एटा अपर जिला जज की पत्नी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि एक जज जिसे पत्नी के कानूनी अधिकारों की जानकारी है, गुजारा भत्ता देने के बजाय कानूनी प्रक्रिया में उलझाए रखा। पत्नी को फैमिली कोर्ट के आदेश के बावजूद गुजारा भत्ते का भुगतान नहीं किया। पति ने कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग किया और तारीख पर तारीख डलवाते रहे। 15 जनवरी 2014 से अब तक 64 बार सुनवाई हुई जबकि 35 बार सुनवाई टलवाई, 47 बार डेट लगी। पत्नी के साथ कानूनी लड़ाई जारी रखकर न्याय में देरी की। पत्नी कोर्ट से सहानुभूति पाने की हकदार हैं। उसे अर्जी की डेट से गुजारा भत्ता दिया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने सोनभद्र निवासी शबाना बानो की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। अब पढ़िए पूरा मामला
याची के अधिवक्ता की दलील थी कि पीड़िता का निकाह चार मई 2002 को हुआ था। शादी के समय पति सिविल जज थे। शादी में पीड़िता के परिजनों ने 30 लाख रुपए खर्च किए थे। इंडिका कार भी दी थी। इसके बाद 20 लाख रुपए एक्स्ट्रा मांगे गए। दोनों से 4 बच्चे हैं जो पति के साथ हैं। विवाद के बाद 18 नवंबर 2013 को पति ने पीड़िता को घर से निकाल दिया और दो दिसंबर 2013 को तलाकनामा भेज दिया। 2013 से कोर्ट में चल रहा मामला
2013 से चल रहे मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि याची अर्जी की डेट से पति के सैलरी अकाउंट से हर महीने 20 हजार रुपए गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं। यह राशि 17 अगस्त 2019 से बढ़कर 30 हजार रुपए हो जाएगी। कोर्ट ने प्रधान न्यायाधीश सोनभद्र को 6 माह में बकाया भत्ते का भुगतान सुनिश्चित कराने का आदेश दिया है। पत्नी ने सोनभद्र के फैमिली कोर्ट में लगाई थी अर्जी
पत्नी ने गुजारा भत्ते की मांग करते हुए सोनभद्र की फैमिली कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। कोर्ट ने पाया कि 15 जनवरी 14 से मामले में 64 बार सुनवाई की डेट लगी, 35 बार सुनवाई टलवाई। अंतरिम भत्ता अर्जी पर 47 डेट लगी। मामला मध्यस्थता केन्द्र भी पहुंचा। पूरी कार्यवाही में पति न तो हाजिर हुए न गुजारा भत्ते का भुगतान किया। हाईकोर्ट ने तारीख पे तारीख की प्रवृत्ति को लेकर फैमिली को भी फटकार लगाई है। साथ ही याची को 50 हजार रुपए वाद खर्च भुगतान का भी आदेश दिया है। …………………………….. ये खबर भी पढ़ें… TCS मैनेजर-पत्नी का रिश्ता 3 समझौतों पर टिका था: मानव ने कहा- कभी ब्वॉयफ्रेंड से बात नहीं करोगी, निकिता का जवाब- जैसा तुम कहो ‘हमारी शादी को एक साल से ज्यादा हो चुका है। निकिता मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। जिंदगी भर तुम्हारे साथ रहना चाहता हूं। तुम अपने पास्ट को भूल जाओ और अपने ब्वॉयफ्रेंड से बातचीत करना पूरी तरह बंद कर दो। हम अपनी जिंदगी नए सिरे से बिताएंगे। अब कोई अपने पास्ट के बारे में बात नहीं करेगा। अगर हमारे बीच कोई विवाद होता भी है तो हम अपने माता-पिता को बीच में नहीं लाएंगे।’ पढ़िए पूरी खबर एटा अपर जिला जज की पत्नी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि एक जज जिसे पत्नी के कानूनी अधिकारों की जानकारी है, गुजारा भत्ता देने के बजाय कानूनी प्रक्रिया में उलझाए रखा। पत्नी को फैमिली कोर्ट के आदेश के बावजूद गुजारा भत्ते का भुगतान नहीं किया। पति ने कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग किया और तारीख पर तारीख डलवाते रहे। 15 जनवरी 2014 से अब तक 64 बार सुनवाई हुई जबकि 35 बार सुनवाई टलवाई, 47 बार डेट लगी। पत्नी के साथ कानूनी लड़ाई जारी रखकर न्याय में देरी की। पत्नी कोर्ट से सहानुभूति पाने की हकदार हैं। उसे अर्जी की डेट से गुजारा भत्ता दिया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने सोनभद्र निवासी शबाना बानो की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। अब पढ़िए पूरा मामला
याची के अधिवक्ता की दलील थी कि पीड़िता का निकाह चार मई 2002 को हुआ था। शादी के समय पति सिविल जज थे। शादी में पीड़िता के परिजनों ने 30 लाख रुपए खर्च किए थे। इंडिका कार भी दी थी। इसके बाद 20 लाख रुपए एक्स्ट्रा मांगे गए। दोनों से 4 बच्चे हैं जो पति के साथ हैं। विवाद के बाद 18 नवंबर 2013 को पति ने पीड़िता को घर से निकाल दिया और दो दिसंबर 2013 को तलाकनामा भेज दिया। 2013 से कोर्ट में चल रहा मामला
2013 से चल रहे मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि याची अर्जी की डेट से पति के सैलरी अकाउंट से हर महीने 20 हजार रुपए गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं। यह राशि 17 अगस्त 2019 से बढ़कर 30 हजार रुपए हो जाएगी। कोर्ट ने प्रधान न्यायाधीश सोनभद्र को 6 माह में बकाया भत्ते का भुगतान सुनिश्चित कराने का आदेश दिया है। पत्नी ने सोनभद्र के फैमिली कोर्ट में लगाई थी अर्जी
पत्नी ने गुजारा भत्ते की मांग करते हुए सोनभद्र की फैमिली कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। कोर्ट ने पाया कि 15 जनवरी 14 से मामले में 64 बार सुनवाई की डेट लगी, 35 बार सुनवाई टलवाई। अंतरिम भत्ता अर्जी पर 47 डेट लगी। मामला मध्यस्थता केन्द्र भी पहुंचा। पूरी कार्यवाही में पति न तो हाजिर हुए न गुजारा भत्ते का भुगतान किया। हाईकोर्ट ने तारीख पे तारीख की प्रवृत्ति को लेकर फैमिली को भी फटकार लगाई है। साथ ही याची को 50 हजार रुपए वाद खर्च भुगतान का भी आदेश दिया है। …………………………….. ये खबर भी पढ़ें… TCS मैनेजर-पत्नी का रिश्ता 3 समझौतों पर टिका था: मानव ने कहा- कभी ब्वॉयफ्रेंड से बात नहीं करोगी, निकिता का जवाब- जैसा तुम कहो ‘हमारी शादी को एक साल से ज्यादा हो चुका है। निकिता मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। जिंदगी भर तुम्हारे साथ रहना चाहता हूं। तुम अपने पास्ट को भूल जाओ और अपने ब्वॉयफ्रेंड से बातचीत करना पूरी तरह बंद कर दो। हम अपनी जिंदगी नए सिरे से बिताएंगे। अब कोई अपने पास्ट के बारे में बात नहीं करेगा। अगर हमारे बीच कोई विवाद होता भी है तो हम अपने माता-पिता को बीच में नहीं लाएंगे।’ पढ़िए पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
जज ने पत्नी को 12 साल नहीं दिया गुजारा भत्ता:35 बार सुनवाई टलवाई, 47 बार डेट लगी; HC ने कहा- पति रहम का हकदार नहीं
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