झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुए भीषण अग्निकांड के बाद यहां हालत अभी भी ठीक नहीं है। घटना के बाद यहां फायर ऑडिट कराया गया। इसमें ऐसी तमाम खामियां उजागर हुई, जो आग लगने पर जानलेवा हो सकती हैं। रिपोर्ट में इन खामियों को दूर करने के अलावा मेडिकल कॉलेज की संवेदनशीलता को देखते हुए यहां 24 घंटे के लिए अग्निशमन रक्षकों की तैनात करने की भी जरूरत बताई गई। ऑडिट रिपोर्ट शासन को भी भेजी गई है। इससे कुछ बदलाव होने की उम्मीद जताई जा रही है। 26 स्थानों पर आग से बचाव के उपाय परखे 15 नवंबर की रात को मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में आग लग गई थी। 10 नवजात बच्चे जिंदा जल गए थे, जबकि 8 बच्चों की बाद में मौत हो गई थी। पूरे देश को झकझोर देने वाले इस अग्निकांड के बाद शासन ने अग्निशमन विभाग से दोबारा से कैंपस का फायर ऑडिट कराया। कॉलेज भवन, ओपीडी भवन, इंडोर भवन, गायनी भवन, ओटी ब्लॉक, टीबी चेस्ट, पोस्टमार्टम हाउस, प्राइवेट वार्ड, आहारीय विभाग, बर्न विभाग, मानसिक रोक विभाग, मानसिक ओपीडी, गेस्ट हाउस, पीजी छात्रावास समेत कुल 26 स्थानों पर आग से बचाव के उपाय परखे गए। 20 बिंदुओं पर पड़ताल की गई फायर अलार्म, अग्निशमन यंत्र की स्थिति, हाईड्रेंट की रिफिलिंग, ऑक्सीजन सिलेंडर रखने के स्थान समेत 20 बिंदुओं पर पड़ताल हुई। कई विभागों में फायर अलार्म काम करता नहीं मिला। कई जगह फायर हाईड्रेंट भी क्रियाशील नहीं मिले। शार्ट सर्किट से बचने के उपाय भी कई विभागों में नहीं पाए गए। आग लगने की दशा में आकस्मिक दरवाजे भी नहीं थे। मेडिकल कॉलेज परिसर में वेटराइजर है, लेकिन यह काम नहीं कर रहा। आग से बचाव में आवश्यक हाइड्रेंट प्वाइंट पर कपलिंग, इनलेट व आउटलेट ब्रांच, होज बॉक्स व हौज पाइप का होना आवश्यक है लेकिन, फायर ऑडिट के दौरान यह इंतजाम नहीं पाए गए। सीएफओ राजकिशोर राय के मुताबिक आग से बचाव के उपाय परखे गए। आग लगने से रोकने एवं उससे बचाव के तरीके भी सुझाए गए हैं। सेफ्टी फायर ऑडिट की ओर से दिए गए सुझाव – सभी भवनों में सुरक्षित निकास के लिए अलग से निकास मार्ग एवं सीढि़यां बनाई जाएं – मेडिकल कॉलेज में मौजूद रहने वाले लोगों की संख्या एवं मरीजों को देखते हुए यहां आग से बचाव के लिए एक मुख्य अग्निशमन अधिकारी, दो फायर ऑफिसर समेत शिफ्टवार प्रशिक्षित स्टॉफ 24 घंटे तैनात रहें। – आकस्मिक स्थिति में अग्निशमन सुरक्षा व्यवस्था का इनकी ओर से समय पर संचालन हो – मेडिकल कॉलेज में वेटराइजर का उपयोगी बनाया जाए। हाइड्रेंट प्वांइट पर कपलिंग, इनलेट ब्रांच, होजबॉक्स, हौज पाइप भी दुरूस्त रखे जाएं। – सभी जूनियर डॉक्टर एवं छात्रों को साल में एक बार सात दिवसीय आग से बचाव के उपाय का प्रशिक्षण दिया जाए – भवनों के अंदर से धुएं की निकासी का विशेष उपाय किया जाए – अस्पताल भवन में ऑक्सीजन एवं एलपीजी एवं अन्य की सप्लाई के लिए ऑटोमेटिक वाटर स्प्रे सिस्टम का प्रावधान किया जाए। गैस पाइप लाइन का मान्यता प्राप्त संस्था से ऑडिट कराया जाए। जिला अस्पताल, कारागार का भी हुआ ऑडिट अग्निशमन विभाग की ओर से जिला अस्पताल, महिला अस्पताल एवं कारागार का भी ऑडिट कराया गया। जिला अस्पताल के अस्पताल भवन के मुख्य द्वार, गैलरी, पैथॉलाजी लैब के पास, ओपीडी गैलरी में हाईड्रेंटों में नोजल नहीं लगाए गए। इसी तरह कारागार के अंदर पाकशाला के भीतर कोई इमरजेंसी गेट नहीं था। गैस का कट प्वाइंट परिसर को बाहर किए जाने की जरूरत बताई। परिसर के अंदर फायर अलार्म सिस्टम का प्रावधान किया जाना जरूरी है। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुए भीषण अग्निकांड के बाद यहां हालत अभी भी ठीक नहीं है। घटना के बाद यहां फायर ऑडिट कराया गया। इसमें ऐसी तमाम खामियां उजागर हुई, जो आग लगने पर जानलेवा हो सकती हैं। रिपोर्ट में इन खामियों को दूर करने के अलावा मेडिकल कॉलेज की संवेदनशीलता को देखते हुए यहां 24 घंटे के लिए अग्निशमन रक्षकों की तैनात करने की भी जरूरत बताई गई। ऑडिट रिपोर्ट शासन को भी भेजी गई है। इससे कुछ बदलाव होने की उम्मीद जताई जा रही है। 26 स्थानों पर आग से बचाव के उपाय परखे 15 नवंबर की रात को मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में आग लग गई थी। 10 नवजात बच्चे जिंदा जल गए थे, जबकि 8 बच्चों की बाद में मौत हो गई थी। पूरे देश को झकझोर देने वाले इस अग्निकांड के बाद शासन ने अग्निशमन विभाग से दोबारा से कैंपस का फायर ऑडिट कराया। कॉलेज भवन, ओपीडी भवन, इंडोर भवन, गायनी भवन, ओटी ब्लॉक, टीबी चेस्ट, पोस्टमार्टम हाउस, प्राइवेट वार्ड, आहारीय विभाग, बर्न विभाग, मानसिक रोक विभाग, मानसिक ओपीडी, गेस्ट हाउस, पीजी छात्रावास समेत कुल 26 स्थानों पर आग से बचाव के उपाय परखे गए। 20 बिंदुओं पर पड़ताल की गई फायर अलार्म, अग्निशमन यंत्र की स्थिति, हाईड्रेंट की रिफिलिंग, ऑक्सीजन सिलेंडर रखने के स्थान समेत 20 बिंदुओं पर पड़ताल हुई। कई विभागों में फायर अलार्म काम करता नहीं मिला। कई जगह फायर हाईड्रेंट भी क्रियाशील नहीं मिले। शार्ट सर्किट से बचने के उपाय भी कई विभागों में नहीं पाए गए। आग लगने की दशा में आकस्मिक दरवाजे भी नहीं थे। मेडिकल कॉलेज परिसर में वेटराइजर है, लेकिन यह काम नहीं कर रहा। आग से बचाव में आवश्यक हाइड्रेंट प्वाइंट पर कपलिंग, इनलेट व आउटलेट ब्रांच, होज बॉक्स व हौज पाइप का होना आवश्यक है लेकिन, फायर ऑडिट के दौरान यह इंतजाम नहीं पाए गए। सीएफओ राजकिशोर राय के मुताबिक आग से बचाव के उपाय परखे गए। आग लगने से रोकने एवं उससे बचाव के तरीके भी सुझाए गए हैं। सेफ्टी फायर ऑडिट की ओर से दिए गए सुझाव – सभी भवनों में सुरक्षित निकास के लिए अलग से निकास मार्ग एवं सीढि़यां बनाई जाएं – मेडिकल कॉलेज में मौजूद रहने वाले लोगों की संख्या एवं मरीजों को देखते हुए यहां आग से बचाव के लिए एक मुख्य अग्निशमन अधिकारी, दो फायर ऑफिसर समेत शिफ्टवार प्रशिक्षित स्टॉफ 24 घंटे तैनात रहें। – आकस्मिक स्थिति में अग्निशमन सुरक्षा व्यवस्था का इनकी ओर से समय पर संचालन हो – मेडिकल कॉलेज में वेटराइजर का उपयोगी बनाया जाए। हाइड्रेंट प्वांइट पर कपलिंग, इनलेट ब्रांच, होजबॉक्स, हौज पाइप भी दुरूस्त रखे जाएं। – सभी जूनियर डॉक्टर एवं छात्रों को साल में एक बार सात दिवसीय आग से बचाव के उपाय का प्रशिक्षण दिया जाए – भवनों के अंदर से धुएं की निकासी का विशेष उपाय किया जाए – अस्पताल भवन में ऑक्सीजन एवं एलपीजी एवं अन्य की सप्लाई के लिए ऑटोमेटिक वाटर स्प्रे सिस्टम का प्रावधान किया जाए। गैस पाइप लाइन का मान्यता प्राप्त संस्था से ऑडिट कराया जाए। जिला अस्पताल, कारागार का भी हुआ ऑडिट अग्निशमन विभाग की ओर से जिला अस्पताल, महिला अस्पताल एवं कारागार का भी ऑडिट कराया गया। जिला अस्पताल के अस्पताल भवन के मुख्य द्वार, गैलरी, पैथॉलाजी लैब के पास, ओपीडी गैलरी में हाईड्रेंटों में नोजल नहीं लगाए गए। इसी तरह कारागार के अंदर पाकशाला के भीतर कोई इमरजेंसी गेट नहीं था। गैस का कट प्वाइंट परिसर को बाहर किए जाने की जरूरत बताई। परिसर के अंदर फायर अलार्म सिस्टम का प्रावधान किया जाना जरूरी है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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हेलीकॉप्टर से केदारनाथ दर्शन कराने के नाम पर लाखों की ठगी, इंदौर में आया साइबर फ्रॉड का नया तरीका
हेलीकॉप्टर से केदारनाथ दर्शन कराने के नाम पर लाखों की ठगी, इंदौर में आया साइबर फ्रॉड का नया तरीका <p style=”text-align: justify;”><strong>Indore Crime News:</strong> इंदौर में ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. यहां एक व्यक्ति को केदारनाथ में हेलीकॉप्टर से दर्शन कराने का झांसा देकर जालसाज ने 1.35 लाख रुपये ठग लिए. एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा ने बताया कि शिकायतकर्ता राहुल पाटीदार ने हेलीकॉप्टर टिकट बुक कराने के लिए एक व्यक्ति से ऑनलाइन संपर्क किया. जालसाज ने टिकट के लिए 1.35 लाख रुपये ट्रांसफर करने के लिए राजी कर लिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>ट्रांसफर के बाद जालसाज ने टिकट बुक तो कर लिए, लेकिन तुरंत ही उन्हें कैंसिल कर दिया और पूरी रकम आरोपी के खाते में जमा हो गई. जब राहुल ने जालसाज से दोबारा संपर्क करने की कोशिश की, तो आरोपी ने अपना फोन बंद कर लिया था. इसके बाद राहुल ने घटना की सूचना राऊ पुलिस को दी, जिन्होंने जालसाज के खाते को फ्रीज करा दिया. हालांकि, आरोपी ने पैसे कहीं और ट्रांसफर कर दिए थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>साइबर टीम को लगातार मिल रहीं शिकायतें</strong><br />एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा ने बताया कि जोन-1 के सभी थानों में साइबर डेस्क स्थापित किए गए हैं, ताकि पीड़ितों को शिकायत दर्ज कराने पर तुरंत ध्यान दिया जा सके और कानूनी कार्रवाई की जा सके. साइबर डेस्क पर रोजाना शिकायतें आती हैं और पुलिस साइबर धोखाधड़ी को सुलझाने और रोकने के प्रयास कर रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>समय पर कार्रवाई होने से मिली मदद</strong><br />बुधवार को एक जालसाज का फोन आने के बाद त्वरित कार्रवाई की बदौलत शहर के डॉक्टर साइबर धोखाधड़ी का शिकार होने से बाल-बाल बच गए. डॉ. अनिल बाफना को एक व्हाट्सएप कॉल आया, जिसमें घोटालेबाजों ने पुलिस अधिकारी बनकर कर दावा किया कि एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्र और उनके बेटे को बलात्कार के मामले में गिरफ्तार किया गया है और उसकी रिहाई के लिए तत्काल 35,000 रुपये की मांग की गई.</p>
