हरियाणा के फतेहाबाद के टोहाना का राजनगर शुक्रवार देर शाम जंग का मैदान बन गया। आपसी विवाद में दो गुटों में यहां जमकर ईंटें और दारू, बियर की बोतलें चलीं। इससे पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई। काफी देर तक दोनों गुटों के युवा छतों पर चढ़कर दूर- दूर से एक दूसरे की तरफ ईंटें और बोतलें फेंकते रहे। कुछ देर बाद ही पूरे क्षेत्र की गलियां और मकानों की छतें कांच और ईंटों से भर गईं। क्षेत्र के लोग काफी देर तक खौफ में रहे और कमरों में घुसकर अपनी जान बचाई। जानकारी अनुसार दोनों तरफ 100-100 के करीब लोग गाली गलौज और ईंट-बोतलों से हमला करते रहे। कुछ देर बाद पुलिस मौके पर पहुंची तो मामला शांत हुआ। दोनों तरफ के कई लोगों को चोटें लगी हैं। फिलहाल पुलिस कार्रवाई करने में जुटी है। आसपास के लोगों ने पथराव की वीडियो बना ली। इसमें साफ साफ देखा जा सकता है कि प्लास्टिक के बैगों में भरकर बीयर व दारू की बोतलें छतों तक लाई गई। महिलाएं तक झगड़े में शामिल नजर आ रही हैं। जानकारी के अनुसार शाम को राजनगर निवासी बोका व हसीना पास ही में रहने वाले सन्नी के घर लोहा काटने वाला कटर मांगने गए थे, जिस पर सन्नी के घर वालों ने कटर देने से इनकार कर दिया था। इसी बात को लेकर उनमें आपसी बहस बाजी और तू-तू, मैं-मैं शुरू हो गई। बाद में यह बहस बाजी बड़े झगड़े में तब्दील हो गई और दोनों गुटों की तरफ से एक दूसरे पर पत्थरबाजी शुरू कर दी गई। झगड़ा करने वालों में एक तरफ हेमा, गीता, गुजर, कर्ण, सन्नी, फौजी, राहुल, बॉबी, रामू, जैकी, रवि रिंकू आदि शामिल थे, जबकि दूसरे पक्ष में बोका, पाला, सुरेंद्र, रिंकू, हसीना शामिल रहे। राजनगर क्षेत्र में दोनों पक्षों की लड़ाई का अंजाम भुगतने वाली काली बाई ने बताया कि वह शाम को घर पर बच्चों के साथ बैठी थी, उसके पति काम पर गए हुए थे। एकाएक हंगामा शुरू हुआ और दोनों तरफ से ईंटें और बोतलें चलने लगी, उसकी छत और आंगन में भी ईंटें बरसने लगी तो वह बच्चों को लेकर कमरे में घुसी और अपनी जान बचाई। इसके बावजूद कुछ लोग छतों से घर में घुसे और दरवाजे व अन्य सामान तोडना शुरू कर दिया। बच्चे डर गए, बाद में पुलिस आई तो उनकी जान में जान आई। उधर टिंगा नाथ ने बताया कि वह काम से लौटा ही था कि मोहल्ला जंग का मैदान बना हुआ था। उसके छोटे-छोटे बच्चे हैं और वह यहां किराये के मकान पर रह रहा है। यदि दोनों पक्षों के झगड़े में बच्चों को कुछ होता तो उसका जिम्मेदार कौन बनता? उसने बताया कि उसके घर का आंगन, सीढ़ियां, छतें सब ईंटें और बोतलों से अटा पड़ा है। हरियाणा के फतेहाबाद के टोहाना का राजनगर शुक्रवार देर शाम जंग का मैदान बन गया। आपसी विवाद में दो गुटों में यहां जमकर ईंटें और दारू, बियर की बोतलें चलीं। इससे पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई। काफी देर तक दोनों गुटों के युवा छतों पर चढ़कर दूर- दूर से एक दूसरे की तरफ ईंटें और बोतलें फेंकते रहे। कुछ देर बाद ही पूरे क्षेत्र की गलियां और मकानों की छतें कांच और ईंटों से भर गईं। क्षेत्र के लोग काफी देर तक खौफ में रहे और कमरों में घुसकर अपनी जान बचाई। जानकारी अनुसार दोनों तरफ 100-100 के करीब लोग गाली गलौज और ईंट-बोतलों से हमला करते रहे। कुछ देर बाद पुलिस मौके पर पहुंची तो मामला शांत हुआ। दोनों तरफ के कई लोगों को चोटें लगी हैं। फिलहाल पुलिस कार्रवाई करने में जुटी है। आसपास के लोगों ने पथराव की वीडियो बना ली। इसमें साफ साफ देखा जा सकता है कि प्लास्टिक के बैगों में भरकर बीयर व दारू की बोतलें छतों तक लाई गई। महिलाएं तक झगड़े में शामिल नजर आ रही हैं। जानकारी के अनुसार शाम को राजनगर निवासी बोका व हसीना पास ही में रहने वाले सन्नी के घर लोहा काटने वाला कटर मांगने गए थे, जिस पर सन्नी के घर वालों ने कटर देने से इनकार कर दिया था। इसी बात को लेकर उनमें आपसी बहस बाजी और तू-तू, मैं-मैं शुरू हो गई। बाद में यह बहस बाजी बड़े झगड़े में तब्दील हो गई और दोनों गुटों की तरफ से एक दूसरे पर पत्थरबाजी शुरू कर दी गई। झगड़ा करने वालों में एक तरफ हेमा, गीता, गुजर, कर्ण, सन्नी, फौजी, राहुल, बॉबी, रामू, जैकी, रवि रिंकू आदि शामिल थे, जबकि दूसरे पक्ष में बोका, पाला, सुरेंद्र, रिंकू, हसीना शामिल रहे। राजनगर क्षेत्र में दोनों पक्षों की लड़ाई का अंजाम भुगतने वाली काली बाई ने बताया कि वह शाम को घर पर बच्चों के साथ बैठी थी, उसके पति काम पर गए हुए थे। एकाएक हंगामा शुरू हुआ और दोनों तरफ से ईंटें और बोतलें चलने लगी, उसकी छत और आंगन में भी ईंटें बरसने लगी तो वह बच्चों को लेकर कमरे में घुसी और अपनी जान बचाई। इसके बावजूद कुछ लोग छतों से घर में घुसे और दरवाजे व अन्य सामान तोडना शुरू कर दिया। बच्चे डर गए, बाद में पुलिस आई तो उनकी जान में जान आई। उधर टिंगा नाथ ने बताया कि वह काम से लौटा ही था कि मोहल्ला जंग का मैदान बना हुआ था। उसके छोटे-छोटे बच्चे हैं और वह यहां किराये के मकान पर रह रहा है। यदि दोनों पक्षों के झगड़े में बच्चों को कुछ होता तो उसका जिम्मेदार कौन बनता? उसने बताया कि उसके घर का आंगन, सीढ़ियां, छतें सब ईंटें और बोतलों से अटा पड़ा है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में डेरा प्रमुख के निधन पर माहौल तनावपूर्ण:आज अंतिम संस्कार; गद्दी को लेकर 2 पक्षों में विवाद, एक दिन पहले चली थी गोलियां
हरियाणा में डेरा प्रमुख के निधन पर माहौल तनावपूर्ण:आज अंतिम संस्कार; गद्दी को लेकर 2 पक्षों में विवाद, एक दिन पहले चली थी गोलियां हरियाणा के सिरसा में डेरा जगमालवाली के प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील साहब का आज दोपहर 2 बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा। परिवार के मुताबिक डेरा प्रमुख की पार्थिव देह मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में दफनाई जाएगी। डेरा प्रमुख का निधन एक दिन पहले (1 अगस्त) हुआ था। इसके बाद गद्दी को लेकर डेरे में दो पक्ष आमने-सामने हो गए थे। इस दौरान गोलियां भी चली थी। तनावपूर्ण माहौल के चलते डेरे में पुलिस का पहरा है। इसमें एक पक्ष डेरा प्रमुख के भतीजे अमर सिंह व उनसे जुड़े लोगों का है। वहीं दूसरे पक्ष में महात्मा बिरेंद्र सिंह और उनसे जुड़े लोग हैं। परिवार के सदस्य करेंगे अंतिम संस्कार
डेरा प्रमुख के भतीजे अमर सिंह बिश्नोई ने बताया कि बिश्नोई समाज की परंपरा के अनुसार देह को समाधि देकर दफन किया जाता है। इसी के अनुसार जगमालवाली के प्रमुख बहादुर चंद वकील साहब को उनके पारिवारिक सदस्यों द्वारा दफन किया जाएगा। बेटे ओम प्रकाश, पोते मुकेश कुमार प्रवीण बिश्नोई, भाई बुधराम बिश्नोई द्वारा डेरा जगमालवाली में अंतिम संस्कार किया जाएगा। वहीं, श्रद्धालु गुरुवार से ही डेरा प्रमुख के अंतिम दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं। निधन के बाद अब गद्दी की लड़ाई
बहादुर चंद वकील के निधन के बाद ही डेरे में गद्दी को लेकर विवाद छिड़ गया था। बीते गुरुवार को यहां डेरामुखी की वसीयत पढ़ने के दौरान दो पक्ष आमने सामने हो गए। महात्मा बिरेंद्र सिंह से जुड़े लोगों ने दावा किया कि डेरा प्रमुख ने एक वसीयत बनाई थी, जो उनके पक्ष में हैं। गुरुवार को जब यह वसीयत सबके सामने पढ़कर सुनाई जा रही थी उसी समय अमर सिंह व उनसे जुड़े लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया। वीडियो हो गए थे वायरल
इस हंगामे से जुड़े वीडियो भी सामने आए थे। जिनमें कुछ लोग एक व्यक्ति से मारपीट करते दिख रहे हैं। उस शख्स के कपड़े फटे हैं। वीडियो में पुलिस वाले उसे बचाने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं। इस मामले में देर रात तक कोई एफआईआर दर्ज होने की बात सामने नहीं आई। हालांकि कहा जा रहा है अमर सिंह की ओर से एक शिकायत पुलिस में दी गई है। मगर पुष्टि नहीं हो पाई है। अब पढ़िए दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर क्या आरोप लगाए पहला पक्ष : डेरा प्रमुख के भतीजे अमर सिंह का कहना कि ” वीरेंद्र सिंह, बलकौर सिंह, शमशेर लहरी और नंदलाल ग्रोवर डेरे की गद्दी हथियाने के चक्कर में महाराज बहादुर चंद वकील का जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करना चाहते थे। मगर हम इससे सहमत नहीं हुए। महाराज जी की मौत संदिग्ध है और इसकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए। अमर सिंह का कहना कि पुलिस में भी लिखित शिकायत की गई है। दूसरा पक्ष : महात्मा बिरेंद्र सिंह से जुड़े लोगों का कहना है कि डेरा प्रमुख के निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर गुरुवार को डेरे में लगाया गया था। यहां डेरा प्रमुख की वसीयत पढ़ी जा रही थी तभी यहां दूसरे पक्ष के लोगों ने हंगामा कर दिया। दूसरे पक्ष की ओर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह बेबुनियाद हैं। महाराज जी ने पूरे होश में वसीयत तैयार करवाई है जिसकी बकायदा वीडियोग्राफी करवाई गई है। लॉ कर संत बहादुर चंद बने मस्ताना शाह बलूचिस्तानी डेरा जगमालवाली के प्रमुख
संत बहादुर चंद मूल रूप से चौटाला गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म 10 दिसंबर 1944 को चौटाला में ही हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने हिसार के दयानंद कॉलेज से आगे की पढ़ाई की। यहां वे आर्य समाज प्रचारणी सभा के अध्यक्ष बने। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ के लॉ कॉलेज से स्नातक किया। 1968 में लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे डेरा जगमालवाली में शामिल हो गए। 9 अगस्त 1998 को संत बहादुर चंद को डेरे की गद्दी सौंपी गई और तब से वे मस्ताना शाह बलूचिस्तानी डेरा जगमालवाली के प्रमुख हैं। जगमालवाली 300 साल पहले बसा था, जो मंडी से 8 किलोमीटर की दूरी पर है। 60 साल पहले बना था बलूचिस्तानी आश्रम
डेरा की शुरुआत 1964-65 में हुई। यहां बाबा सज्जन सिंह रूहल ने संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब को अपनी कई एकड़ जमीन दान में दी और डेरा बनाने का अनुरोध किया। जिस पर संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब ने यहां मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम की स्थापना की। पहले छोटा सा आश्रम था। अब करीब 100-100 फीट का सचखंड बनाया गया है। इसकी खासियत यह है कि इसमें कोई स्तंभ नहीं बना है।