भांडीरवन में राधा-कृष्ण के विवाह का साक्ष्य है मंदिर:स्कंद और शिव पुराण में भी उल्लेख; राधाजी का जन्म रावल में हुआ, बरसाना में रहीं कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के राधा रानी के जन्मस्थल और शादी पर दिए गए प्रवचन के बाद विवाद खड़ा हो गया है। वो ब्रज के संत-महात्मा और भागवतचार्यों के निशाने पर आ गए हैं। संतों और भागवताचार्यों ने प्रदीप मिश्रा को चुनौती दी कि ब्रज में राधा-कृष्ण के विवाह के साक्ष्य हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने वृंदावन के 9 विद्वानों और भागवताचार्यों से बात की। राधा रानी से जुड़े दो धार्मिक स्थलों पर गई। पढ़िए सच क्या है… पहले जानिए पंडित प्रदीप मिश्रा ने क्या कहा, जिससे विवाद हुआ
राधा रानी के पति का नाम अनय घोष, उनकी सास का नाम जटिला और ननद का नाम कुटिला था। राधाजी का विवाह छाता में हुआ था। राधाजी बरसाना की नहीं, रावल की रहने वाली थीं। बरसाना में तो उनके पिता की कचहरी थी, जहां वह साल भर में एक बार आती थीं। आपत्ति किस बात पर है-
पहली- साल में सिर्फ एक बार बरसाना आने को लेकर।
दूसरी- राधा रानी और कृष्ण जी के विवाह के प्रसंग पर। अब राधारानी के जन्म स्थल की बात करते हैं
दैनिक भास्कर ने सबसे पहले मथुराधीश प्रभु मंदिर के सेवायत और भागवत प्रवक्ता रमाकांत गोस्वामी से बात की। उन्होंने बताया- राधा रानी का जन्म उनके ननिहाल रावल में हुआ था। लेकिन जब नंदबाबा गोकुल से नंदगांव गए, तब राधाजी के पिता वृषभानु भी अपनी नगरी बरसाना चले गए। राधाजी भी उनके साथ बरसाना चली आईं। बरसाना से रावल गांव की दूरी करीब 60 किलोमीटर है। यानी जन्म को लेकर प्रदीप मिश्रा ने जो बात कही है, वो सही है। लेकिन, रावल में निवास करने वाली बात को वृंदावन के साधु-संत सरासर गलत मानते हैं। सभी का कहना है कि राधाजी जब से बरसाना आईं, तब से वहीं रहीं। बरसाना में ही राधा रानी का प्रसिद्ध मंदिर
राधा रानी बरसाना में ही रहती थीं। इसका प्रमाण बरसाना में बना राधाजी का मंदिर है। मंदिर को ‘बरसाने की लाडलीजी का मंदिर’ और ‘राधा रानी महल’ भी कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर के भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को यहां राधा रानी की विशेष पूजा होती है। इस दिन को राधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। स्कंद पुराण और गर्ग संहिता के अनुसार, इस दिन बरसाने की लाडली राधाजी का जन्म हुआ था। इस मंदिर में दर्शन के लिए 250 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। जहां यह मंदिर है, वहां से पूरा बरसाना गांव दिखता है। मंदिर को 400 साल पहले ओरछा नरेश ने बनवाया था। मंदिर में विराजित राधा रानी की प्रतिमा को ब्रजाचार्य श्रील नारायण भट्ट ने बरसाना स्थित ब्रहृमेश्वर गिरि नामक पर्वत से निकाला था। इसकी पहाड़ियों के पत्थर श्याम और गौर वर्ण के हैं, जिन्हें यहां के निवासी कृष्ण और राधा के अमर प्रेम का प्रतीक मानते हैं। बरसाने से करीब 6 किलोमीटर पर नंदगांव है, जहां श्रीकृष्ण के पिता नंदजी का घर था। अब विवाह का प्रसंग जानिए विवाह को लेकर पुराण और धार्मिक ग्रंथों में क्या लिखा है
