जलवायु परिवर्तन ने जम्मू-कश्मीर में जल प्रवाह को किया कम, सीएम उमर अब्दुल्ला बोले, ‘जल संकट की स्थिति’

जलवायु परिवर्तन ने जम्मू-कश्मीर में जल प्रवाह को किया कम, सीएम उमर अब्दुल्ला बोले, ‘जल संकट की स्थिति’

<p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir Climate Change:</strong> आने वाले महीनों में भीषण जल संकट और कृषि और बागवानी उत्पादन में कमी की आशंकाओं के बाद, जम्मू-कश्मीर नदियों में जल प्रवाह में कमी के कारण गंभीर ऊर्जा संकट का सामना कर रहा है. जनवरी महीने में जम्मू कश्मीर में चल रही सभी पनबिजली परियोजनाओं में बिजली उत्पादन में 5 प्रतिशत की और गिरावट के साथ, स्थानीय संयंत्रों से कुल पनबिजली उत्पादन में 84.17 प्रतिशत की कमी आई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सितंबर से शुरू होने वाले पिछले छह महीनों के दौरान 80 प्रतिशत से अधिक कम वर्षा के कारण संकट और बढ़ गया है, और जनवरी के महीने में 91 प्रतिशत कम बर्फबारी के कारण यह और गहरा गया है. इसके कारण नदियों में पानी का बहाव और प्रवाह न्यूनतम हो गया है और जम्मू कश्मीर में बिजली संयंत्रों से जनवरी के महीने में पनबिजली उत्पादन में पांच प्रतिशत की और कमी आई है.</p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”en”>J&amp;K is staring at a water crisis this year. It&rsquo;s not a recent phenomenon, actually it&rsquo;s been building up for a few years now. While the government will have to adopt a more proactive approach for water management &amp; conservation, it can&rsquo;t just be a government centric approach. All&hellip;</p>
&mdash; Omar Abdullah (@OmarAbdullah) <a href=”https://twitter.com/OmarAbdullah/status/1892071333430952437?ref_src=twsrc%5Etfw”>February 19, 2025</a></blockquote>
<p>
<script src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” async=”” charset=”utf-8″></script>
</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बिजली उत्पादन में पांच प्रतिशत की आई है कमी</strong>&nbsp;<br />जनवरी के महीने में, विद्युत विकास विभाग (पीडीडी) स्थानीय पनबिजली परियोजनाओं से लगभग 250 मेगावाट बिजली पैदा कर रहा था, जो कुल उत्पादन क्षमता का 20 प्रतिशत है.हालांकि, फरवरी माह में बिजली उत्पादन में पांच प्रतिशत की और कमी आई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि “जनवरी माह में पीडीडी जम्मू कश्मीर में बिजली संयंत्रों से औसतन करीब 250 मेगावाट बिजली पैदा कर रहा था. लेकिन, बिजली उत्पादन में और कमी आई है और संयंत्र चालू माह में सिर्फ 190 मेगावाट बिजली ही पैदा कर पा रहे हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>अगर अगले दो सप्ताह में बर्फबारी नहीं हुई तो चालू फरवरी माह में बिजली उत्पादन में और कमी आएगी. अभी तक जम्मू कश्मीर में बिजली परियोजनाएं कुल 1200 मेगावाट उत्पादन क्षमता में से करीब 190 मेगावाट बिजली पैदा कर रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अधिकारियों ने माना है कि विभाग पिछले वर्षों की तरह पीक टाइम में बिजली पैदा नहीं कर पाया और इसका सीधा असर ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम के बदलते मिजाज पर पड़ा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>विशेषज्ञ पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि समय के साथ पानी की उपलब्धता कम होने से बिजली उत्पादन सामान्य उत्पादन क्षमता से कम हो जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’केवल एक दिन में नहीं मापा जा सकता है उत्पादन क्षमता'</strong><br />श्रीनगर के पर्यावरणविद एजाज अहमद ने कहा, “यह समस्या न केवल सर्दियों के दौरान कम पानी के निर्वहन से बल्कि गर्मियों या बरसात के मौसम में पानी की उपलब्धता की अवधि कम होने से भी और भी जटिल हो जाएगी.” उन्होंने कहा कि उत्पादन क्षमता को केवल एक दिन में नहीं मापा जा सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>फिलहाल बिजली विकास विभाग ने दिन के दौरान पानी का भंडारण करके और रात के दौरान बिजली पैदा करने के लिए इसका उपयोग करके पानी की कमी को दूर करने के लिए एक परिवर्तनशील बिजली उत्पादन मॉडल के साथ एक स्टॉपगैप व्यवस्था तैयार की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’परियोजना पर है भारी दबाव'</strong><br />बिजली विकास विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “हम पीक ऑवर्स के दौरान बिजली पैदा करने के लिए दिन के समय पानी को आरक्षित करते हैं.पीक ऑवर्स के दौरान, हम निचली झेलम से 50 मेगावाट और नियमित समय के दौरान 5 मेगावाट बिजली पैदा कर रहे हैं.इसके अलावा, हम कंगन से क्रमशः 8 मेगावाट और सुंबल बिजली परियोजनाओं से 6 मेगावाट बिजली ही पैदा कर पा रहे हैं. जम्मू कश्मीर में हमारे पास कुल 1200 मेगावाट (MW) जल विद्युत उत्पादन क्षमता है, जिसमें से 900 मेगावाट चिनाब नदी पर बगलिहार जलविद्युत परियोजना से है. लेकिन बहुत कम बर्फबारी और विशाल चिनाब नदी में जल स्तर में गिरावट के कारण इस परियोजना पर भी भारी दबाव है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा, “इस साल जम्मू-कश्मीर में जल संकट की स्थिति है”</p>
<p style=”text-align: justify;”>जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को सुबह-सुबह ट्वीट किया, ”इस साल जम्मू-कश्मीर में जल संकट की स्थिति है. यह कोई हालिया घटना नहीं है, वास्तव में यह पिछले कुछ वर्षों से बन रही है.जबकि सरकार को जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए अधिक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना होगा, यह केवल सरकार केंद्रित दृष्टिकोण नहीं हो सकता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’अपने नज़रिए को बदलना होगा'</strong><br />उन्होंने एक्स पर लिखा, “हम सभी जम्मू-कश्मीर के निवासियों को पानी को लेकर अपने नज़रिए को बदलना होगा. मैं जल शक्ति (पीएचई) विभाग द्वारा उभरते संकट से निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की समीक्षा करूंगा और अगले कुछ महीनों में जम्मू-कश्मीर के लोगों से भी बात करूंगा कि हम सामूहिक रूप से क्या कर सकते हैं.&rdquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”जम्मू के चिल्ला डांगा से गोला बारूद और जिंदा कारतूस बरामद, बड़े आतंकी हमले की साजिश नाकाम” href=”https://www.abplive.com/states/jammu-and-kashmir/jammu-samba-police-foiled-plot-of-major-terrorist-attack-ammunition-and-live-cartridges-recovered-from-chilla-dang-ann-2887725″ target=”_self”>जम्मू के चिल्ला डांगा से गोला बारूद और जिंदा कारतूस बरामद, बड़े आतंकी हमले की साजिश नाकाम</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir Climate Change:</strong> आने वाले महीनों में भीषण जल संकट और कृषि और बागवानी उत्पादन में कमी की आशंकाओं के बाद, जम्मू-कश्मीर नदियों में जल प्रवाह में कमी के कारण गंभीर ऊर्जा संकट का सामना कर रहा है. जनवरी महीने में जम्मू कश्मीर में चल रही सभी पनबिजली परियोजनाओं में बिजली उत्पादन में 5 प्रतिशत की और गिरावट के साथ, स्थानीय संयंत्रों से कुल पनबिजली उत्पादन में 84.17 प्रतिशत की कमी आई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सितंबर से शुरू होने वाले पिछले छह महीनों के दौरान 80 प्रतिशत से अधिक कम वर्षा के कारण संकट और बढ़ गया है, और जनवरी के महीने में 91 प्रतिशत कम बर्फबारी के कारण यह और गहरा गया है. इसके कारण नदियों में पानी का बहाव और प्रवाह न्यूनतम हो गया है और जम्मू कश्मीर में बिजली संयंत्रों से जनवरी के महीने में पनबिजली उत्पादन में पांच प्रतिशत की और कमी आई है.</p>
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<p dir=”ltr” lang=”en”>J&amp;K is staring at a water crisis this year. It&rsquo;s not a recent phenomenon, actually it&rsquo;s been building up for a few years now. While the government will have to adopt a more proactive approach for water management &amp; conservation, it can&rsquo;t just be a government centric approach. All&hellip;</p>
&mdash; Omar Abdullah (@OmarAbdullah) <a href=”https://twitter.com/OmarAbdullah/status/1892071333430952437?ref_src=twsrc%5Etfw”>February 19, 2025</a></blockquote>
