जींद जिले के उचाना क्षेत्र के एक गांव में 5 वर्षीय बच्ची के साथ गली के ही रहने वाले 11 वर्षीय किशोर ने छेड़छाड़ की। आरोपी बालक ने बच्ची के प्राइवेट पार्ट को दबाया। परिजनों की शिकायत पर उचाना थाना पुलिस ने पॉक्सो एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर इसकी जांच शुरू कर दी है। टॉफी दिलाने के बहाने ले गया था आरोपी पुलिस को दी शिकायत में उचाना सदर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले एक गांव की महिला ने बताया कि उसकी 5 वर्षीय बेटी गली में खेल रही थी। इस दौरान उनके घर के नजदीक ही रहने वाला किशोर आया और उसकी बेटी को टॉफी दिलवाने का झांसा देकर साथ ले जाने लगा। आरोपी ने बच्ची के प्राइवेट पार्ट को छुआ और उन्हें दबाने लगा। ऐसा करते हुए उसने देख लिया और बच्ची को आवाज लगाई तो वह वहां से भाग गया। क्षेत्र में बढ़ रही घटनाएं उचाना थाना पुलिस ने आरोपी किशोर के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। बता दें कि बाल यौन अपराध की घटनाएं बढ़ती जा रही है। कई माह पहले उचाना के एक सरकारी स्कूल में प्राचार्या द्वारा छात्राओं के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया था। एक दिन पहले ही क्षेत्र के एक प्राइवेट स्कूल के प्राचार्य ने चौथी कक्षा की 10 वर्षीय छात्रा के साथ रेप का मामला सामने आया था। प्राइवेट स्कूल प्राचार्य अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। जबकि सरकारी स्कूल का प्राचार्य सलाखों के पीछे है। जींद जिले के उचाना क्षेत्र के एक गांव में 5 वर्षीय बच्ची के साथ गली के ही रहने वाले 11 वर्षीय किशोर ने छेड़छाड़ की। आरोपी बालक ने बच्ची के प्राइवेट पार्ट को दबाया। परिजनों की शिकायत पर उचाना थाना पुलिस ने पॉक्सो एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर इसकी जांच शुरू कर दी है। टॉफी दिलाने के बहाने ले गया था आरोपी पुलिस को दी शिकायत में उचाना सदर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले एक गांव की महिला ने बताया कि उसकी 5 वर्षीय बेटी गली में खेल रही थी। इस दौरान उनके घर के नजदीक ही रहने वाला किशोर आया और उसकी बेटी को टॉफी दिलवाने का झांसा देकर साथ ले जाने लगा। आरोपी ने बच्ची के प्राइवेट पार्ट को छुआ और उन्हें दबाने लगा। ऐसा करते हुए उसने देख लिया और बच्ची को आवाज लगाई तो वह वहां से भाग गया। क्षेत्र में बढ़ रही घटनाएं उचाना थाना पुलिस ने आरोपी किशोर के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। बता दें कि बाल यौन अपराध की घटनाएं बढ़ती जा रही है। कई माह पहले उचाना के एक सरकारी स्कूल में प्राचार्या द्वारा छात्राओं के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया था। एक दिन पहले ही क्षेत्र के एक प्राइवेट स्कूल के प्राचार्य ने चौथी कक्षा की 10 वर्षीय छात्रा के साथ रेप का मामला सामने आया था। प्राइवेट स्कूल प्राचार्य अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। जबकि सरकारी स्कूल का प्राचार्य सलाखों के पीछे है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में शिवरात्रि पर कांवड़ियों के 2 गुट भिड़े:DJ बजाने को लेकर विवाद, जल चढ़ाते ही पत्थरबाजी, लाठी-डंडे चले, 6 लोग घायल; 2 गाड़ियां टूटीं
हरियाणा में शिवरात्रि पर कांवड़ियों के 2 गुट भिड़े:DJ बजाने को लेकर विवाद, जल चढ़ाते ही पत्थरबाजी, लाठी-डंडे चले, 6 लोग घायल; 2 गाड़ियां टूटीं हरियाणा के गुरुग्राम में शुक्रवार को शिवरात्रि के दिन डाक कांवड़ियों के 2 गुट आपस में भिड़ गए। लाठी-डंडे चले और पत्थरबाजी हुई, जिसमें करीब 6 लोग घायल हो गए। जिनमें 3 की हालत गंभीर है। विवाद डीजे को लेकर हुआ था। पहले तो मामला शांत हो गया। बाद में जल चढ़ाने के बाद दोनों गुट आमने-सामने हो गए। झगड़े में 2 गाड़ियों में तोड़फोड़ भी की गई। घटना की सूचना मिलते ही गुरुग्राम पुलिस मौके पर पहुंची। इसके बाद पूरे इलाके में फोर्स तैनात कर दी गई। घायलों का प्राइवेट अस्पताल में इलाज चल रहा है। विवाद का एक CCTV वीडियो भी सामने आया है। डीजे के कंपीटिशन पर शुरू हुआ विवाद सेक्टर 12 में प्रेम नगर के रहने वाले दीपक कुमार ने बताया कि विवाद 27 जुलाई से शुरू हुआ। एक उनकी डाक कांवड़ थी, जबकि इसके इलाके में राज सिनेमा के सामने से दूसरी डाक कांवड़ निकली थी। रात 11 बजे उनकी कांवड़ आगे थी। दूसरे गुट ने बाहर से डीजे बुला रखा था। उन्होंने कहा कि हमारे साथ कंपीटिशन करो। उन्होंने मना किया तो वहां कहासुनी हो गई। दूसरे पक्ष ने कहा कि आप जल लेकर आइए फिर यहां लड़ाई करेंगे। घर जाकर युवक के साथ मारपीट की दीपक ने आरोप लगाया कि शिवरात्रि की सुबह वह जल चढ़ाने के लिए जा रहे थे। सामने से दूसरा गुट भी आ गया। उनके हाथ में डंडे और तलवार थीं। उन्होंने कहा कि हम जल चढ़ाकर आ रहे हैं, आप अपने मोहल्ले में जल चढ़ाकर आ जाओ। इसके बाद दूसरे गुट ने उनके साथी से घर जाकर मारपीट की। रास्ते में जो भी मिला उसके साथ मारपीट की। मामा का लड़का रोहताश स्कॉर्पियो लेकर जा रहा था, उसके साथ मारपीट करते हुए गाड़ी के शीशे तोड़ दिए। हमारे परिवार के 6 लोग घायल हुए हैं। वे करीब 250 लोग थे। उन्होंने महिलाओं से भी मारपीट की। ACP बोले- जल चढ़ाने के बाद हुआ विवाद ACP सुरेंद्र सिंह ने बताया कि दोनों पार्टियां जल चढ़ा चुकी थीं। बाद में एक पार्टी ने अटैक कर दिया। अभी किस बात को लेकर अटैक किया, इसके लिए बयान दर्ज किए जाएंगे। जिन पर हमला करने का आरोप हैं, वह सामने ही रहते हैं। घायलों को अस्पताल ले जाया गया है। एक स्कॉर्पियो और टाटा 407 में तोड़फोड़ की गई। बयान दर्ज करने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। ये खबर भी पढ़ें :- झज्जर में कांवड़ियों की गाड़ी डिवाइडर से टकराकर पलटी, एक की मौत, 4 घायल हरियाणा में झज्जर के भापडोदा गांव के पास डाक कांवड़ की पिकअप गाड़ी अचानक डिवाइडर से टकरा गई। इस सड़क हादसे में 4-5 कांवड़िए घायल हो गए। उनको इलाज के लिए झज्जर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां पर एक कांवड़िए की मौत हुई है। सूचना मिलते ही पुलिस टीम की मौके पर पहुंची और मृतक के शव अपने कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए झज्जर के नागरिक अस्पताल में भिजवाया गया। पूरी खबर पढ़ें…
बीरेंद्र सिंह के गढ़ में दुष्यंत चौटाला का पत्ता साफ:भाजपा को भी हार मिली, पूर्व मंत्री की विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी
बीरेंद्र सिंह के गढ़ में दुष्यंत चौटाला का पत्ता साफ:भाजपा को भी हार मिली, पूर्व मंत्री की विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट के तहत आते उचाना कलां में कांग्रेस की जीत से चौधरी बीरेंद्र सिंह का कद कांग्रेस में बढ़ा है। उचाना में कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी की अच्छे वोटों से लीड मिली। जिसके कारण वह हिसार से जीतने में कामयाब हो सके। उचाना कलां से जयप्रकाश को 82204 वोट मिले, जबकि रणजीत चौटाला को 44885 वोट ही मिल पाए। जयप्रकाश को यहां से 37,309 वोट की लीड मिली। वहीं उचाना के विधायक पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला को यहां से मात्र 4210 वोट मिले। उचाना की जनता ने एक तरफा होकर कांग्रेस के पक्ष में वोट डाले। बीरेंद्र सिंह और उनका परिवार इस चुनाव से पहले भाजपा में था, लेकिन चुनाव से ठीक पहले पाला बदल लिया। बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह हिसार लोकसभा सीट से 2019 में भाजपा के टिकट पर सांसद बने थे। बृजेंद्र सिंह कांग्रेस में जाने के बाद हिसार से लोकसभा से टिकट मांग रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने जयप्रकाश को उम्मीदवार बनाया। इस बात से बीरेंद्र सिंह, भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनकी करीबी जयप्रकाश से खफा थे। कांग्रेस के पक्ष में मतदान करवाया
उचाना में चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस कैंडिडेट जयप्रकाश के लिए प्रचार नहीं किया। मगर अपने कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के ही पक्ष में मतदान करने की अपील की। जयप्रकाश से नाराजगी के बावजूद बीरेंद्र ने अपने समर्थकों से कांग्रेस के पक्ष में मतदान करवाया। इसका फायदा आगामी विधानसभा में बीरेंद्र सिंह को मिलेगा। इसका कारण यह है कि जजपा अब पूरी तरह से कमजोर हो चुकी है और भाजपा के पास कोई स्थानीय चेहरा उचाना कलां में नहीं है। बीरेंद्र सिंह अपने बेटे बृजेंद्र सिंह को विधानसभा का टिकट देकर अपनी हरियाणा में भविष्य की राजनीति में अपने पांव जमाना चाह रहे हैं। 2009 से 2014 तक रहा इनेलो का वर्चस्व
वर्ष 2009 से 2014 तक लोकसभा चुनावों में यहां इनेलो का वर्चस्व रहा। 2009 में इनेलो के संपत सिंह को 47 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। इसके बाद 2014 में हिसार से इनेलो कैंडिडेट रहे दुष्यंत चौटाला को 87,243 वोट मिले थे। उस दौरान कांग्रेस, हजकां, बसपा समेत सभी उम्मीदवारों को मिले कुल वोटों की संख्या भी दुष्यंत के वोटों से कम थी। कुल मतदान के 57 प्रतिशत वोट दुष्यंत को मिले थे। मगर दुष्यंत द्वारा भाजपा सरकार को समर्थन के बाद से ही उनकी पकड़ हलके में कमजोर होती गई। वहीं बाकी कसर किसान आंदोलन और सत्ता विरोधी लहर ने पूरी कर दी। जानिए, इस चुनाव में उचाना में कैसे हुआ उलटफेर 1. नैना चौटाला को 77 बूथों पर मिले 10 से कम वोट
हिसार संसदीय क्षेत्र के उचाना विधानसभा क्षेत्र को पहले इनेलो, उसके बाद बीरेंद्र सिंह और अब तक दुष्यंत चौटाला का गढ़ माना जा रहा था, लेकिन अब दुष्यंत के इस गढ़ में जयप्रकाश उर्फ जेपी ने सेंधमारी कर डाली है। वर्तमान में विधायक दुष्यंत चौटाला की पार्टी से प्रत्याशी उनकी मां नैना चौटाला को 77 बूथों पर तो 10 वोट भी नहीं मिल पाए हैं। बूथ नंबर 83 और 181 पर तो जजपा का खाता भी नहीं खुला। 102 नंबर बूथ पर केवल एक वोट आया। विधानसभा के 66 गांवों में से 59 गांवों में जयप्रकाश और छह गांवों में रणजीत सिंह को बढ़त मिली। वहीं डूमरखां कलां में दोनों कैंडिडेट बराबरी पर रहे। हलके के गांव खांडा के बूथ नंबर 192 और 194 को छोड़ दें तो बाकी किसी भी बूथ पर जेपी के वोटों की संख्या 100 से नीचे नहीं आई। 2. खांडा समेत छह गांवों में ही रणजीत को मिली लीड, 59 में जेपी आगे
भाजपा उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला को हलके के केवल छह गांवों खांडा, बिघाना, भगवानपुरा, उचाना मंडी, कसूहन और जीवनपुर में ही लीड मिली। बाकी 59 गांवों में जेपी को ज्यादा वोट मिले। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के गांव डूमरखां कलां में मुकाबला बराबरी पर रहा। जयप्रकाश की सबसे बड़ी जीत छात्तर गांव में 2700 से अधिक मतों से रही तो रणजीत चौटाला की सबसे अधिक जीत खांडा गांव में 1061 मतों की रही। 3. दुष्यंत चौटाला के लिए वोट रिकवरी बनेगी चुनौती
वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में दुष्यंत सिंह चौटाला ने 47 हजार वोटों की रिकॉर्ड जीत प्राप्त की थी। विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला को 92 हजार वोट मिले थे। अब आगामी विधानसभा चुनावों में वोटों की रिकवरी करना दुष्यंत चौटाला के लिए बड़ी चुनौती रहेगी। क्योंकि इस बार भी दुष्यंत चौटाला का सामना बीरेंद्र सिंह के परिवार से ही होगा। अगर बीरेंद्र परिवार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ता है तो फिर उनका खुद का वोट बैंक के अलावा कांग्रेस से जुड़े वोटों का साथ रहेगा। हालांकि जयप्रकाश उर्फ जेपी के समर्थन में बीरेंद्र सिंह खुलकर नहीं आए थे, इसके बावजूद जेपी को क्षेत्र के हर गांव से अच्छे मत मिले।