आचार्य मृदुल कांत शास्त्री और राधाकांत गोस्वामी ने बताया- ब्रह्म वैवर्त पुराण के प्रकृति खंड अध्याय- 49 के श्लोक 40, 43, 44 में राधा रानी के कृष्णजी से विवाह के संबंध में उल्लेख है। इसके अलावा गर्ग संहिता में गिर्राज खंड अध्याय- 5 के श्लोक संख्या 15-16, 31- 34, शिव महापुराण में पार्वती खंड के अध्याय- 2 के श्लोक संख्या 40 और स्कंद पुराण में भी इसका वर्णन है। भांडीरवन में ब्रह्मा जी ने कराया विवाह
राधा रानी और भगवान कृष्ण के विवाह का प्रमाण मांट तहसील के भांडीरवन में भी मिलता है। मथुरा से करीब 30 किलोमीटर दूर मांट के गांव छांहरी के पास यमुना किनारे भांडीरवन है। यह वन करीब 6 एकड़ में फैला है। यहां मंदिर में कृष्ण के दाहिने हाथ से राधा की मांग भरने का भाव प्रदर्शित करते हुए मूर्ति भी है। मंदिर के सामने प्राचीन वट वृक्ष है। मान्यता है कि वृक्ष के नीचे राधा-कृष्ण का विवाह हुआ था। वट वृक्ष के नीचे बने मंदिर में राधा-कृष्ण और ब्रह्माजी विराजमान हैं। इसके अलावा वट वृक्ष में मंडप बना है। मंदिर की पुजारी श्वेता कहती हैं- बहुत लोगों को पता ही नहीं कि राधा-कृष्ण की शादी भी हुई थी। इसकी वजह है, ज्यादातर लोग भागवत सुनते हैं। भागवत में राधाजी का नाम ही नहीं है। हमारे 18 पुराण में से एक है ब्रह्म वैवर्त पुराण। इसमें लिखा है कि राधा-कृष्ण की शादी इसी स्थान पर ब्रह्मा जी ने कराई है। ब्रह्मा जी ने ही कन्यादान किया था। सभी हिंदू-रीति निभाए गए थे। मांग में सिंदूर भरने की यहां मूर्ति भी है, जबकि हर जगह बांसुरी बजाने की मूर्ति ही मिलेगी। श्री राधा रास बिहारी अष्ट सखी मंदिर
यह मंदिर सदियों पुराना है। यह पहला भारतीय मंदिर है, जो श्रीराधा और श्रीकृष्ण और उनकी अष्ट सखियों को समर्पित है। इन अष्ट सखियों की चर्चा वेद पुराणों में भी है। इस मंदिर को कहा जाता है -श्री राधा रास बिहारी अष्ट सखी मंदिर। यह भगवान कृष्ण और राधारानी की दिव्य रासलीला का स्थान है। यह श्रीबांके बिहारी मंदिर के पास स्थित है। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा था- कुबरेश्वर धाम आ जाइए, साक्ष्य दिखा देंगे
राधा रानी के जन्मस्थल और कृष्ण जी से विवाह पर विवाद बढ़ने पर खंडवा के ओंकारेश्वर में पंडित प्रदीप मिश्रा ने सफाई दी। कथा के दौरान कहा- राधा रानी प्रसंग पर जो भी कहा वो शास्त्रों के अनुसार ही कहा। जिस-जिस महाराज को प्रमाण चाहिए वो कुबरेश्वर धाम आ जाएं। प्रमाण को लेकर दैनिक भास्कर ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की। पंडित प्रदीप मिश्रा का जनसंपर्क देखने वाले पंडित समीर के मोबाइल पर फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। इससे जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
प्रदीप मिश्रा से दोगुना फॉलोअर्स हैं प्रेमानंद महाराज के:राधा रानी पर भिड़ने वाले कथावाचक और संत कैसे पहुंचे शोहरत के शिखर पर
राधारानी के जन्म और श्रीकृष्ण से उनके विवाह को लेकर देश के प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा और संत प्रेमानंद महाराज में विवाद शुरू हो गया है। एक शिव के भक्त हैं, दूसरे राधा रानी के। प्रदीप मिश्रा मध्यप्रदेश के सीहोर में रहते हैं, तो प्रेमानंद जी वृंदावन में। आइए, जानते हैं दोनों के बचपन से लेकर प्रसिद्ध कथावाचक और संत बनने की कहानी…