19 दिसंबर 2012 लोकसभा में तत्कालीन केंद्रीय राज्यमंत्री (प्रधानमंत्री कार्यालय) नारायण सामी दलितों को प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बिल पेश कर रहे थे। तभी सपा सांसद यशवीर सिंह ने उनके हाथ से बिल की कॉपी छीन ली। छीना-झपटी हुई और बिल की कॉपी फट गई। अखिलेश ने पहले ही ऐलान किया था कि यह बिल पेश नहीं होने देंगे। 12 अप्रैल 2025 इटावा में अखिलेश यादव ने अंबेडकर जयंती से दो दिन पहले डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया। कहा, मैं सोच सकता हूं कि अगर हम लोगों के साथ ऐसा व्यवहार हो सकता है, तो हमारे बहुजन समाज के लोगों के साथ में न जाने कैसा-कैसा व्यवहार होता होगा। हमारा आरक्षण छीना जा रहा है, हम लोगों को आगे बढ़ने का मौका नहीं दिया जा रहा है। ये 2 तारीखें सपा प्रमुख अखिलेश यादव का दलितों के प्रति बदलता रुख बता रही हैं। कभी दलितों के विरोध में खड़ी रहने वाली सपा दलितों के लिए सड़क पर उतर आई है। मायावती को दलितों को फिर से गेस्ट हाउस कांड याद दिलवाना पड़ रहा है। इस बार संडे बिग स्टोरी में पढ़िए, सत्ता में रहते दलितों के विरोध में कौन से फैसले लिए? अब सपा कैसे दलित और अंबेडकर की बात करने लगी? अब सपा के लिए क्यों जरूरी हैं दलित वोटर्स? ग्राफिक्स: राजकुमार गुप्ता ———————– ये खबर भी पढ़ें… पहलगाम हमले के बाद यूपी भाजपा अध्यक्ष कौन?:पहले लोध, फिर दलित-ब्राह्मण विवाद से अटका; सबको साधने वाले की तलाश यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कार्यकाल जनवरी, 2023 में समाप्त हो गया है। तब से नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में कोई न कोई अड़चन आती रही। साथ ही दावेदारों की लिस्ट बढ़ती गई। प्रदेश से लेकर देश तक हो रही घटनाओं से प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के समीकरण बदल रहे हैं। ताजा मामले में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति का मामला फिर अटक गया। पढ़ें पूरी खबर 19 दिसंबर 2012 लोकसभा में तत्कालीन केंद्रीय राज्यमंत्री (प्रधानमंत्री कार्यालय) नारायण सामी दलितों को प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बिल पेश कर रहे थे। तभी सपा सांसद यशवीर सिंह ने उनके हाथ से बिल की कॉपी छीन ली। छीना-झपटी हुई और बिल की कॉपी फट गई। अखिलेश ने पहले ही ऐलान किया था कि यह बिल पेश नहीं होने देंगे। 12 अप्रैल 2025 इटावा में अखिलेश यादव ने अंबेडकर जयंती से दो दिन पहले डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया। कहा, मैं सोच सकता हूं कि अगर हम लोगों के साथ ऐसा व्यवहार हो सकता है, तो हमारे बहुजन समाज के लोगों के साथ में न जाने कैसा-कैसा व्यवहार होता होगा। हमारा आरक्षण छीना जा रहा है, हम लोगों को आगे बढ़ने का मौका नहीं दिया जा रहा है। ये 2 तारीखें सपा प्रमुख अखिलेश यादव का दलितों के प्रति बदलता रुख बता रही हैं। कभी दलितों के विरोध में खड़ी रहने वाली सपा दलितों के लिए सड़क पर उतर आई है। मायावती को दलितों को फिर से गेस्ट हाउस कांड याद दिलवाना पड़ रहा है। इस बार संडे बिग स्टोरी में पढ़िए, सत्ता में रहते दलितों के विरोध में कौन से फैसले लिए? अब सपा कैसे दलित और अंबेडकर की बात करने लगी? अब सपा के लिए क्यों जरूरी हैं दलित वोटर्स? ग्राफिक्स: राजकुमार गुप्ता ———————– ये खबर भी पढ़ें… पहलगाम हमले के बाद यूपी भाजपा अध्यक्ष कौन?:पहले लोध, फिर दलित-ब्राह्मण विवाद से अटका; सबको साधने वाले की तलाश यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कार्यकाल जनवरी, 2023 में समाप्त हो गया है। तब से नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में कोई न कोई अड़चन आती रही। साथ ही दावेदारों की लिस्ट बढ़ती गई। प्रदेश से लेकर देश तक हो रही घटनाओं से प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के समीकरण बदल रहे हैं। ताजा मामले में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति का मामला फिर अटक गया। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
अखिलेश के लिए दलित जरूरी या मजबूरी?:2012 में किनारे किया, तो 4 चुनाव हारे; अब ठाकुर–ब्राह्मण का गैप मायावती का वोटर भर रहा
