जिस बस में 18 जान गईं…उसका फिटनेस था न इंश्योरेंस:उन्नाव हादसे वाली बस का ड्राइवर दिल्ली पहुंचने की जल्दबाजी में ट्रकों से लगा रहा था रेस

जिस बस में 18 जान गईं…उसका फिटनेस था न इंश्योरेंस:उन्नाव हादसे वाली बस का ड्राइवर दिल्ली पहुंचने की जल्दबाजी में ट्रकों से लगा रहा था रेस

लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर बुधवार सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर एक डबल डेकर स्लीपर बस की टैंकर से भीषण टक्कर हो गई। बस बिहार के मोतिहारी से दिल्ली जा रही थी। हादसा एक्सप्रेस-वे पर बांगरमऊ कोतवाली के पास हुआ। बस में सवार 18 यात्रियों की मौत हो गई। 19 घायल हैं। दैनिक भास्कर ने इस भीषण हादसे की पड़ताल की, तो चौंकाने वाले सच सामने आए। न बस का इंश्योरेंस था और न ही फिटनेस। 5 बार भारी-भरकम चालान कटे, लेकिन उन्हें भी जमा नहीं किया। मौत बनकर सड़क पर दौड़ रही बस 57 यात्रियों की जान से खेल रही थी। हादसे के बाद सड़क पर बिखरी लाशों का सीन इतना भयावह था कि उसे देखकर एक सिपाही बेहोश हो गया। हादसा कैसे हुआ? लंबी दूरी के चालकों के लिए नियम क्या कहते हैं? क्या ड्राइवर पर जल्दी पहुंचने का दबाव होता है? इन सभी सवालों के जवाब इस रिपोर्ट में पढ़िए… सड़क पर मौत बनकर दौड़ी बस की 3 कमियां 1- इंश्योरेंस एक्सपायर था, 3 महीने में 5 बार कटा चालान
बस का इंश्योरेंस इस साल 13 फरवरी को ही खत्म हो गया, लेकिन उसे रिन्यू नहीं कराया गया था। इसकी फिटनेस भी 2021 में ही खत्म हो गई थी। पिछले 3 साल से ये बस बिना फिटनेस के सड़कों पर दौड़ रही थी। इस साल जनवरी से मार्च के बीच मात्र 3 महीने में बस का 5 बार चालान कट चुका है। पहली बार 11 जनवरी, दूसरी बार 17 फरवरी, तीसरी बार 28 फरवरी, चौथी बार 29 फरवरी और पांचवीं बार 23 मार्च को चालान कटा था। 2- बस में चालक के लिए नहीं था कोई अलार्म सिस्टम
RTO प्रवर्तन दल के अधिकारी एके सिंह ने बताया कि घटना के बाद मौके पर पहुंच कर जांच की गई। बस में किसी तरह का अलार्म सिस्टम मौजूद नहीं था। साथ ही बस में और भी कई कमियां मिली हैं। दरअसल, स्लीपर और यात्री बसों में ड्राइवर के पास अलार्म लगा होता है। ड्राइवर के सामने ऊपर की तरफ कैमरा भी लगा होता है। अगर बस अपनी लेन से अलग जा रही है या ड्राइवर के हाथ-पैर में किसी तरह का अस्वाभाविक मूवमेंट हो रहा हो, तब अलार्म ड्राइवर को सचेत करता है। झपकी आने पर भी यह अलार्म एक्टिव हो जाता है। ऊपर लगे कैमरे ड्राइवर की आंखों और चेहरे के हाव-भाव मॉनिटर करते हैं। इसके सिग्नल से भी अलार्म एक्टिवेट हो जाता है। 3- ट्रैवल कंपनी जोधपुर की, महोबा के व्यक्ति के नाम पर 39 बसें महोबा RTO कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, बस जोधपुर की कंपनी M/S केसी जैन ट्रैवल्स से जुड़ी है। यह महोबा जिले के मवईखुर्द गांव के पुष्पेंद्र सिंह के केयर ऑफ में दर्ज है। कंपनी की तरफ से इस व्यक्ति के नाम पर महोबा RTO कार्यालय में कुल 39 बसें रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 35 बसों के फिटनेस प्रमाण-पत्र की तारीख निकल चुकी है। जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई है, वह भी अनफिट बसों में शामिल थी। यह जानकारी सामने आने के बाद 2018-19 में दर्ज इस तरह की और बसों की फाइल खंगाली जा रही है। जांच कर रहे अधिकारियों ने बताया- ऐसी सारी फाइलें मंडल मुख्यालय पर रखी हैं। इनकी जांच के लिए एक टीम गठित कर दी गई है। टीम जानने की कोशिश कर रही है कि आखिर केयर ऑफ में गलत पते का इस्तेमाल कर कितनी और बसें दर्ज हैं। RTO बांदा उदयवीर सिंह ने बताया- महोबा RTO से इन सभी फाइलों की जानकारी लेकर तथ्य सामने लाए जाएंगे। इसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। अब पढ़िए यात्रियों ने जो कहा दो बस ड्राइवर के भरोसे थी 1006 किमी की यात्रा
RTO महोबा के मुताबिक, बस बिहार के मोतिहारी से मंगलवार सुबह 5 बजे चली थी। यानी हादसे से 24 घंटे पहले। बस में दो चालकों के साथ एक परिचालक था। गोरखपुर में मंगलवार रात जब बस ढाबे पर रुकी, तो वहां से दूसरा ड्राइवर बस चलाने लगा। इससे पहले किस चालक ने कितनी-कितनी देर बस चलाई, स्पष्ट जानकारी नहीं है। वहीं, बस में सवार यात्री साहिल बताते हैं- मंगलवार दोपहर 1 बजे मैं बिहार के सीवान से बस से दिल्ली के लिए चला था। रात में 11 बजे के आस-पास गोरखपुर गोंडा के बीच गुरुनानक देव ढाबे पर बस ब्रेक के लिए रुकी। लोगों ने वहां खाना खाया। ड्राइवर ने भी खाना खाया। यहां से कुछ दूरी तय होने के बाद ड्राइवर ने एक जगह और बस रोकी। यहां कुछ यात्री निकलकर वॉशरूम गए। तब रात के करीब 12 बज रहे होंगे। घायलों में शामिल दिलशाद कहते हैं- हमारे परिवार के 8 लोग साथ में यात्रा कर रहे थे। दोपहर डेढ़ बजे के करीब बस पकड़ी थी। हम दो भाई, मेरे मम्मी-पापा, चाचा-चाची और उनके बच्चे दो भाई-बहन साथ थे। हम सो रहे थे, तभी तेज आवाज आई। हम दो भाइयों को यहां एंबुलेंस से लाया गया है। बाकी के 6 लोग कहां हैं, पता नहीं। वो जिंदा हैं या नहीं रहे, ये भी नहीं पता चल रहा है। ट्रक का पीछा कर रहा था बस ड्राइवर
बस (UP95T4729) में सवार यात्रियों की मानें, तो ड्राइवर एक ट्रक का पीछा करने में लगा था। वह बार-बार बस की स्पीड बढ़ा रहा था। यात्रियों ने कई बार उसे डांटा, स्पीड कम करने के लिए कहा। लेकिन ड्राइवर सुन ही नहीं रहा था। रात में जब लोग सो गए तो ड्राइवर ने फिर स्पीड बढ़ा दी। वह एक्सप्रेस-वे पर चल रहे ट्रकों को ओवरटेक करने की कोशिश करने लगा। कुछ यात्रियों का ये भी कहना है कि बस ड्राइवर ने शराब पी रखी थी। सड़क हादसे पर परिवहन मंत्री बोले…
उन्नाव सड़क हादसे पर यूपी के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा- अधिकारियों को शो-कॉज नोटिस दिया जाएगा। प्रदेश में जिन रूटों पर गाड़ी चलती थी, उन सभी जिलों के अधिकारियों को नोटिस दिया जाएगा। अगर किसी अधिकारी की संलिप्तता पाई जाती है, तो उनको भी सजा दी जाएगी। गाड़ी मालिक पर भी FIR दर्ज होगी। पढ़िए एक्सपर्ट इस हादसे पर क्या कहते हैं प्राइवेट बस चालकों पर जल्दी पहुंचाने का रहता है दबाव
उन्नाव से सेवानिवृत्त RTO आदित्य त्रिपाठी कहते हैं- परिवहन विभाग की रोडवेज बसों का समय तय होता है। बस निर्धारित समय पर अपने स्टॉप पर पहुंचती है। प्राइवेट बसों के मालिक ड्राइवर पर जल्द पहुंचाने का काफी हद तक दबाव बनाते हैं। हालांकि, ड्राइवर को अपनी और यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से एक बार में 3 घंटे से ज्यादा गाड़ी नहीं चलानी चाहिए। आराम से आधे घंटे का ब्रेक लेना चाहिए। वो चाहे सरकारी बस का ड्राइवर हो या प्राइवेट बस का ड्राइवर। इससे बॉडी को आराम मिलता है। लंबी दूरी हो तो दो ड्राइवर होने चाहिए और एक क्लीनर। आदित्य त्रिपाठी की मानें, तो ड्राइवर हमेशा ही गंतव्य पर नियत समय से पहले पहुंचने की कोशिश करते हैं। इसलिए ऐसा नियम बनाया जाना चाहिए कि ड्राइवर के पास एक कार्ड हो, जिसमें यात्रा शुरू होने का समय लिखा हो। उसे आने वाले स्टॉप पर चेक किया जाए। अगर वह तय से अधिक समय से गाड़ी चला रहा हो, तो उस ड्राइवर को गाड़ी चलाने से रोक दिया जाए। ऐसे जानलेवा सड़क हादसे कैसे रुक सकते हैं?
इस सवाल के जवाब में उन्नाव जिला अस्पताल में फोरेंसिक मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. आशुतोष वार्ष्णेय कहते हैं- बस चालकों की नियमित मेडिकल जांच जरूरी है। ब्रेक लेते रहना चाहिए। आजकल तो कदम-कदम पर स्टॉप बने हुए हैं। ऐसा नहीं करने पर लगातार क्लच और ब्रेक दबाते रहने से पैर सुन्न पड़ने लगते हैं। झपकी तो बहुत ही आम बात है। शराब पीकर गाड़ी चलाना देश में अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसा करने पर ड्राइवर अपने साथ-साथ जितने लोग यात्रा कर रहे हैं, सबकी जान जोखिम में डालते हैं। ड्राइवर लंबी दूरी पर निकल रहे हैं तो सुनिश्चित करें कि उससे पहले 6 से 8 घंटे आराम किया हो। नींद पूरी की हो। अगर दो-तीन दिन लगातार बस चलाते रहे तो चौथे दिन ऐसे हादसे होंगे हीं। यूपी रोडवेज ने बस चालकों के परिवार की फोटो लगाई
इसी साल अप्रैल में उत्तर प्रदेश रोडवेज ने आए दिन होने वाले बस एक्सीडेंट रोकने के लिए अनोखी तरकीब शुरू की। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट कमिश्नर चंद्र भूषण सिंह ने बस चालकों से अनुरोध किया कि डैश पर आप अपने परिवार की फोटो रखें। ट्रांसपोर्ट विभाग में प्रिंसिपल सेक्रेटरी एल वेंकटेश्वर ने बताया कि यह आइडिया आंध्र प्रदेश से लिया गया है। वहां ड्राइवर अपने परिवार की फोटो गाड़ी के डैशबोर्ड पर रखते हैं। विभाग की तरफ से यह अपील प्रदेश में बढ़ते बस हादसों को लेकर की गई है। इस कदम को लेकर अधिकारियों का कहना है कि ड्राइवर के सामने परिवार की फोटो रखने के पीछे मकसद उनके अंदर रोड सेफ्टी को लेकर भावनात्मक रूप से संवेदनशीलता लाना है। वो हर कदम पर सचेत और अधिक जिम्मेदार रहेंगे। बस की स्पीड बढ़ाते समय परिवार का ध्यान रखेंगे। बस के कटे चालान लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर बुधवार सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर एक डबल डेकर स्लीपर बस की टैंकर से भीषण टक्कर हो गई। बस बिहार के मोतिहारी से दिल्ली जा रही थी। हादसा एक्सप्रेस-वे पर बांगरमऊ कोतवाली के पास हुआ। बस में सवार 18 यात्रियों की मौत हो गई। 19 घायल हैं। दैनिक भास्कर ने इस भीषण हादसे की पड़ताल की, तो चौंकाने वाले सच सामने आए। न बस का इंश्योरेंस था और न ही फिटनेस। 5 बार भारी-भरकम चालान कटे, लेकिन उन्हें भी जमा नहीं किया। मौत बनकर सड़क पर दौड़ रही बस 57 यात्रियों की जान से खेल रही थी। हादसे के बाद सड़क पर बिखरी लाशों का सीन इतना भयावह था कि उसे देखकर एक सिपाही बेहोश हो गया। हादसा कैसे हुआ? लंबी दूरी के चालकों के लिए नियम क्या कहते हैं? क्या ड्राइवर पर जल्दी पहुंचने का दबाव होता है? इन सभी सवालों के जवाब इस रिपोर्ट में पढ़िए… सड़क पर मौत बनकर दौड़ी बस की 3 कमियां 1- इंश्योरेंस एक्सपायर था, 3 महीने में 5 बार कटा चालान
बस का इंश्योरेंस इस साल 13 फरवरी को ही खत्म हो गया, लेकिन उसे रिन्यू नहीं कराया गया था। इसकी फिटनेस भी 2021 में ही खत्म हो गई थी। पिछले 3 साल से ये बस बिना फिटनेस के सड़कों पर दौड़ रही थी। इस साल जनवरी से मार्च के बीच मात्र 3 महीने में बस का 5 बार चालान कट चुका है। पहली बार 11 जनवरी, दूसरी बार 17 फरवरी, तीसरी बार 28 फरवरी, चौथी बार 29 फरवरी और पांचवीं बार 23 मार्च को चालान कटा था। 2- बस में चालक के लिए नहीं था कोई अलार्म सिस्टम
RTO प्रवर्तन दल के अधिकारी एके सिंह ने बताया कि घटना के बाद मौके पर पहुंच कर जांच की गई। बस में किसी तरह का अलार्म सिस्टम मौजूद नहीं था। साथ ही बस में और भी कई कमियां मिली हैं। दरअसल, स्लीपर और यात्री बसों में ड्राइवर के पास अलार्म लगा होता है। ड्राइवर के सामने ऊपर की तरफ कैमरा भी लगा होता है। अगर बस अपनी लेन से अलग जा रही है या ड्राइवर के हाथ-पैर में किसी तरह का अस्वाभाविक मूवमेंट हो रहा हो, तब अलार्म ड्राइवर को सचेत करता है। झपकी आने पर भी यह अलार्म एक्टिव हो जाता है। ऊपर लगे कैमरे ड्राइवर की आंखों और चेहरे के हाव-भाव मॉनिटर करते हैं। इसके सिग्नल से भी अलार्म एक्टिवेट हो जाता है। 3- ट्रैवल कंपनी जोधपुर की, महोबा के व्यक्ति के नाम पर 39 बसें महोबा RTO कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, बस जोधपुर की कंपनी M/S केसी जैन ट्रैवल्स से जुड़ी है। यह महोबा जिले के मवईखुर्द गांव के पुष्पेंद्र सिंह के केयर ऑफ में दर्ज है। कंपनी की तरफ से इस व्यक्ति के नाम पर महोबा RTO कार्यालय में कुल 39 बसें रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 35 बसों के फिटनेस प्रमाण-पत्र की तारीख निकल चुकी है। जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई है, वह भी अनफिट बसों में शामिल थी। यह जानकारी सामने आने के बाद 2018-19 में दर्ज इस तरह की और बसों की फाइल खंगाली जा रही है। जांच कर रहे अधिकारियों ने बताया- ऐसी सारी फाइलें मंडल मुख्यालय पर रखी हैं। इनकी जांच के लिए एक टीम गठित कर दी गई है। टीम जानने की कोशिश कर रही है कि आखिर केयर ऑफ में गलत पते का इस्तेमाल कर कितनी और बसें दर्ज हैं। RTO बांदा उदयवीर सिंह ने बताया- महोबा RTO से इन सभी फाइलों की जानकारी लेकर तथ्य सामने लाए जाएंगे। इसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। अब पढ़िए यात्रियों ने जो कहा दो बस ड्राइवर के भरोसे थी 1006 किमी की यात्रा
RTO महोबा के मुताबिक, बस बिहार के मोतिहारी से मंगलवार सुबह 5 बजे चली थी। यानी हादसे से 24 घंटे पहले। बस में दो चालकों के साथ एक परिचालक था। गोरखपुर में मंगलवार रात जब बस ढाबे पर रुकी, तो वहां से दूसरा ड्राइवर बस चलाने लगा। इससे पहले किस चालक ने कितनी-कितनी देर बस चलाई, स्पष्ट जानकारी नहीं है। वहीं, बस में सवार यात्री साहिल बताते हैं- मंगलवार दोपहर 1 बजे मैं बिहार के सीवान से बस से दिल्ली के लिए चला था। रात में 11 बजे के आस-पास गोरखपुर गोंडा के बीच गुरुनानक देव ढाबे पर बस ब्रेक के लिए रुकी। लोगों ने वहां खाना खाया। ड्राइवर ने भी खाना खाया। यहां से कुछ दूरी तय होने के बाद ड्राइवर ने एक जगह और बस रोकी। यहां कुछ यात्री निकलकर वॉशरूम गए। तब रात के करीब 12 बज रहे होंगे। घायलों में शामिल दिलशाद कहते हैं- हमारे परिवार के 8 लोग साथ में यात्रा कर रहे थे। दोपहर डेढ़ बजे के करीब बस पकड़ी थी। हम दो भाई, मेरे मम्मी-पापा, चाचा-चाची और उनके बच्चे दो भाई-बहन साथ थे। हम सो रहे थे, तभी तेज आवाज आई। हम दो भाइयों को यहां एंबुलेंस से लाया गया है। बाकी के 6 लोग कहां हैं, पता नहीं। वो जिंदा हैं या नहीं रहे, ये भी नहीं पता चल रहा है। ट्रक का पीछा कर रहा था बस ड्राइवर
बस (UP95T4729) में सवार यात्रियों की मानें, तो ड्राइवर एक ट्रक का पीछा करने में लगा था। वह बार-बार बस की स्पीड बढ़ा रहा था। यात्रियों ने कई बार उसे डांटा, स्पीड कम करने के लिए कहा। लेकिन ड्राइवर सुन ही नहीं रहा था। रात में जब लोग सो गए तो ड्राइवर ने फिर स्पीड बढ़ा दी। वह एक्सप्रेस-वे पर चल रहे ट्रकों को ओवरटेक करने की कोशिश करने लगा। कुछ यात्रियों का ये भी कहना है कि बस ड्राइवर ने शराब पी रखी थी। सड़क हादसे पर परिवहन मंत्री बोले…
उन्नाव सड़क हादसे पर यूपी के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा- अधिकारियों को शो-कॉज नोटिस दिया जाएगा। प्रदेश में जिन रूटों पर गाड़ी चलती थी, उन सभी जिलों के अधिकारियों को नोटिस दिया जाएगा। अगर किसी अधिकारी की संलिप्तता पाई जाती है, तो उनको भी सजा दी जाएगी। गाड़ी मालिक पर भी FIR दर्ज होगी। पढ़िए एक्सपर्ट इस हादसे पर क्या कहते हैं प्राइवेट बस चालकों पर जल्दी पहुंचाने का रहता है दबाव
उन्नाव से सेवानिवृत्त RTO आदित्य त्रिपाठी कहते हैं- परिवहन विभाग की रोडवेज बसों का समय तय होता है। बस निर्धारित समय पर अपने स्टॉप पर पहुंचती है। प्राइवेट बसों के मालिक ड्राइवर पर जल्द पहुंचाने का काफी हद तक दबाव बनाते हैं। हालांकि, ड्राइवर को अपनी और यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से एक बार में 3 घंटे से ज्यादा गाड़ी नहीं चलानी चाहिए। आराम से आधे घंटे का ब्रेक लेना चाहिए। वो चाहे सरकारी बस का ड्राइवर हो या प्राइवेट बस का ड्राइवर। इससे बॉडी को आराम मिलता है। लंबी दूरी हो तो दो ड्राइवर होने चाहिए और एक क्लीनर। आदित्य त्रिपाठी की मानें, तो ड्राइवर हमेशा ही गंतव्य पर नियत समय से पहले पहुंचने की कोशिश करते हैं। इसलिए ऐसा नियम बनाया जाना चाहिए कि ड्राइवर के पास एक कार्ड हो, जिसमें यात्रा शुरू होने का समय लिखा हो। उसे आने वाले स्टॉप पर चेक किया जाए। अगर वह तय से अधिक समय से गाड़ी चला रहा हो, तो उस ड्राइवर को गाड़ी चलाने से रोक दिया जाए। ऐसे जानलेवा सड़क हादसे कैसे रुक सकते हैं?
इस सवाल के जवाब में उन्नाव जिला अस्पताल में फोरेंसिक मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. आशुतोष वार्ष्णेय कहते हैं- बस चालकों की नियमित मेडिकल जांच जरूरी है। ब्रेक लेते रहना चाहिए। आजकल तो कदम-कदम पर स्टॉप बने हुए हैं। ऐसा नहीं करने पर लगातार क्लच और ब्रेक दबाते रहने से पैर सुन्न पड़ने लगते हैं। झपकी तो बहुत ही आम बात है। शराब पीकर गाड़ी चलाना देश में अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसा करने पर ड्राइवर अपने साथ-साथ जितने लोग यात्रा कर रहे हैं, सबकी जान जोखिम में डालते हैं। ड्राइवर लंबी दूरी पर निकल रहे हैं तो सुनिश्चित करें कि उससे पहले 6 से 8 घंटे आराम किया हो। नींद पूरी की हो। अगर दो-तीन दिन लगातार बस चलाते रहे तो चौथे दिन ऐसे हादसे होंगे हीं। यूपी रोडवेज ने बस चालकों के परिवार की फोटो लगाई
इसी साल अप्रैल में उत्तर प्रदेश रोडवेज ने आए दिन होने वाले बस एक्सीडेंट रोकने के लिए अनोखी तरकीब शुरू की। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट कमिश्नर चंद्र भूषण सिंह ने बस चालकों से अनुरोध किया कि डैश पर आप अपने परिवार की फोटो रखें। ट्रांसपोर्ट विभाग में प्रिंसिपल सेक्रेटरी एल वेंकटेश्वर ने बताया कि यह आइडिया आंध्र प्रदेश से लिया गया है। वहां ड्राइवर अपने परिवार की फोटो गाड़ी के डैशबोर्ड पर रखते हैं। विभाग की तरफ से यह अपील प्रदेश में बढ़ते बस हादसों को लेकर की गई है। इस कदम को लेकर अधिकारियों का कहना है कि ड्राइवर के सामने परिवार की फोटो रखने के पीछे मकसद उनके अंदर रोड सेफ्टी को लेकर भावनात्मक रूप से संवेदनशीलता लाना है। वो हर कदम पर सचेत और अधिक जिम्मेदार रहेंगे। बस की स्पीड बढ़ाते समय परिवार का ध्यान रखेंगे। बस के कटे चालान   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर