चरखी दादरी के बुजुर्ग ने जीते 260 मेडल:65 की उम्र में खेल को बनाया जीवन का हिस्सा, नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में शिरकत

चरखी दादरी के बुजुर्ग ने जीते 260 मेडल:65 की उम्र में खेल को बनाया जीवन का हिस्सा, नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में शिरकत

आदमी दृढ इच्छा शक्ति और बुलंद हौंसले से आगे बढ़े तो किसी भी मुकाम को हासिल कर सकता है। यह सब कर दिखाया है, चरखी दादरी जिले के बुजुर्ग एथलीट रामकिशन शर्मा ने। रामकिशन शर्मा 65 वर्ष की आयु में खेल को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर कड़ी मेहनत से आगे बढे़ और 8 सालों में स्टेट, नेशनल व इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में 260 से अधिक मेडल अपने नाम कर एक अमिट छाप छोड़ी है। खंड स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल करने के बाद रामकिशन शर्मा के हौसले को ऐसे पंख लगे कि उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार देश- विदेश के खेल मैदानों पर अपनी खेल प्रतिभा की अमिट छाप छोड़ने हुए मेडल हासिल करते चलते गए, जिसके चलते लोग उन्हें मेडल मशीन के नाम से जानते हैं। बता दें कि, मूलरुप से भांडवा निवासी बुजुर्ग खिलाड़ी रामकिशन शर्मा बीते करीब 30 वर्षों से बाढड़ा कस्बे में रहकर अपना गुजर-बसर कर रहे है। 8 वर्ष पूर्व पहले रामकिशन शर्मा अनाज व्यापार का कारोबार करते थे। लेकिन एक खंड स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल करने के बाद खेल को जीवन का हिस्सा बनाया और कारोबार छोड़कर सारा ध्यान खेल के प्रति समर्पित कर दिया। पांच शादीशुदा बच्चों के पिता रामकिशन शर्मा को परिवार से भी पूरा सहयोग मिल रहा है। आदमी दृढ इच्छा शक्ति और बुलंद हौंसले से आगे बढ़े तो किसी भी मुकाम को हासिल कर सकता है। यह सब कर दिखाया है, चरखी दादरी जिले के बुजुर्ग एथलीट रामकिशन शर्मा ने। रामकिशन शर्मा 65 वर्ष की आयु में खेल को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर कड़ी मेहनत से आगे बढे़ और 8 सालों में स्टेट, नेशनल व इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में 260 से अधिक मेडल अपने नाम कर एक अमिट छाप छोड़ी है। खंड स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल करने के बाद रामकिशन शर्मा के हौसले को ऐसे पंख लगे कि उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार देश- विदेश के खेल मैदानों पर अपनी खेल प्रतिभा की अमिट छाप छोड़ने हुए मेडल हासिल करते चलते गए, जिसके चलते लोग उन्हें मेडल मशीन के नाम से जानते हैं। बता दें कि, मूलरुप से भांडवा निवासी बुजुर्ग खिलाड़ी रामकिशन शर्मा बीते करीब 30 वर्षों से बाढड़ा कस्बे में रहकर अपना गुजर-बसर कर रहे है। 8 वर्ष पूर्व पहले रामकिशन शर्मा अनाज व्यापार का कारोबार करते थे। लेकिन एक खंड स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल करने के बाद खेल को जीवन का हिस्सा बनाया और कारोबार छोड़कर सारा ध्यान खेल के प्रति समर्पित कर दिया। पांच शादीशुदा बच्चों के पिता रामकिशन शर्मा को परिवार से भी पूरा सहयोग मिल रहा है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर