जो मेरा था, वो मुझसे कोई छीन नहीं सका:सबसे बड़े संकट से बाहर आए बृजभूषण अब क्या करेंगे, क्या बीजेपी से अलग राह चुनेंगे

जो मेरा था, वो मुझसे कोई छीन नहीं सका:सबसे बड़े संकट से बाहर आए बृजभूषण अब क्या करेंगे, क्या बीजेपी से अलग राह चुनेंगे

भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह को नाबालिग पहलवान के यौन उत्पीड़न मामले में बरी कर दिया गया। यह फैसला दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 26 मई को पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज में दिया। बृजभूषण के खिलाफ दर्ज 5 महिला पहलवानों का प्रकरण अभी लंबित है। पॉस्को एक्ट में बरी होने के बाद बृजभूषण का अयोध्या और नंदिनी नगर में उनके समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया। महिला पहलवानों के आरोपों के चलते उन्हें भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था। वहीं, लोकसभा 2024 में टिकट से भी वंचित होना पड़ा। कभी रॉबिनहुड की छवि लिए राजनीति में उतरे बृजभूषण के जीवन में ये दूसरी बार है, जब उन्हें टिकट नहीं मिला। इससे पहले 1996 में टाडा के तहत जेल में बंद होने पर वे चुनाव नहीं लड़ पाए थे। इस बार संडे बिग स्टोरी में पढ़िए, पॉस्को केस में बरी होने के बाद क्या बृजभूषण फिर राजनीति में सक्रिय होंगे या फिर किंग मेकर की भूमिका निभाएंगे? बृजभूषण सिंह की बाहुबली वाली छवि का उन्हें कितना नुकसान या फायदा मिलता है? बीजेपी से अलग भी क्या कोई राह चुन सकते हैं? पहले जानते हैं बृजभूषण के खिलाफ केस के बारे में
जनवरी, 2023 में भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए महिला पहलवानों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन शुरू किया। इनमें विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया जैसे पहलवान शामिल थे। तभी ये मामला देशभर में गूंज उठा। महिला पहलवानों ने आरोप लगाया कि वे दिल्ली पुलिस से कई बार शिकायत करने गईं, लेकिन FIR दर्ज नहीं हुई। एक नाबालिग पहलवान के पिता ने भी उन पर इसी तरह के आरोप लगाकर सनसनी फैला दी। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। तब जाकर दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि FIR दर्ज कर रही है। आरोपों के चलते बृजभूषण को भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा तक देना पड़ा। अप्रैल, 2023 में बृजभूषण के खिलाफ दो FIR दिल्ली के कनाट प्लेस थाने में दर्ज हुईं। पहली भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 354 (महिला की लज्जा भंग करना) और 354A (यौन उत्पीड़न) के तहत दर्ज हुई। दूसरी एफआईआर पॉक्सो एक्ट में दर्ज हुई। पॉक्सो केस में एक नाबालिग पहलवान के पिता ने आरोप लगाए थे कि बृजभूषण ने उनकी बेटी का यौन उत्पीड़न किया है। इस मामले में भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व सचिव विनोद तोमर पर भी मुकदमा दर्ज हुआ। उनके खिलाफ क्रिमिनल इंटिमिडेशन (आपराधिक धमकी) की धाराएं लगाई गईं। क्या बृजभूषण फिर राजनीति में सक्रिय होंगे या किंगमेकर बने रहेंगे?
बृजभूषण के छात्र राजनीति से लेकर अब तक के सफर पर बारीक नजर रखने वाले अयोध्या के वरिष्ठ पत्रकार त्रियुगी नारायण तिवारी के मुताबिक, राजनीति में बने रहने के लिए कोई चुनाव से खुद को दूर नहीं रख सकता। पॉस्को केस में बरी होने के बाद जिस तरीके से उनके समर्थकों में उत्साह है और अयोध्या में उनका स्वागत हुआ। वो अपने आप में बयां कर रहा है कि वे सक्रिय राजनीति में लौटेंगे। जो लोग सोच रहे हैं कि वे संन्यास लेकर किंगमेकर की भूमिका चुनेंगे, वो गलत हैं। जो आदमी 2-2 हेलिकॉप्टर लेकर पूरे देवी पाटन मंडल और अयोध्या मंडल में दौरा कर वर्चस्व स्थापित करने में जुटा हो, वो राजनीति से खुद को दूर नहीं रख सकता। पिछली बार भी वे अयोध्या से टिकट चाह रहे थे, लेकिन महिला पहलवानों के विवाद के चलते ये हसरत पूरी नहीं हो पाई। त्रियुगी नारायण आगे कहते हैं- जहां तक मैं बृजभूषण सिंह की राजनीति को समझता हूं, वो गोंडा से बच्चों को एमपी-एमएलए का चुनाव लड़ाएंगे। खुद अयोध्या से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। अयोध्या की हनुमानगढ़ी उनका कुल घराना है। आज की तारीख में वे अयोध्या के किसी न किसी मंदिर में कोई न कोई प्रोग्राम में रोज शामिल हो रहे हैं। इतना किसी दूसरे नेता को बुलाया भी नहीं जा रहा। नए साधुओं में भी काफी लोकप्रिय हैं। लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश वाजपेयी की राय इससे जुदा है। उनका साफ मानना है कि बृजभूषण शरण सिंह की उम्र 68 साल की हो चुकी है। एक बेटा विधायक और दूसरा सांसद है। कोई पिता अपने बच्चों की कीमत पर इस उम्र में क्यों राजनीति में फिर सक्रिय होगा? जहां तक अयोध्या में सक्रियता की बात है, तो उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति का ककहरा अयोध्या में ही सीखा है। साकेत में महामंत्री से उनका चुनावी सफर शुरू हुआ था। राम मंदिर आंदोलन में वे सक्रियता से शामिल रहे। अयोध्या उनकी कर्मभूमि रही है। पिछली बार भी वे अयोध्या से चुनाव लड़ना चाहते हैं। बाहुबली छवि का उन्हें कितना नुकसान या फायदा
वरिष्ठ पत्रकार त्रियुगी नारायण तिवारी कहते हैं- गोंडा जिले में एक कांग्रेसी नेता हुए चंद्रभान शरण सिंह। उन्हीं के परिवार में 1957 में बृजभूषण शरण सिंह का जन्म हुआ। कॉलेज के दिनों से ही बृजभूषण छात्र राजनीति में सक्रिय थे। सत्तर के दशक में केएस साकेत महाविद्यालय, अयोध्या में महामंत्री बने। छात्र राजनीति के दौरान ही कॉलेज के किसी मामले में उन्होंने हैंडग्रेनेड चला दिया था। इसके बाद उनका नाम उछला और फिर राजनीति में सक्रिय होते गए। 1987 की बात है। जिले के गन्ना डायरेक्टरी के चुनाव में बृजभूषण ने भी पर्चा भर दिया। बृजभूषण को SP ने बुलाया और उन्हें गाली देते हुए नामांकन वापस लेने की धमकी दी। बृजभूषण खुद एक इंटरव्यू में बताते हैं- मैंने SP पर पिस्टल तान दी और उसे 200 गालियां दीं। स्थानीय पत्रकार हनुमान सिंह सुधाकर वहीं थे। इसके बाद मैंने अपनी बाइक उठाई और वहां से निकल गया। बृजभूषण सिंह को उनकी इसी बाहुबली छवि का फायदा उन्हें अब तक मिल रहा है। पहला लोकसभा चुनाव रॉबिनहुड की छवि के साथ लड़ा था, जो अब तक जारी है। आज की तारीख में वे देवीपाटन मंडल के अकेले नेता स्थापित है। अब वे पूरे अवध में अपना वर्चस्व स्थापित करने में जुटे हैं। अम्बेडकर नगर, अयोध्या में कोई भी निमंत्रित करता है, तो वे पहुंच जाते हैं। उनके वर्चस्व को नकारा भी नहीं जा सकता। उनको 2 घंटे का मौका दीजिए, उनके लिए अवध क्षेत्र में किसी भी हिस्से में सैकड़ों गाड़ियों और हजारों आदमियों का काफिला तैयार मिलेगा। उनका पूरा मैनेजमेंट है। 50 से 55 स्कूल-कॉलेज चलते हैं। छोटे से बड़ी कोई भी ठेकेदारी हो, इनके आदमी ही करते हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर ब्लॉक प्रमुख पदों पर उनके ही लोग बैठे हैं। उन पर कोई भी आरोप लगता रहे, अवध क्षेत्र में उनके समर्थक उसे मानने को तैयार नहीं। उनका एक ही जवाब होता है कि नेताजी को फंसाया गया है। वे 1996 का एक वाकया सुनाते हैं। तब बृजभूषण टाडा केस में बंद थे। उनकी जगह भाजपा ने उनकी पत्नी केतकी सिंह को टिकट दिया था। उनकी लोकसभा में ब्राह्मण वोटर अधिक हैं। मैं ऐसे ही एक ब्राह्मण बहुल गांव में कवरेज के लिए रुका था। उस गांव की महिलाओं और पुरुषों में बृजभूषण को लेकर जो दीवानगी देखी, वो चौंकाने वाली थी। उनकी पत्नी का वहां अभूतपूर्व स्वागत हुआ था। महिलाएं कहती दिखीं कि नेताजी को फंसा दिया गया है। आज भी वे किसी भी गांव में जाते हैं तो ब्राह्मण कैसी भी हालत में हो, वो पैर छूना नहीं भूलते। आज भी वे किसी से अपने ड्राइंग रूम में नहीं मिलते। खुद कहते हैं कि मेरे से मिलने आने वाला कोई व्यक्ति चप्पल न उतार कर आए। इसीलिए उन्होंने घर के बाहर छप्पर डलवा रखा है। वहीं पर लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनते हैं। बीजेपी से अलग भी क्या कोई राह चुन सकते हैं? बृजभूषण के राजनीतिक जीवन का सबसे अधिक वक्त बीजेपी में ही गुजरा है। लेकिन, 2008 में वे बीजेपी के शीर्ष नेताओं से मतभेदों के बाद अलग राह पकड़ ली। 2009 में वह सपा के टिकट पर सांसद चुने गए। हालांकि, 2014 से पहले ही भाजपा में वापस आ गए। तब से भाजपा में ही हैं। उनकी राजनीतिक शुरुआत भी भाजपा से ही हुई थी। राम मंदिर आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश वाजपेयी के मुताबिक, बृजभूषण ने खुद ही घोषणा की थी कि प्रतीक और करण ही अब आगे की जिम्मेदारी का निर्वाह करेंगे। भाजपा से अलग कोई फैसला कर पाएंगे, ये मुश्किल है। जिस तरीके से दोनों बेटे भाजपा में प्रतिष्ठित हो चुके हैं, वे कोई पंगा नहीं करेंगे, जिससे उनके बच्चों का भविष्य दांव पर लगे। खुद बृजभूषण सिंह सार्वजनिक तौर पर बोल चुके हैं- मैं हारा हुआ खिलाड़ी नहीं हूं। मेरा कुछ नहीं छिना, बहुत कुछ मिला है। आज अगर यहां से कोई सांसद बना तो कौन बना, मेरा बेटा बना। कुश्ती संघ का अघ्यक्ष कौन बना, मेरे छोटे भाई जैसा संजय सिंह बना, जिससे मेरे 40 साल से रिश्ता है।” मतलब साफ है कि कोई पिता अपने लड़के का भविष्य क्यों खराब करेगा। मुझे लगता है कि 68 की उम्र में पहुंच चुके बृजभूषण सिंह अब किंग मेकर की भूमिका में रहेंगे। जहां तक चुनाव लड़ने या न लड़ने का सवाल है, तो ये सब कुछ पार्टी के निर्णय पर निर्भर करेगा। वे अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए दावा भी कर सकते हैं, लेकिन शीर्ष नेतृत्व के निर्णय को मानेंगे ये तय है। वैसे भी भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पहले ही परिवारवाद की व्याख्या कर चुका है। उसके मुताबिक यदि किसी परिवार में कोई तीन या चार लोग चुनाव लड़ने और जीतने की क्षमता रखते हैं, तो वो परिवारवाद नहीं है। वैसे भी चुनाव में पार्टियां जीतने वाले प्रत्याशी पर दांव लगाती हैं। यदि उसे लगेगा कि अयोध्या जैसी प्रतिष्ठित सीट के लिए बृजभूषण मुफीद हैं, तो बेटे के साथ उन्हें भी टिकट मिल जाएगा। पॉक्सो एक्ट से बरी होने के बाद क्या होगी आगे की राह
बृजभूषण शरण सिंह के बारे में उनके विरोधी भी मानते हैं कि वे अपने विरोधियों को कभी माफ नहीं करते। महिला पहलवानों की शिकायत पर दर्ज कार्रवाई का सामना कर रहे खुद बृजभूषण सिंह का दावा है कि इस पूरे षड्यंत्र के पीछे भूपेंद्र हुड्‌डा थे। उन्होंने कहा था- मैंने हमेशा कहा कि मेरे खिलाफ साजिश रची गई थी। और अब कोर्ट ने मेरी बात को सही ठहराया। मैंने पहले दिन ही कहा था यदि आरोप सिद्ध हो गए तो वे स्वयं को फांसी लगा लेंगे। उन्होंने यौन उत्पीड़न और अन्य कानूनों के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि महिलाओं, दलितों और दहेज उत्पीड़न पीड़ितों की रक्षा के लिए बनाए गए कानूनों के कार्यान्वयन की समीक्षा की जानी चाहिए। बृजभूषण कहते हैं कि मैं कानूनों को खत्म करने की बात नहीं कर रहा। लेकिन, इनका दुरुपयोग रोकने के लिए उपाय किए जाने चाहिए। अब पढ़िए पॉस्को से बरी होने पर विनेश फोगाट का तंज
पॉस्को केस से बृजभूषण शरण सिंह के बरी होने पर भारतीय की पूर्व महिला पहलवान और कांग्रेस नेता विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया पर तंज कसा। लिखा- लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार भी तुम्हारा है। तुम झूठ को सच लिख दो, अखबार भी तुम्हारा है! हम इसकी शिकायत करते तो कहां करते, सरकार तुम्हारी है, गवर्नर भी तुम्हारा है!! विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक बृजभूषण के खिलाफ मोर्चा संभालने वालों में फ्रंट लाइनर थे। विनेश ने पेरिस ओलिंपिक में फाइनल के लिए क्वालीफाई किया, लेकिन तय वजन से अधिक पाई जाने के बाद डिसक्वालिफाई कर दिया गया था। विनेश अभी हरियाणा से कांग्रेस की विधायक चुनी जा चुकी हैं। ———————– ये खबर भी पढ़ें… यूपी के नए डीजीपी बने राजीव कृष्ण, बेदाग पुलिस भर्ती परीक्षा कराई थी; प्रशांत कुमार को नहीं मिला एक्सटेंशन यूपी के DGP का ऐलान हो गया है। राजीव कृष्ण नए DGP बनाए गए हैं। इन्हें भी कार्यवाहक DGP बनाया गया है। ये लगातार 5वें कार्यवाहक DGP हैं। अभी तक प्रशांत कुमार कार्यवाहक DGP थे, जो आज रिटायर हो गए। राजीव कृष्ण की गिनती तेज-तर्रार अफसरों में होती है। पढ़ें पूरी खबर भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह को नाबालिग पहलवान के यौन उत्पीड़न मामले में बरी कर दिया गया। यह फैसला दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 26 मई को पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज में दिया। बृजभूषण के खिलाफ दर्ज 5 महिला पहलवानों का प्रकरण अभी लंबित है। पॉस्को एक्ट में बरी होने के बाद बृजभूषण का अयोध्या और नंदिनी नगर में उनके समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया। महिला पहलवानों के आरोपों के चलते उन्हें भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था। वहीं, लोकसभा 2024 में टिकट से भी वंचित होना पड़ा। कभी रॉबिनहुड की छवि लिए राजनीति में उतरे बृजभूषण के जीवन में ये दूसरी बार है, जब उन्हें टिकट नहीं मिला। इससे पहले 1996 में टाडा के तहत जेल में बंद होने पर वे चुनाव नहीं लड़ पाए थे। इस बार संडे बिग स्टोरी में पढ़िए, पॉस्को केस में बरी होने के बाद क्या बृजभूषण फिर राजनीति में सक्रिय होंगे या फिर किंग मेकर की भूमिका निभाएंगे? बृजभूषण सिंह की बाहुबली वाली छवि का उन्हें कितना नुकसान या फायदा मिलता है? बीजेपी से अलग भी क्या कोई राह चुन सकते हैं? पहले जानते हैं बृजभूषण के खिलाफ केस के बारे में
जनवरी, 2023 में भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए महिला पहलवानों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन शुरू किया। इनमें विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया जैसे पहलवान शामिल थे। तभी ये मामला देशभर में गूंज उठा। महिला पहलवानों ने आरोप लगाया कि वे दिल्ली पुलिस से कई बार शिकायत करने गईं, लेकिन FIR दर्ज नहीं हुई। एक नाबालिग पहलवान के पिता ने भी उन पर इसी तरह के आरोप लगाकर सनसनी फैला दी। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। तब जाकर दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि FIR दर्ज कर रही है। आरोपों के चलते बृजभूषण को भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा तक देना पड़ा। अप्रैल, 2023 में बृजभूषण के खिलाफ दो FIR दिल्ली के कनाट प्लेस थाने में दर्ज हुईं। पहली भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 354 (महिला की लज्जा भंग करना) और 354A (यौन उत्पीड़न) के तहत दर्ज हुई। दूसरी एफआईआर पॉक्सो एक्ट में दर्ज हुई। पॉक्सो केस में एक नाबालिग पहलवान के पिता ने आरोप लगाए थे कि बृजभूषण ने उनकी बेटी का यौन उत्पीड़न किया है। इस मामले में भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व सचिव विनोद तोमर पर भी मुकदमा दर्ज हुआ। उनके खिलाफ क्रिमिनल इंटिमिडेशन (आपराधिक धमकी) की धाराएं लगाई गईं। क्या बृजभूषण फिर राजनीति में सक्रिय होंगे या किंगमेकर बने रहेंगे?
बृजभूषण के छात्र राजनीति से लेकर अब तक के सफर पर बारीक नजर रखने वाले अयोध्या के वरिष्ठ पत्रकार त्रियुगी नारायण तिवारी के मुताबिक, राजनीति में बने रहने के लिए कोई चुनाव से खुद को दूर नहीं रख सकता। पॉस्को केस में बरी होने के बाद जिस तरीके से उनके समर्थकों में उत्साह है और अयोध्या में उनका स्वागत हुआ। वो अपने आप में बयां कर रहा है कि वे सक्रिय राजनीति में लौटेंगे। जो लोग सोच रहे हैं कि वे संन्यास लेकर किंगमेकर की भूमिका चुनेंगे, वो गलत हैं। जो आदमी 2-2 हेलिकॉप्टर लेकर पूरे देवी पाटन मंडल और अयोध्या मंडल में दौरा कर वर्चस्व स्थापित करने में जुटा हो, वो राजनीति से खुद को दूर नहीं रख सकता। पिछली बार भी वे अयोध्या से टिकट चाह रहे थे, लेकिन महिला पहलवानों के विवाद के चलते ये हसरत पूरी नहीं हो पाई। त्रियुगी नारायण आगे कहते हैं- जहां तक मैं बृजभूषण सिंह की राजनीति को समझता हूं, वो गोंडा से बच्चों को एमपी-एमएलए का चुनाव लड़ाएंगे। खुद अयोध्या से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। अयोध्या की हनुमानगढ़ी उनका कुल घराना है। आज की तारीख में वे अयोध्या के किसी न किसी मंदिर में कोई न कोई प्रोग्राम में रोज शामिल हो रहे हैं। इतना किसी दूसरे नेता को बुलाया भी नहीं जा रहा। नए साधुओं में भी काफी लोकप्रिय हैं। लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश वाजपेयी की राय इससे जुदा है। उनका साफ मानना है कि बृजभूषण शरण सिंह की उम्र 68 साल की हो चुकी है। एक बेटा विधायक और दूसरा सांसद है। कोई पिता अपने बच्चों की कीमत पर इस उम्र में क्यों राजनीति में फिर सक्रिय होगा? जहां तक अयोध्या में सक्रियता की बात है, तो उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति का ककहरा अयोध्या में ही सीखा है। साकेत में महामंत्री से उनका चुनावी सफर शुरू हुआ था। राम मंदिर आंदोलन में वे सक्रियता से शामिल रहे। अयोध्या उनकी कर्मभूमि रही है। पिछली बार भी वे अयोध्या से चुनाव लड़ना चाहते हैं। बाहुबली छवि का उन्हें कितना नुकसान या फायदा
वरिष्ठ पत्रकार त्रियुगी नारायण तिवारी कहते हैं- गोंडा जिले में एक कांग्रेसी नेता हुए चंद्रभान शरण सिंह। उन्हीं के परिवार में 1957 में बृजभूषण शरण सिंह का जन्म हुआ। कॉलेज के दिनों से ही बृजभूषण छात्र राजनीति में सक्रिय थे। सत्तर के दशक में केएस साकेत महाविद्यालय, अयोध्या में महामंत्री बने। छात्र राजनीति के दौरान ही कॉलेज के किसी मामले में उन्होंने हैंडग्रेनेड चला दिया था। इसके बाद उनका नाम उछला और फिर राजनीति में सक्रिय होते गए। 1987 की बात है। जिले के गन्ना डायरेक्टरी के चुनाव में बृजभूषण ने भी पर्चा भर दिया। बृजभूषण को SP ने बुलाया और उन्हें गाली देते हुए नामांकन वापस लेने की धमकी दी। बृजभूषण खुद एक इंटरव्यू में बताते हैं- मैंने SP पर पिस्टल तान दी और उसे 200 गालियां दीं। स्थानीय पत्रकार हनुमान सिंह सुधाकर वहीं थे। इसके बाद मैंने अपनी बाइक उठाई और वहां से निकल गया। बृजभूषण सिंह को उनकी इसी बाहुबली छवि का फायदा उन्हें अब तक मिल रहा है। पहला लोकसभा चुनाव रॉबिनहुड की छवि के साथ लड़ा था, जो अब तक जारी है। आज की तारीख में वे देवीपाटन मंडल के अकेले नेता स्थापित है। अब वे पूरे अवध में अपना वर्चस्व स्थापित करने में जुटे हैं। अम्बेडकर नगर, अयोध्या में कोई भी निमंत्रित करता है, तो वे पहुंच जाते हैं। उनके वर्चस्व को नकारा भी नहीं जा सकता। उनको 2 घंटे का मौका दीजिए, उनके लिए अवध क्षेत्र में किसी भी हिस्से में सैकड़ों गाड़ियों और हजारों आदमियों का काफिला तैयार मिलेगा। उनका पूरा मैनेजमेंट है। 50 से 55 स्कूल-कॉलेज चलते हैं। छोटे से बड़ी कोई भी ठेकेदारी हो, इनके आदमी ही करते हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर ब्लॉक प्रमुख पदों पर उनके ही लोग बैठे हैं। उन पर कोई भी आरोप लगता रहे, अवध क्षेत्र में उनके समर्थक उसे मानने को तैयार नहीं। उनका एक ही जवाब होता है कि नेताजी को फंसाया गया है। वे 1996 का एक वाकया सुनाते हैं। तब बृजभूषण टाडा केस में बंद थे। उनकी जगह भाजपा ने उनकी पत्नी केतकी सिंह को टिकट दिया था। उनकी लोकसभा में ब्राह्मण वोटर अधिक हैं। मैं ऐसे ही एक ब्राह्मण बहुल गांव में कवरेज के लिए रुका था। उस गांव की महिलाओं और पुरुषों में बृजभूषण को लेकर जो दीवानगी देखी, वो चौंकाने वाली थी। उनकी पत्नी का वहां अभूतपूर्व स्वागत हुआ था। महिलाएं कहती दिखीं कि नेताजी को फंसा दिया गया है। आज भी वे किसी भी गांव में जाते हैं तो ब्राह्मण कैसी भी हालत में हो, वो पैर छूना नहीं भूलते। आज भी वे किसी से अपने ड्राइंग रूम में नहीं मिलते। खुद कहते हैं कि मेरे से मिलने आने वाला कोई व्यक्ति चप्पल न उतार कर आए। इसीलिए उन्होंने घर के बाहर छप्पर डलवा रखा है। वहीं पर लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनते हैं। बीजेपी से अलग भी क्या कोई राह चुन सकते हैं? बृजभूषण के राजनीतिक जीवन का सबसे अधिक वक्त बीजेपी में ही गुजरा है। लेकिन, 2008 में वे बीजेपी के शीर्ष नेताओं से मतभेदों के बाद अलग राह पकड़ ली। 2009 में वह सपा के टिकट पर सांसद चुने गए। हालांकि, 2014 से पहले ही भाजपा में वापस आ गए। तब से भाजपा में ही हैं। उनकी राजनीतिक शुरुआत भी भाजपा से ही हुई थी। राम मंदिर आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश वाजपेयी के मुताबिक, बृजभूषण ने खुद ही घोषणा की थी कि प्रतीक और करण ही अब आगे की जिम्मेदारी का निर्वाह करेंगे। भाजपा से अलग कोई फैसला कर पाएंगे, ये मुश्किल है। जिस तरीके से दोनों बेटे भाजपा में प्रतिष्ठित हो चुके हैं, वे कोई पंगा नहीं करेंगे, जिससे उनके बच्चों का भविष्य दांव पर लगे। खुद बृजभूषण सिंह सार्वजनिक तौर पर बोल चुके हैं- मैं हारा हुआ खिलाड़ी नहीं हूं। मेरा कुछ नहीं छिना, बहुत कुछ मिला है। आज अगर यहां से कोई सांसद बना तो कौन बना, मेरा बेटा बना। कुश्ती संघ का अघ्यक्ष कौन बना, मेरे छोटे भाई जैसा संजय सिंह बना, जिससे मेरे 40 साल से रिश्ता है।” मतलब साफ है कि कोई पिता अपने लड़के का भविष्य क्यों खराब करेगा। मुझे लगता है कि 68 की उम्र में पहुंच चुके बृजभूषण सिंह अब किंग मेकर की भूमिका में रहेंगे। जहां तक चुनाव लड़ने या न लड़ने का सवाल है, तो ये सब कुछ पार्टी के निर्णय पर निर्भर करेगा। वे अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए दावा भी कर सकते हैं, लेकिन शीर्ष नेतृत्व के निर्णय को मानेंगे ये तय है। वैसे भी भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पहले ही परिवारवाद की व्याख्या कर चुका है। उसके मुताबिक यदि किसी परिवार में कोई तीन या चार लोग चुनाव लड़ने और जीतने की क्षमता रखते हैं, तो वो परिवारवाद नहीं है। वैसे भी चुनाव में पार्टियां जीतने वाले प्रत्याशी पर दांव लगाती हैं। यदि उसे लगेगा कि अयोध्या जैसी प्रतिष्ठित सीट के लिए बृजभूषण मुफीद हैं, तो बेटे के साथ उन्हें भी टिकट मिल जाएगा। पॉक्सो एक्ट से बरी होने के बाद क्या होगी आगे की राह
बृजभूषण शरण सिंह के बारे में उनके विरोधी भी मानते हैं कि वे अपने विरोधियों को कभी माफ नहीं करते। महिला पहलवानों की शिकायत पर दर्ज कार्रवाई का सामना कर रहे खुद बृजभूषण सिंह का दावा है कि इस पूरे षड्यंत्र के पीछे भूपेंद्र हुड्‌डा थे। उन्होंने कहा था- मैंने हमेशा कहा कि मेरे खिलाफ साजिश रची गई थी। और अब कोर्ट ने मेरी बात को सही ठहराया। मैंने पहले दिन ही कहा था यदि आरोप सिद्ध हो गए तो वे स्वयं को फांसी लगा लेंगे। उन्होंने यौन उत्पीड़न और अन्य कानूनों के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि महिलाओं, दलितों और दहेज उत्पीड़न पीड़ितों की रक्षा के लिए बनाए गए कानूनों के कार्यान्वयन की समीक्षा की जानी चाहिए। बृजभूषण कहते हैं कि मैं कानूनों को खत्म करने की बात नहीं कर रहा। लेकिन, इनका दुरुपयोग रोकने के लिए उपाय किए जाने चाहिए। अब पढ़िए पॉस्को से बरी होने पर विनेश फोगाट का तंज
पॉस्को केस से बृजभूषण शरण सिंह के बरी होने पर भारतीय की पूर्व महिला पहलवान और कांग्रेस नेता विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया पर तंज कसा। लिखा- लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार भी तुम्हारा है। तुम झूठ को सच लिख दो, अखबार भी तुम्हारा है! हम इसकी शिकायत करते तो कहां करते, सरकार तुम्हारी है, गवर्नर भी तुम्हारा है!! विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक बृजभूषण के खिलाफ मोर्चा संभालने वालों में फ्रंट लाइनर थे। विनेश ने पेरिस ओलिंपिक में फाइनल के लिए क्वालीफाई किया, लेकिन तय वजन से अधिक पाई जाने के बाद डिसक्वालिफाई कर दिया गया था। विनेश अभी हरियाणा से कांग्रेस की विधायक चुनी जा चुकी हैं। ———————– ये खबर भी पढ़ें… यूपी के नए डीजीपी बने राजीव कृष्ण, बेदाग पुलिस भर्ती परीक्षा कराई थी; प्रशांत कुमार को नहीं मिला एक्सटेंशन यूपी के DGP का ऐलान हो गया है। राजीव कृष्ण नए DGP बनाए गए हैं। इन्हें भी कार्यवाहक DGP बनाया गया है। ये लगातार 5वें कार्यवाहक DGP हैं। अभी तक प्रशांत कुमार कार्यवाहक DGP थे, जो आज रिटायर हो गए। राजीव कृष्ण की गिनती तेज-तर्रार अफसरों में होती है। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर