हरियाणा के जींद में बीती रात को घर में सो रहे परिवार पर तेजधार हथियार से वार किए गए। इसमें पति-पत्नी की मौत हो गई, जबकि इनकी बेटी की हालत गंभीर है। डबल मर्डर का ये मामला एक विवाहित युवती के लिव इन (लव ट्राइएंगल) से जुड़ा बताया जा रहा है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल में रखा गया है। दंपती की बेटी की घायल बेटी की हालत गंभीर है और उसे रोहतक पीजीआई रेफर किया गया है। गांव बिशनपुरा निवासी करण सिंह, उसकी पत्नी सुनीता व उसकी बेटी अंजू बुधवार रात को अपने घर में सोए हुए थे। उसी दौरान बिरौली निवासी नवीन उर्फ मोनू उनके घर में घुस गया। उसने सो रहे परिवार पर तेजधार हथियार से हमला कर दिया। इसमें करण सिंह, सुनीता व अंजू तीनों गंभीर रूप से घायल हो गए। चीख पुकार सुन कर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे। तीनों को लहूलुहान हालत में इलाज के लिए नागरिक अस्पताल पहुंचाया गया। बेटी रोहतक PGI रेफर अस्पताल में जांच के बाद डॉक्टरों ने करण सिंह व उसकी पत्नी सुनीता को मृत घोषित कर दिया। जबकि बेटी अंजू की हालत गंभीर देख पीजीआईएमएस रोहतक रेफर कर दिया। घटना को अंजाम देकर नवीन मौके से फरार हो गया। घटना की सूचना मिलने पर सदर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति का जायजा लिया। पुलिस ने घटना को गंभीरता से लेते हुए मौके से सबूत जुटाए। सदर थाना पुलिस ने मृतकों के शवों को कब्जे में ले नागरिक अस्पताल के शव गृह में रखवाया गया है। मामला लव ट्राइएंगल का भी हो सकता है। हरियाणा के जींद में बीती रात को घर में सो रहे परिवार पर तेजधार हथियार से वार किए गए। इसमें पति-पत्नी की मौत हो गई, जबकि इनकी बेटी की हालत गंभीर है। डबल मर्डर का ये मामला एक विवाहित युवती के लिव इन (लव ट्राइएंगल) से जुड़ा बताया जा रहा है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल में रखा गया है। दंपती की बेटी की घायल बेटी की हालत गंभीर है और उसे रोहतक पीजीआई रेफर किया गया है। गांव बिशनपुरा निवासी करण सिंह, उसकी पत्नी सुनीता व उसकी बेटी अंजू बुधवार रात को अपने घर में सोए हुए थे। उसी दौरान बिरौली निवासी नवीन उर्फ मोनू उनके घर में घुस गया। उसने सो रहे परिवार पर तेजधार हथियार से हमला कर दिया। इसमें करण सिंह, सुनीता व अंजू तीनों गंभीर रूप से घायल हो गए। चीख पुकार सुन कर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे। तीनों को लहूलुहान हालत में इलाज के लिए नागरिक अस्पताल पहुंचाया गया। बेटी रोहतक PGI रेफर अस्पताल में जांच के बाद डॉक्टरों ने करण सिंह व उसकी पत्नी सुनीता को मृत घोषित कर दिया। जबकि बेटी अंजू की हालत गंभीर देख पीजीआईएमएस रोहतक रेफर कर दिया। घटना को अंजाम देकर नवीन मौके से फरार हो गया। घटना की सूचना मिलने पर सदर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति का जायजा लिया। पुलिस ने घटना को गंभीरता से लेते हुए मौके से सबूत जुटाए। सदर थाना पुलिस ने मृतकों के शवों को कब्जे में ले नागरिक अस्पताल के शव गृह में रखवाया गया है। मामला लव ट्राइएंगल का भी हो सकता है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा के घर में सिलेंडर फटा:राजस्थान का अध्यापक, पत्नी और बेटा-बेटी झुलसे; चूल्हा साफ करने के बाद गैस चालू करते ही लगी आग
हरियाणा के घर में सिलेंडर फटा:राजस्थान का अध्यापक, पत्नी और बेटा-बेटी झुलसे; चूल्हा साफ करने के बाद गैस चालू करते ही लगी आग हरियाणा के महेंद्रगढ़ में बुधवार सुबह गैस सिलेंडर फट गया। जिससे एक ही परिवार के 4 लोग झुलस गए। झुलसने वालों में दंपती और उनके बेटा-बेटी शामिल हैं। धमाके की आवाज सुनकर आसपास अफरातफरी मच गई। जिन विजेंद्र के घर में सिलेंडर फटा, वह पेशे से शिक्षक हैं। उन्होंने कहा कि सुबह गैस की सफाई करने के बाद जैसे ही पाइप लगा चूल्हा चालू किया तो सिलेंडर में आग लग गई। आसपास के लोगों ने उन्हें झुलसी हालत में इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया। हालात नाजुक होने पर उन्हें PGI रोहतक रेफर कर दिया गया है। पाइप साफ करने के बाद चूल्हे में लगाई थी
महेंद्रगढ़ के खुडाना गांव में रहने वाले विजेंद्र (48) ने बताया कि वह राजस्थान में टीचर हैं। बुधवार की सुबह उन्होंने गैस चूल्हे से पाइप निकालकर उसे साफ किया। इसके बाद पाइप फिर लगा दी। जैसे ही चूल्हा ऑन कर लाइटर से आग जलाई तो अचानक सिलेंडर ने आग पकड़ ली। उस वक्त घर के सभी लोग वहीं पर बैठे हुए थे। थोड़ी ही देर में गैस सिलेंडर फट गया। जिसकी चपेट में आकर वह, उसकी पत्नी मंजू (44), बेटा रोहित (14) और बेटी चंचल (11) बुरी तरह से झुलस गई। धमाके के बाद लोग हुए इकट्ठा
धमाके की आवाज सुनकर आसपास के लोग उनके घर पहुंचे। अंदर परिवार के चारों मेंबर झुलसी हुई हालत में पड़े हुए थे। उन्होंने तुरंत आग बुझाई और एंबुलेंस मंगवाकर उन्हें महेंद्रगढ़ के नागरिक अस्पताल में पहुंचाया। हादसे का पता चलने के बाद पुलिस ने भी इसकी जांच शुरू कर दी है। शुरूआती जांच में माना जा रहा है कि चूल्हे से पाइप लगाते वक्त वह ढीली रह गई होगी, जिससे गैस लीक हुई और सिलेंडर ने आग पकड़ ली।
भिवानी से 10 प्रत्याशियों के रिजेक्ट हुए नामांकन
भिवानी से 10 प्रत्याशियों के रिजेक्ट हुए नामांकन इसी प्रकार से बवानीखेड़ा विधानसभा क्षेत्र क्षेत्र से चुनावी मैदान में कुल 19 उम्मीदवार थे, जांच के दौरान 7 रिजेक्ट हुए, इनमें से 2 ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। कांग्रेस के प्रदीप नरवाल को हाथ का निशान, भाजपा के कपूर वाल्मीकि को कमल, आप पार्टी के धर्मबीर कुंगड़ को झाड़ू का, बसपा के संदीप को हाथी, जजपा की गुड्डी लांग्यान को चाबी, निर्दलीय सतबीर रतेरा को केतली, आम आदमी परिवर्तन पार्टी की मंजूरानी को टेलीफोन, राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी के विकास कुमार को चारपाई, रमेश कुमार को टेलीविजन, रविता को नारियल का चुनाव चिन्ह दिया गया है। कांग्रेस के प्रदीप नरवाल के मैदान में आने से बवानीखेड़ा सीट हॉट सीट बन गई है। यहां पर भाजपा व कांग्रेस में आमने सामने की टक्कर है। भिवानी विधानसभा के रिटर्निंग अधिकारी महेश कुमार ने बताया कि भिवानी विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में कुल 33 उम्मीदवार थे। जांच के दौरान 10 रिजेक्ट हुए हैं इनमें से अपना पांच ने नामांकन वापस ले लिया है। इस तरह से आम आदमी पार्टी की इंदू को झाड़ू, माकपा के ओमप्रकाश को दांती, हथोड़ा व सितारा का चुनाव चिह्न दिया गया है। इनेलो के कर्मबीर यादव को चश्मा, भाजपा के घनश्याम सर्राफ को कमल, पवन फौजी का रोड रोलर, कामरेड राजकुमार को कांच का गिलास, अभिजीत लाल सिंह को सितार, आनंद कुमार को रोबोट, जगत सिंह को सेब, जोगेंद्र