हरियाणा के जींद की अनाज मंडी में आढ़ती के फोन पर कनाडा में रहने वाले साढू का लड़का बताकर 4 लाख रुपए ठगने का मामला सामने आया है। साइबर थाना पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। साइबर थाना पुलिस को दी शिकायत में अनाज मंडी में आढ़त की दुकान चलाने वाले सुरेश कुमार ने बताया कि 12 जून को उसके मोबाइल पर काल आई और बताया कि वह उसका भतीजा कैथल जिले के सुल्तानिया गांव निवासी उसके साढू का लड़का सोनू बोल रहा है। वह कनाडा में रहता था। जहां पर उसने पीआर होने के लिए 4 लाख रुपए की राशि मांगी। इस बारे में परिजनों को बताने से मना कर दिया। फिर दूसरे नंबर से कॉल आई और बताया कि वह सोनू का एजेंट बोल रहा है। उसने बताया कि उसकी मां बीमार है। इसलिए उसके खाते में चार लाख रुपए डाल दें। अगर राशि जल्द नहीं दी तो वह सोनू को पीआर नहीं होने देगा। इस पर उसने 4लाख रुपए दो बार में आरोपियों द्वारा दिए गए खाते में डलवा दिए। इसके बाद आरोपियों ने उसके पास स्क्रीन शॉट भेजा और कहा कि उन्होंने खाते में 9 लाख 40 हजार रुपए डलवाए हैं। एक से दो दिन में यह रुपए उसके बैंक खाते में आ जाएंगे, क्योंकि विदेश से रुपए ट्रांसफर होने में समय लगता है। आढ़ती ने बताया कि इस बात पर उसे शक हुआ और उसने उनके पास कॉल किया तो उन्होंने धमकी दी। जब उन्होंने अपने भतीजे सोनू के पास कॉल किया तो उसने राशि लेने की बात से मना कर दिया। इस मामले में साइबर थाना प्रभारी पूजा जाखड़ ने बताया कि अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हरियाणा के जींद की अनाज मंडी में आढ़ती के फोन पर कनाडा में रहने वाले साढू का लड़का बताकर 4 लाख रुपए ठगने का मामला सामने आया है। साइबर थाना पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। साइबर थाना पुलिस को दी शिकायत में अनाज मंडी में आढ़त की दुकान चलाने वाले सुरेश कुमार ने बताया कि 12 जून को उसके मोबाइल पर काल आई और बताया कि वह उसका भतीजा कैथल जिले के सुल्तानिया गांव निवासी उसके साढू का लड़का सोनू बोल रहा है। वह कनाडा में रहता था। जहां पर उसने पीआर होने के लिए 4 लाख रुपए की राशि मांगी। इस बारे में परिजनों को बताने से मना कर दिया। फिर दूसरे नंबर से कॉल आई और बताया कि वह सोनू का एजेंट बोल रहा है। उसने बताया कि उसकी मां बीमार है। इसलिए उसके खाते में चार लाख रुपए डाल दें। अगर राशि जल्द नहीं दी तो वह सोनू को पीआर नहीं होने देगा। इस पर उसने 4लाख रुपए दो बार में आरोपियों द्वारा दिए गए खाते में डलवा दिए। इसके बाद आरोपियों ने उसके पास स्क्रीन शॉट भेजा और कहा कि उन्होंने खाते में 9 लाख 40 हजार रुपए डलवाए हैं। एक से दो दिन में यह रुपए उसके बैंक खाते में आ जाएंगे, क्योंकि विदेश से रुपए ट्रांसफर होने में समय लगता है। आढ़ती ने बताया कि इस बात पर उसे शक हुआ और उसने उनके पास कॉल किया तो उन्होंने धमकी दी। जब उन्होंने अपने भतीजे सोनू के पास कॉल किया तो उसने राशि लेने की बात से मना कर दिया। इस मामले में साइबर थाना प्रभारी पूजा जाखड़ ने बताया कि अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हिसार में दुकान से कपड़े चोरी, VEDIO:शॉल में 32 सूट छिपाकर ले गई 6 महिलाएं, चेक करने पर मालिक को हुई जानकारी हरियाणा के हिसार में एक दुकान से 6 महिलाएं 32 सूट चोरी करके ले गईं। दुकानदार को चोरी के बारे में तब पता चला जब दुकान में रखे थान से कपड़ा कम मिला। तब जाकर दुकानदार को पता चला कि उसका करीब 80 हजार रुपए का कपड़ा महिलाएं ले गईं। आजाद नगर पुलिस ने आर्य नगर पातन मोड़ निवासी कृष्ण बागड़ी की शिकायत पर 6 महिलाओं पर केस दर्ज कर लिया है। दुकानदार ने CCTV के माध्यम से सभी महिलाओं की पहचान कर ली है। महिलाएं चोरी के लिए शॉल ओढ़कर आईं। 2 महिलाओं ने दुकानदार को बातों में उलझा लिया और 4 महिलाएं 32 सूट शॉल में छिपाकर ले गईं। पुलिस को शक है कि यह महिलाओं का एक गिरोह है जो दुकानों में चोरी से वारदात को अंजाम देता है। चोरी करने वाली महिलाएं दूसरी महिलाओं को इशारा करती हुईं… चोरी की घटना के बाद महिलाएं अलग-अलग दिशा में जाती हुई… दुकानदार ने आजाद नगर थाने में शिकायत दी आर्य नगर, पातन मोड निवासी कृष्ण कुमार ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उसकी आजाद नगर में कपड़ों की दुकान है। आजाद नगर में 31 दिसंबर को दोपहर करीब 2 बजे 6 महिलाएं मेरी दुकान पर कपड़ा खरीदने आई। जो बड़ी चालाकी से 2 महिला मेरे से बात करती रही और 4 अन्य महिलाएं रैक में रखे कपड़े देख रही थी। इसी दौरान महिलाएं 30 से 32 सूट का कपड़ा अपने शॉल में छिपाकर ले गई। उनके जाने के बाद रैक में थान (कपड़ा) चेक किया तो 30 से 32 सूट कम मिले। पुलिस ने आरोपी महिलाओं के खिलाफ चोरी की धारा 305 के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
देवीलाल ने राज्यपाल को तमाचा जड़ दिया था:खुद डिप्टी PM, बेटा 5 बार CM; बोले-अपनों को न बनाऊं, तो क्या पाकिस्तान से लाऊं
देवीलाल ने राज्यपाल को तमाचा जड़ दिया था:खुद डिप्टी PM, बेटा 5 बार CM; बोले-अपनों को न बनाऊं, तो क्या पाकिस्तान से लाऊं जून 1987, एक तरफ केंद्र की राजीव गांधी सरकार बोफोर्स घोटाले से घिरी थी, तो दूसरी तरफ रक्षा मंत्री रहे वीपी सिंह ने बगावत कर दी थी। इसी बीच हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। लोकदल और BJP ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा। 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में लोकदल को 60 और BJP को 16 सीटें मिलीं। कांग्रेस 5 सीटों पर सिमट गई। चौधरी देवीलाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। CM बनने के कुछ ही दिनों बाद देवीलाल ने बड़े बेटे ओम प्रकाश चौटाला को लोकदल का प्रदेश अध्यक्ष बनाया और फिर राज्यसभा भेज दिया। दूसरे बेटे रणजीत सिंह को मंत्री और तीसरे बेटे प्रताप सिंह को हरियाणा की ताकतवर सहकारी संस्था कॉन्फेड का चेयरमैन बना दिया। जबकि भतीजे डॉ. केवी सिंह को ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी यानी ओएसडी रख लिया। देवीलाल पर लिखी किताब ‘पॉलिटिक्स ऑफ चौधर’ में सीनियर जर्नलिस्ट डॉ. सतीश त्यागी लिखते हैं- ‘एक पत्रकार ने देवीलाल से पूछा- आपने सरकार में परिवार को ही क्यों तरजीह दी है?’ देवीलाल ने जवाब दिया- ‘अपनो को न बनाऊं, तो क्या पाकिस्तान से लाऊं।’ पत्रकार ने फिर पूछा- ‘छोटा बेटा प्रताप तो कांग्रेस के मंच से आपको गालियां देता है।’ देवीलाल ने पलटकर पूछा- ‘क्या वो अभी भी गालियां देता है। मैंने उसे चेयरमैन नहीं बनाया है, बल्कि उसका मुंह बंद किया है।’ पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के पांच बच्चों में से तीन राजनीति में उतरे। सबसे बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। दो पोते सांसद बने और पड़पोते दुष्यंत हरियाणा के डिप्टी CM। उनके बेटों ने अपने पैतृक गांव के नाम पर सरनेम चौटाला लगाना शुरू किया। आज देवीलाल परिवार की चौथी पीढ़ी राजनीति में है, लेकिन पूरा कुनबा तीन पार्टियों में बंट चुका है। हरियाणा के ताकतवर राजनीतिक परिवारों की सीरीज ‘परिवार राज’ के पहले एपिसोड में पढ़िए चौधरी देवीलाल के कुनबे की कहानी… 25 सितंबर 1914, हरियाणा के सिरसा जिले के तेजा खेड़ा गांव में एक लड़के का जन्म हुआ। उसके पिता लेखराम सिहाग, चौटाला गांव के जमींदार थे। उनके पास 2750 बीघा जमीन थी। लड़के का नाम रखा गया देवीलाल। लेखराम सिहाग ने घर पर बड़ी पार्टी रखी। बच्चे का भविष्य जानने के लिए बड़े-बड़े ज्योतिषी बुलाए। 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सीटें जीत लीं। देवीलाल को हरियाणा की कमान सौंपी गई। इस तरह देवीलाल पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। कुछ दिनों बाद हरियाणा युवा कांग्रेस के फंड में गड़बड़ी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल गिरफ्तार कर लिए गए। पुलिस, बंसीलाल को हथकड़ी पहनाकर भिवानी की सड़कों पर खुली जीप में बैठाकर कोर्ट ले गई। मोरारजी से कहा- ‘तुमने मेरी झोपड़ी में आग लगाई, मैं तुझे महल में नहीं रहने दूंगा’ देवीलाल को CM बने दो साल भी पूरे नहीं हुए थे कि पार्टी में उनके खिलाफ बगावत की चिनगारी सुलगने लगी। कहा जाता है कि भजनलाल इसे हवा दे रहे थे। दरअसल, जनता पार्टी में तब दो गुट थे। एक चौधरी चरण सिंह का गुट और दूसरा मोरारजी देसाई का। देवीलाल, चौधरी चरण सिंह गुट से जुड़े थे और भजनलाल मोरारजी देसाई के कैंप से। देवीलाल के पॉलिटिकल एडवाइजर और हरियाणा के वित्त मंत्री रह चुके प्रोफेसर संपत सिंह बताते हैं, ‘1979 में तब के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के घर एक मीटिंग हुई। मीटिंग में देवीलाल को हटाकर भजनलाल को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया। जब देवीवाल को यह पता चला, तो वे गुस्से में सीधे मोरारजी देसाई के कमरे में पहुंच गए। उन्होंने मोरारजी से कहा- ‘तुमने मेरी झोपड़ी में आग लगाई है। मैं तुझे भी महल में रहने नहीं दूंगा।’ महीनेभर के अंदर देवीलाल ने मोरारजी के खिलाफ खेमेबंदी शुरू की, जिसकी अगुआई चौधरी चरण सिंह कर रहे थे। 28 जुलाई 1979 को मोरारजी देसाई की प्रधानमंत्री की कुर्सी चली गई। चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री बने। सितंबर 1979 में चौधरी चरण सिंह ने लोकदल की नींव रखी तो देवीलाल भी इसमें शामिल हो गए। राज्यपाल की गर्दन पकड़कर जोरदार तमाचा जड़ दिया
मई 1982 की बात है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में लोकदल और BJP ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा। कुल 90 सीटों में से कांग्रेस 36 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। जबकि लोकदल और BJP ने मिलकर 37 सीटें हासिल कीं। बहुमत के लिए 46 का आंकड़ा था। अब सत्ता की चाबी 16 निर्दलीय विधायकों के हाथ में आ गई थी। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी की मांग थी कि सबसे बड़े गठबंधन को सरकार बनाने का न्योता मिलना चाहिए। तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री। 22 मई 1982, शनिवार का दिन। राज्यपाल जीडी तपासे ने देवीलाल को बहुमत साबित करने के लिए बुलावा भेजा। देवीलाल ने गठबंधन दल के 37 विधायकों के अलावा 8 निर्दलीय विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपा। राज्यपाल ने देवीलाल से कहा कि सोमवार को विधायकों की परेड के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाएंगे। देवीलाल तोड़फोड़ से बचाने के लिए सभी विधायकों को साथ लेकर हिमाचल चले गए। इधर, अगले ही दिन राज्यपाल दिल्ली पहुंच गए। उसी दिन दिल्ली के हरियाणा भवन में कांग्रेस नेता भजनलाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। देवीलाल को पता चला, तो वे आगबबूला हो गए। अगले दिन वे सीधे राजभवन पहुंचे और भजनलाल सरकार को बर्खास्त करने की मांग पर अड़ गए। राज्यपाल तपासे से देवीलाल की बहस हो गई। इसी दौरान गुस्साए देवीलाल ने तपासे की ठुड्डी पकड़ी और उनके गाल पर जोरदार तमाचा जड़ दिया। इस घटना के बाद देवीलाल की देशभर में आलोचना हुई। हालांकि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रधानमंत्री पद का ऑफर ठुकराया, उप प्रधानमंत्री बनने के बाद बड़े बेटे को सत्ता सौंपी
साल 1989, बोफोर्स घोटाला और वीपी सिंह की बगावत के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई। जनता दल ने BJP और लेफ्ट के समर्थन से सरकार बनाई। देवीलाल प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे थे, लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने अपना नाम वापस लेकर वीपी सिंह के नाम का ऐलान कर दिया। प्रोफसर संपत सिंह एक और किस्से का जिक्र करते हुए बताते हैं- ‘दिल्ली के हरियाणा भवन में देवीलाल काफी परेशान दिख रहे थे। देर रात तक उन्हें नींद नहीं आ रही थी। दरअसल, वे दिल्ली की राजनीति में जाना चाहते थे, लेकिन उनकी चिंता ये थी कि उनके बाद हरियाणा की कमान कौन संभालेगा। कहीं पार्टी और परिवार बिखर तो नहीं जाएगा। इसी बीच मैंने उनका दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कहा- आओ संपत, नींद नहीं आ रही। मैंने पूछा कि क्या हुआ? देवीलाल ने कहा कि मैं दोराहे पर खड़ा हूं। उप प्रधानमंत्री बनूं या मुख्यमंत्री बना रहूं? समझ नहीं आ रहा। मैंने कहा- इसमें सोचने वाली क्या बात है। आपको इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिल रही है, आप उप प्रधानमंत्री बनिए। तब देवीलाल ने पूछा कि यहां किसे कमान सौपूं। संपत सिंह ने कहा- आप जो फैसला करेंगे, वो सब मानेंगे। तब देवीलाल ने कहा, ओम कैसा रहेगा? मैंने कहा ठीक रहेगा जी। इसके बाद देवीलाल ने घंटी बजाई और पीए को बुलाकर कहा- वीपी सिंह को फोन लगाओ। तब रात के करीब 11 बज रहे थे। देवीलाल ने वीपी सिंह से कहा- मैं भी आपके साथ डिप्टी प्राइम मिनिस्टर की शपथ लूंगा और फोन काट दिया।’ अगले दिन दिल्ली में लोकदल के विधायकों की बैठक हुई। देवीलाल ने कहा कि ओम मेरी जगह लेगा और हरियाणा का मुख्यमंत्री बनेगा।’ उस समय ओमप्रकाश चौटाला राज्यसभा सांसद थे। CM बने रहने के लिए 6 महीने के भीतर उन्हें विधायक बनना था। उन्होंने रोहतक जिले की महम सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हिंसा की वजह से चुनाव रद्द हो गया। दोबारा वोटिंग हुई, तो फिर हिंसा भड़की और चुनाव रद्द हो गया। एक निर्दलीय प्रत्याशी की मौत को लेकर ओमप्रकाश चौटाला पर आरोप भी लगा। उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। मास्टर हुकुम सिंह मुख्यमंत्री बने। कुछ महीने बाद ओमप्रकाश चौटाला दड़बा सीट से चुनाव लड़े और जीत गए। हुकुम सिंह को हटाकर फिर से ओमप्रकाश को मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि इससे पार्टी के लोग खुश नहीं थे। प्रधानमंत्री वीपी सिंह भी चाहते थे कि जब तक ओमप्रकाश चौटाला पर आपराधिक मामला चल रहा है, वे CM न बनें। आखिरकार 6 दिन बाद ही ओमप्रकाश चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा। इसी बीच राम मंदिर के लिए रथ यात्रा निकाल रहे लालकृष्ण आडवाणी बिहार में गिरफ्तार कर लिए गए। इसके विरोध में वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। वीपी सिंह को इस्तीफा देना पड़ा। चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने और देवीलाल दूसरी बार डिप्टी प्राइम मिनिस्टर। देवीलाल के चंद्रशेखर से बेहतर संबंध थे। देवीलाल ने हुकुम सिंह को हटाकर ओमप्रकाश चौटाला को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनवा दिया, लेकिन इस फैसले से पार्टी के कई विधायक नाराज हो गए। कुछ विधायकों ने पार्टी भी छोड़ दी और राज्यपाल धानिक लाल मंडल ने चौटाला की सरकार बर्खास्त कर दी। देवीलाल ने पोते के लिए ठुकरा दिया राजस्थान का मुख्यमंत्री पद
1989 में हुए लोकसभा चुनाव में देवीलाल ने राजस्थान की सीकर और हरियाणा की रोहतक सीट से चुनाव लड़ा। दोनों सीटों पर उनकी जीत हुई। देवीवाल ने रोहतक सीट छोड़ दी। उस समय राजस्थान की राजनीति में जाट और राजपूत समुदाय का दबदबा था। राजपूतों के सबसे बड़े नेता भैरों सिंह शेखावत थे और जाटों के ताऊ देवीलाल। दोनों राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी थे। अगले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए। जनता दल और BJP गठबंधन में चुनावी मैदान में उतरे। देवीलाल ने अपने पोते और ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला को सीकर जिले की दांतारामगढ़ सीट से मैदान में उतारा। प्रोफेसर संपत सिंह बताते हैं- ‘अजय चौटाला जिस सीट से चुनाव लड़ रहे थे, वहां राजपूत समाज का खासा प्रभाव था। देवीलाल को डर था कि राजपूत समाज उनके पोते को वोट नहीं देगा। ग्राउंड पर सर्वे किया गया तो अजय चौटाला की हालत कमजोर निकली। देवीलाल ने दोनों पार्टियों की जॉइंट रैली में अचानक भैरों सिंह शेखावत का हाथ पकड़ा और ऐलान कर दिया कि राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत होंगे। उस ऐलान के बाद दांतारामगढ़ सीट पर राजपूतों ने अजय चौटाला के पक्ष में बढ़-चढ़कर वोट किया और वे चुनाव जीत गए। BJP-जनता दल गठबंधन को बहुमत मिला और भैरों सिंह शेखावत राजस्थान के CM बने।’ BJP के साथ गठबंधन नहीं हुआ तो बेटे को डांट लगाई, बोले- अब हमारी सरकार नहीं बनेगी
अक्टूबर 1996 में देवीलाल ने इंडियन नेशनल लोकदल यानी, INLD की नींव रखी। उस समय की परिस्थितयों से देवीलाल को अंदाजा हो गया था कि हरियाणा में BJP के बिना सरकार नहीं बनाई जा सकती। वे पहले भी BJP की मदद से सरकार बना चुके थे। तब BJP हरियाणा में छोटे भाई की भूमिका में थी और देवीलाल की पार्टी बड़े भाई की भूमिका में। संपत सिंह बताते हैं- ‘एक दिन देवीलाल तेजा खेड़ा में अपने फार्महाउस में बैठे थे। मैं भी साथ था। देवीलाल ने ओमप्रकाश चौटाला को बुलाया और कहा कि गठबंधन के लिए BJP नेताओं से बात करो। ओमप्रकाश चौटाला ने BJP से गठबंधन को लेकर बातचीत की, लेकिन नूहं तावड़ू सीट को लेकर पेच फंस गया। चौटाला ये सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए। देवीलाल को जब पता चला कि उनका बेटा सिर्फ एक सीट के लिए गठबंधन नहीं कर पाया, तो वे बहुत गुस्सा हुए। उन्होंने ओमप्रकाश चौटाला से कहा- ‘अब अपनी सरकार नहीं बनेगी।’ हुआ भी वही। देवीलाल की पार्टी से बातचीत टूटने के बाद BJP ने बंसीलाल की पार्टी से गठबंधन कर लिया। चुनाव में दोनों पार्टियों को बहुमत मिला और बंसीलाल मुख्यमंत्री बन गए। ओमप्रकाश चौटाला और अजय चौटाला को जेल, यहीं से पार्टी में फूट की शुरुआत
जनवरी 2013, दिल्ली की एक अदालत ने 14 साल पुराने टीचर भर्ती घोटाले में ओमप्रकाश चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला को 10-10 साल की सजा सुनाई। दोनों के जेल जाने के बाद देवीलाल की विरासत संभालने का दारोमदार उनके पोते और ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला के कंधों पर आ गया। इधर, अजय चौटाला ने विदेश में पढ़ रहे अपने दोनों बेटों दुष्यंत और दिग्विजय को वापस बुला लिया। दोनों के हरियाणा लौटते ही अभय चौटाला से उनकी तनातनी शुरू हो गई। पार्टी दो खेमों में बंट गई। एक खेमा खुलेआम दुष्यंत चौटाला को ‘दूसरा देवीलाल’ का दर्जा देने लगा। अजय चौटाला की ओर से बनाए गए INLD के स्टूडेंट विंग इनसो ने मुख्यमंत्री के लिए दुष्यंत का नाम उछालना शुरू कर दिया। मंच से ही ओमप्रकाश चौटाला ने अपने पोतों को पार्टी से बाहर करने का फरमान सुनाया
7 अक्टूबर 2018, हरियाणा के गोहाना में INLD की सद्भावना रैली थी। मंच पर ओमप्रकाश चौटाला और उनके छोटे बेटे अभय चौटाला मौजूद थे। थोड़ी देर बाद ट्रैक्टर मार्च करते हुए दुष्यंत चौटाला, अपने भाई दिग्विजय के साथ सभा में पहुंचे। दुष्यंत चौटाला के भाषण के वक्त उनके समर्थक शांत रहे, लेकिन जैसे ही अभय चौटाला बोलने के लिए खड़े हुए, कार्यकर्ताओं ने शोर मचाना शुरू कर दिया। नारा उछला- ‘हमारा CM कैसा हो, दुष्यंत चौटाला जैसा हो।’ इसके बाद जब ओमप्रकाश चौटाला भाषण देने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने सख्त लहजे में कहा- ‘अगर नारे ही लगाने हैं, तो मैं वापस चला जाता हूं। मुझे अपनी याद्दाश्त पर पूरा भरोसा है। मैंने देख लिया कि कौन क्या कर रहा है। नारे लगाने से काम चलता तो मैं अकेला काफी था। माहौल खराब करने वाले या तो सुधर जाएं, वर्ना चुनाव से पहले निकालकर बाहर फेंक दूंगा।’ इसके बाद दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला को INLD ने कारण बताओ नोटिस भेजा और कुछ ही दिन बाद ओमप्रकाश चौटाला ने दोनों को पार्टी से निकाल दिया। 9 दिसंबर 2018 को दुष्यंत और दिग्विजय ने मिलकर जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी की नींव रखी। दोनों ने अपने पिता अजय चौटाला को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। 2019 में विधानसभा चुनाव हुए। BJP को 40 और कांग्रेस को 31 सीटें मिलीं। जेजेपी को 10 सीटें मिलीं और ओमप्रकाश चौटाला की INLD सिर्फ एक सीट पर सिमट गई। जेजेपी ने BJP के साथ मिलकर सरकार बनाई। दुष्यंत चौटाला डिप्टी CM बने। रणजीत चौटाला भी इस सरकार का हिस्सा बने। वे सिरसा की रानिया सीट से निर्दलीय चुनाव जीते थे। 2024 में रणजीत BJP में शामिल हो गए और हिसार सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। लोकसभा चुनाव 2024: देवीलाल परिवार का सूपड़ा साफ
2024 लोकसभा चुनाव में देवीलाल परिवार के दोनों ही दलों का खाता नहीं खुला। देवीलाल के बेटे प्रताप चौटाला की बहू सुनैना चौटाला, पोता अभय चौटाला, दूसरे पोते अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला, तीनों की जमानत जब्त हो गई। BJP के टिकट पर हिसार से चुनाव लड़ने वाले रणजीत सिंह भी हार गए। दरअसल, हिसार लोकसभा सीट पर देवीलाल परिवार के तीन लोग एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे। BJP से रणजीत सिंह, INLD से सुनैना चौटाला और जेजेपी से नैना चौटाला। यहां कांग्रेस ने बाजी मार ली और उसके कैंडिडेट जयप्रकाश जेपी विजयी रहे। देवीलाल परिवार के 13 सदस्य चुनाव लड़ चुके हैं। हरियाणा में सबसे ज्यादा पार्टियां भी इसी परिवार से बनी हैं। आज उनका कुनबा तीन दलों में बंट चुका है। ‘परिवार राज’ के अगले एपिसोड में पढ़िए चौधरी बंसीलाल परिवार की कहानी…
रोहतक लोकसभा सीट पर काउंटिंग शुरू:EVM की गिनती जारी, कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा और भाजपा के अरविंद शर्मा के बीच मुकाबला
रोहतक लोकसभा सीट पर काउंटिंग शुरू:EVM की गिनती जारी, कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा और भाजपा के अरविंद शर्मा के बीच मुकाबला हरियाणा के रोहतक लोकसभा सीट पर वोटों की गिनती जारी है। पहले पोस्टल बैलेट की काउंटिंग की जा रही है। इसके बाद पहला रूझान आएगा। उम्मीद की जा रही है कि दोपहर 2 बजे तक रोहतक सीट पर हार जीत की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इस सीट के लिए 25 मई को वोटिंग हुई थी। रोहतक लोकसभा सीट पर मतगणना शुरू हो चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि दोपहर ढाई बजे तक हार-जीत की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। पहला रुझान 9 बजे तक आने की उम्मीद है। इस सीट के अधीन 9 विधानसभा सीटें हैं। जिनमें ये रोहतक, महम, कलानौर, गढ़ी-सांपला-किलोई, झज्जर, बेरी, बादली, बहादुरगढ़ व कोसली विधानसभा शामिल है। मतगणना के लिए 9 काउंटिंग सेंटर बनाए गए हैं। किसी तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए 5 लेयर में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। यहां से दीपेंद्र सिंह हुड्डा और अरविंद शर्मा के बीच मुख्य मुकाबला है। यहां कुल 26 उम्मीदवार मैदान में हैं। पंजाब के लुधियाना लोकसभा सीट पर वोटों की गिनती जारी है। पहले पोस्टल बैलेट की काउंटिंग की जा रही है। इसके बाद पहला रूझान आएगा। उम्मीद की जा रही है। दोपहर 2 बजे तक लुधियाना सीट पर हार जीत की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इस सीट के लिए 1 जून को वोटिंग हुई थी। यहां से 43 उम्मीदवार मैदान में हैं। 14 जगहों पर काउंटिंग सेंटर बनाए गए हैं। इसके लिए सीआर पॉलिटेक्निक के जिम्नेजियम हॉल में पोस्टल बैलेट की गणना करवाई जाएगी। इस हॉल में पोस्टल बैलेट की गणना के लिए 20 टेबल लगाई हैं। इसके अलावा जिला की चारों विधानसभाओं में मतगणना के लिए एआरओ टेबल के अलावा 14-14 टेबल लगाई जाएंगी। महम व गढ़ी-सांपला-किलोई विधानसभा में मतगणना के 17 राउंड, रोहतक विधानसभा के लिए 13 राउंड तथा कलानौर विधानसभा के लिए 15 राउंड होंगे। रोहतक में 65.69% मतदान हुआ
रोहतक संसदीय क्षेत्र में कुल 65.69% मतदान हुआ है। वहीं महम विधानसभा में 69.80%, गढ़ी-सांपला-किलोई में 69.78%, रोहतक में 60.71% तथा कलानौर (अनुसूचित जाति) में 66.93%, मतदान हुआ। झज्जर जिला की बहादुरगढ़ विधानसभा में 59.34%, बादली विधानसभा में 65.71%, झज्जर (अनुसूचित जाति) में 65.26% और बेरी में 64.97% मतदान हुआ। जबकि रेवाड़ी जिले की कोसली विधानसभा में 68.76% मतदान हुआ।