ज्वेलर के हत्यारों को सिर्फ 3Km ट्रेस कर सकी पुलिस:आगरा में परिवार ने कहा- हाथ से 3 अंगूठी गायब; पुलिस पर भी शक

ज्वेलर के हत्यारों को सिर्फ 3Km ट्रेस कर सकी पुलिस:आगरा में परिवार ने कहा- हाथ से 3 अंगूठी गायब; पुलिस पर भी शक

ज्वेलर योगेंद्र की हत्या करने वाले बदमाशों को पुलिस सिर्फ 3km तक ही ट्रेस कर सकी। CCTV की मदद से पुलिस को लास्ट लोकेशन शास्त्रीपुरम इलाके के लखनपुर गांव में मिली है। इस पॉइंट के बाद पुलिस आगे इसलिए ट्रेस नहीं कर सकी, क्योंकि यहां से 3 रूट अलग-अलग डेस्टिनेशन के लिए जाते हैं। पहला रूट- फतेहपुर सीकरी होते हुए जयपुर जाता है। दूसरा रूट- मथुरा-वृंदावन की तरफ जाता है। तीसरा रूट- दिल्ली हाईवे की तरफ जाता है। 24 घंटे में आगरा पुलिस ने 500 CCTV देखे हैं। बदमाशों को पकड़ने के लिए 10 पुलिस टीम एक्टिव है। आगरा में 20 लाख की ज्वेलरी लूटने वाले बदमाश कहां छिपे हैं? योगेंद्र कैसे शहर के बड़े सर्राफा कारोबारी बने? हत्या के बाद परिवार कैसे खुद को संभाल रहा? ये सब जानने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम रामा एन्क्लेव पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… पहले ज्वेलर के घर का माहौल घर के बाहर लोगों में डर भी और गुस्सा भी…
ज्वेलर योगेंद्र चौधरी (57) की हत्या के 30 घंटे बाद भी लोगों का जमावड़ा घर के बाहर लगा हुआ है। उनके बीच व्यापारियों की सुरक्षा, अपराधियों के बेखौफ बिहेवियर और व्यस्त बाजार में वारदात करने के बाद बदमाशों के भाग जाने की ही चर्चा थी। माहौल में डर भी था और पुलिस के लिए गुस्सा भी। टीम की मुलाकात योगेंद्र के छोटे बेटे सागर चौधरी से हुई। हमने पूछा- क्या पुलिस जांच से संतुष्ट हैं? सागर कहते हैं- पापा को मारने वाले बदमाश 20 लाख रुपए की ज्वेलरी लेकर भागे हैं। साथ ही, हमारे पापा के हाथ में 3 अंगूठियां थीं। जो अब नहीं हैं। ऐसे में 2 अंदेशा है। पहला- पुलिस ने बॉडी को पोस्टमॉर्टम हाउस भेजते वक्त अंगूठियां निकाल लीं। दूसरा- पोस्टमॉर्टम के वक्त वहां के कर्मचारियों ने चोरी की। अब इस मामले की जांच भी पुलिस कर रही है। बेटे बोले- छोटी सी दुकान से पापा शोरूम तक पहुंचे
बालाजी ज्वेलर शोरूम कब खुला? सागर ने कहा- पापा 30 साल पहले तक न्यू आगरा की एक ज्वेलरी शॉप में काम करते थे। फिर उन्होंने सोचा कि अपना खुद का बिजनेस करना चाहिए। सबसे पहले न्यू आगरा में ही एक छोटी सी दुकान खोली। फिर 20 साल पहले कारगिल चौराहा के पास दुकान शिफ्ट की। अब हमारी फॉर्च्यून टावर में बालाजी ज्वेलर्स के नाम से शोरूम है। हमने पूछा- तो क्या शुरू से रामा एंक्लेव में रहते थे? उन्होंने कहा- नहीं, यहां 12 साल पहले शिफ्ट हुए हैं। इससे पहले पापा और हम लोग सोंठ की मंडी में रहते थे। हम लोग मूल रूप से फतेहपुर सीकरी के सामरा इलाके के रहने वाले हैं। हमारे दादा रामचरण रेलवे में गार्ड थे। 