जालंधर उपचुनाव की 10 जुलाई को होने वाली वोटिंग से पहले भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ चुनाव आयोग को शिकायत भेजी है। शिकायत में कहा गया है कि कुख्यात गैंगस्टर दलजीत सिंह भाना आम आदमी पार्टी के लिए प्रचार कर रहा है। वह हत्या के कई मामलों में जेल में बंद था, कल पैरोल मिलने के बाद अब वह आम आदमी पार्टी के लिए प्रचार कर रहा है। ऐसे में उसके द्वारा मतदाताओं को धमकाया भी जा रहा है। भाजपा ने आप के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। पैरोल रद्द करने की मांग भाजपा की शिकायत के अनुसार, कई हत्या के मामलों में शामिल भाना पुलिस सुरक्षा के साथ इलाके में खुलेआम घूम रहा है। जिससे मतदाताओं में व्यापक दहशत है। उनका तर्क है कि यह कार्रवाई आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। भाजपा ने चिंता जताई कि भाना की रिहाई से मतदान के दिन बूथ कैप्चरिंग हो सकती है। पार्टी ने चुनाव आयोग से भाना की पैरोल रद्द कर निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है। आपको बता दें कि इससे पहले जालंधर से मौजूदा सांसद और पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने भी मीडिया के सामने भाना का मुद्दा उठाया था। जालंधर वेस्ट सीट पर उप-चुनाव क्यों हो रहा? 2022 के विधानसभा चुनाव में जालंधर वेस्ट सीट AAP के उम्मीदवार शीतल अंगुराल ने जीती थी, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले अंगुराल BJP में शामिल हो गए। उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, लोकसभा चुनाव की 1 जून की वोटिंग से पहले अंगुराल ने 29 मई को स्पीकर से इस्तीफा वापस लेने की बात कही, लेकिन तब तक इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। इस चुनाव में अंगुराल को BJP ने टिकट दी है। AAP ने अकाली-भाजपा सरकार में मंत्री रहे भगत चुन्नीलाल के बेटे मोहिंदर भगत को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने पूर्व डिप्टी मेयर सुरिंदर कौर को टिकट दी है। जालंधर उपचुनाव की 10 जुलाई को होने वाली वोटिंग से पहले भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ चुनाव आयोग को शिकायत भेजी है। शिकायत में कहा गया है कि कुख्यात गैंगस्टर दलजीत सिंह भाना आम आदमी पार्टी के लिए प्रचार कर रहा है। वह हत्या के कई मामलों में जेल में बंद था, कल पैरोल मिलने के बाद अब वह आम आदमी पार्टी के लिए प्रचार कर रहा है। ऐसे में उसके द्वारा मतदाताओं को धमकाया भी जा रहा है। भाजपा ने आप के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। पैरोल रद्द करने की मांग भाजपा की शिकायत के अनुसार, कई हत्या के मामलों में शामिल भाना पुलिस सुरक्षा के साथ इलाके में खुलेआम घूम रहा है। जिससे मतदाताओं में व्यापक दहशत है। उनका तर्क है कि यह कार्रवाई आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। भाजपा ने चिंता जताई कि भाना की रिहाई से मतदान के दिन बूथ कैप्चरिंग हो सकती है। पार्टी ने चुनाव आयोग से भाना की पैरोल रद्द कर निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है। आपको बता दें कि इससे पहले जालंधर से मौजूदा सांसद और पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने भी मीडिया के सामने भाना का मुद्दा उठाया था। जालंधर वेस्ट सीट पर उप-चुनाव क्यों हो रहा? 