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एमपी के किसी भी थाना परिसर में नहीं होगा मंदिर का निर्माण, हाई कोर्ट ने लगाई रोक
एमपी के किसी भी थाना परिसर में नहीं होगा मंदिर का निर्माण, हाई कोर्ट ने लगाई रोक <p style=”text-align: justify;”><strong>Madhya Pradesh News:</strong> मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मंगलवार (5 नवंबर) को सभी थाना परिसरों में बन रहे मंदिरों के निर्माण पर रोक लगा दी. इस संबंध में बीते दिनों एक सरकारी कर्मचारी और अधिवक्ता ओम प्रकाश यादव ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसमें सभी थाना परिसर में बन रहे मंदिरों पर रोक लगाने की मांग की गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने प्रदेश के सभी थानों में बन रहे मंदिरों पर रोक लगा दी है. अब इस पर 19 नवंबर को सुनवाई होगी. इसके अलावा, कोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह विभाग, नगरीय प्रशासन, डीजीपी मध्य प्रदेश, कलेक्टर जबलपुर और पुलिस अधीक्षक जबलपुर सहित जिले के चार पुलिस थाना जिसमें सिविल लाइंस, विजय नगर, मदन महल और लार्डगंज को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें सुप्रीम कोर्ट पहले से ही सार्वजनिक स्थलों पर मंदिरों के निर्माण पर रोक लगाने का आदेश दे चुकी है. इसके बावजूद कई थानों में मंदिरों का निर्माण हो रहा है. याचिका में उन सभी थानों की तस्वीरें भी शामिल की गई हैं, जहां मंदिरों का निर्माण मौजूदा समय में किया जा रहा है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सतीश वर्मा, अमित पटेल और ग्रीष्म जैन ने अपना पक्ष रखा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>याचिकाकर्ता ने लगाया ये आरोप<br /></strong>इस पर याचिकाकर्ता के वकील सतीश वर्मा का भी बयान सामने आया है. उन्होंने कहा, आज एक याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने मध्य प्रदेश के विभिन्न थानों में अवैध रूप से बने धार्मिक स्थलों के निर्माण को लेकर गंभीर नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि प्रदेश के विभिन्न थानों में खासकर थानों के परिसर में अवैध रूप से धार्मिक स्थल, विशेषकर मंदिर बनाए जा रहे हैं, जो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 20 साल पहले स्पष्ट रूप से आदेश दिए थे कि सार्वजनिक स्थानों, विशेष रूप से कार्यालयों और सार्वजनिक सड़कों पर धार्मिक स्थलों का निर्माण नहीं किया जा सकता है. इसके तहत राज्य सरकार के सभी मुख्य सचिवों को निर्देशित किया गया था कि कलेक्टरों के माध्यम से इस आदेश का पालन सुनिश्चित करें. याचिकाकर्ता ने यह आरोप लगाया कि राज्य के कलेक्टर, जिला मजिस्ट्रेट और आरएसपी अधिकारियों को इस निर्माण कार्य के बारे में सूचित किया गया था, लेकिन किसी भी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई और निर्माण कार्य चलता रहा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि जो धार्मिक स्थल पहले से इन थानों में बने हुए हैं, उनके संबंध में एक स्पष्ट स्थिति रिपोर्ट पेश की जाए और यदि कोई निर्माण कार्य चल रहा है या छत डालने का काम जारी है, तो उस पर तत्काल रोक लगाई जाए. अदालत ने यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि इन अवैध निर्माणों को जल्द से जल्द हटाया जाए और जो नए निर्माणाधीन धार्मिक स्थल हैं, उन पर पूर्ण रोक लगाई जाए.</p>