बेटे की हार पर फूटा पूर्व कांग्रेस मंत्री का गुस्सा:अजय बोले-हमने अपने दम पर प्रचारक बुलाए, मैं फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को सब बताऊंगा
बेटे की हार पर फूटा पूर्व कांग्रेस मंत्री का गुस्सा:अजय बोले-हमने अपने दम पर प्रचारक बुलाए, मैं फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को सब बताऊंगा हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में घमासान मच गया है। कांग्रेस OBC सेल के राष्ट्रीय चेयरमैन और पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय यादव लगातार पार्टी नेताओं पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा- फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को आने दीजिए। हम जरूर बताएंगे कि चुनाव में क्या-क्या हुआ। कैप्टन ने विधानसभा चुनाव में मिली हार के कई अलग-अलग कारण गिनाएं। इनमें EVM, फिरोजपुर-झिरका सीट से चुनाव जीते नूंह हिंसा के आरोपी मामन खान के अलावा सीनियर नेताओं द्वारा खुद को दरकिनार करने जैसे कारण गिनाएं। दरअसल, कैप्टन अजय यादव के बेटे और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद चिरंजीव राव रेवाड़ी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे। उन्हें बीजेपी प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव ने 28 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया। बेटे की हार के बाद कैप्टन अजय यादव का गुस्सा लगातार सीनियर नेताओं पर फूट रहा है। कैप्टन में कहीं 5 बड़ी बातें 1. कैंपेन कमेटी ने हमसे संपर्क नहीं किया
कैप्टन अजय यादव ने कहा कि हम लोगों से पूरे चुनाव में कैंपेन कमेटी के किसी भी सदस्य ने संपर्क नहीं किया। किस तरीके से रणनीति बनाना है, किस तरह से लोगों के बीच पहुंचना है। हमें कुछ नहीं बताया गया। हमने तो अपने दम पर अपने हिसाब से प्रचार करने के लिए लोगों को अपने क्षेत्र में बुलाया। 2. सीएम कौन, इसमें व्यस्त रहे नेता
हमारे नेता सीएम कौन, सीएम कौन में व्यस्त थे। पीसीसी प्रेसिडेंट खुद चुनाव लड़ रहे थे। प्रभारी बीमार हो गए थे। प्रभारी अगर बीमार थे तो उनको अपनी जगह सीनियर्स को कह कर किसी और को प्रभारी बनवाना चाहिए था। ताकि वह चुनावों के ठीक पहले तमाम जरूरत को पूरा कर पाते। हमारी बात सुनने के लिए कोई फ्रंट फुट पर उपलब्ध नहीं था। 3. मुख्यमंत्री का फैसला विधायक दल की बैठक में होता है
जब चुनाव होते हैं तो सबसे बड़ा लक्ष्य जीतने का होता है। उस वक्त मुख्यमंत्री बनने की बातें मीडिया में आती हैं तो वह पार्टी के लिए कोई अच्छे संकेत नही हैं। पहले बहुमत तो आने दीजिए। उसके बाद ही आप क्लेम करें। कौन मुख्यमंत्री होगा। इसका फैसला विधायक दल की बैठक में होता है। इसके बाद हाईकमान जिसे चाहे उसका नाम मुख्यमंत्री के लिए मनोनीत कर सकता है 4. मामन खान के बयान का असर पड़ा
मामन खान ने जो बयान दिया वो दुर्भाग्यपूर्ण था। उन्हें जनता से इस बात को लेकर माफी मांगनी चाहिए। उनकी जीत में कोई शंका नहीं थी, लेकिन उनके बयान का असर बाकी जगह पड़ा। ये बात मैं पहले भी कह सकता था, लेकिन चुनाव के बीच इस तरह की बात कहना मैंने ठीक नहीं समझा। 5. संगठन में बदलाव की जरूरत
संगठन में आज बदलाव की जरूरत है। आज तक हमारे जिला अध्यक्ष नहीं बन पाए ना ही ब्लॉक अध्यक्ष बन पाए। ये आत्मचिंतन की बात है। इस चुनाव में हमारी सबसे बड़ी कमजोरी हमारा संगठन नहीं होना ही था। कैप्टन खुद और बेटे चिरंजीव रह चुके विधायक
बता दें कि रेवाड़ी विधानसभा सीट से कैप्टन अजय यादव लगातार 6 बार चुनाव जीते। कैप्टन ने 1991 में हुए उप चुनाव में पहली बार जीत दर्ज की थी। इसके बाद वह इस सीट पर 2014 तक विधायक रहे। हालांकि 2014 के चुनाव में हार के बाद कैप्टन अजय यादव ने 2019 में अपने बेटे चिरंजीव राव को चुनाव लड़ाया। उस चुनाव में चिरंजीव राव ने जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार चिरंजीव राव चुनाव हार गए।