1985 में रिटायर हो गए थे। हमें बताया गया कि आपका रेस्टोरेंट का कारोबार भी है? बड़े बेटे आशीष ने कहा- हम पहले पापा के साथ ही काम करते थे। भाई सागर ने पहला रेस्टोरेंट खोला, फिर काम चल निकला तो रेस्टोरेंट की संख्या बढ़ा ली। अब कारगिल चौराहा के पास 2 रेस्टोरेंट हैं और एक रुनकता में है। अब हम दोनों भाई रेस्टोरेंट ही संभालते हैं। हत्या वाले दिन पापा सुंदरकांड का पाठ नहीं कर सके
हमने पूछा योगेंद्र का डेली रूटीन क्या था? सागर का कहना है- पापा हर रोज 11 बजे घर से निकलते थे। हमारी स्टाफ रेनू भी उसी समय दुकान पर पहुंचती थी। पापा हर रोज सुंदरकांड पाठ करते थे, वह बालाजी के भक्त थे। हर महीने दर्शन के लिए भी जाते थे। शुक्रवार को घर पर ही व्यापारियों की मीटिंग थी। हम लोग भी यही पर थे, इसलिए पापा थोड़ा लेट दुकान पर पहुंचे थे। उस दिन वो सुंदरकांड का पाठ भी नहीं कर सके थे। उन्होंने मुझे चाबी देकर कहा कि रेनू से दुकान खुलवा देना। मैं आता हूं। फिर मैंने शोरूम खुलवाया और फिर अपने रेस्टोरेंट चला गया। 30 मिनट बाद पापा दुकान पर पहुंचे थे, तभी ये हादसा हो गया। 20 लाख से ज्यादा के जेवर ले गए
बड़े बेटे आशीष ने बताया- अब तक हमने दुकान पर देखा ही नहीं था। होश ही नहीं था कि बदमाश क्या ले गए और क्या छोड़ गए। बाद में रेनू से बातचीत के आधार पर पता चला कि लगभग 20 लाख से ज्यादा का जेवर बदमाश ले गए हैं। ढाई-तीन किलो चांदी के अलावा 200 ग्राम सोना है। बदमाश अपने साथ जेवर के पूरे-पूरे डब्बे ले गए हैं। यह डब्बे ऑर्डर के थे। सारा सोना अंदर लॉकर में था। हमें अंदाजा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि लड़की (स्टॉफ) को गर्दन तक घुमाने नहीं दी थी। उसे गन पॉइंट पर ले रखा था। नहीं मिलीं तीन अंगूठियां
बेटे आशीष ने बताया कि पिताजी तीन-चार अंगूठियां पहनते थे। एक चांदी की अंगूठी उनकी छोटी उंगली पर थी, जो हमें मिली, लेकिन सोने की तीन अंगूठियां नहीं मिली। जेब में सोना था, जो पुलिस ने हमें दे दिया। कैश भी वो काफी रखते थे, जो उनकी जेब में मिला है, लेकिन यह नहीं पता कि कितना कैश था। दोस्त बोले- अन-सिक्योर महसूस कर रहे
सागर के दोस्त निखिल का कहना है कि पुलिस की तरफ से हमें सपोर्ट नहीं मिल रहा है। कैंडल मार्च निकालने का भी यही मकसद है। मांग है कि जो भी दोषी है, उसे कड़ी से कड़ी सजा मिले। उसने ऐसा क्यों किया। जो हमारे साथ हुआ, वो किसी के साथ न हो। व्यापारी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। दिन दहाड़े इतनी बड़ी घटना होने का मतलब है कि अब हम अपने घर पर भी सुरक्षित नहीं हैं। …………………. ये भी पढ़ें :
आगरा में दिनदहाड़े ज्वेलर्स की गोली मारकर हत्या:गन पॉइंट पर शोरूम लूटा, मालिक भिड़ा तो सीने पर गोली मारी, देखिए लुटेरों की पहली तस्वीर आगरा में लुटेरों ने ज्वेलर्स की गोली मारकर हत्या कर दी। बाइक से दो युवक आए, शोरूम के अंदर घुसे। स्टाफ से पूछा- यहां का मालिक कहां है? इसके बाद बैग निकाला। शोरूम में काम कर रही महिला कर्मचारी को गन पॉइंट पर ले लिया। दुकान में रखी ज्वेलरी और पैसे भरे। बोले- मेरे नीचे जाने तक शांत रहना…वरना जान से मार दूंगा। लुटेरे जैसे ही सीढ़ी से नीचे उतरे, शोरूम मालिक आ गए और बदमाशों को पकड़ लिया। पढ़िए पूरी खबर… ज्वेलर योगेंद्र की हत्या करने वाले बदमाशों को पुलिस सिर्फ 3km तक ही ट्रेस कर सकी। CCTV की मदद से पुलिस को लास्ट लोकेशन शास्त्रीपुरम इलाके के लखनपुर गांव में मिली है। इस पॉइंट के बाद पुलिस आगे इसलिए ट्रेस नहीं कर सकी, क्योंकि यहां से 3 रूट अलग-अलग डेस्टिनेशन के लिए जाते हैं। पहला रूट- फतेहपुर सीकरी होते हुए जयपुर जाता है। दूसरा रूट- मथुरा-वृंदावन की तरफ जाता है। तीसरा रूट- दिल्ली हाईवे की तरफ जाता है। 24 घंटे में आगरा पुलिस ने 500 CCTV देखे हैं। बदमाशों को पकड़ने के लिए 10 पुलिस टीम एक्टिव है। आगरा में 20 लाख की ज्वेलरी लूटने वाले बदमाश कहां छिपे हैं? योगेंद्र कैसे शहर के बड़े सर्राफा कारोबारी बने? हत्या के बाद परिवार कैसे खुद को संभाल रहा? ये सब जानने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम रामा एन्क्लेव पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… पहले ज्वेलर के घर का माहौल घर के बाहर लोगों में डर भी और गुस्सा भी…
ज्वेलर योगेंद्र चौधरी (57) की हत्या के 30 घंटे बाद भी लोगों का जमावड़ा घर के बाहर लगा हुआ है। उनके बीच व्यापारियों की सुरक्षा, अपराधियों के बेखौफ बिहेवियर और व्यस्त बाजार में वारदात करने के बाद बदमाशों के भाग जाने की ही चर्चा थी। माहौल में डर भी था और पुलिस के लिए गुस्सा भी। टीम की मुलाकात योगेंद्र के छोटे बेटे सागर चौधरी से हुई। हमने पूछा- क्या पुलिस जांच से संतुष्ट हैं? सागर कहते हैं- पापा को मारने वाले बदमाश 20 लाख रुपए की ज्वेलरी लेकर भागे हैं। साथ ही, हमारे पापा के हाथ में 3 अंगूठियां थीं। जो अब नहीं हैं। ऐसे में 2 अंदेशा है। पहला- पुलिस ने बॉडी को पोस्टमॉर्टम हाउस भेजते वक्त अंगूठियां निकाल लीं। दूसरा- पोस्टमॉर्टम के वक्त वहां के कर्मचारियों ने चोरी की। अब इस मामले की जांच भी पुलिस कर रही है। बेटे बोले- छोटी सी दुकान से पापा शोरूम तक पहुंचे
बालाजी ज्वेलर शोरूम कब खुला? सागर ने कहा- पापा 30 साल पहले तक न्यू आगरा की एक ज्वेलरी शॉप में काम करते थे। फिर उन्होंने सोचा कि अपना खुद का बिजनेस करना चाहिए। सबसे पहले न्यू आगरा में ही एक छोटी सी दुकान खोली। फिर 20 साल पहले कारगिल चौराहा के पास दुकान शिफ्ट की। अब हमारी फॉर्च्यून टावर में बालाजी ज्वेलर्स के नाम से शोरूम है। हमने पूछा- तो क्या शुरू से रामा एंक्लेव में रहते थे? उन्होंने कहा- नहीं, यहां 12 साल पहले शिफ्ट हुए हैं। इससे पहले पापा और हम लोग सोंठ की मंडी में रहते थे। हम लोग मूल रूप से फतेहपुर सीकरी के सामरा इलाके के रहने वाले हैं। हमारे दादा रामचरण रेलवे में गार्ड थे। 1985 में रिटायर हो गए थे। हमें बताया गया कि आपका रेस्टोरेंट का कारोबार भी है? बड़े बेटे आशीष ने कहा- हम पहले पापा के साथ ही काम करते थे। भाई सागर ने पहला रेस्टोरेंट खोला, फिर काम चल निकला तो रेस्टोरेंट की संख्या बढ़ा ली। अब कारगिल चौराहा के पास 2 रेस्टोरेंट हैं और एक रुनकता में है। अब हम दोनों भाई रेस्टोरेंट ही संभालते हैं। हत्या वाले दिन पापा सुंदरकांड का पाठ नहीं कर सके
हमने पूछा योगेंद्र का डेली रूटीन क्या था? सागर का कहना है- पापा हर रोज 11 बजे घर से निकलते थे। हमारी स्टाफ रेनू भी उसी समय दुकान पर पहुंचती थी। पापा हर रोज सुंदरकांड पाठ करते थे, वह बालाजी के भक्त थे। हर महीने दर्शन के लिए भी जाते थे। शुक्रवार को घर पर ही व्यापारियों की मीटिंग थी। हम लोग भी यही पर थे, इसलिए पापा थोड़ा लेट दुकान पर पहुंचे थे। उस दिन वो सुंदरकांड का पाठ भी नहीं कर सके थे। उन्होंने मुझे चाबी देकर कहा कि रेनू से दुकान खुलवा देना। मैं आता हूं। फिर मैंने शोरूम खुलवाया और फिर अपने रेस्टोरेंट चला गया। 30 मिनट बाद पापा दुकान पर पहुंचे थे, तभी ये हादसा हो गया। 20 लाख से ज्यादा के जेवर ले गए
बड़े बेटे आशीष ने बताया- अब तक हमने दुकान पर देखा ही नहीं था। होश ही नहीं था कि बदमाश क्या ले गए और क्या छोड़ गए। बाद में रेनू से बातचीत के आधार पर पता चला कि लगभग 20 लाख से ज्यादा का जेवर बदमाश ले गए हैं। ढाई-तीन किलो चांदी के अलावा 200 ग्राम सोना है। बदमाश अपने साथ जेवर के पूरे-पूरे डब्बे ले गए हैं। यह डब्बे ऑर्डर के थे। सारा सोना अंदर लॉकर में था। हमें अंदाजा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि लड़की (स्टॉफ) को गर्दन तक घुमाने नहीं दी थी। उसे गन पॉइंट पर ले रखा था। नहीं मिलीं तीन अंगूठियां
बेटे आशीष ने बताया कि पिताजी तीन-चार अंगूठियां पहनते थे। एक चांदी की अंगूठी उनकी छोटी उंगली पर थी, जो हमें मिली, लेकिन सोने की तीन अंगूठियां नहीं मिली। जेब में सोना था, जो पुलिस ने हमें दे दिया। कैश भी वो काफी रखते थे, जो उनकी जेब में मिला है, लेकिन यह नहीं पता कि कितना कैश था। दोस्त बोले- अन-सिक्योर महसूस कर रहे
सागर के दोस्त निखिल का कहना है कि पुलिस की तरफ से हमें सपोर्ट नहीं मिल रहा है। कैंडल मार्च निकालने का भी यही मकसद है। मांग है कि जो भी दोषी है, उसे कड़ी से कड़ी सजा मिले। उसने ऐसा क्यों किया। जो हमारे साथ हुआ, वो किसी के साथ न हो। व्यापारी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। दिन दहाड़े इतनी बड़ी घटना होने का मतलब है कि अब हम अपने घर पर भी सुरक्षित नहीं हैं। …………………. ये भी पढ़ें :
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