<div id=”article-hstick-inner” class=”abp-story-detail “>
<p><strong>ये भी पढ़ें- <a title=”MP: पाकिस्तान के समर्थन में नारा लगाने वाले फैजान ने दूसरी बार तिरंगे को दी सलामी, कहा- ‘मुझे मेरे देश से कोई…” href=”https://www.abplive.com/states/madhya-pradesh/raisen-man-faizan-saluted-tricolor-for-second-time-pakistan-zindabad-slogan-case-mp-2817579″ target=”_self”>MP: पाकिस्तान के समर्थन में नारा लगाने वाले फैजान ने दूसरी बार तिरंगे को दी सलामी, कहा- ‘मुझे मेरे देश से कोई…'</a></strong></p>
</div>
अमृतसर में कैबिनेट मंत्री का ऑडियो वायरल:बिक्रम सिंह मजीठिया ने किया शेयर, बोले- सीबीआई करे मामले की जांच
अमृतसर में कैबिनेट मंत्री का ऑडियो वायरल:बिक्रम सिंह मजीठिया ने किया शेयर, बोले- सीबीआई करे मामले की जांच पंचायत चुनावों में लगातार विरोधी पार्टियां राज्य सरकार को घेर रही हैं और कह रही हैं कि आम आदमी पार्टी निष्पक्ष तरीके से चुनाव नहीं करवा रही। इसी बीच अब अकाली दल के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने भी एक आडियो वीडियो शेयर किया है। जिसमें कैबिनेट मंत्री कुलदीप धालीवाल की ओर से एक उम्मीदवार को धमकाया जा रहा है। वहीं बिक्रम सिंह मजीठिया ने यह भी दावा किया है कि इसके बाद इसी आदमी को एक गैंगस्टर ने भी धमकी दी है। बिक्रम सिंह मजीठिया ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। जिसमें कैबिनेट मंत्री फोन पर एक आदमी को धमका रहे हैं और कह रहे हैं कि अगली बार उन्हें बना दिया जाएगा, इस बार दूसरी पार्टी को बनने दें। बिक्रम सिंह ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा कि पंचायत चुनाव में हो रही गुंडागर्दी का एक और उदाहरण अजनाला हलके के गांव निजामपुर का है। कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल निजामपुर निवासी सरवन सिंह को पंचायत चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा करने के लिए धमका रहे हैं। यहीं नहीं मंत्री के बाद अब गैंगस्टर सरवन सिंह को भी फोन पर धमकी दे रहा है। आम आदमी पार्टी और गैंगस्टर मिले हुए : मजीठिया बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि वह पहले भी कहते रहे हैं कि आम आदमी पार्टी और गैंगस्टर मिले हुए हैं और अब यह साबित हो गया है। इस घटना से यह साफ हो गया है कि सरकार न सिर्फ जोर लगा रही है बल्कि गैंगस्टरों के साथ मिलकर हर तरह से पंचायत चुनाव भी जीतना चाहती है। बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि कुछ दिन पहले जैतो हलके और अब अजनाला से विधायक अमोलक सिंह का ऐसा वीडियो सामने आया। बिक्रम सिंह मजीठिया के मुताबिक इन सबकी जांच सीबीआई से होनी चाहिए क्योंकि इन पंचायत चुनावों में आम आदमी पार्टी के नेताओं ने गैंगस्टरों के साथ मिलकर खूब पैसा लूटा है। इस पोस्ट में कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल, मुख्यमंत्री भगवंत मान और पंजाब चुनाव आयोग को टैग किया गया है।