हिमाचल सरकार ने पहाड़ों को साफ-सुथरा बनाने के लिए 2 निर्णय लिए हैं। पहला- सभी कॉमर्शियल व्हीकल में डस्टबिन अनिवार्य किया गया है। दूसरा- पर्यटन स्थलों और पहाड़ों पर कचरा फेंकने वालों के चालान काटे जाएंगे। ये दोनों नियम 29 अप्रैल से लागू हो गए हैं। अब जिस टैक्सी, टैम्पो ट्रेवलर, प्राइवेट व सरकारी बस और बाहरी राज्यों के कॉमर्शियल वाहनों में डस्टबिन (कूड़ेदान) नहीं होगा, उसके मालिक को 10 हजार रुपए जुर्माना भरना होगा। वहीं, जो टूरिस्ट पहाड़ों पर या टूरिस्ट प्लेस को गंदा करेगा, उस पर 1500 रुपए का जुर्माना लगेगा। यह पेनल्टी स्थानीय लोगों पर भी लागू होगी। बता दें कि हिमाचल के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर देश और विदेश से हर साल डेढ़ से 2 करोड़ टूरिस्ट पहुंचते हैं। इनमें ज्यादातर टूरिस्ट टैक्सी, वॉल्वो बसों और टैम्पो ट्रेवलर से आते हैं। हिमाचल सरकार के इस फैसले का इन टूरिस्टों पर सीधा असर होगा। ट्रांसपोर्टरों को डस्टबिन लगाने को जागरूक कर रहा विभाग
प्रदेश सरकार के आदेश पर हिमाचल पथ परिवहन निगम और टैक्सी संचालकों ने अपनी गाड़ियों में डस्टबिन लगाने शुरू कर दिए हैं। शिमला के RTO अनिल ने बताया है कि अभी ट्रांसपोर्टरों के चालान नहीं किए जा रहे हैं, बल्कि लोगों को डस्टबिन लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है, ताकि जनता को सरकार के इस नए नियम की जानकारी दी जा सके। उन्होंने बताया- एक सप्ताह बाद चालान कटने शुरू होंगे। जो वाहन पासिंग के लिए आ रहे हैं, उनकी पासिंग डस्टबिन लगाने के बाद ही की जा रही है। पर्यावरण विभाग चालान के सभी विभागों को चालान बुक मुहैया करवा रहा है। भविष्य में एक एप के जरिए ऑनलाइन ही ऐसे चालान किए जाएंगे। नॉन बायोग्रेडेबल गारबेज कंट्रोल एक्ट में किया पेनल्टी का प्रावधान
पर्यावरण विभाग ने डस्टबिन लगाने और कचरा फैलाने वालों के चालान से जुड़ा नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इससे पहले सरकार ने 1995 में बने हिमाचल प्रदेश नॉन बायोग्रेडेबल गारबेज कंट्रोल एक्ट में पेनल्टी का प्रावधान किया है। प्रदेश सरकार ने यह नियम अभी कॉमर्शियल वाहनों पर लागू किया है। आने वाले दिनों में प्राइवेट वाहनों को भी इसके दायरे में लाया जाएगा। इसके पीछे पर्यटन स्थलों और पहाड़ों पर फैल रही गंदगी को रोकना है। गाड़ियों में लगाए इन कूड़ेदानों को खाली करने लिए बस स्टैंड और दूसरे सार्वजनिक स्थलों पर बड़े-बड़े कूड़ेदान लगाए जाएंगे। यूनियन अध्यक्ष बोले- सरकार का फैसले के स्वागत
ऑल हिमाचल कॉमर्शियल व्हीकल यूनियन के अध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने पर्यटकों से कूड़ा इधर-उधर न फेंकने की अपील की। उन्होंने कहा कि शहर को साफ-सुथरा रखना सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर विजिटिंग व्हीकल में डस्टबिन लगाए जा चुके हैं। प्लास्टिक पर पहले से ही प्रतिबंध
बता दें कि हिमाचल सरकार रंगदार पॉलिथीन लिफाफों, सिंगल यूज प्लास्टिक, 60 GSM से अधिक मोटाई वाले नॉन वॉवन प्लास्टिक बैग पर कई साल पहले ही प्रतिबंध लगा चुकी है। सबसे पहले जनवरी 1999 में रंगदार पॉलिथीन लिफाफों पर बैन लगाया गया था। उसके बाद जून 2004 को 70 माइक्रोन से कम मोटाई वाले पॉलिथीन के थैलों पर प्रतिबंध लगाने वाला हिमाचल पहला राज्य बना। 2 अक्टूबर 2009 को पॉलिथीन थैलों पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। इसके बाद सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया। यह कदम पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए हैं। हिमाचल सरकार ने पहाड़ों को साफ-सुथरा बनाने के लिए 2 निर्णय लिए हैं। पहला- सभी कॉमर्शियल व्हीकल में डस्टबिन अनिवार्य किया गया है। दूसरा- पर्यटन स्थलों और पहाड़ों पर कचरा फेंकने वालों के चालान काटे जाएंगे। ये दोनों नियम 29 अप्रैल से लागू हो गए हैं। अब जिस टैक्सी, टैम्पो ट्रेवलर, प्राइवेट व सरकारी बस और बाहरी राज्यों के कॉमर्शियल वाहनों में डस्टबिन (कूड़ेदान) नहीं होगा, उसके मालिक को 10 हजार रुपए जुर्माना भरना होगा। वहीं, जो टूरिस्ट पहाड़ों पर या टूरिस्ट प्लेस को गंदा करेगा, उस पर 1500 रुपए का जुर्माना लगेगा। यह पेनल्टी स्थानीय लोगों पर भी लागू होगी। बता दें कि हिमाचल के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर देश और विदेश से हर साल डेढ़ से 2 करोड़ टूरिस्ट पहुंचते हैं। इनमें ज्यादातर टूरिस्ट टैक्सी, वॉल्वो बसों और टैम्पो ट्रेवलर से आते हैं। हिमाचल सरकार के इस फैसले का इन टूरिस्टों पर सीधा असर होगा। ट्रांसपोर्टरों को डस्टबिन लगाने को जागरूक कर रहा विभाग
प्रदेश सरकार के आदेश पर हिमाचल पथ परिवहन निगम और टैक्सी संचालकों ने अपनी गाड़ियों में डस्टबिन लगाने शुरू कर दिए हैं। शिमला के RTO अनिल ने बताया है कि अभी ट्रांसपोर्टरों के चालान नहीं किए जा रहे हैं, बल्कि लोगों को डस्टबिन लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है, ताकि जनता को सरकार के इस नए नियम की जानकारी दी जा सके। उन्होंने बताया- एक सप्ताह बाद चालान कटने शुरू होंगे। जो वाहन पासिंग के लिए आ रहे हैं, उनकी पासिंग डस्टबिन लगाने के बाद ही की जा रही है। पर्यावरण विभाग चालान के सभी विभागों को चालान बुक मुहैया करवा रहा है। भविष्य में एक एप के जरिए ऑनलाइन ही ऐसे चालान किए जाएंगे। नॉन बायोग्रेडेबल गारबेज कंट्रोल एक्ट में किया पेनल्टी का प्रावधान
पर्यावरण विभाग ने डस्टबिन लगाने और कचरा फैलाने वालों के चालान से जुड़ा नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इससे पहले सरकार ने 1995 में बने हिमाचल प्रदेश नॉन बायोग्रेडेबल गारबेज कंट्रोल एक्ट में पेनल्टी का प्रावधान किया है। प्रदेश सरकार ने यह नियम अभी कॉमर्शियल वाहनों पर लागू किया है। आने वाले दिनों में प्राइवेट वाहनों को भी इसके दायरे में लाया जाएगा। इसके पीछे पर्यटन स्थलों और पहाड़ों पर फैल रही गंदगी को रोकना है। गाड़ियों में लगाए इन कूड़ेदानों को खाली करने लिए बस स्टैंड और दूसरे सार्वजनिक स्थलों पर बड़े-बड़े कूड़ेदान लगाए जाएंगे। यूनियन अध्यक्ष बोले- सरकार का फैसले के स्वागत
ऑल हिमाचल कॉमर्शियल व्हीकल यूनियन के अध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने पर्यटकों से कूड़ा इधर-उधर न फेंकने की अपील की। उन्होंने कहा कि शहर को साफ-सुथरा रखना सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर विजिटिंग व्हीकल में डस्टबिन लगाए जा चुके हैं। प्लास्टिक पर पहले से ही प्रतिबंध
बता दें कि हिमाचल सरकार रंगदार पॉलिथीन लिफाफों, सिंगल यूज प्लास्टिक, 60 GSM से अधिक मोटाई वाले नॉन वॉवन प्लास्टिक बैग पर कई साल पहले ही प्रतिबंध लगा चुकी है। सबसे पहले जनवरी 1999 में रंगदार पॉलिथीन लिफाफों पर बैन लगाया गया था। उसके बाद जून 2004 को 70 माइक्रोन से कम मोटाई वाले पॉलिथीन के थैलों पर प्रतिबंध लगाने वाला हिमाचल पहला राज्य बना। 2 अक्टूबर 2009 को पॉलिथीन थैलों पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। इसके बाद सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया। यह कदम पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
