जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान के जिक्र होने पर सुनील शर्मा ने लिखी चिट्ठी, जानें- क्या कहा?

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान के जिक्र होने पर सुनील शर्मा ने लिखी चिट्ठी, जानें- क्या कहा?

<p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir latest News:</strong> जम्मू कश्मीर विधानसभा की कार्यवाही के दौरान पाकिस्तान के जिक्र आने को लेकर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. बीजेपी के नेता इस बाबत जम्मू कश्मीर विधानसभा के स्पीकर को चिट्ठी लिखी है. स्पीकर को लिखे अपनी चिट्ठी में बीजेपी विधायक सुनील शर्मा ने कहा है कि वो विपक्ष के नेता के रूप में सदन में की गई कुछ टिप्पणियों से बहुत चिंतित हूं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि विधानसभा के भीतर चर्चाएं पाकिस्तान के साथ बातचीत करने, पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में विकास की स्थिति की तुलना हमारे केंद्र शासित प्रदेश से करने और कुछ मामलों में ऐसी टिप्पणियां करने जैसे विषयों की ओर बढ़ रही हैं, जिन्हें पाकिस्तान का महिमामंडन करने के रूप में समझा जा सकता है.<br />&nbsp;<br /><strong>सुनील शर्मा ने और क्या कहा?<br /></strong>उन्होंने कहा कि ऐसे बयान न केवल इस विधानसभा के मूल कार्य-हमारे लोगों की चिंताओं और आकांक्षाओं को संबोधित करने से भटकाते हैं, बल्कि हमारे राष्ट्र की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती पेश करते हैं. ये बयान जम्मू और कश्मीर और पूरे देश के व्यापक हितों के लिए हानिकारक हैं और इनसे जनता की भावनाओं को गुमराह करने का जोखिम है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सुनील शर्मा ने कहा कि इस विधान सभा की गरिमा और शिष्टाचार के संरक्षक के रूप में, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप जम्मू-कश्मीर विधान सभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत उचित कार्रवाई करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राष्ट्रीय हितों को कमजोर करने वाली चर्चाओं पर अंकुश लगाया जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शर्मा ने कहा कि प्रक्रिया नियमों के नियम 418 में कहा गया है कि अध्यक्ष को विधानसभा के आधिकारिक अभिलेखों से किसी भी शब्द या टिप्पणी को हटाने का अधिकार है. यदि उन्हें असंसदीय, भड़काऊ या राष्ट्रीय अखंडता के लिए हानिकारक माना जाता है. इसके अलावा, नियम 387 आरएलडब्ल्यू प्रथाओं और परंपराओं के अनुसार यह अनिवार्य है कि चर्चा सार्वजनिक हित के मामलों तक ही सीमित होनी चाहिए और किसी भी ऐसे विषय से संबंधित नहीं होनी चाहिए जो देश की एकता और संप्रभुता को परेशान कर सकती हो.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बयानों को रिकॉर्ड से हटाया जा रहा<br /></strong>उन्होंने स्पीकर को लिखा है कि अफसोस की बात है कि मेरे संज्ञान में आया है कि राष्ट्र के हित में दिए गए स्पष्ट और देशभक्तिपूर्ण बयानों को रिकॉर्ड से हटाया जा रहा है, जबकि पाकिस्तान का पक्ष लेने या उसका महिमामंडन करने वाले कुछ बयानों को रिकॉर्ड में रहने दिया जा रहा है. संसदीय कार्यवाही के प्रति यह चयनात्मक दृष्टिकोण न केवल विचार-विमर्श की वास्तविक भावना को विकृत करता है बल्कि इस सदन की पवित्रता को भी कमजोर करता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें-<a href=”https://www.abplive.com/states/jammu-and-kashmir/farooq-abdullah-national-conference-president-on-aurangzeb-remarks-row-and-muzaffarnagar-name-change-2898467″>औरंगजेब विवाद पर फारूक अब्दुल्ला बोले, ‘वो मुगलों के इतिहास को खत्म करना चाहते हैं लेकिन…'</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir latest News:</strong> जम्मू कश्मीर विधानसभा की कार्यवाही के दौरान पाकिस्तान के जिक्र आने को लेकर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. बीजेपी के नेता इस बाबत जम्मू कश्मीर विधानसभा के स्पीकर को चिट्ठी लिखी है. स्पीकर को लिखे अपनी चिट्ठी में बीजेपी विधायक सुनील शर्मा ने कहा है कि वो विपक्ष के नेता के रूप में सदन में की गई कुछ टिप्पणियों से बहुत चिंतित हूं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि विधानसभा के भीतर चर्चाएं पाकिस्तान के साथ बातचीत करने, पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में विकास की स्थिति की तुलना हमारे केंद्र शासित प्रदेश से करने और कुछ मामलों में ऐसी टिप्पणियां करने जैसे विषयों की ओर बढ़ रही हैं, जिन्हें पाकिस्तान का महिमामंडन करने के रूप में समझा जा सकता है.<br />&nbsp;<br /><strong>सुनील शर्मा ने और क्या कहा?<br /></strong>उन्होंने कहा कि ऐसे बयान न केवल इस विधानसभा के मूल कार्य-हमारे लोगों की चिंताओं और आकांक्षाओं को संबोधित करने से भटकाते हैं, बल्कि हमारे राष्ट्र की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती पेश करते हैं. ये बयान जम्मू और कश्मीर और पूरे देश के व्यापक हितों के लिए हानिकारक हैं और इनसे जनता की भावनाओं को गुमराह करने का जोखिम है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सुनील शर्मा ने कहा कि इस विधान सभा की गरिमा और शिष्टाचार के संरक्षक के रूप में, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप जम्मू-कश्मीर विधान सभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत उचित कार्रवाई करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राष्ट्रीय हितों को कमजोर करने वाली चर्चाओं पर अंकुश लगाया जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शर्मा ने कहा कि प्रक्रिया नियमों के नियम 418 में कहा गया है कि अध्यक्ष को विधानसभा के आधिकारिक अभिलेखों से किसी भी शब्द या टिप्पणी को हटाने का अधिकार है. यदि उन्हें असंसदीय, भड़काऊ या राष्ट्रीय अखंडता के लिए हानिकारक माना जाता है. इसके अलावा, नियम 387 आरएलडब्ल्यू प्रथाओं और परंपराओं के अनुसार यह अनिवार्य है कि चर्चा सार्वजनिक हित के मामलों तक ही सीमित होनी चाहिए और किसी भी ऐसे विषय से संबंधित नहीं होनी चाहिए जो देश की एकता और संप्रभुता को परेशान कर सकती हो.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बयानों को रिकॉर्ड से हटाया जा रहा<br /></strong>उन्होंने स्पीकर को लिखा है कि अफसोस की बात है कि मेरे संज्ञान में आया है कि राष्ट्र के हित में दिए गए स्पष्ट और देशभक्तिपूर्ण बयानों को रिकॉर्ड से हटाया जा रहा है, जबकि पाकिस्तान का पक्ष लेने या उसका महिमामंडन करने वाले कुछ बयानों को रिकॉर्ड में रहने दिया जा रहा है. संसदीय कार्यवाही के प्रति यह चयनात्मक दृष्टिकोण न केवल विचार-विमर्श की वास्तविक भावना को विकृत करता है बल्कि इस सदन की पवित्रता को भी कमजोर करता है.</p>
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