को हांडी, पकंज तायल को बल्ला, डॉ. पवन कुमार को कैंची, प्रिया असीजा को एयर कंडीशनर, महाबीर बोहरा को अलमारी, राजीव को बाल्टी, रामअवतार शर्मा को ऑटो रिक्शा, रामकुमार को बेबी वॉकर, सतीश कुमार को सिलाई मशीन का चुनाव चिह्न दिया गया है। तोशाम विधानसभा क्षेत्र से 4 प्रत्याशियों द्वारा नाम वापस लेने के बाद 15 उम्मीदवार मैदान में रह गए है। रिटर्निंग अधिकारी डॉ. अश्विर सिंह नैन ने बताया कि चुनाव लड़ने वाले 15 उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न अलाट किए गए। रिटर्निंग अधिकारी के अनुसार भारतीय जनता पार्टी से श्रुति चौधरी को कमल, इंडियन नेशनल कांग्रेस से अनिरुद्ध चौधरी को हाथ, राष्ट्रीय जनहित विकास पार्टी से सुभाष चंद्र को ट्रक, जननायक जनता पार्टी से राजेश भारद्वाज को चाबी, बहुजन समाज पार्टी से ओम सिंह को हाथी, पीपल पार्टी ऑफ इंडिया से बाबा बलवान नाथ को फलों की टोकरी, आम आदमी पार्टी के दलजीत सिंह को झाङू, राष्ट्रवादी जन लोक पार्टी से विजेन्द्र सिंह को सीटी व बहुजन मुक्ति पार्टी से प्रदीप को चारपाई का चुनाव चिह्न दिया गया है। इसी प्रकार निर्दलीय उम्मीदवारों में रजनीश कुमार को रोड रोलर, शशि रंजन परमार को गैस सिलेंडर, अनिल कुमार को फुटबॉल खिलाड़ी, बलवान सिंह को बल्ला, कृष्ण कुमार को गन्ना किसान और पुष्पा देवी को चक्की का चुनाव चिह्न दिया गया है। वहीं जगदीश निवासी गांव गोलागढ़, लक्ष्य परमार निवासी विकास नगर भिवानी, जितेंद्र नाथ निवासी विद्या नगर भिवानी व वीरेन्द्र सिंह निवासी गांव खानक ने अपने नामांकन पत्र वापस ले लिए हैं। रिटर्निंग अधिकारी एवं एसडीएम मनोज दलाल ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र से जांच के बाद 15 उम्मीदवार चुनाव मैदान में रहे थे। आज 2 उम्मीदवारों नामांकन पत्र वापस ले लिया है। लोहारू विधानसभा क्षेत्र से 13 उम्मीदवार चुनाव मैदान में रह गए हैं। उन्होंने बताया कि जननायक जनता पार्टी से अलका को चाबी, आम आदमी पार्टी से गीता बाला को झाड़ू, भारतीय जनता पार्टी से जयप्रकाश दलाल को कमल का फूल, इंडियन नेशनल लोकदल से भूप सिंह को ऐनक तथा इंडियन नेशनल कांग्रेस से राजवीर सिंह को हाथ का निशान मिला है। इसी प्रकार निर्दलीय उम्मीदवार अमर सिंह को सेब, कृष्ण कुमार को फूलगोभी, राजबीर पुत्र बेगराज को कांच का गिलास, राजबीर पुत्र भरत सिंह को बाल्टी, राजबीर पुत्र मूलाराम को टेबल, संजय पुत्र बीरबल को डायमंड, संदीप पुत्र मुकेश सिंह को कोकोनट व सज्जन भारद्वाज को बांसुरी का चुनाव चिह्न आवंटित किया गया है। लोहारू विधानसभा से भाजपा के जयप्रकाश दलाल व कांग्रेस के राजबीर फरटिया के बीच आमने सामने का मुकाबला है। भास्कर न्यूज | भिवानी विधानसभा चुनाव में नामांकन वापस लेने के बाद आज जिले की चारों विधानसभाओं में 56 उम्मीदवार मैदान में रह गए हैं। इनमें सबसे अधिक 18 उम्मीदवार भिवानी विधानसभा व सबसे कम 10 उम्मीदवार बवानीखेड़ा विधानसभा में रह गए हैं। इनमें सबसे रोचक मुकाबला तोशाम में देखने को मिल रहा है जहां पर चचेरे भाई बहन मैदान में है। नामांकन वापस लेने के बाद अब पिक्चर कुछ स्पष्ट नजर आने लगी है। भिवानी में जहां चतुष्कोणीय मुकाबले के आसार बन गए हैं। यह मुकाबला भाजपा, कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी, आप व निर्दलीय उम्मीदवार अभिजीत लाल सिंह के बीच बनता दिखाई दे रहा है। उसी प्रकार तोशाम विधानसभा में चचेरे भाई बहन के बीच शशि रंजन परमार त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में लगे हुए है। कांग्रेस के प्रदीप नरवाल के बवानी खेड़ा विधानसभा में आने से यह विधानसभा क्षेत्र हाट सीट बन गया है। क्या पर मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच फंसा हुआ है। लोहारू विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस में भाजपा में आमने-सामने का द्वंद बना हुआ है।
हरियाणा CM करनाल सीट छोड़ेंगे:पंजाबी वोट बैंक समेत 3 वजहें; तीन सीटों का विकल्प, जिसमें लाडवा फेवरेट, सीएम चेहरा इसलिए BJP रिस्क नहीं ले रही
हरियाणा CM करनाल सीट छोड़ेंगे:पंजाबी वोट बैंक समेत 3 वजहें; तीन सीटों का विकल्प, जिसमें लाडवा फेवरेट, सीएम चेहरा इसलिए BJP रिस्क नहीं ले रही हरियाणा के CM नायब सैनी इस विधानसभा चुनाव में करनाल सीट छोड़ सकते हैं। भाजपा के उच्च सूत्रों के मुताबिक पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उनके लिए नई सीट की तलाश में है। जिसके लिए 3 सीटों का विकल्प तैयार किया गया है। जिसमें कुरूक्षेत्र की लाडवा सीट को फेवरेट माना जा रहा है। सैनी कुछ महीने पहले लोकसभा के साथ हुए उपचुनाव में करनाल विधानसभा सीट से उपचुनाव जीते थे। चूंकि भाजपा यह चुनाव सीएम नायब सैनी की अगुआई में ही लड़ रही है। ऐसे में उन्हें किसी कड़े मुकाबले में नहीं फंसाना चाहती। इसी वजह से जातीय समीकरण से लेकर भाजपा के आधार वाली सेफ सीट की तैयारी की जा रही है। खास बात यह है कि CM सैनी खुद भी इस बात की पुष्टि नहीं कर रहे कि वह करनाल से ही लड़ेंगे। 2 दिन पहले पंचकूला में हुई मीटिंग में उन्होंने इसका फैसला केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ दिया था। CM सैनी के लिए चुनी 3 सेफ सीट और उसकी वजह… 1. लाडवा: सैनी बिरदारी, OBC वर्ग और लोकसभा का कनेक्शन
लाडवा विधानसभा क्षेत्र कुरूक्षेत्र में है। इस विधानसभा में 1 लाख 95 हजार से ज्यादा वोट है। जिसमें 50 हजार वोट जाट सामाज की है। इसके अलावा सैनी समाज के 47 हजार से ज्यादा वोट है। अगर ओबीसी वोट की करें तो 90 हजार से ज्यादा वोट ओबीसी वर्ग की हैं। ओबीसी वर्ग और खास तौर पर सैनी समुदाय के वोट बैंक की वजह से यह सीएम के लिए फेवरेट सीट मानी जा रही है। हालांकि पिछली बार 2019 में भाजपा के सैनी समुदाय से जुड़े पवन सैनी यहां से कांग्रेस के मेवा सिंह से 12,637 वोटों से चुनाव हार गए थे। राजनीतिक विशेषज्ञ DAV कॉलेज के प्राचार्य RP सैनी के अनुसार लाडवा को लेकर एक और बात अहम है। सीएम नायब सैनी कुरूक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं, जिसमें लाडवा भी आता है। उनके सांसद के रूप में किए गए कामों का यहां पर सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है, जिससे यह सीट उनके लिए सुरक्षित मानी जा रही है। 2. गोहाना: समुदाय और बैकवर्ड क्लास का प्रभाव
गोहाना विधानसभा सीट सोनीपत जिले में है। गोहाना विधानसभा में 2 लाख से ज्यादा वोटर है। जिसमें करीब 50 हजार वोट जाट समाज से है। सैनी समाज से करीब 17 हजार के करीब वोट है। टोटल OBC वोट बैंक की बात करें तो 80 हजार वोट ओबीसी समाज की है। ओबीसी वोट बैंक के चलते ही 2019 राजकुमार सैनी ने इसी विधानसभा से चुनाव लड़ा था। उन्हें 35,379 वोट मिले थे। हालांकि जाट बाहुल्य सीट होने की वजह से वे कांग्रेस के जगबीर मलिक से करीबी मुकाबले में 4152 वोटों से हार गए। मलिक को 39,531 वोट मिले थे। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक एडवोकेट संजीव मंगलौरा मानते हैं कि सैनी के पास इस क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। सैनी खुद ओबीसी वर्ग से हैं। ऐसे में अन्य पिछड़ी जातियों में भी उनको अच्छा सपोर्ट मिल सकता है। सीएम चेहरा होने के नाते कुछ परसेंट जाट वोट भी उनके पक्ष में आ सकता है। नारायणगढ़: सैनी का गृह क्षेत्र लेकिन यहां रिस्क ज्यादा
अंबाला का नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र सीएम नायब सैनी का गृह क्षेत्र है। राजनीतिक जानकार एडवोकेट संजीव मंगलौरा कहते हैं कि गृह क्षेत्र से चुनाव लड़ने का बड़ा लाभ यह होता है कि स्थानीय मतदाताओं के साथ व्यक्तिगत संबंध होते हैं। चूंकि सैनी सीएम और आगे भी सीएम बन सकते हैं, ऐसे में स्थानीय मतदाता ज्यादा तरजीह देता है। हालांकि जिला परिषद चुनाव में नायब सैनी यहां से पत्नी सुमन सैनी को जिला परिषद चुनाव नहीं जिता पाए थे। ऐसे में यह रिस्क भी साबित हो सकता है। करनाल सीट छोड़ने के 3 बड़े कारण 1. पंजाबी वोट बैंक की नाराजगी
करनाल सीट पर पंजाबी वोट बैंक का दबदबा है। इस सीट के कुल 2 लाख 66 हजार वोटरों में से पंजाबी समुदाय के सबसे ज्यादा 64 हजार वोट हैं। सैनी समुदाय के यहां सिर्फ 5800 वोट हैं। इसके अलावा अगर कुल OBC वोटरों की बात करें तो करीब 35 हजार वोट है। चूंकि पिछली बार करनाल से मनोहर लाल खट्टर लड़े, वह पंजाबी समुदाय से थे। इसलिए उन्हें पंजाबी वोटरों का समर्थन मिला। सैनी OBC वर्ग से आते हैं। उनके समुदाय और OBC वर्ग की भी बहुत कम वोट हैं। ऐसे में उनको इसका नुकसान हो सकता है। वहीं अब पंजाबी वर्ग भी मुखर रूप से लगातार प्रतिनिधित्व की मांग कर रहा है। इसे भांपते हुए कुछ दिन पहले कांग्रेस भी करनाल में पंजाबी महासम्मेलन कर चुकी है। हुड्डा ने यहां तक वादा किया कि कांग्रेस सरकार बनी तो वह पंजाबी विस्थापित कल्याण बोर्ड बनाएंगे। इससे भी भाजपा को पंजाबी वोट खिसकने का डर है। 2. एंटी इनकंबेंसी का खतरा
करनाल 10 साल से सीएम सिटी है। सीएम का गृह क्षेत्र होने से भाजपा को फायदे की उम्मीद जरूर हो लेकिन इसको लेकर यहां एंटी इनकंबेंसी का खतरा भी ज्यादा है। सीएम सिटी की वजह से धरने-प्रदर्शन के अलावा लोगों की आम विधायक के तौर पर सीएम के साथ सीधी कनेक्टिविटी नहीं हो पाती। चूंकि खट्टर ने पहले ही सबको साध लिया था लेकिन सैनी के लिए अंत के कुछ महीनों में यह संभव नहीं हो रहा। इसकी वजह 3 महीने पहले लोकसभा चुनाव और अब विधानसभा चुनाव की वजह से पर्याप्त समय न मिल पाना है। 3. भीतरघात का खतरा, लोकल दावेदारों की बगावत
करनाल सीट पर सैनी को भीतरघात का भी खतरा बना हुआ है। सीएम के करीबी सूत्र बताते हैं कि यहां मनोहर लाल खट्टर के करीबी रही उनकी टीम अभी सीएम सैनी के साथ खुले दिल से नहीं चल रही। इतना अवश्य है कि खट्टर उन्हें मना लेंगे लेकिन चुनाव में वह कितने मन से मदद करेंगे, इसको लेकर सैनी के लिए रिस्क रहेगा। वहीं खट्टर के जाने के बाद लोकल नेताओं को उम्मीद थी कि अब उन्हें मौका मिलेगा लेकिन इस चुनाव में सैनी यहां से जीत गए तो फिर अगले 5 साल के लिए उनका रास्ता बंद हो जाएगा। ऐसे में उनके बगावत करने का खतरा बना रहेगा।