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<p style=”text-align: justify;”><strong>बिजली उत्पादन में पांच प्रतिशत की आई है कमी</strong>&nbsp;<br />जनवरी के महीने में, विद्युत विकास विभाग (पीडीडी) स्थानीय पनबिजली परियोजनाओं से लगभग 250 मेगावाट बिजली पैदा कर रहा था, जो कुल उत्पादन क्षमता का 20 प्रतिशत है.हालांकि, फरवरी माह में बिजली उत्पादन में पांच प्रतिशत की और कमी आई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि “जनवरी माह में पीडीडी जम्मू कश्मीर में बिजली संयंत्रों से औसतन करीब 250 मेगावाट बिजली पैदा कर रहा था. लेकिन, बिजली उत्पादन में और कमी आई है और संयंत्र चालू माह में सिर्फ 190 मेगावाट बिजली ही पैदा कर पा रहे हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>अगर अगले दो सप्ताह में बर्फबारी नहीं हुई तो चालू फरवरी माह में बिजली उत्पादन में और कमी आएगी. अभी तक जम्मू कश्मीर में बिजली परियोजनाएं कुल 1200 मेगावाट उत्पादन क्षमता में से करीब 190 मेगावाट बिजली पैदा कर रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अधिकारियों ने माना है कि विभाग पिछले वर्षों की तरह पीक टाइम में बिजली पैदा नहीं कर पाया और इसका सीधा असर ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम के बदलते मिजाज पर पड़ा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>विशेषज्ञ पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि समय के साथ पानी की उपलब्धता कम होने से बिजली उत्पादन सामान्य उत्पादन क्षमता से कम हो जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’केवल एक दिन में नहीं मापा जा सकता है उत्पादन क्षमता'</strong><br />श्रीनगर के पर्यावरणविद एजाज अहमद ने कहा, “यह समस्या न केवल सर्दियों के दौरान कम पानी के निर्वहन से बल्कि गर्मियों या बरसात के मौसम में पानी की उपलब्धता की अवधि कम होने से भी और भी जटिल हो जाएगी.” उन्होंने कहा कि उत्पादन क्षमता को केवल एक दिन में नहीं मापा जा सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>फिलहाल बिजली विकास विभाग ने दिन के दौरान पानी का भंडारण करके और रात के दौरान बिजली पैदा करने के लिए इसका उपयोग करके पानी की कमी को दूर करने के लिए एक परिवर्तनशील बिजली उत्पादन मॉडल के साथ एक स्टॉपगैप व्यवस्था तैयार की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’परियोजना पर है भारी दबाव'</strong><br />बिजली विकास विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “हम पीक ऑवर्स के दौरान बिजली पैदा करने के लिए दिन के समय पानी को आरक्षित करते हैं.पीक ऑवर्स के दौरान, हम निचली झेलम से 50 मेगावाट और नियमित समय के दौरान 5 मेगावाट बिजली पैदा कर रहे हैं.इसके अलावा, हम कंगन से क्रमशः 8 मेगावाट और सुंबल बिजली परियोजनाओं से 6 मेगावाट बिजली ही पैदा कर पा रहे हैं. जम्मू कश्मीर में हमारे पास कुल 1200 मेगावाट (MW) जल विद्युत उत्पादन क्षमता है, जिसमें से 900 मेगावाट चिनाब नदी पर बगलिहार जलविद्युत परियोजना से है. लेकिन बहुत कम बर्फबारी और विशाल चिनाब नदी में जल स्तर में गिरावट के कारण इस परियोजना पर भी भारी दबाव है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा, “इस साल जम्मू-कश्मीर में जल संकट की स्थिति है”</p>
<p style=”text-align: justify;”>जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को सुबह-सुबह ट्वीट किया, ”इस साल जम्मू-कश्मीर में जल संकट की स्थिति है. यह कोई हालिया घटना नहीं है, वास्तव में यह पिछले कुछ वर्षों से बन रही है.जबकि सरकार को जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए अधिक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना होगा, यह केवल सरकार केंद्रित दृष्टिकोण नहीं हो सकता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’अपने नज़रिए को बदलना होगा'</strong><br />उन्होंने एक्स पर लिखा, “हम सभी जम्मू-कश्मीर के निवासियों को पानी को लेकर अपने नज़रिए को बदलना होगा. मैं जल शक्ति (पीएचई) विभाग द्वारा उभरते संकट से निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की समीक्षा करूंगा और अगले कुछ महीनों में जम्मू-कश्मीर के लोगों से भी बात करूंगा कि हम सामूहिक रूप से क्या कर सकते हैं.&rdquo;</p>
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