हरियाणा के झज्जर में एक गांव होली के पावन पर्व पर होलिका दहन नहीं किया गया। सालों पहले ग्रामीणों ने इस पर्व पर होलिका दहन न करने की कसम खाई थी, जिस पर आज तक ग्रामीण कायम हैं। गांव में कई साल पहले हुई घटना के कारण यह त्योहार फीका रहा। देशभर में होली पर्व पूरे धूम-धाम से मनाया जाता है और इस पर लोग भगवान प्रहलाद की पूजा करते हैं। वहीं समाज के लोग इकट्ठा होकर शाम के समय में होलिका दहन करते हैं। झज्जर जिले में एक ऐसा गांव भी है जहां पर होली के दिन पूजा तो की जाती है लेकिन शाम के समय में होलिका दहन नहीं किया जाता। गोवंश के झुलसे बंद हुआ होलिका दहन
जिले के झासवां गांव में लोग कई सालों से होली पूजन के बाद होलिका दहन नहीं करते। पूरे भारत वर्ष की तरह झासवां में होली का पर्व पूरे रीति रिवाजों के साथ धूमधाम से मनाया जाता था। कुछ साल पहले गांव में होली के दिन ही बड़ी घटना घटित हुई थी। गांव में होली का दिन था, लोगों ने शाम को पूजा कर होलिका दहन के लिए सभी तैयारियां की हुई थी। उसी दिन त्योहार में शाम के समय में होलिका दहन किया गया। लेकिन दहन होने के बाद वहां पर दो गोवंशों के बीच अचानक झड़प हो गई और वे आपस में लड़ते हुए उस धधकती हुई आग में जा गिरे थे। गांव के लोगों ने उन्हें बचाने का काफी प्रयास भी किया था लेकिन दो गोवंशों में से एक की अधिक झुलसने के कारण मौत हो गई। अगले दिन गांव में डुल्हेंडी का पर्व भी फीका पड़ गया और लोगों ने इस त्योहार पर होलिका दहन न करने की कसम खा ली। उसके बाद से ही आज तक गांव झासवा में होली पूजन के बाद दहन नहीं किया जाता। दहन न करने का प्रण लिया
ग्रामीणों ने बताया कि आज भी बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि गांव के लोगों के सामने ही एक गौवंश उस आग में झुलस गया था। ग्रामीणों ने बताया कि होलीका दहन में भगवान भगत सांकेतिक प्रहलाद को ही जब आग के बीचों बीच से निकाल लिया जाता है और उस आग में नहीं जलने दिया जाता। लेकिन गांव झासवा में उस साल की होली के पर्व पर लोगों के सामने ही एक गौ वंश की जलकर मौत हो गई। ग्रामीणों ने बताया कि जब यह हादसा हुआ तो एक पंचायत का आयोजन किया गया और होली के पर्व पर होलिका दहन न करने का प्रण लिया गया था। ग्रामीणों ने कहा कि कई सौ साल पुरानी बात है, जो होली पर्व आते ही फिर से ताजा हो जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि होलिका दहन गांव में तब तक नहीं होगा, जब तक कोई गाय इसी दिन बछड़ा पैदा न कर ले। वहीं अगर गांव में होली के दिन अगर किसी घर में बेटा पैदा होता है या गाय बछड़ा देती है तो होलिका दहन फिर मनाना शुरू कर दिया जाएगा। हरियाणा के झज्जर में एक गांव होली के पावन पर्व पर होलिका दहन नहीं किया गया। सालों पहले ग्रामीणों ने इस पर्व पर होलिका दहन न करने की कसम खाई थी, जिस पर आज तक ग्रामीण कायम हैं। गांव में कई साल पहले हुई घटना के कारण यह त्योहार फीका रहा। देशभर में होली पर्व पूरे धूम-धाम से मनाया जाता है और इस पर लोग भगवान प्रहलाद की पूजा करते हैं। वहीं समाज के लोग इकट्ठा होकर शाम के समय में होलिका दहन करते हैं। झज्जर जिले में एक ऐसा गांव भी है जहां पर होली के दिन पूजा तो की जाती है लेकिन शाम के समय में होलिका दहन नहीं किया जाता। गोवंश के झुलसे बंद हुआ होलिका दहन
जिले के झासवां गांव में लोग कई सालों से होली पूजन के बाद होलिका दहन नहीं करते। पूरे भारत वर्ष की तरह झासवां में होली का पर्व पूरे रीति रिवाजों के साथ धूमधाम से मनाया जाता था। कुछ साल पहले गांव में होली के दिन ही बड़ी घटना घटित हुई थी। गांव में होली का दिन था, लोगों ने शाम को पूजा कर होलिका दहन के लिए सभी तैयारियां की हुई थी। उसी दिन त्योहार में शाम के समय में होलिका दहन किया गया। लेकिन दहन होने के बाद वहां पर दो गोवंशों के बीच अचानक झड़प हो गई और वे आपस में लड़ते हुए उस धधकती हुई आग में जा गिरे थे। गांव के लोगों ने उन्हें बचाने का काफी प्रयास भी किया था लेकिन दो गोवंशों में से एक की अधिक झुलसने के कारण मौत हो गई। अगले दिन गांव में डुल्हेंडी का पर्व भी फीका पड़ गया और लोगों ने इस त्योहार पर होलिका दहन न करने की कसम खा ली। उसके बाद से ही आज तक गांव झासवा में होली पूजन के बाद दहन नहीं किया जाता। दहन न करने का प्रण लिया
ग्रामीणों ने बताया कि आज भी बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि गांव के लोगों के सामने ही एक गौवंश उस आग में झुलस गया था। ग्रामीणों ने बताया कि होलीका दहन में भगवान भगत सांकेतिक प्रहलाद को ही जब आग के बीचों बीच से निकाल लिया जाता है और उस आग में नहीं जलने दिया जाता। लेकिन गांव झासवा में उस साल की होली के पर्व पर लोगों के सामने ही एक गौ वंश की जलकर मौत हो गई। ग्रामीणों ने बताया कि जब यह हादसा हुआ तो एक पंचायत का आयोजन किया गया और होली के पर्व पर होलिका दहन न करने का प्रण लिया गया था। ग्रामीणों ने कहा कि कई सौ साल पुरानी बात है, जो होली पर्व आते ही फिर से ताजा हो जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि होलिका दहन गांव में तब तक नहीं होगा, जब तक कोई गाय इसी दिन बछड़ा पैदा न कर ले। वहीं अगर गांव में होली के दिन अगर किसी घर में बेटा पैदा होता है या गाय बछड़ा देती है तो होलिका दहन फिर मनाना शुरू कर दिया जाएगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
