हरियाणा के जींद जिले में जींद-रोहतक नेशनल हाईवे पर ट्रक चालक ने एक गाड़ी को टक्कर मार दी। इसमें मेडिकल स्टोर संचालक की मौत हो गई। मृतक की पहचान डिफेंस कालोनी निवासी विमलजीत के रूप में हुई है। सूचना के बाद मौके पर पहुंची गतौली थाना चौकी पुलिस ने अज्ञात ट्रक चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। मेडिकल स्टोर चलाता था मृतक पुलिस को दी शिकायत में डिफेंस कालोनी निवासी मृतक के भाई विश्वजीत ने बताया कि उनका सिविल अस्पताल के पास मेडिकल स्टोर है। उसका भाई विमलजीत 17 जून को शाम को अपने निजी कार्य के लिए जुलाना गया हुआ था। जुलाना से वापस आते समय गतौली सुंदर ब्रांच नहर के पास उसकी कार के आगे ट्रक चल रहा था। जब उसका भाई ट्रक के साइड से गाड़ी निकालने लगा तो उसने लापरवाही से चलाते हुए एकदम कट मारा और उसके बाद ब्रेक मार दी। इससे विमलजीत की कार को ट्रक की टक्कर लग गई और गाड़ी क्षतिग्रस्त होने के बाद उसके भाई को गंभीर चोटें आई। हिसार ले जाते वक्त हुई मौत एम्बुलेंस की सहायता से विमलजीत को जींद के नागरिक अस्पताल में लेकर आए। यहां से उसे पीजीआई रेफर किया गया। लेकिन वह विमलजीत को हिसार के जिंदल अस्पताल लेकर जाने लगे। वहां पहुंचने से पहले विमलजीत की मौत हो गई। विश्वजीत ने कहा कि ट्रक चालक की लापरवाही की वजह से उसके भाई की जान गई है। मृतक विमलजीत अपने पीछे दो लड़की और पत्नी को छोड़ गया है। मामले की जांच में जुटी पुलिस मृतक के भाई की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात ट्रक चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल पुलिस ने मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस माले की जांच में जुटी हुई है। हरियाणा के जींद जिले में जींद-रोहतक नेशनल हाईवे पर ट्रक चालक ने एक गाड़ी को टक्कर मार दी। इसमें मेडिकल स्टोर संचालक की मौत हो गई। मृतक की पहचान डिफेंस कालोनी निवासी विमलजीत के रूप में हुई है। सूचना के बाद मौके पर पहुंची गतौली थाना चौकी पुलिस ने अज्ञात ट्रक चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। मेडिकल स्टोर चलाता था मृतक पुलिस को दी शिकायत में डिफेंस कालोनी निवासी मृतक के भाई विश्वजीत ने बताया कि उनका सिविल अस्पताल के पास मेडिकल स्टोर है। उसका भाई विमलजीत 17 जून को शाम को अपने निजी कार्य के लिए जुलाना गया हुआ था। जुलाना से वापस आते समय गतौली सुंदर ब्रांच नहर के पास उसकी कार के आगे ट्रक चल रहा था। जब उसका भाई ट्रक के साइड से गाड़ी निकालने लगा तो उसने लापरवाही से चलाते हुए एकदम कट मारा और उसके बाद ब्रेक मार दी। इससे विमलजीत की कार को ट्रक की टक्कर लग गई और गाड़ी क्षतिग्रस्त होने के बाद उसके भाई को गंभीर चोटें आई। हिसार ले जाते वक्त हुई मौत एम्बुलेंस की सहायता से विमलजीत को जींद के नागरिक अस्पताल में लेकर आए। यहां से उसे पीजीआई रेफर किया गया। लेकिन वह विमलजीत को हिसार के जिंदल अस्पताल लेकर जाने लगे। वहां पहुंचने से पहले विमलजीत की मौत हो गई। विश्वजीत ने कहा कि ट्रक चालक की लापरवाही की वजह से उसके भाई की जान गई है। मृतक विमलजीत अपने पीछे दो लड़की और पत्नी को छोड़ गया है। मामले की जांच में जुटी पुलिस मृतक के भाई की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात ट्रक चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल पुलिस ने मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस माले की जांच में जुटी हुई है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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कैथल सड़क हादसे में होमगार्ड की मौत:सिविल लाइन थाना में थी ड्यूटी, अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर, अस्पताल में तोड़ा दम हरियाणा के कैथल जिले में आज सुबह सड़क हादसे में पुलिस के एक होमगार्ड जवान की सड़क हादसे में मौत हो गई। मृतक की पहचान 41 वर्षीय मोहन सिंह निवासी फरल के रूप में हुई है, जो सिविल लाइन थाने में तैनात था। बाइक से जा रहा था डयूटी परिजनों ने बताया कि सुबह बाइक से अपनी ड्यूटी पर जा रहा था, परिजनों ने बताया कि मोहन सुबह घर से अपनी ड्यूटी के लिए निकला था, जब वह गांव खनोदा के पास पहुंचा, तो किसी अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दी, जिसके बाद वह मोटरसाइकिल से सड़क पर गिर गया और उसे गंभीर चोटें आई। सिर और सीने पर आई काफी चोटे जानकारी देते हुए बताया कि मोहन सिंह जब सुबह शहर की तरफ जा रहा था, तभी गांव खनोदा की तरफ से तेज गति से आ रहे एक अज्ञात कार ने उसे टक्कर मार दी। हादसे में उसके सिर और सीने में काफी गंभीर चोटे आई, तभी लोगों ने उसके परिजनों को इसके बारे में सूचना दी। जिसके बाद इलाज के लिए अस्पताल लाया गया, जहां पर उसने अपना दम तोड़ दिया। मामले के बारे में जानकारी देते हुए पुंडरी थाना प्रभारी ने बताया कि पुलिस फिलहाल मामले की जांच की जा रही है, जल्द ही कार चालक का पता लगा आगामी कार्रवाई की जाएगी।
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रोहतक के युवक का फोन नंबर पोर्न साइट पर डाला:आरोपी 9 साल से कर रहा परेशान, तंग आकर पुलिस में दर्ज कराई शिकायत रोहतक के एक युवक का फोन नंबर पोर्न साइट पर डाल दिया गया। जिससे उसे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसकी शिकायत पुलिस में दर्ज कराई गई है। आरोपी पहले भी इस तरह की वारदात कर चुका है। 2015 से आरोपी पोर्न साइट पर नंबर डाल रहा है। उसके खिलाफ पहले भी शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है। लेकिन अब फिर से फोन नंबर पोर्न साइट पर डाल दिया गया है। जिसके बाद मामले की शिकायत पुलिस को दी गई। रोहतक की एक कॉलोनी निवासी व्यक्ति ने आर्य नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। जिसमें उसने बताया कि उसका मोबाइल नंबर पोर्न साइट पर डाल दिया गया। जिससे उसे बदनाम किया जा रहा है और मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है। शिकायत में बताया कि 2015 में भी उसने सिविल लाइंस थाने में आरोपी रितेश के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार भी किया गया था। जमानत पर आने के बाद आरोपी ने फिर से अपना मोबाइल नंबर फेसबुक व अन्य गलत साइट्स पर डाल दिया। जिसके बाद 2018 में आर्य नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसके बाद जब नंबर दोबारा पोर्न साइट पर डाला गया तो 21 में भी शिकायत दर्ज कराई गई थी। पोर्न साइट पर डाला फोन नंबर पीड़ित ने बताया कि अब फिर से आरोपी ने पोर्न साइट पर उसका फोन नंबर डाल दिया। यह साइट 2024 में बनी है। आरोपी रितेश बार-बार पोर्न साइट पर फोन नंबर डाल रहा है। जिससे मानसिक एवं सामाजिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आरोपी उसके नंबर को बार-बार पोर्न साइट पर डाल रहा है। शिकायत में पीड़ित ने आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही फोन नंबर पोर्न साइट से हटाने की गुहार लगाई। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी।
एंटी इनकंबेसी से जूझती भाजपा,कांग्रेस की राह भी आसान नहीं:हरियाणा में लोकसभा इलेक्शन के 3 संकेत; BJP की 8 रणनीति, कांग्रेस की 7 चुनौतियां
एंटी इनकंबेसी से जूझती भाजपा,कांग्रेस की राह भी आसान नहीं:हरियाणा में लोकसभा इलेक्शन के 3 संकेत; BJP की 8 रणनीति, कांग्रेस की 7 चुनौतियां हरियाणा में BJP भले ही 10 साल की एंटी इनकंबेंसी से जूझ रही हो लेकिन कांग्रेस के लिए भी रास्ता आसान नहीं है। इसके संकेत मई महीने में हुए 10 लोकसभा सीट पर चुनाव के वोट परसेंट से मिलता है। जिसके बारे में कांग्रेस और भाजपा की टिकट बांटने की मीटिंगों में भी हो रहा है। जिसमें वोट परसेंट को लेकर भी पार्टियां चुनावी रणनीति से जोड़कर चल रही हैं। कांग्रेस में हाईकमान ने टिकट बंटवारे की कमान अपने हाथ में ले चुका है। 90 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस हाईकमान ने अपनी कमेटियां भेज दी हैं। वहीं भाजपा ने भी सीट टू सीट मार्किंग से चुनाव जीतने की प्लानिंग कर ली है। सबसे पहले लोकसभा चुनाव से मिले 3 बड़े संकेत 1. भाजपा 5 सीटें हारी लेकिन वोट % कांग्रेस से ज्यादा
2019 में भाजपा ने हरियाणा में सभी 10 लोकसभा सीटें जीतीं। 2024 में भाजपा सिर्फ 5 ही जीत सकी। हालांकि भाजपा को 46.11% वोट मिले। इसके उलट कांग्रेस ने भी 5 ही सीटें जीतीं। मगर उन्हें 43.67% वोट मिले। 2. विधानसभा वाइज भाजपा को बढ़त
10 लोकसभा सीटों के नतीजे को विधानसभा वाइज देखें तो 90 में से 44 सीटों पर भाजपा को बढ़त रही। कांग्रेस को 42 सीटों पर बढ़त मिली। 4 सीटों पर आम आदमी पार्टी (AAP) आगे रही। लोकसभा में AAP-कांग्रेस साथ थी। विधानसभा में दोनों पार्टियां अलग-अलग लड़ रही हैं। 3. कांग्रेस का वोट परसेंट 2019 के मुकाबले बढ़ा
लोकसभा के नतीजे को अगर 2019 के हिसाब से देखें तो वोटरों का रुझान कांग्रेस की तरफ हुआ है। 2019 में कांग्रेस सभी 10 सीटें हारी और वोट परसेंट 28.51% रहा। 2024 में यह बढ़कर 43.67% हो गया। इसके उलट भाजपा का वोट परसेंट 2019 में 58.21% से घटकर 46.11% हो गया। विधानसभा के लिहाज से इसके मायने क्या? 1. भाजपा मुकाबले में लेकिन चुनौतियां भी
लोकसभा रिजल्ट के लिहाज से देखें तो 10 साल सरकार चलाने के बावजूद भाजपा मुकाबले से बाहर नहीं है। भाजपा का वोट परसेंट कांग्रेस से ज्यादा है। विधानसभा वाइज भी कांग्रेस से 2 सीटें ज्यादा जीतीं। हालांकि भाजपा को 10 साल की एंटी इनकंबेंसी से जूझना पड़ेगा। 2. रुझान कांग्रेस के पक्ष में लेकिन गुटबाजी चिंता
लोकसभा रिजल्ट के लिहाज से वोटरों का रुझान कांग्रेस के पक्ष में नजर आता है। इसकी वजह ये है कि 2019 के मुकाबले 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 15.16% वोट ज्यादा मिले। हालांकि गुटबाजी कांग्रेस की बड़ी चिंता है। अपने समर्थक ज्यादा विधायक जिता सरकार बनने की सूरत में सीएम कुर्सी पर मजबूत दावे के लिए पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, सिरसा सांसद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला की लड़ाई किसी से छिपी नहीं है। चुनाव जीतने के लिए BJP ने क्या रणनीति बदली? 1. चेहरा पर चुनाव नहीं सीट टू सीट मार्किंग
भाजपा अमूमन किसी एक चेहरे पर चुनाव लड़ती है। हरियाणा में इस बार ऐसा नहीं है। इसके उलट भाजपा सीट टू सीट मार्किंग कर रही है। किस सीट का जातीय गणित क्या है। वहां का डिसाइडिंग फैक्टर क्या है?। कौन नाराज है?। उसे कैसे मना सकते हैं?। कौन उम्मीदवार यहां जिताऊ होगा। इन सब पर प्रदेश चुनाव समिति की मीटिंग में मंथन किया। 2. बड़े नहीं छोटे वोट बैंक पर फोकस
भाजपा इस बार किसी एक बड़े वोट बैंक पर फोकस नहीं कर रही। जाट, पंजाबी और ओबीसी के अलावा बचे छोटे वोट बैंक पर पार्टी की नजर है। उन्हें कैसे खुश कर अपने पक्ष में ला सकते हैं, इसको लेकर रणनीति बना उस पर काम किया जा रहा है। खासकर, उन सीटों पर जहां वे हार-जीत में प्रभावी साबित हो सकते हैं। 3. RSS को भी साथ में लिया
लोकसभा में भाजपा ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से दूरी बनाई। विधानसभा में RSS अहम भूमिका में है। RSS के ग्राउंड लेवल सर्वे के फीडबैक को टिकट बांटने पूरी तरजीह दी जा रही है। वोटिंग के लिए भी RSS के ग्राउंड वर्कर भाजपा की मदद करेंगे। 4. मंत्रियों-विधायकों के टिकट कटेंगे
भाजपा टिकट बंटवारे में बहुत सधी हुई चाल चल रही है। इसके लिए मंत्रियों-विधायकों के भी टिकट कटेंगे। गुरुग्राम में हुई चुनाव समिति की मीटिंग में 41 में से 20 से ज्यादा विधायक और आधे से ज्यादा मंत्रियों की टिकट काटने पर चर्चा हुई। यहां नए चेहरे उतारे जाएंगे। 5. किरण चौधरी को राज्यसभा भेज जाटों को रिझाने कोशिश
हरियाणा में भाजपा गैर जाट पॉलिटिक्स करती है। 10 साल में पहले पंजाबी और फिर OBC सीएम बनाया। हालांकि पूर्व सीएम बंसीलाल की बहू किरण चौधरी को पार्टी में शामिल कर 2 महीने में ही राज्यसभा भेज जाटों को रिझाया है। 6. किसान नेताओं नहीं, छोटे किसानों पर फोकस
किसान आंदोलन झेल रही भाजपा ने छोटे किसानों पर फोकस किया है। नेताओं से दूरी बना भाजपा ने प्रदेश में 24 फसलों पर MSP की घोषणा की। अब 2019 की मेनिफेस्टो की थीम ‘हम सबका ख्याल रखते हैं, हम योजनाओं को लटकाते, भटकाते, अटकाते नहीं हैं।’ को बदलकर किसानों पर केंद्रित किया जा रहा है। 7. परिवारवाद से परहेज नहीं
भाजपा परिवारवाद पर खुल कांग्रेस की आलोचना करती है। मगर, हरियाणा चुनाव के लिए यह रणनीति बदली गई है। यहां जिताऊ चेहरों को टिकट देने में इस परिवारवाद से परहेज नहीं किया जाएगा। इसके लिए पहली बार RSS ने भी भाजपा को खुली छूट दे दी है। इससे पहले संघ इसका सबसे बड़ा विरोधी रहा है। 8. बड़े चेहरों पर दांव
भाजपा बड़े चेहरों पर दांव खेलेगी। लोकसभा चुनाव हारे अशोक तंवर, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल समेत दिग्गज चेहरों को टिकट दी जा सकती है। भाजपा इनके रसूख को हरियाणा में सरकार की हैट्रिक के लिए इस्तेमाल करना चाहती है। कांग्रेस की रणनीति और चुनौतियां 1. टिकट बंटवारे की कमान पहले ही सीधे राहुल-खड़गे को
गुटबाजी से हरियाणा कांग्रेस भी अछूती नहीं है। हाईकमान कितना कह ले लेकिन सीएम कुर्सी की चाह का असर सीधे टिकट की सिफारिशों पर दिखा। इसीलिए कांग्रेस हाईकमान ने टिकट बंटवारे की कमान अपने हाथ में ले ली। स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अजय माकन को सभी 90 विधानसभा सीटों में अपनी कमेटी भेजने को कहा। जिसकी रिपोर्ट सीधे राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को जाएगी। इस बार यह पहले लिया फैसला है। लोकसभा में सब कमेटी तक के फेल होने के बाद अधिकार हाईकमान को सौंपे गए थे। 2. एकजुट नजर आएगी कांग्रेस
गुटबाजी कांग्रेस की हार की बड़ी वजह रही है। इसे कांग्रेस हाईकमान भी जानता है। इसके लिए स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में हुड्डा और सैलजा-सुरजेवाला को एक साथ बिठाया गया। अब भी राहुल गांधी ने उन्हें प्रदेश में एकजुट नजर आने को कहा है। आने वाले दिनों में प्रदेश के सभी कांग्रेसी दिग्गज एक मंच पर नजर आ सकते हैं। 3. जिनसे लोग परेशान, वही मुद्दे पकड़े
कांग्रेस उन्हीं मुद्दों को आगे बढ़ा रही है, जिनसे 10 साल में लोगों की परेशानी सामने आई। इनमें सबसे बड़ा मुद्दा हर सरकारी सेवा के लिए पोर्टल बनाने का है। दूसरा हर सरकारी फायदे के लिए परिवार पहचान पत्र को लागू करना है। जिनमें गलतियां होने पर ठीक कराने के लिए लोगों को चक्कर काटने पड़े। 4. आम आदमी पार्टी का अकेले चुनाव लड़ना चिंता
कांग्रेस के लिए बड़ी चिंता सभी 90 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी है। लोकसभा में कांग्रेस ने 9 और आप ने एक सीट पर गठबंधन में चुनाव लड़ा। कांग्रेस 5 जीत गई लेकिन आप कुरूक्षेत्र सीट हार गई। हालांकि लोकसभा रिजल्ट को विधानसभा वाइज देखें तो 42 में कांग्रेस और 4 आप जीती थी। दोनों मिलकर लड़ते तो यह आंकड़ा 45 के बहुमत से 1 सीट ज्यादा 46 है। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह चिंता बनी हुई है। 5. मल्टी एंगल फाइट में वोटों का बिखराव
हरियाणा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस समेत 5 पार्टियां मुकाबले में हैं। जिनमें जजपा, इनेलो-बसपा गठबंधन और आप शामिल है। इसके अलावा निर्दलीय भी चुनाव जीतते आ रहे हैं। अगर भाजपा अपने लोकसभा के वोट परसेंट को भी जकड़कर रख पाई तो कांग्रेस के लिए मुसीबत हो सकती है। खासकर, जाट और एससी वोट बैंक कांग्रेस के अलावा जजपा और इनेलो-बसपा में बंट सकता है। कांग्रेस के लिए अच्छी बात ये है कि लोकसभा में यह बिखराव नहीं हुआ था। 6. टिकट घोषणा में देरी
कांग्रेस की बड़ी दिक्कत टिकट घोषणा को लेकर रहती है। कांग्रेस सभी पार्टियों के उम्मीदवारों के ऐलान के बाद अपनी लिस्ट जारी करती है। ऐसे में जिन्हें टिकट मिली, उन्हें प्रचार के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। खासकर, हुड्डा और सैलजा-सुरजेवाला में गुटबाजी के चलते जहां अधिकांश सीटों पर कांग्रेस में कन्फ्यूजन है, वहां ये स्थिति नुकसान पहुंचा सकती है। 7. भगदड़ और बगावत रोकना बड़ी चुनौती
कांग्रेस नेताओं को पूरी उम्मीद है कि इस बार उनकी सरकार बनेगी। यही वजह है कि 90 सीटों पर कांग्रेस के 2,556 नेताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया हुआ है। ऐसे में जब टिकट बंटवारा होगा तो पार्टी में भगदड़ और बगावत तय है। यह चुनाव का अंतिम वक्त होगा, ऐसे में कांग्रेस को इसे संभालने का मौका नहीं मिलेगा।