीजीआई में डॉक्टरों और मरीजों की सुरक्षा अब सवालों के घेरे में है। संस्थान के 904 सीसीटीवी कैमरों में से 86 कैमरे लंबे समय से खराब पड़े हैं। इनमें से कई कैमरे रिसर्च ब्लॉक, डॉक्टर हॉस्टल, न्यू ओपीडी बिल्डिंग, लांड्री प्लांट और गेट नंबर 4 जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर लगे हैं। पीजीआई प्रवक्ता के अनुसार, जहां कैमरे खराब हैं, वहां अतिरिक्त सुरक्षा गार्ड और जहां कैमरे खराब हैं, वहां सुरक्षा के लिए निगरानी रखने वाले कर्मचारी तैनात किए गए हैं। पहले भी हो चुकी है लापरवाही से मौत 15 नवंबर 2023 को भी सुरक्षा में भारी चूक देखने को मिली थी, जब रात करीब 11:05 बजे एक महिला बिना अनुमति के पीजीआई के गायनी वार्ड में दाखिल हो गई और खुद को नर्स बताकर भर्ती मरीज को इंजेक्शन लगा दिया। कुछ देर बाद मरीज की हालत बिगड़ने लगी और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। चंडीगढ़ पीजीआई के नेहरू अस्पताल के नियोनेटोलॉजी विभाग में इलाज कर रहे जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के साथ मारपीट का मामला सामने आया है। बच्चे के गले पर निशान देखकर गुस्साए परिजनों ने डॉक्टर को एनएनएन आईसीयू से कॉलर पकड़कर बाहर घसीटा और थप्पड़ मारे। मामले की सूचना मिलते ही एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एआरडी) के प्रतिनिधि मौके पर पहुंचे और डॉक्टर के समर्थन में प्रदर्शन किया। एआरडी की मांग पर कुछ ही घंटों में पुलिस ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ सेक्टर-11 थाने में दुर्व्यवहार और मारपीट की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली है। गले पर निशान पड़ने के बाद बिगड़े हालात जानकारी के अनुसार, डॉ. पारस कांडपाल ने एक नवजात को आईवी कैनुला लगाने के लिए सहयोगी डॉक्टर डॉ. सिद्धार्थ चक्रवर्ती से मदद ली थी। प्रक्रिया के बाद नर्सिंग स्टाफ ने डॉ. सिद्धार्थ को बताया कि बच्चे के गले पर निशान दिख रहे हैं। जैसे ही यह बात परिजनों तक पहुंची, उन्होंने 4-5 रिश्तेदारों को बुला लिया। इसके बाद उन्होंने डॉ. सिद्धार्थ को पकड़कर आईसीयू से बाहर खींचा और मारपीट शुरू कर दी। करीब 10 मिनट बाद डॉक्टर किसी तरह अंदर लौट पाए। डॉ. सिद्धार्थ ने थाने में शिकायत देकर मारपीट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में डॉक्टरों के साथ इस तरह की हिंसा से काम करना बेहद कठिन हो गया है। डॉक्टरों ने दी चेतावनी – अब नहीं सहेंगे हिंसा घटना के बाद एआरडी अध्यक्ष डॉ. विष्णु जिंजा ने डॉक्टरों के खिलाफ बढ़ रही हिंसा पर गहरी नाराजगी जताई और पीजीआई निदेशक से मुलाकात कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि डॉक्टर इलाज के लिए हैं, न कि किसी के गुस्से का शिकार बनने के लिए। संस्थान में सुरक्षा व्यवस्था को तत्काल मजबूत किया जाए। गौरतलब है कि 2024 में कोलकाता मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर से मारपीट के विरोध में पीजीआई के रेजिडेंट डॉक्टरों ने कई दिनों तक ओपीडी का बहिष्कार किया था। उस समय सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े वादे किए गए थे। सीसीटीवी कैमरे, सिक्योरिटी बटन और गश्त बढ़ाने जैसी कई योजनाएं बनाई गई थीं, लेकिन मौजूदा हालात इन दावों की पोल खोल रहे हैं। सुरक्षा दावों की खुली पोल, सीसीटीवी कैमरे खराब पीजीआई में डॉक्टरों और मरीजों की सुरक्षा अब सवालों के घेरे में है। संस्थान के 904 सीसीटीवी कैमरों में से 86 कैमरे लंबे समय से खराब पड़े हैं। इनमें से कई कैमरे रिसर्च ब्लॉक, डॉक्टर हॉस्टल, न्यू ओपीडी बिल्डिंग, लांड्री प्लांट और गेट नंबर 4 जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर लगे हैं। पीजीआई प्रवक्ता के अनुसार, जहां कैमरे खराब हैं, वहां अतिरिक्त सुरक्षा गार्ड और जहां कैमरे खराब हैं, वहां सुरक्षा के लिए निगरानी रखने वाले कर्मचारी तैनात किए गए हैं। पहले भी हो चुकी है लापरवाही से मौत 15 नवंबर 2023 को भी सुरक्षा में भारी चूक देखने को मिली थी, जब रात करीब 11:05 बजे एक महिला बिना अनुमति के पीजीआई के गायनी वार्ड में दाखिल हो गई और खुद को नर्स बताकर भर्ती मरीज को इंजेक्शन लगा दिया। कुछ देर बाद मरीज की हालत बिगड़ने लगी और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। पंजाब | दैनिक भास्कर