2022 के विधानसभा चुनाव में जालंधर वेस्ट सीट AAP के उम्मीदवार शीतल अंगुराल ने जीती थी, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले अंगुराल BJP में शामिल हो गए। उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, लोकसभा चुनाव की 1 जून की वोटिंग से पहले अंगुराल ने 29 मई को स्पीकर से इस्तीफा वापस लेने की बात कही, लेकिन तब तक इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। इस चुनाव में अंगुराल को BJP ने टिकट दी है। AAP ने अकाली-भाजपा सरकार में मंत्री रहे भगत चुन्नीलाल के बेटे मोहिंदर भगत को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने पूर्व डिप्टी मेयर सुरिंदर कौर को टिकट दी है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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खन्ना में पालतू कुत्ते को लेकर झगड़ा:पड़ोसियों ने लोहे की रॉड से पति-पत्नी और बेटे का सिर फोड़ा, पहले भी काटा खन्ना के गुरु गोबिंद सिंह नगर कब्जा फैक्ट्री रोड पर पालतू कुत्ते को लेकर झगड़ा हो गया। बात इतनी बढ़ गई कि गुस्से में आए पड़ोसियों ने एक परिवार से मारपीट शुरू कर दी। लोहे की रॉड से हमला कर तीन लोगों का सिर फोड़ दिया गया। लहूलुहान हालत में घायलों को सिविल अस्पताल खन्ना भर्ती कराया गया। इनकी पहचान पप्पू, उसकी पत्नी शबनम और बेटे फरमान के तौर पर हुई। सिटी थाना 2 पुलिस ने घायलों के बयान दर्ज कर आगे की तफ्तीश शुरू कर दी है। कुत्ता बांधकर रखने को कहा सिविल अस्पताल में उपचाराधीन शबनम ने बताया कि उनके पड़ोसी ने पालतू कुत्ता रखा हुआ है। इस कुत्ते ने पहले भी एक दो बार उन्हें काट लिया था। जिस कारण वह पड़ोसियों से कहते थे कि कुत्ते को बांधकर रखो। लेकिन उल्टा उन्हें जवाब दिया जाता था कि अगर कुत्ता काट लेगा तो सिविल अस्पताल में फ्री टीके लगवा लेना। इसी बात को लेकर पड़ोसियों के लड़के ने झगड़ा किया। साथ के मोहल्ले से अपने दोस्त को बुला लिया। शबनम के अनुसार पहले उसे बालों से पकड़ घसीटा गया और सिर फोड़ दिया गया। फिर लोहे की रॉड से हमला कर उसके पति और बेटे का सिर फोड़ दिया गया। शोर मचाने पर लोग इकट्ठे हुए और उन्हें बचाया गया। पुलिस ने शुरू की तफ्तीश इस मामले की जांच कर रहे एएसआई प्रमोद कुमार ने बताया कि जैसे ही सिविल अस्पताल से उन्हें सूचना मिली तो सिटी थाना 2 से वे घायलों के बयान दर्ज करने अस्पताल गए। वहां बयान दर्ज करने के बाद मौका देखा गया। अभी मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। सोमवार को मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद बनती कार्रवाई होगी। जो भी आरोपी होंगे, उनके खिलाफ केस दर्ज होगा।
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पंजाब में अकाली दल बचाओ लहर की तैयारियां शुरू:2022 जैसे हालात पैदा; बागी गुट ने दोहराया- सुखबीर बादल को पद से हटना चाहिए लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल (SAD) की हार के बाद असंतोष पैदा हो गया है। एक तरफ पार्टी में वरिष्ठ नेतृत्व है, जिसमें वो बड़े नेता और परिवार शामिल हैं, जिनके बिना अकाली दल अधूरा है। वहीं दूसरी तरफ पार्टी कार्यसमिति और जिला पदाधिकारी हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 में हार के बाद भी सुखबीर सिंह बादल के प्रति संतोष जताया है। अकाली दल के विद्रोही समूह ने एक संयुक्त संवाददाता प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एक धार्मिक और राजनीतिक व्यक्तित्व को अपनी परंपराओं के अनुरूप शिरोमणि अकाली दल का नेतृत्व करना चाहिए। सुखबीर बादल को इस्तीफा देना चाहिए। प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने यह भी कहा कि उनमें से कोई भी अकाली दल का अध्यक्ष नहीं बनना चाहता। जो भी पार्टी अध्यक्ष बनेगा उसे पार्टी का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं होना चाहिए। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद हो गया है। बागी गुट ने अकाली दल बचाओ लहर शुरू कर दी है। कल जालंधर में बैठक कर सुखबीर बादल को अध्यक्ष पद से हटाने का प्रस्ताव लिया गया। बुधवार को जालंधर में हुई पांच घंटे की बैठक के बाद सुखबीर सिंह बादल से पार्टी प्रधान पद से हटने की मांग की गई। बैठक में शामिल नेताओं में सिकंदर मलूका, सुरजीत रखड़ा, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, किरणजोत कौर, मनजीत सिंह, सुरिंदर भुल्लेवाल, गुरप्रताप वडाला, चरणजीत बराड़, हरिंदर पाल टोहरा और गगनजीत बरनाला शामिल थे। 2022 में भी पैदा हुए थे यही हालात 2017 विधानसभा, 2019 लोकसभा और 2022 विधानसभा चुनावों में हार के बाद पार्टी ने हार की समीक्षा करने के लिए कमेटी का गठन किया था। ये कमेटी इकबाल सिंह झूंदा की अध्यक्षता में बनी। 2022 की हार के बाद विरोध शुरू हुआ और अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल को बदलने की आवाज उठने लगी। इसी बीच 2022 में झूंदा रिपोर्ट बनकर तैयार थी। लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया। ये कह कर रिपोर्ट को दबा दिया गया कि झूंदा रिपोर्ट में कहीं भी पार्टी प्रधान बदलने की बात नहीं की गई है। जबकि उसमें ये जरूर लिखा गया था कि पार्टी अध्यक्ष 10 साल के बाद रिपीट नहीं होना चाहिए। लेकिन, सुखबीर बादल के दोबारा प्रधान चुने जाने के बाद ये रिपोर्ट अकाली 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ही नहीं भारतीय राजनीति में अकाली दल की तूती बोलती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभुत्व समाप्त होता चला गया। आलम ये है कि अब इसके पास लोकसभा की केवल एक सीट है। विधानसभा में भी इसका प्रभाव लगातार खत्म हो रहा है। शिरोमणि अकाली दल बचाओ आंदोलन की होगी शुरुआत जालंधर में हुई बैठक के बाद बागी नेताओं ने ऐलान किया कि 1 जुलाई से शिरोमणि अकाली दल बचाओ आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। बागी नेताओं ने मांग की कि पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल को पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझते हुए त्याग की भावना दिखानी चाहिए और किसी ऐसे नेता के हाथ में पार्टी की कमान सौंपनी चाहिए जो अकाली दल को मजबूत कर सके और धर्म और राजनीति के बीच संतुलन भी कायम कर सके। अकाली दल के बागी नेताओं की बैठक में पार्टी का प्रधान पद संत समाज से जुड़े किसी बड़े चेहरे को देने पर भी विचार किया गया है। जाने कब बना अकाली दल 14 दिसंबर, 1920 को एक SAD का गठन किया गया था। इसके पीछे उद्देश्य यह बताया गया था कि गुरुद्वारों को ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त महंतों (पुजारियों) के नियंत्रण से मुक्त कराया जाएगा। SAD के गठन से एक महीना पहले 15 नवंबर को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) का गठन हुआ था। ननकाना साहिब में मत्था टेकते समय एक डिप्टी कमिश्नर की बेटी के साथ छेड़छाड़ की घटना हुई थी और इस वजह से लोगों में गुस्सा था। तब यह मांग उठी थी कि गुरुद्वारों को महंतों से मुक्त कराया जाना चाहिए। SAD ने इसके खिलाफ संघर्ष छेड़ा और यह चार साल तक चला। इस दौरान महंतों और ब्रिटिश प्रशासन के हमलों में 4,000 लोगों की मौत हुई थी। आखिरकार सिख गुरुद्वारा एक्ट 1925 बनाया गया और सभी गुरुद्वारे एसजीपीसी के नियंत्रण में आ गए। अकाली दल ने देश की आजादी से पहले कांग्रेस के साथ भी गठबंधन किया था। SAD के नेता मास्टर तारा सिंह की वजह से ही बंटवारे के दौरान पंजाब के आधे हिस्से को पाकिस्तान में जाने से रोका गया था। बहुमत सुखबीर बादल के साथ एक तरफ विद्रोह तेज हो रहा है, लेकिन दूसरी तरफ सुखबीर अभी भी मजबूती के साथ खड़े हैं। अकाली दल कोर कमेटी व जिला इकाइयों ने प्रस्तावों में पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के स्पष्टवादी, दूरदर्शी और दृढ़ नेतृत्व की पार्टी की ओर से पूरे दिल से सराहना की है और उसमें विश्वास जताया गया। पार्टी के मौजूदा 35 जिला जत्थेदारों में से 33 और मौजूदा 105 हलका प्रभारियों में से 96 ने सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व की सराहना की। इन 33 जिला अध्यक्षों में से 28 ने वास्तव में बैठक में भाग लिया, जबकि जो पांच उपस्थित नहीं हो सके, उन्होंने कुछ पारिवारिक कारणों से उपस्थित होने में असमर्थता व्यक्त करते हुए लिखित रूप में अध्यक्ष के लिए अपने समर्थन की पार्टी को सूचित किया था।